प्रारंभिक परीक्षा
भारत में अपस्फीति
- 15 Jun 2023
- 6 min read
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने कहा कि भारत की अपस्फीति (Disinflation) प्रक्रिया धीरे-धीरे और लंबी होने की उम्मीद है, 4% मुद्रास्फीति लक्ष्य केवल मध्यम अवधि में प्राप्त होने की संभावना है।
अपस्फीति:
- परिचय:
- अपस्फीति मुद्रास्फीति की दर में कमी को संदर्भित करती है, जिसका अर्थ है कीमतें अभी भी बढ़ रही हैं लेकिन पहले की तुलना में धीमी गति से।
- यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि अपस्फीति, अवस्फीति से अलग है, जो समग्र मूल्य स्तर में निरंतर कमी को संदर्भित करती है।
- अपस्फीति की एक स्वस्थ दर आवश्यक है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था को अत्यधिक प्रभावित होने से रोकती है।
- अपस्फीति मुद्रास्फीति की दर में कमी को संदर्भित करती है, जिसका अर्थ है कीमतें अभी भी बढ़ रही हैं लेकिन पहले की तुलना में धीमी गति से।
- कारण:
- अपस्फीति विभिन्न कारकों की वजह से हो सकती है, जैसे:
- आर्थिक विकास या मांग में मंदी
- सख्त मौद्रिक नीति या उच्च ब्याज दरें
- राजकोषीय समेकन या कम सरकारी खर्च
- मज़बूत विनिमय दर
- अपस्फीति विभिन्न कारकों की वजह से हो सकती है, जैसे:
मुद्रास्फीति और अपस्फीति:
- परिचय:
- मुद्रास्फीति दैनिक या सामान्य उपयोग की अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि को संदर्भित करती है, जैसे कि भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन, परिवहन, उपभोक्ता वस्तुएँ आदि।
- मुद्रास्फीति समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं के औसत मूल्य परिवर्तन को मापती है।
- वस्तुओं की इस बास्केट के मूल्य सूचकांक में विपरीत और दुर्लभ गिरावट को 'अपस्फीति' कहा जाता है।
- मुद्रास्फीति किसी देश की मुद्रा की एक इकाई की क्रय शक्ति में कमी का संकेत है। इसे प्रतिशत में मापा जाता है।
- मुद्रास्फीति दैनिक या सामान्य उपयोग की अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि को संदर्भित करती है, जैसे कि भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन, परिवहन, उपभोक्ता वस्तुएँ आदि।
- मूल्यांकन:
- भारत में मुद्रास्फीति को मुख्य रूप से दो मुख्य सूचकांकों- थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index- WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI) द्वारा मापा जाता है, जो क्रमशः थोक और खुदरा स्तर के मूल्य परिवर्तनों को मापते हैं।
- मौद्रिक नीति समिति (MPC) मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये CPI डेटा का उपयोग करती है।
- मौद्रिक नीति समिति (MPC) RBI के गवर्नर के नेतृत्व में मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति को 4% तक कम करने के लिये उत्तरदायी है, जबकि लंबे समय में इसे 2% से 6% के बीच बनाए रखता है।
मुद्रास्फीति के संबंध में RBI द्वारा नवीनतम अपडेट:
- वर्तमान मुद्रास्फीति परिदृश्य:
- मई 2023 तक भारत की वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति 4.25% थी जो अप्रैल 2023 में 4.7% हो गई। हालाँकि विश्लेषकों का अनुमान है कि आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति लगातार बनी रहेगी जिससे 4% के लक्ष्य को प्राप्त करने में चुनौतियाँ उत्पन्न होंगी।
- वर्ष 2023-24 के लिये मुद्रास्फीति अनुमान:
- RBI ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिये मुद्रास्फीति का अनुमान 5.1% है जो पिछले आँकड़ों से कम है लेकिन यह अभी भी लक्ष्य से ऊपर है। यह मुद्रास्फीति के दबाव को रोकने तथा व्यापक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये निरंतर सतर्कता एवं नीतिगत उपायों की आवश्यकता को इंगित करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित में से मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति किसके कारण बढ़ सकती है?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |