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भारतीय अर्थव्यवस्था

उभरते बाज़ारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के ऋण में बढ़ोत्तरी

  • 12 Apr 2023
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये :

संप्रभु ऋण, बाह्य वाणिज्यिक ऋण।        

मेन्स के लिये :

ऋण संकट में योगदान करने वाले कारक, देशों पर संप्रभु ऋण का प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

ग्रीन एंड इनक्लूसिव रिकवरी (DRGR) परियोजना हेतु ऋण राहत रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरते बाज़ारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EDME) का संप्रभु ऋण वर्ष 2008 से 2021 के बीच 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से 178% बढ़कर 3.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो कि ग्लोबल साउथ में बढ़ते ऋण संकट का संकेत है। 

  • ऋण राहत प्रदान करने हेतु बनाए गए G20 के "कॉमन फ्रेमवर्क" में त्रुटियाँ पहचानी गई हैं, क्योंकि यह निजी और वाणिज्यिक लेनदारों सहित सभी लेनदारों को पटल पर लाने तथा ऋण राहत को विकास एवं जलवायु लक्ष्यों से जोड़ने में विफल रहा है।

नोट: उभरती हुई बाज़ार अर्थव्यवस्था एक विकासशील राष्ट्र की अर्थव्यवस्था है जो वैश्विक बाज़ारों के साथ बढ़ती जा रही है। उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं के रूप में वर्गीकृत देशों में भारत, मैक्सिको, रूस, पाकिस्तान, सऊदी अरब, चीन और ब्राज़ील जैसे विकसित बाज़ार की कुछ विशेषताएँ (लेकिन सभी नहीं) शामिल हैं।

ऋण संकट के कारक और प्रभाव:

  • EDME निम्न कारणों से कमजोर आर्थिक विकास का अनुभव कर रहे हैं:
  • कमज़ोर देशों पर प्रभाव:
    • जलवायु परिवर्तन की चपेट में आने वाले देश सबसे महत्त्वपूर्ण ऋण संकट का सामना करते हैं।
    • उच्च ऋण सेवा भुगतान से देशों को ऋण चुकाने के लिये अपने विदेशी भंडार के प्रमुख हिस्से को खर्च करना होता है।
    • EDME को तत्काल ऋण राहत प्रदान करने से उनके ऋण भार में कमी होने के साथ इन्हें कम कार्बन उत्सर्जन एवं सामाजिक रूप से समावेशी भविष्य को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

प्रस्तावित समाधान:

  • इस रिपोर्ट में कॉमन फ्रेमवर्क में सुधार पर बल देने के साथ इस मुद्दे को हल करने हेतु तीन स्तंभों को प्रस्तावित किया गया है। 
    • पहले स्तंभ के रूप में किसी संकटग्रस्त देश को ऋण स्थिरता प्राप्त करने हेतु प्रेरित करने और विकास तथा जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में इसकी मदद करने के लिये सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा ऋण में महत्त्वपूर्ण कटौती किया जाना शामिल है।
    • दूसरे स्तंभ के रूप में निजी और वाणिज्यिक ऋणदाताओं द्वारा सार्वजनिक ऋणदाताओं की तरह ही ऋण में कटौती किया जाना शामिल है।  
      • शेष ऋण के लिये, सरकार को निजी लेनदारों हेतु एक प्रत्याभूत निधि द्वारा समर्थित नए बाॅण्ड जारी करने चाहिये। 
    • अंतिम स्तंभ उन देशों के लिये है जो ऋण संकट के ज़ोखिम के अंतर्गत नहीं आते हैं और जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान ऋण प्रदान कर सकते हैं।
  • ऋण पुनर्संरचना: रिपोर्ट के अनुसार 61 देश जो ऋण संकट के उच्च ज़ोखिम में हैं, उन्हें 812 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण को पुनर्गठित करने की आवश्यकता है।
    • इसमें यह भी बताया गया है 55 सबसे अधिक ऋणग्रस्त देशों के लिये अगले पाँच वर्षों में कम से कम 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण निलंबित कर दिया जाना चाहिये।

G20 कॉमन फ्रेमवर्क:

  • ऋण सेवा निलंबन पहल (Debt Service Suspension Initiative- DSSI) से परे ऋण उपचार हेतु कॉमन फ्रेमवर्क वर्ष 2020 में G20 द्वारा समर्थित एक पहल है, जिसमें पेरिस क्लब भी शामिल है, जो संरचनात्मक तरीके से अस्थिर ऋण तथा कम आय वाले देशों का समर्थन करता है। 
  • फ्रेमवर्क का उद्देश्य कम आय वाले देशों (LIC) की ऋण भेद्यता को दूर करने हेतु एक समन्वित और व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करना है, जो कि सबसे गंभीर ऋण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तथा जो कोविड-19 महामारी के कारण और अधिक गंभीर हो गई है।

नोट: DRGR प्रोजेक्ट बोस्टन यूनिवर्सिटी ग्लोबल डेवलपमेंट पॉलिसी सेंटर, हेनरिक-बॉल-स्टिफ्टंग और लंदन के SOAS यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सस्टेनेबल फाइनेंस के बीच एक सहयोग है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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