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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण

  • 19 Dec 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण, DNA, जीन, जीनोम।

मेन्स के लिये:

संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण और इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान ( Indian Institute of Science Education and Research- IISER) भोपाल के शोधकर्त्ताओं ने बरगद (Ficus benghalensis) और पीपल (Ficus religiosa) की पत्ती के ऊतकों के नमूनों से संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (Whole Genome Sequencing ) किया है।

  • इस कार्य ने बरगद के मामले में 17 जीनों और पीपल के 19 जीनों की पहचान करने में मदद की, जिनमें अनुकूली विकास के कई लक्षण हैं जो इन दो गूलर (Ficus) प्रजातियों के लंबे समय तक जीवित रहने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण:

  • परिचय:
    • सभी जीवों का एक अद्वितीय आनुवंशिक कोड या जीनोम होता है, जो न्यूक्लियोटाइड बेस एडेनिन (A), थाइमिन (T), साइटोसिन (C) और गुआनिन (G) से बना होता है।
    • एक जीव में बेस के अनुक्रम का पता लगाकर अद्वितीय डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid- DNA) फिंगरप्रिंट या पैटर्न की पहचान की जा सकती है।
      • बेस के क्रम का निर्धारण अनुक्रमण कहलाता है।
    • संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण एक प्रयोगशाला प्रक्रिया है जो एक प्रक्रिया में जीव के जीनोम में बेस के क्रम को निर्धारित करती है।
  • कार्यप्रणाली:
    • DNA को काटने के लिये:
      • वैज्ञानिक DNA को काटने के लिये आणविक कैंची का उपयोग करते हैं, यह लाखों आधारों (A, C, T और G) से बना होता है, जो अनुक्रमण मशीन को समझने के लिये काफी छोटे होते हैं।
    • DNA बारकोडिंग :
      • वैज्ञानिक DNA टैग के छोटे-छोटे टुकड़े जोड़ते हैं या बार कोड का उपयोग यह पहचानने के लिये करते हैं कि कटा हुआ DNA का कौन-सा टुकड़ा किस बैक्टीरिया से संबंधित है।
        • यह उसी तरह है जैसे एक बार कोड किसी किराने की दुकान पर किसी उत्पाद की पहचान करता है।
    • DNA सीक्वेंसर:
      • कई बैक्टीरिया से बार-कोडेड DNA को मिलाया जाता है और DNA सीक्वेंसर में डाल दिया जाता है।
      • अनुक्रमक A's, C's, T's और G's या उन आधारों की पहचान करता है, जो प्रत्येक जीवाणु अनुक्रम बनाते हैं।
      • अनुक्रमण बार कोड का उपयोग करता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन से आधार किस बैक्टीरिया के हैं।
    • डेटा विश्लेषण:
      • वैज्ञानिक कई बैक्टीरिया से अनुक्रमों की तुलना करने और मतभेदों की पहचान करने के लिये कंप्यूटर विश्लेषण टूल का उपयोग करते हैं।
      • ये मतभेद वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करती है कि जीवाणु कितनी निकटता से संबंधित हैं और कितनी संभावना है कि वे एक ही प्रकोप का हिस्सा हैं।
  • लाभ:
    • जीनोम का उच्च-रिज़ॉल्यूशन, आधार-दर-आधार दृश्य प्रदान करता है।
    • बड़े और छोटे दोनों रूपों को शामिल करता है जो लक्षित दृष्टिकोणों से छूट सकते हैं।
    • जीन अभिव्यक्ति और विनियमन तंत्र के आगे के अनुवर्ती अध्ययन के लिये संभावित प्रेरक रूपों की पहचान करता है।
    • नोबेल जीनोम की असेंबली का समर्थन करने के लिये कम समय में बड़ी मात्रा में डेटा वितरित करता है।
  • महत्त्व:
    • वंशानुगत विकारों की पहचान करने, कैंसर कोशिकाओं के उत्परिवर्तनों को चिह्नित करने और बीमारी के प्रकोपों ​​को ट्रैक करने में जीनोमिक जानकारी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • यह कृषि की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण पशुधन, पौधों या रोग संबंधी रोगाणुओं के अनुक्रमण के लिये लाभदायक है।

जीनोम:

  • जीनोम एक जीव में मौजूद समग्र आनुवंशिक सामग्री को संदर्भित करता है और सभी लोगों में मानव जीनोम अधिकतर समान होता है, लेकिन DNA का एक बहुत छोटा हिस्सा एक व्यक्ति तथा दूसरे के बीच भिन्न होता है।
  • प्रत्येक जीव का आनुवंशिक कोड उसके डीऑक्सीराइबोज न्यूक्लिक एसिड (DNA) में निहित होता है, जो जीवन के निर्माण खंड होते हैं।
  • वर्ष 1953 में जेम्स वाटसन और फ्राँसिस क्रिक द्वारा "डबल हेलिक्स" के रूप में संरचित DNA की खोज की गई, जिससे यह समझने में मदद मिली कि जीन किस प्रकार जीवन, उसके लक्षणों एवं बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • प्रत्येक जीनोम में उस जीव को बनाने और बनाए रखने के लिये आवश्यक सभी जानकारी होती है।
  • मनुष्यों में पूरे जीनोम की एक प्रति में 3 अरब से अधिक DNA बेस जोड़े होते हैं।

जीनोम और जीन में अंतर:

जीन जीनोम
जीन DNA अणुओं का एक हिस्सा है जीनोम कोशिका में मौजूद कुल DNA हैं
आनुवंशिक जानकारी का वंशानुगत तत्त्व DNA अणु के सभी समूह
प्रोटीन संश्लेषण को एन्कोड करता है प्रोटीन संश्लेषण के लिये प्रोटीन और नियामक तत्त्वों दोनों को एन्कोड करता है
इसमें लगभग कुछ सौ क्षार जोड़े होते है एक उच्च जीव के जीनोम में अरब क्षार जोड़े होते हैं
एक उच्च जीव में लगभग हज़ारों जीन होते हैं प्रत्येक जीव में केवल एक जीनोम होता है
एलील्स नामक जीन की भिन्नता को स्वाभाविक रूप से चुना जा सकता है क्षैतिज जीन स्थानांतरण और दोहराव जीनोम में बड़े बदलाव का कारण बनते हैं

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ): 

प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकाें का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
  2. यह तकनीक फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को कम करने में मदद करती है।
  3. इसका प्रयोग फसलों में पोषी-रोगाणु संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • चीनी वैज्ञानिकों ने वर्ष 2002 में चावल के जीनोम को डिकोड किया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने चावल की बेहतर किस्मों जैसे- पूसा बासमती-1 और पूसा बासमती -1121 को विकसित करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया, जिसने वर्तमान में भारत के चावल निर्यात में काफी हद तक वृद्धि की है। कई ट्रांसजेनिक किस्में भी विकसित की गई हैं, जिनमें कीट प्रतिरोधी कपास, शाकनाशी सहिष्णु सोयाबीन और वायरस प्रतिरोधी पपीता शामिल हैं। अत: 1 सही है।
  • पारंपरिक प्रजनन में पादप प्रजनक अपने खेतों की जाँच करते हैं और उन पौधों की खोज करते हैं जो वांछनीय लक्षण प्रदर्शित करते हैं। ये लक्षण उत्परिवर्तन नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से उत्पन्न होते हैं, लेकिन उत्परिवर्तन की प्राकृतिक दर उन सभी पौधों में लक्षणों को उत्पन्न करने के लिये बहुत धीमी और अविश्वसनीय है जो कि प्रजनक चाहते हैं। हालाँकि जीनोम अनुक्रमण में कम समय लगता है, इस प्रकार यह अधिक बेहतर विकल्प है। अत: 2 सही है।
  • जीनोम अनुक्रमण एक फसल के संपूर्ण डीएनए अनुक्रम का अध्ययन करने में सक्षम बनाता है, इस प्रकार यह रोगजनकों के अस्तित्व या प्रजनन क्षेत्र को समझने में सहायता प्रदान करता है। अत: 3 सही है।
  • अतः विकल्प (D) सही उत्तर है।

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. DNA बारकोडिंग किसका उपसाधन हो सकता है?
  2. किसी पादप या प्राणी की आयु का आकलन करने के लिये
  3. समान दिखने वाली प्रजातियों के बीच भिन्नता जानने के लिये
  4. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में अवांछित प्राणी या पादप सामग्री को पहचानने के लिये

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 2
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • परमाणु या ऑर्गेनेल जीनोम से लघु DNA अनुक्रमों का उपयोग कर जैविक प्रतिदर्शों की पहचान करने की नई तकनीक को DNA बारकोडिंग कहा जाता है।
  • DNA बारकोडिंग के विभिन्न क्षेत्रों में कई अनुप्रयोग हैं जैसे प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करना, लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करना, कृषि कीटों को नियंत्रित करना, रोग वैक्टर की पहचान करना, पानी की गुणवत्ता की निगरानी करना, प्राकृतिक स्वास्थ्य उत्पादों का प्रमाणीकरण और औषधीय पौधों की पहचान करना।
  • लुप्तप्राय वन्यजीवों की प्रजातियों की पहचान (एक जैसी दिखने वाली प्रजातियों के बीच अंतर), कीट संगरोध और रोग वाहक (अवांछनीय जानवरों / पौधों की पहचान करना) कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें DNA बारकोडिंग शोधकर्त्ताओं, प्रवर्तन एजेंटों एवं उपभोक्ताओं हेतु बहुत कम समय-सीमा में निर्णय लेती है।
  • अतः कथन 2 और 3 सही हैं, अतः विकल्प (d) सही है।

मेन्स:

प्रश्न. अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी? (2021)

स्रोत:द हिंदू

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