भारत का जीनोमिक डेटा सेट | 15 Jan 2025

प्रिलिम्स के लिये:

जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट, संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, बायोटेक-प्राइड दिशानिर्देश, इंडिजेन परियोजना

मेन्स के लिये:

BioE3, भारत का जैव प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार, जैव अर्थव्यवस्था, जीनोम अनुक्रमण

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

भारत ने नई दिल्ली में जीनोम इंडिया डेटा कॉन्क्लेव में जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट (GIP) के तहत भारतीय जीनोमिक डेटा (IGD) सेट तथा डेटा प्रोटोकॉल के आदान-प्रदान के लिये फ्रेमवर्क (FeED) और भारतीय जैविक डेटा केंद्र (IBDC) पोर्टल जैसे ढाँचे के शुभारंभ के साथ ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।

  • ये पहल भारत को जीनोमिक्स में अग्रणी बनाने के साथ वैश्विक शोधकर्त्ताओं की जीनोम नमूनों तक पहुँच बढ़ाने तथा जीनोमिक डेटा में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने पर केंद्रित है।

जीनोम इंडिया डेटा कॉन्क्लेव की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • भारतीय जीनोमिक डेटा सेट: इसमें एक व्यापक भारतीय जीनोमिक डेटा सेट शुरू किया गया, जिसमें 10,000 संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (WGS) नमूने शामिल हैं, जिन्हें भारतीय जैविक डेटा केंद्र (IBDC) में संग्रहित किया गया है, जो जीवन विज्ञान डेटा के लिये भारत का पहला राष्ट्रीय भंडार है।
    • यह डेटासेट अब विश्व भर के शोधकर्त्ताओं के लिये उपलब्ध है, जो जीनोमिक्स अनुसंधान एवं वैयक्तिक चिकित्सा में प्रगति को समर्थन प्रदान करता है।
    • IBDC पोर्टल आनुवंशिक डेटा तक निर्बाध पहुँच की सुविधा प्रदान करने पर केंद्रित है।
  • FeED प्रोटोकॉल: FeED, बायोटेक-PRIDE (डेटा एक्सचेंज के माध्यम से अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देना) दिशानिर्देशों के तहत उच्च गुणवत्ता वाले जीनोमिक डेटा के नैतिक, पारदर्शी तथा सुरक्षित साझाकरण को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
  • जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट: जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के नेतृत्व में जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट (GIP) के महत्त्व पर बल देते हुए, यह पहल भारत की आनुवंशिक विविधता का एक व्यापक डेटाबेस प्रदान करती है।

बायोटेक-PRIDE दिशानिर्देश

  • DBT द्वारा वर्ष 2021 में जारी "बायोटेक-PRIDE दिशानिर्देश" भारत में अनुसंधान समूहों के बीच जैविक डेटा के आदान-प्रदान को सक्षम बनाने पर केंद्रित हैं। 
    • ये ज्ञान साझा करने, बेहतर एकीकरण, निर्णय लेने तथा न्यायसंगत पहुँच सुनिश्चित करने के लिये ढाँचा प्रदान करते हैं। 
    • ये साझाकरण को बढ़ावा देने के साथ अनुसंधान में सार्वजनिक निवेश के लाभ को अधिकतम करने पर केंद्रित हैं।
  • इन दिशानिर्देशों के क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी हरियाणा के क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (RCB) स्थित भारतीय जैविक डाटा केंद्र (IBDC) की है।
    • बायोटेक-प्राइड दिशानिर्देशों के तहत, मौजूदा डेटासेट को IBDC से जोड़ा जाएगा, जिससे बायो-ग्रिड का निर्माण होगा। 
      • यह बायो-ग्रिड जैविक आँकड़ों के लिये एक राष्ट्रीय भंडार के रूप में कार्य करेगा जिससे सुरक्षा, मानक और गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए इसके आदान-प्रदान को सक्षम किया जा सकेगा तथा स्पष्ट डेटा एक्सेस प्रोटोकॉल स्थापित किया जा सकेगा।
    • जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित RCB जैव प्रौद्योगिकी शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण पर केंद्रित है। 
      • इसे वर्ष 2016 में राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान के रूप में मान्यता दी गई है। RCB स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के लिये नवाचार को बढ़ावा देने के साथ कुशल मानव संसाधन विकसित करने पर केंद्रित है।

जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट क्या है?

  • परिचय: GIP वर्ष 2020 में DBT द्वारा शुरू की गई एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य भारत की आनुवंशिक विविधता की मैपिंग करना है। 
  • इसका उद्देश्य भारत के विविध जनसंख्या समूहों के जीनोम को अनुक्रमित एवं विश्लेषित करना है जिससे देश की अद्वितीय आनुवंशिक संरचना के बारे में जानकारी मिल सके।
  • उद्देश्य: स्वास्थ्य, रोग प्रवृत्ति तथा जनसंख्या-विशिष्ट लक्षणों का अध्ययन करने के क्रम में आधारभूत आनुवंशिक मैपिंग तैयार करना।
  • दायरा: GIP के पहले चरण में 99 जातीय समूहों के 10,000 व्यक्तियों के जीनोम को अनुक्रमित किया जाना शामिल है। दीर्घकालिक योजनाओं का लक्ष्य इसे 1 मिलियन जीनोम तक बढ़ाना है।
  • GIP का दूसरा चरण कैंसर, मधुमेह एवं दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों के जीनोम अनुक्रमण पर केंद्रित है।
  • इससे रोगग्रस्त जीनोम की स्वस्थ जीनोम से तुलना करके इन स्थितियों से संबंधित जीन की पहचान करने में मदद मिलेगी।
  • भारत के लिये महत्त्व: 4,600 से अधिक विशिष्ट जनसंख्या समूहों के साथ, भारत की आनुवंशिक विविधता अद्वितीय है।
  • इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारतीय लोगों से संबंधित विशिष्ट आनुवंशिक कारकों का पता लगाना है, जैसे दुर्लभ रोग एवं MYBPC3 जैसे उत्परिवर्तन (जो शीघ्र हृदयाघात से संबंधित हैं), जो वैश्विक डेटाबेस में नहीं मिलते हैं।

जीनोम अनुक्रमण

  • डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड: DNA में आनुवंशिक जानकारी संग्रहित रहती है। यह सभी जीवों की वृद्धि, विकास एवं क्रियाप्रणाली का आधार है।
    • DNA, कुंडलित आकार का एक डबल-स्ट्रैंडेड अणु है जिसे डबल हेलिक्स के नाम से जाना जाता है।
    • DNA का प्रत्येक स्ट्रैंड न्यूक्लियोटाइड से बना होता है, जिसमें एक फॉस्फेट अणु, एक डीऑक्सीराइबोज शर्करा तथा एक नाइट्रोजन युक्त क्षार शामिल होता है।
  • जीनोम: जीनोम किसी कोशिका में DNA अनुदेशों का संपूर्ण समुच्चय है। मनुष्यों में, यह गुणसूत्रों के 23 युग्म से मिलकर बना होता है। 
    • मानव जीनोम की एक प्रति में DNA के लगभग 3 अरब क्षारक युग्म होते हैं, जो इन 23 गुणसूत्रों में वितरित होते हैं। 
    • जीनोम में व्यक्ति के विकास और कार्यप्रणाली से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी होती है।
  • जीन: यह आनुवंशिकता की मूल इकाइयाँ हैं जो माता-पिता से संतति में हस्तांतरित होती हैं। ये DNA अनुक्रमों से बने होते हैं और कोशिका केंद्रक के भीतर गुणसूत्रों पर विशिष्ट स्थानों पर व्यवस्थित होते हैं।
  • जीनोम अनुक्रमण: इसमें डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) में न्यूक्लियोटाइड बेस {एडेनिन (A), साइटोसिन (C), गुआनिन (G), और थाइमिन (T)} के क्रम का अध्ययन शामिल है।
    • यह प्रक्रम किसी व्यक्ति की आनुवंशिक संरचना को समझने में मदद करता है तथा उसके गुणों, स्वास्थ्य जोखिमों और संभावित रोगों के संबंध में जानकारी प्रदान करता है।
    • जीनोम अनुक्रमण किसी विशेष जीन, खंड या जीनोम के छोटे भाग पर केंद्रित हो सकता है।
  • संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (WGS): इसमें एक ही बार में किसी जीव के संपूर्ण जीनोम को अनुक्रमित करना शामिल है, जिसमें उसके सभी जीन और गैर-कोडिंग अंश (संपूर्ण DNA अनुक्रम) शामिल हैं। 
  • WGS किसी जीव के आनुवंशिक पदार्थ का पूर्ण एवं व्यापक प्रतिचित्रण उपलब्ध कराता है।

Gene_Editing_and_Gene_Sequencing

स्वदेशी जीनोमिक डेटा के प्रमुख लाभ क्या हैं?

  • व्यक्तिगत चिकित्सा: भारत में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को वन साइज़ फिट्स ऑल के दृष्टिकोण के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें उपचार के दौरान प्रायः जनसंख्या की आनुवंशिक विविधता को ध्यान में नहीं रखा जाता है।
    • स्वदेशी जीनोमिक डेटा (IGD) भारत की जनसांख्यिकी के लिये अनुकूलित स्वास्थ्य देखभाल समाधान सक्षम करता है, जिससे उपचार की प्रभावशीलता और परिणामों में सुधार होता है।
  • जैवअर्थव्यवस्था विकास: IGD से भारत की बढ़ती जैवअर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, जो 2014 में 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2024 में 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई है। 
  • अग्रणी देश के रूप में भारत की स्थापना: भारत जैवप्रौद्योगिकी में विश्व स्तर पर 12वें स्थान पर तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है।
    • वर्ष 2023 में 8,500 से अधिक बायोटेक स्टार्टअप्स के साथ सबसे अधिक वैक्सीन उत्पादक के रूप में, भारत वैश्विक जैवअर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने की ओर अग्रसर है। 
    • जीनोमिक नवाचार के केंद्र के रूप में भारत की स्थापना के साथ IGD से विदेशी डेटाबेस पर निर्भरता कम होती है। 
  • उन्नत आनुवंशिक साधन: IGD क्षेत्रीय आनुवंशिक विविधताओं के लिये विशिष्ट जीनोमिक साधनों और नैदानिक ​​परीक्षणों के निर्माण की सुविधा प्रदान करता है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल में सटीकता में सुधार होता है।
  • कृषि और पर्यावरण अनुसंधान: यह उन आनुवंशिक विविधता के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जिनसे फसल प्रजनन, रोग प्रतिरोध और पर्यावरणीय संधारणीयता में सुधार किया जा सकता है।

जैवप्रौद्योगिकी विकास संबंधी भारत की अन्य पहलें कौन-सी हैं?

विश्व की जीनोमिक परियोजनाएँ

  • मानव जीनोम परियोजना, जो कि अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान द्वारा वित्तपोषित एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है, के अंतर्गत विश्व का पहला पूर्ण मानव जीनोम अनुक्रम था जो वर्ष 2003 में संपन्न हुआ था।
  • यूरोपीय संघ की '1+ मिलियन जीनोम' (1+MG) पहल का उद्देश्य संपूर्ण यूरोप में जीनोमिक और नैदानिक ​​डेटा की सुरक्षित पहुँच प्रदान करना, रोग की रोकथाम में सुधार के लिये अनुसंधान, स्वास्थ्य नीति तथा व्यक्तिगत स्वास्थ्य देखभाल में सहायता करना है।
  • अर्थ बायोजीनोम प्रोजेक्ट (EBP) वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी पर सभी ज्ञात यूकेरियोटिक प्रजातियों के जीनोम को अनुक्रमित और सूचीबद्ध करना है। इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना को भारत, चीन और अमेरिका का समर्थन प्राप्त है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत की आनुवंशिक विविधता और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के संदर्भ में जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट (GIP) का क्या महत्त्व है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में, प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकों का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है। 
  2. यह तकनीक फसली पौधों की नई तकनीकों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को घटाने में मदद करती है।
  3.  इसका प्रयोग फसलों में पोषी-रोगाणु संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)