कृषि
भारत के कृषि-निर्यात को बढ़ावा
- 05 Mar 2025
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प्रिलिम्स के लिये:खाद्य मुद्रास्फीति, दालें, सैनिटरी एवं फाइटोसैनिटरी (SPS), व्यापार में तकनीकी बाधाएँ (TBT), MSP, WTO, डेवलपमेंट बॉक्स, FTA, कृषि निर्यात नीति (AEP) 2018। मेन्स के लिये:भारत के कृषि निर्यात की प्रवृत्तियाँ, संबंधित चुनौतियाँ एवं आगे की राह। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत का कृषि निर्यात 6.5% बढ़कर 37.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (अप्रैल-दिसंबर 2024) हो गया है जबकि आयात 18.7% बढ़कर 29.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिससे कृषि व्यापार अधिशेष में कमी आई है।
भारत के कृषि निर्यात से संबंधित क्या प्रवृत्तियाँ हैं?
- कपास व्यापार में बदलाव: भारत अब कपास का शुद्ध आयातक बन गया है तथा पहले का इसका निर्यातक का दर्जा समाप्त हो गया है।
- कभी अमेरिका के बाद दूसरे सबसे बड़े निर्यातक रहे भारत का कपास निर्यात वर्ष 2011-12 के 4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर वर्ष 2023-24 में 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया।
- कृषि व्यापार अधिशेष में कमी आना: भारत का कृषि व्यापार अधिशेष वर्ष 2013-14 में 27.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया, जो वर्ष 2023-24 में घटकर 16 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया।
- वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों का प्रभाव: वर्ष 2013-14 और वर्ष 2019-20 के बीच वैश्विक खाद्य कीमतों में गिरावट से भारत की कृषि-निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता में कमी आई है।
- कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई, जिससे वर्ष 2022-23 में निर्यात बढ़कर 53.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- निर्यात की प्रमुख वस्तुएँ:
- समुद्री उत्पाद: भारत के प्रमुख कृषि निर्यात के संदर्भ में वर्ष 2023-24 में समुद्री उत्पादों के निर्यात में गिरावट आई है तथा वर्ष 2024-25 में भी गिरावट जारी रहने का अनुमान है।
- चीनी और गेहूँ: घरेलू खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से सरकारी प्रतिबंधों के कारण वर्ष 2023-24 में चीनी और गेहूँ के निर्यात में कमी आई।
- चावल: सफेद चावल पर प्रतिबंध एवं उबले चावल पर निर्यात शुल्क के बावजूद चावल (विशेषकर गैर-बासमती) का निर्यात मज़बूत बना रहा।
- बासमती चावल, मसाले, कॉफी और तंबाकू का निर्यात वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँचने का अनुमान है।
- नकदी फसलें: प्रतिकूल मौसम के कारण ब्राज़ील, वियतनाम एवं जिम्बाब्वे जैसे प्रमुख उत्पादकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कारण कॉफी एवं तंबाकू के निर्यात में वृद्धि हुई है।
- अन्य: भारत ने मिर्च, मिंट उत्पाद, जीरा, हल्दी, धनिया, सौंफ आदि के विश्व के अग्रणी निर्यातक के रूप में अपनी स्थिति मज़बूत कर ली है।
- प्रमुख आयात वस्तुएँ:
- खाद्य तेल: वर्ष 2024-25 में खाद्य तेल का आयात (मुख्य रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण) कीमतों में बढ़ोतरी के कारण सबसे अधिक रहने का अनुमान है।
- दालें: घरेलू उत्पादन में वृद्धि के कारण दालों का आयात औसतन 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2018-23) रहा, लेकिन वर्ष 2023-24 में दालों के कम उत्पादन के कारण वर्ष 2024-25 में इसके 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक रहने की संभावना है।
- प्रमुख गंतव्य:
- निर्यात:
- एशिया: वर्ष 2023 में, भारत ने 48 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कृषि उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें ग्लोबल साउथ (75%) और एशिया (58%) प्रमुख बाज़ार थे।
- चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने भारतीय कृषि उत्पादों में 3-3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात किया, जबकि वियतनाम ने 2.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात किया।
- यूरोप: भारतीय कृषि निर्यात में यूरोप का योगदान 12.6% है, जिसमें मुख्य रूप से तंबाकू, ताजे फल और सजावटी पौधे शामिल हैं।
- अमेरिका: भारतीय कृषि निर्यात में अमेरिका का योगदान 13.4% है, जिसमें मुख्य रूप से चावल (बासमती और गैर-बासमती), तिल और ताजे फल शामिल हैं।
- अफ्रीका: भारत के कुल कृषि निर्यात में अफ्रीका का योगदान 15% है।
- एशिया: वर्ष 2023 में, भारत ने 48 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कृषि उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें ग्लोबल साउथ (75%) और एशिया (58%) प्रमुख बाज़ार थे।
- आयात:
- वैश्विक दक्षिण: वैश्विक दक्षिण भारत के कृषि-आयात का 48% आपूर्ति करता है, जिसमें ब्राज़ील, चीन, मैक्सिको, अर्जेंटीना और इंडोनेशिया का स्थान है।
- विकसित अर्थव्यवस्थाएँ: शीर्ष तीन आपूर्तिकर्त्ता अमेरिका, नीदरलैंड और जर्मनी हैं।
- निर्यात:
कृषि संबंधी स्टार्ट-अप:
और पढ़ें: कृषि निर्यात नीति क्या है?
भारत के कृषि निर्यात के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
- नॉन टैरिफ बैरियर्स (NTB): विकसित देश व्यापार के लिये कठोर सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (SPS) और तकनीकी बाधाएँ (TBT) लगाते हैं, जिससे भारतीय कृषि निर्यात के लिये व्यापार बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिये
- भारत के बासमती चावल और चाय के निर्यात को कीटनाशक संदूषण के कारण यूरोपीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है।
- जापान ने पुष्प उत्पादों में कीटों के प्रति शून्य सहनशीलता के नियम के तहत भारत से कटे हुए फूलों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, हालाँकि ऐसे कीट जापान में भी पाए जाते हैं।
- अनुचित समान अवसर: विकसित देशों द्वारा अपने किसानों को दी जाने वाली कृषि सब्सिडी तथा भारतीय कृषि निर्यात पर उच्च टैरिफ के कारण भारतीय किसानों को नुकसान होता है।
- अमेरिका प्रति किसान को सालाना 61,286 अमेरिकी डॉलर प्रदान करता है, जबकि भारत केवल 282 अमेरिकी डॉलर प्रदान करता है, जिससे वैश्विक कीमतें कम हो रही हैं तथा भारतीय किसानों को नुकसान हो रहा है।
- भारत की MSP] नीति के लिये चुनौतियाँ: अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश WTO में यह दावा करते हुए भारत की MSP को चुनौती देते हैं कि यह AOA के तहत 10% की सीमा (एम्बर बॉक्स) से अधिक है, जिससे विवादित कार्यवाही का खतरा है।
- भारत विकासशील देशों के लिये AOA के 'डेवलपमेंट बॉक्स' के अंतर्गत असीमित इनपुट सब्सिडी प्रदान कर सकता है, लेकिन विकसित देश इसे प्रतिबंधित करना चाहते हैं, जिससे छोटे किसानों की आजीविका को खतरा हो सकता है।
- FTA से संबंधित चुनौतियाँ: सिंगापुर, आसियान और जापान जैसे देशों के साथ भारत के FTA से आयातित कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम हो जाता है, किसानों के लिये नई प्रौद्योगिकियों को अपनाना तथा बुनियादी ढाँचे में निवेश में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा कम हो जाती है।
- बार-बार निर्यात प्रतिबंध: मूल्य असंतुलन को नियंत्रित करने के लिये भारत द्वारा लगाए गए निर्यात प्रतिबंध विदेशी आयातकों और फसलोत्तर प्रबंधन तथा खाद्य प्रसंस्करण में घरेलू निवेश को बाधित करते हैं।
- प्याज पर बार-बार प्रतिबंध लगाने से आपूर्ति शृंखला बाधित होती है तथा वैश्विक बाज़ार में भारत की विश्वसनीयता कम होती है, जिससे आयात साझेदारों को विकल्प तलाशने पड़ते हैं।
कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिये सरकार की क्या पहल हैं?
आगे की राह
- बाज़ार आसूचना इकाइयाँ स्थापित करना: सरकार को अंतर्राष्ट्रीय निर्यात मांग पर वास्तविक समय डेटा प्रदान करने के लिये बाह्य बाज़ार आसूचना इकाइयाँ स्थापित करनी चाहिये, जिससे किसानों और निर्यातकों को वैश्विक बाज़ार की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिल सके।
- कृषि-तकनीक स्टार्टअप को समर्थन: भारत का विशाल कृषि क्षेत्र स्टार्टअप को व्यापार क्षमता को अधिकतम करने के लिये पैमाने, विस्तार और नवाचार के अवसर प्रदान करता है।
- निर्यात बाज़ारों में विविधता लाना: भारत को अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य-पूर्व में डेयरी, पोल्ट्री, सब्जियों और फलों को प्राथमिकता देते हुए नए उत्पादों और बाज़ारों की खोज करनी चाहिये।
- महामारी के बाद सुपरफूड्स (जैसे बाजरा) और हर्बल उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए, भारत को उनकी कृषि और प्रसंस्करण को बढ़ावा देना चाहिये।
- SPS उपायों का अनुपालन: भारत को कृषि-मूल्य शृंखला प्रतिभागियों (अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों) को SPS अनुपालन के बारे में शिक्षित करना चाहिये तथा गुणवत्ता और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिये प्रसंस्करण बुनियादी ढाँचे का विकास करना चाहिये।
- सहकारी समितियाँ और FPO कीट नियंत्रण, अवशेष प्रबंधन और स्वच्छता पर कार्यशालाओं के माध्यम से किसानों को SPS विनियमों, खाद्य सुरक्षा और सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में शिक्षित करते हैं।
- कृषि-जलवायु क्लस्टर विकसित करना: निर्यातोन्मुख फसलों की कृषि के लिये उपयुक्त कृषि-जलवायु क्षेत्रों की पहचान करने से उत्पादकता और गुणवत्ता को अनुकूलतम बनाया जा सकेगा।
- माइक्रोसॉफ्ट का प्रोजेक्ट फार्म वाइब्स (PFV) संसाधनों की खपत को कम करते हुए फसल की पैदावार को 40% तक बढ़ा सकता है।
- विश्वसनीय व्यापार नीति स्थापित करना: भारत को निर्यात प्रतिबंधों के बार-बार लागू होने को कम करने के लिये अपनी कृषि व्यापार नीति को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: वैश्विक कृषि व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये भारत को क्या कदम उठाने चाहिये? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न 1. भारतीय कृषि में परिस्थितियों के संदर्भ में, "संरक्षण कृषि" की संकल्पना का महत्त्व बढ़ जाता है। निम्नलिखित में से कौन-कौन से संरक्षण कृषि के अंतर्गत आते हैं? (2018)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) 1,3 और 4 उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न: फसल विविधीकरण के समक्ष वर्तमान चुनौतियाँ क्या हैं? उभरती प्रौद्योगिकियाँ फसल विविधीकरण का अवसर कैसे प्रदान करती हैं??(2021) प्रश्न: भारत में कृषि उत्पादों के परिवहन एवं विपणन में मुख्य बाधाएँ क्या हैं? (2020) |