वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट, जून 2024 | 11 Jul 2024

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), गैर-निष्पादित परिसंपत्ति , बैड लोन, डिजिटल वैयक्तिक ऋण, SARFAESI अधिनियम, 2002, पूंजी पर्याप्तता अनुपात, मुद्रास्फीति, अवस्फीति

मेन्स के लिये:

बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित मुद्दे, NBFC तथा बैंकों में अंतर।

स्रोत: आर.बी.आई

चर्चा में क्यों?

जून 2024 के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की द्वि-वार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) डिजिटल व्यक्तिगत ऋणों के प्रसार एवं वित्तीय स्थिरता उपायों के प्रभाव पर समस्याओं को उजागर करते हुए वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की मज़बूत वित्तीय आघात-सह (resilience) को रेखांकित करती है।

जून 2024 के लिये FSR की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • वैश्विक मैक्रोफाइनेंशियल जोखिम: रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा वित्तीय प्रणाली के बढ़ते जोखिम एवं अनिश्चितताओं के बीच आघात-सहनीयता नहीं प्रदर्शित कर रही है।
  • घरेलू मैक्रोफाइनेंशियल जोखिम: मज़बूत समष्टि आर्थिक बुनियादी ढाँचे तथा एक सुदृढ़ एवं स्थिर वित्तीय प्रणाली ने भारतीय अर्थव्यवस्था के सतत् विस्तार को समर्थन प्रदान किया है।
    • मुद्रास्फीति में कमी, मज़बूत बाह्य स्थिति तथा चालू राजकोषीय सुदृढ़ीकरण से व्यापार और उपभोक्ता के विश्वास में वृद्धि हो रही है।
    • वित्तीय संस्थानों में स्वस्थ तुलन-पत्र मज़बूत पूंजी बफर, बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता, पर्याप्त प्रावधान एवं पर्याप्त लाभ से घरेलू वित्तीय स्थिति मज़बूत हुई है।
  • बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) का GNPA अनुपात मार्च 2024 में घटकर 2.8% रह गया है, जो 12 वर्षों में सबसे कम है। शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NNPA) अनुपात भी सुधरकर 0.6% के पर पहुँच गया है।
    • आधारभूत तनाव परिदृश्य के अंर्तगत मार्च 2025 तक GNPA अनुपात में 2.5% तक सुधार होने की आशा है।
    • यदि समष्टि आर्थिक परिवेश अत्यधिक रूप से खराब हो जाता है तब GNPA अनुपात में 3.4% तक की वृद्धि हो सकती है।
    • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के लिये GNPA अनुपात के गंभीर तनाव परिदृश्य में मार्च 2024 में 3.7% से बढ़कर मार्च 2025 में 4.1% हो सकता है।
    • कृषि क्षेत्र में GNPA अनुपात सर्वाधिक 6.2% रहा, जबकि व्यक्तिगत ऋण 1.2% रहा। फिर भी RBI, वैयक्तिक ऋण विशेष रूप से डिजिटल एप के माध्यम से व्यक्तिगत ऋण प्राप्त करने वालों से उत्पन्न होने वाली संभावित वित्तीय समस्याओं के बारे में चिंतित है।
  • जमा और ऋण वृद्धि: वित्त वर्ष 24 की दूसरी छमाही में जमा वृद्धि बढ़ी, जो मार्च 2024 को समाप्त तिमाही में 13.5% तक पहुँच गई।
    • निजी क्षेत्र के बैंकों में जमा वृद्धि दर सबसे अधिक 20.1% रही, जिसके बाद विदेशी बैंकों में 15.1% तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 9.6% की वृद्धि रही।
    • समग्र ऋण वृद्धि 19.2% पर स्वस्थ रही हालाँकि यह पिछली छमाही की तुलना में थोड़ी कम है।
    • RBI के नियमों के कारण उपभोक्ता ऋण में कमी आई, लेकिन फिर भी यह 32.9% के साथ ऋण पोर्टफोलियो का सबसे बड़ा घटक बना रहा।
  • पूंजी पर्याप्तता और लाभप्रदता:
    • SCB के पास मज़बूत पूंजी बफर्स ​​है, पूंजी से जोखिम-भारित परिसंपत्ति अनुपात (Capital to Risk-Weighted Assets Ratio- CRAR) 16.8% पर स्थिर रहा, PSB में सुधार देखा गया तथा निजी/विदेशी बैंकों में मामूली गिरावट देखी गई।
      • CRAR किसी बैंक की उपलब्ध पूंजी का माप है जो उसके जोखिम-भारित ऋण जोखिम के प्रतिशत के रूप में होता है। इसका उपयोग यह सुनिश्चित करने हेतु किया जाता है कि बैंकों के पास संभावित घाटे को संभालने और दिवालियापन से बचने के लिये पर्याप्त पूंजी है।
    • परिसंपत्तियों पर रिटर्न (Return on assets- RoA) और इक्विटी पर रिटर्न (Return on Equity- RoE) क्रमशः 1.3% तथा 13.8% के दशक के उच्चतम स्तर के करीब हैं।
      • ROA एक लाभप्रदता अनुपात है जो मापता है कि कोई कंपनी लाभ कमाने के लिये अपनी परिसंपत्तियों का कितना अच्छा उपयोग करती है। इसकी गणना किसी कंपनी की शुद्ध आय को उसकी कुल परिसंपत्तियों से विभाजित करके की जाती है और इसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
      • ROE किसी कंपनी की वित्तीय सेहत का आकलन करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मीट्रिक है, जिसकी गणना कंपनी की शुद्ध आय को इक्विटी फाइनेंसिंग से विभाजित करके की जाती है। यह समझने में मदद करता है कि लाभ उत्पन्न करने हेतु शेयरधारक इक्विटी का कितनी कुशलता से उपयोग किया गया है।
  • तनाव परीक्षण परिणाम: बैंकों ने तनाव के प्रति पर्याप्त लचीलापन दर्शाया है तथा SCB मध्यम और अत्यधिक तनाव परिदृश्यों में समष्टि आर्थिक झटकों को संभालने के लिये पर्याप्त पूंजीकृत हैं।
    • तनाव परीक्षण एक विश्लेषणात्मक उपकरण है जिसका उपयोग RBI द्वारा यह आकलन करने के लिये किया जाता है कि कोई बैंक या वित्तीय प्रणाली प्रतिकूल आर्थिक परिदृश्यों का सामना किस प्रकार कर सकती है।

नोट: FSR, RBI द्वारा अर्द्धवार्षिक प्रकाशन है। यह वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाता है, जिसकी अध्यक्षता RBI के गवर्नर करते हैं। रिपोर्ट भारतीय वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन का मूल्यांकन करती है और वित्तीय स्थिरता के लिये जोखिमों की पहचान करती है।

गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ क्या हैं?

श्रेणी

                                        विवरण

परिभाषा

  • कोई परिसंपत्ति तब NPA बन जाती है जब वह बैंक के लिये आय उत्पन्न करना बंद कर देती है। यह आमतौर पर एक ऋण या अग्रिम होता है जहाँ मूलधन या ब्याज का भुगतान एक निश्चित अवधि के लिये बकाया रहता है। अधिकांश ऋणों हेतु यह अवधि 90 दिन होती है।
  • कृषि ऋणों हेतु अल्पावधि फसल ऋणों को NPA माना जाएगा यदि मूलधन या ब्याज की किस्त दो फसल मौसमों के लिये बकाया रहती है। दीर्घावधि फसल ऋणों को NPA माना जाएगा यदि मूलधन या ब्याज की किस्त एक फसल मौसम के लिये बकाया रहती है।

NPA के प्रकार

  • अवमानक परिसंपत्ति: 12 महीने या उससे कम अवधि के लिये NPA।
  • संदिग्ध परिसंपत्ति: यदि कोई परिसंपत्ति 12 महीने तक घटिया श्रेणी में रहती है तो उसे संदिग्ध माना जाता है। एक संदिग्ध ऋण में वही कमज़ोरियाँ होती हैं जो घटिया संपत्तियों में होती हैं।
  • हानि परिसंपत्तियाँ: ऐसी अप्राप्य परिसंपत्तियाँ जिनकी वसूली की बहुत कम या कोई उम्मीद नहीं है, उन्हें पूरी तरह से बट्टे खाते में डालने की आवश्यकता है।

सकल NPA (GNPA)

  • अनंतिम राशि काटे बिना NPA की कुल राशि।
    • बैंक ऋण राशि का एक प्रतिशत प्रावधान के रूप में अलग रखते हैं। भारतीय बैंकों में, ऋण के लिये प्रावधान की मानक दर व्यवसाय क्षेत्र और उधारकर्त्ता की पुनर्भुगतान क्षमता के आधार पर 5 से 20% तक होती है। एनपीए के लिये, बेसल-III मानकों के अनुसार 100% प्रावधान की आवश्यकता होती है।

शुद्ध NPA

  • सकल NPA - प्रावधान राशि।

NPA अनुपात


 

  • इससे यह पता चलता है कि कुल अग्रिम राशि में से कितनी राशि वसूल नहीं की जा सकी है।
    • GNPA अनुपात कुल अग्रिमों के कुल GNPA का अनुपात है।
    • NNPA अनुपात कुल अग्रिमों के अनुपात को निर्धारित करने के लिये शुद्ध NPA का उपयोग करता है।

डिजिटल व्यक्तिगत ऋण एक चिंता का विषय क्यों हैं?

  • डिजिटल व्यक्तिगत ऋण की वृद्धि: डिजिटल एप्स के माध्यम से वितरित व्यक्तिगत ऋणों में अतिदेय खातों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, जिससे वित्तीय स्थिरता के लिये चिंता बढ़ गई है।
    • 2010 के दशक के मध्य तक, बैंक प्राय: बड़े उद्योगों को बड़े पैमाने पर ऋण देते थे। हालाँकि इनमें से कई ऋण खराब हो गए और वर्ष 2017 में बैड लोन 10% तक पहुँच गए
    • वर्ष 2017 के बाद, बैंकों ने उद्योगों को ऋण देना कम कर दिया और व्यक्तिगत ऋण, क्रेडिट कार्ड प्राप्तियाँ तथा आवास ऋण सहित खुदरा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया।
    • दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के कार्यान्वयन से बैंकों को खराब ऋणों की वसूली में मदद मिली, जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ।
    • 2010 के दशक के मध्य में युवा, डिजिटल रूप से समझदार उपभोक्ताओं को लक्षित करने वाले तत्काल ऋण एप का प्रसार हुआ और संभावित ऋण जाल में फँस गए।
    • पिछले 11 वर्षों में, डिजिटल ऋण बाज़ार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2023 तक अनुमानित 350 बिलियन अमेरीकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
  • बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव: खुदरा ऋणों की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है तथा बकाया राशि के मामले में यह औद्योगिक और सेवा ऋणों से आगे निकल गया है।
    • खुदरा ऋणों की खतरनाक वृद्धि ने RBI को नियामक उपायों को लागू करने के लिये प्रेरित किया, हालाँकि व्यक्तिगत ऋणों के लिये समग्र GNPA अनुपात लगातार कम हो रहा है, जो मार्च 2024 में 1.2% तक पहुँच जाएगा।
    • तत्काल ऋण ऐप्स के प्रसार ने कई उपभोक्ताओं के लिये कर्ज़ का जाल बिछा दिया है। ये एप्स अक्सर उपयोगकर्त्ताओं को उनकी क्षमता से ज़्यादा लोन लेने के लिये प्रेरित करते हैं, जिससे वित्तीय संकट पैदा होता है।
  • RBI की चिंताएँ: खुदरा ऋणों (आवास ऋण के अतिरिक्त) के कारण स्लिपेज (गिरावट) या अशोध्य ऋणों की वृद्धि तेज़ी से बढ़ रही है जो वित्त वर्ष 24 में नए NPA का 40% है।
    • 50,000 रुपए से कम के वैयक्तिक ऋणों के संबंध में अपचारिता/चूक (Delinquency) का स्तर उच्च बना हुआ है। इनमें से कई ऋण डिजिटल एप के माध्यम से NBFC-Fintech ऋणदाताओं द्वारा मंज़ूर किये गए थे। 
    • 25 वर्ष से कम आयु के उधारकर्त्ताओं में चूक की दर सबसे अधिक 5% है। 26-35 आयु वर्ग में यह 3%, 36-45 वर्ष में 2% और 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 1% है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में 3% की चूक दर दर्ज की गई है जबकि मेट्रो तथा अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में 2% की दर है। 

डिजिटल पर्सनल लोन

  • ये मोबाइल एप्लीकेशन या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रदान किये जाने वाले ऋण हैं। परंपरागत  बैंकों के विपरीत, ये ऋणदाता प्रायः न्यूनतम कागज़ी कार्रवाई और ऋण के तत्काल अनुमोदन के साथ सुव्यवस्थित आवेदन प्रक्रिया प्रदान करते हैं जिसके लिये वे प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं।
    • ऋण पहुँच की यह सुगमता व्यापक संख्या में लोगों को आकर्षित करती है, जिसमें वे लोग भी शामिल हैं जिनकी परंपरागत बैंकिंग सेवाओं तक सुगम पहुँच नहीं होती है।
    • डिजिटल ऋण प्रदान करने वाले प्लेटफॉर्म उन लोगों तक पहुँच सुनिश्चित करते हैं जो बैंकिंग सेवाओं से वंचित हैं अथवा बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच अपर्याप्त है, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलता है और यह भारत सरकार का एक प्रमुख उद्देश्य है।

डिजिटल पर्सनल लोन की वसूली के लिये क्या किया जा सकता है?

  • वित्तीय प्रौद्योगिकी: फिनटेक कंपनियों को वसूली के लिये स्वचालित पुनर्भुगतान योजनाओं और ऋण समेकन विकल्पों जैसे उपाय विकसित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
    • ऋण निष्पादन की निरंतर निगरानी की जानी चाहिये और संभावित चूक की जल्द पहचान की जानी चाहिये।
  • ऋण-पात्रता मूल्यांकन: क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल के अन्य विकल्पों का अन्वेषण किया जा सकता है जो पारंपरिक क्रेडिट रिकॉर्ड के अतिरिक्त आय स्थिरता और वित्तीय व्यवहार पैटर्न जैसे कारकों पर आधारित हो सकता है।
  • बेहतर दक्षता: पारंपरिक विधियों की तुलना में डिजिटल NPA वसूली प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जा सकता है। संचार और डेटा विश्लेषण जैसे कार्यों को स्वचालित करने से अन्य क्षेत्रों के लिये संसाधन जुटाए जा सकते हैं
  • विधिक उपाय: बकाया राशि की वसूली को सुविधाजनक बनाने के लिये ऋण वसूली अधिकरण (DRT) को उपयोग में लाया जा सकता है। कुशल वसूली के लिये लोक अदालत और SARFAESI अधिनियम, 2002 जैसे विधिक साधनों का प्रयोग किया जाना चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत में अनर्जक परिसंपत्तियों (NPA) की प्रवृत्तियों और बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति पर इसके प्रभावों का परीक्षण कीजिये।

प्रश्न. भारत में डिजिटल वैयक्तिक ऋण के चलन में आई वृद्धि का मूल्यांकन कीजिये। उनकी लोकप्रियता के मुख्य कारक क्या हैं और वे वित्तीय स्थिरता के लिये कौन-से जोखिम उत्पन्न करते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स;

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा हाल ही में समाचारों में आए 'दबावयुक्त परिसंपत्तियों के धारणीय संरचना पद्धति (स्कीम फॉर सस्टेनेबल स्ट्रक्चरिंग ऑफ स्ट्रेस्ड एसेट्स/S4A)' का सर्वोत्कृष्ट वर्णन करता है? (2017)

(a) यह सरकार द्वारा निरूपित विकासपरक योजनाओं की पारिस्थितिकीय कीमतों पर विचार करने की पद्धति है।
(b) यह वास्तविक कठिनाइयों का सामना कर रही बड़ी कॉर्पोरेट इकाइयों की वित्तीय संरचना के पुनर्संरचन के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक की स्कीम है।
(c) यह केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के बारे में सरकार की विनिवेश योजना है।
(d) यह सरकार द्वारा हाल ही में क्रियान्वित 'इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड' का एक महत्त्वपूर्ण उपबंध है।

उत्तर: (b)