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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

नवजात शिशुओं में संपूर्ण-जीनोम अनुक्रमण

  • 08 Jul 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण, DNA, जीन, जीनोम

मेन्स के लिये:

संपूर्ण जीनोम अनुक्रम और उसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्वस्थ नवजात शिशुओं सहित नवजात शिशुओं में तीव्रता से संपूर्ण-जीनोम अनुक्रमण (Whole-Genome Sequencing- WGS) का उपयोग आनुवंशिक रोगों के निदान और उपचार हेतु एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण या उपाय  के रूप में उभरा है।

  • यह तकनीक स्वास्थ्य कर्मियों को शिशु की आनुवंशिक संरचना का व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करके तेज़ी से अधिक प्रभावी निदान प्रदान करने में सक्षम बनाती है, जिससे बेहतर परिणाम मिलते हैं, साथ ही स्वास्थ्य देखभाल लागत में भी कमी आती है।

संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण:

  • परिचय: 
    • सभी जीवों का एक अद्वितीय आनुवंशिक कोड या जीनोम होता है, जो न्यूक्लियोटाइड बेस एडेनिन (A), थाइमिन (T), साइटोसिन (C) और गुआनिन (G) से बना होता है।
    • बेस के क्रम का निर्धारण अनुक्रमण कहलाता है।
    • संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण एक प्रयोगशाला प्रक्रिया है जो एक प्रक्रिया में जीव के जीनोम में बेस के क्रम को निर्धारित करती है।
  • नवजात जीनोम अनुक्रमण का महत्त्व: 
    • मानक जाँच से पता न चलने वाली दुर्लभ आनुवंशिक बीमारियों का त्वरित, सटीक निदान।
    • उपचार योग्य स्थितियों का पता लगाना, शीघ्र हस्तक्षेप या जीन-आधारित उपचारों को सक्षम करना।
    • भविष्य के स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जानकारी, विकल्पों और निवारक उपायों की सुविधा प्रदान करना।
    • व्यक्तिगत और सामाजिक मूल्यों हेतु वंश, लक्षण एवं वाहक स्थिति का पता लगाना।

स्वस्थ नवजात शिशुओं के जीनोम अनुक्रमण का कारण: 

  • अमेरिका में बेबीसेक परियोजना नियमित देखभाल हेतु नवजात शिशुओं के अनुक्रमण के संभावित लाभों का पता लगाती है।
  • इस प्रोजेक्ट द्वारा किये गए एक अध्ययन से पता चला है कि 10% से अधिक स्वस्थ शिशुओं में अप्रत्याशित आनुवंशिक रोग संबंधी जोखिम थे।
  • स्वस्थ नवजात शिशुओं का अनुक्रमण उन आनुवांशिक बीमारियों हेतु नवजात शिशुओं की जाँच या परीक्षण के दायरे का विस्तार करता है जिनका मानक जैव रासायनिक परीक्षणों द्वारा पता नहीं लगाया जा सकता है।
  • स्वस्थ नवजात शिशुओं का अनुक्रमण व्यक्ति के भविष्य के स्वास्थ्य जोखिमों और पूर्व निर्धारितताओं के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।

जीनोम:

  • जीनोम एक जीव में मौजूद समग्र आनुवंशिक सामग्री को संदर्भित करता है और सभी लोगों में मानव जीनोम अधिकतर समान होता है, लेकिन DNA का एक बहुत छोटा हिस्सा एक व्यक्ति तथा दूसरे के बीच भिन्न होता है।
  • प्रत्येक जीव का आनुवंशिक कोड उसके डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड (DNA) में निहित होता है, जो जीवन के निर्माण खंड होते हैं।
    • वर्ष 1953 में जेम्स वाटसन और फ्राँसिस क्रिक द्वारा "डबल हेलिक्स" के रूप में संरचित DNA की खोज की गई, जिससे यह समझने में मदद मिली कि जीन किस प्रकार जीवन, उसके लक्षणों एवं बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • प्रत्येक जीनोम में उस जीव को बनाने और बनाए रखने के लिये आवश्यक सभी जानकारी समाहित होती है।
  • मनुष्यों में पूरे जीनोम की एक प्रति में 3 अरब से अधिक DNA बेस जोड़े होते हैं।

जीनोम और जीन में अंतर:

जीन

जीनोम

जीन DNA अणुओं का एक हिस्सा है

जीनोम कोशिका में मौजूद कुल DNA हैं

आनुवंशिक जानकारी का वंशानुगत तत्त्व

DNA अणु के सभी समूह

प्रोटीन संश्लेषण को एन्कोड करता है

प्रोटीन संश्लेषण के लिये प्रोटीन और नियामक तत्त्वों दोनों को एन्कोड करता है

इसमें लगभग कुछ सौ क्षार जोड़े होते है

एक उच्च जीव के जीनोम में अरब क्षार जोड़े होते हैं

एक उच्च जीव में लगभग हज़ारों जीन होते हैं

प्रत्येक जीव में केवल एक जीनोम होता है

एलील्स नामक जीन की भिन्नता को स्वाभाविक रूप से चुना जा सकता है

क्षैतिज जीन स्थानांतरण और दोहराव जीनोम में बड़े बदलाव का कारण बनते हैं

नवजात जीनोम-अनुक्रमण से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • नवजात जीनोम-अनुक्रमण बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत और संवेदनशील डेटा उत्पन्न करता है, जो गोपनीयता, सहमति, स्वामित्व, प्रकटीकरण और भेदभाव जैसे नैतिक, कानूनी एवं सामाजिक मुद्दों को उठाता है।
  • यह अनुक्रमण अनिश्चित या आकस्मिक निष्कर्ष भी उत्पन्न कर सकता है जिसका स्पष्ट नैदानिक ​​निहितार्थ या कार्रवाई करने योग्य नहीं हो सकता है, जिससे व्यक्ति या उनके परिवार को चिंता, भ्रम या हानि हो सकती है।
  • यह परिणामों की उचित व्याख्या और संचार सुनिश्चित करने के लिये स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और जनता के लिये पर्याप्त शिक्षा तथा प्रशिक्षण की भी मांग करता है।

आगे की राह

  • नवजात जीनोम अनुक्रमण में व्यक्तिगत जीनोमिक डेटा से संबंधित गोपनीयता, सहमति, स्वामित्व, प्रकटीकरण और भेदभाव संबंधी चिंताओं के लिये एक मज़बूत नैतिक तथा कानूनी ढाँचे का विकास करना।
  • समन्वय, गुणवत्ता और समानता सुनिश्चित करने के लिये नवजात जीनोम-अनुक्रमण को मौज़ूदा नवजात स्क्रीनिंग कार्यक्रमों, नैदानिक ​​देखभाल तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के साथ भी एकीकृत किया जाना चाहिये।
  • साक्ष्य-आधारित अभ्यास, नवाचार और सुधार सुनिश्चित करने के लिये नवजात जीनोम-अनुक्रमण का निरंतर अनुसंधान, मूल्यांकन किया जाना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाला 'जीनोम अनुक्रमण' की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017) 

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध क्षमता और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकों का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
  2. यह तकनीक फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को घटाने करने में मदद करती है।
  3. इसका उपयोग फसलों में पोषी-रोगाणु संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d) 

व्याख्या: 

  • चीनी वैज्ञानिकों ने वर्ष 2002 में चावल के जीनोम को डीकोड किया था। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने पूसा बासमती -1 और पूसा बासमती -1121 जैसी चावल की बेहतर किस्मों को विकसित करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया था जो वर्तमान में भारत के चावल निर्यात में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। अनेक ट्रांसजेनिक किस्में भी विकसित की गई हैं जिनमें कीट प्रतिरोधी कपास, शाकनाशी सहिष्णु सोयाबीन और वायरस प्रतिरोधी पपीता शामिल हैं। अतः 1 सही है।
  • पारंपरिक प्रजनन में पादप प्रजनक अपने खेतों की जाँच करते हैं तथा ऐसे पौधों की खोज करते हैं जो वांछनीय लक्षण प्रदर्शित करते हैं। ये लक्षण उत्परिवर्तन नामक प्रक्रिया के माध्यम से अनायास उत्पन्न होते हैं लेकिन उत्परिवर्तन की प्राकृतिक दर उन सभी पौधों के गुणों को उत्पन्न करने के लिये बहुत धीमी एवं अविश्वसनीय है जो प्रजनक देखना चाहते हैं। हालाँकि जीनोम अनुक्रमण में समय कम लगता है इस कारण यह अधिक बेहतर है। अतः 2 सही है।
  • होस्ट-पैथोजन इंटरैक्शन को इस रूप में परिभाषित किया गया है कि कैसे रोगाणु या वायरस आणविक, कोशीय, जीव या जनसंख्या स्तर पर मेज़बान जीवों के भीतर स्वयं को बनाए रखते हैं। जीनोम अनुक्रमण एक फसल के संपूर्ण DNA अनुक्रम का अध्ययन करने में सक्षम है। इस प्रकार यह रोगजनकों के अस्तित्व या प्रजनन क्षेत्र को समझने में सहायता करता है। अतः 3 सही है।

अतः विकल्प (D) सही उत्तर है।


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

DNA बारकोडिंग किसका उपसाधन हो सकता है:

  1. किसी पादप या प्राणी की आयु का आकलन करने के लिये 
  2. समान दिखने वाली प्रजातियों के बीच भिन्नता जानने के लिये 
  3. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में अवांछित प्राणी या पादप सामग्री को पहचानने के लिये  

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 3 
(c) केवल 1 और 2
(d) केवल 2 और 3 

उत्तर: (d) 

व्याख्या: 

  • परमाणु या ऑर्गेनेल जीनोम से लघु DNA अनुक्रमों का उपयोग कर जैविक प्रतिदर्शों की पहचान करने की नई तकनीक को DNA बारकोडिंग कहा जाता है।
  • DNA बारकोडिंग के विभिन्न क्षेत्रों में कई अनुप्रयोग हैं जैसे प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करना, लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करना, कृषि कीटों को नियंत्रित करना, रोग वैक्टर की पहचान करना, पानी की गुणवत्ता की निगरानी करना, प्राकृतिक स्वास्थ्य उत्पादों का प्रमाणीकरण और औषधीय पौधों की पहचान करना।
  • लुप्तप्राय वन्यजीवों की प्रजातियों की पहचान (एक जैसी दिखने वाली प्रजातियों के बीच अंतर), कीट संगरोध और रोग वाहक (अवांछनीय जानवरों/पौधों की पहचान करना) कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें DNA बारकोडिंग शोधकर्त्ताओं, प्रवर्तन एजेंटों एवं उपभोक्ताओं हेतु बहुत कम समय-सीमा में निर्णय लेती है।

अतः कथन 2 और 3 सही हैं, अतः विकल्प (d) सही है।


मेन्स: 

प्रश्न . अनुप्रयुक्त जैव प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी ?(250 शब्दों में उत्तर दीजिये) (2021)

स्रोत: द हिंदू

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