PPI व्यापारिक लेन-देन पर विनिमय शुल्क
हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payment Corporation of India-NPCI) ने स्पष्ट किया कि बैंक खाते से बैंक खाता आधारित UPI भुगतानों के लिये कोई शुल्क नहीं लगेगा।
- NPCI के अनुसार, 2,000 रुपए से अधिक के PPI साधनों के माध्यम से किये गए UPI लेन-देन पर 1.1% का विनिमय शुल्क लिया जाता है, जबकि ग्राहकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
- साथ ही NPCI ने प्रीपेड भुगतान साधन (Prepaid Payment Instruments- PPI) वॉलेट को अंतर-संचालनीय UPI इकोसिस्टम का हिस्सा बनने की अनुमति दी है।
प्रीपेड भुगतान साधन:
- भारतीय रिज़र्व बैंक PPI को भुगतान के साधन के रूप में परिभाषित करता है जो वस्तुओं और सेवाओं की खरीद की सुविधा प्रदान करता है, इसमें धन के अंतरण, वित्तीय सेवाओं तथा प्रेषण का उपयोग किया जाता है, जो कि उपकरण में संग्रहीत मूल्य के बदले में होता है।
- PPI भुगतान वॉलेट (जैसे पेटीएम वॉलेट, अमेज़न पे वॉलेट, फोनपे वॉलेट आदि), स्मार्ट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, चुंबकीय चिप, वाउचर आदि के रूप में होते हैं। नियमों के अनुसार, बैंक और NBFC प्रीपेड भुगतान साधन (PPI) जारी कर सकते हैं।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम:
- परिचय:
- NPCI भारत में सभी खुदरा भुगतान प्रणालियों के लिये एक एकीकृत संगठन है। इसका प्राथमिक उद्देश्य भारत में सुरक्षित और कुशल खुदरा भुगतान प्रणाली प्रदान करना है।
- इसका उद्देश्य देश में डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करना है।
- स्थापना:
- NPCI की स्थापना वर्ष 2008 में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) और भारतीय बैंक संघ (Indian Banks' Association- IBA) के मार्गदर्शन तथा समर्थन के तहत की गई थी।
- स्वामित्त्व:
- NPCI एक गैर-लाभकारी कंपनी है और इसका स्वामित्त्व भारत में प्रमुख बैंकों के एक संघ द्वारा साझा किया जाता है।
- वस्तु एवं सेवाएँ:
- यह एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI), राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT), तत्काल भुगतान सेवा (IMPS), भारत बिल भुगतान प्रणाली (BBPS), रुपे कार्ड और अन्य सहित उत्पादों एवं सेवाओं की एक शृंखला प्रदान करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन भारत के सभी ATMs को जोड़ता है? (2018) (a) भारतीय बैंक एसोसिएशन उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (C) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम
हाल ही में सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक पाँच वर्षों के दौरान 1037.90 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ कार्यान्वयन हेतु एक नई केंद्र प्रायोजित योजना "नव भारत साक्षरता कार्यक्रम” (New India Literacy Programme- NILP) शुरू किया है।
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम:
- इस योजना के पाँच घटक हैं:
- मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान
- महत्त्वपूर्ण जीवन कौशल
- व्यावसायिक कौशल विकास
- बुनियादी शिक्षा
- शिक्षा जारी रखना
- लाभार्थियों की पहचान:
- लाभार्थियों की पहचान करने के लिये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में सर्वेक्षकों द्वारा एक मोबाइल एप पर डोर-टू-डोर सर्वेक्षण किया जाता है।
- गैर-साक्षर व्यक्ति भी मोबाइल एप के माध्यम से सीधे पंजीकरण करा सकते हैं।
- शिक्षण और सीखने के लिये स्वेच्छा जाहिर करना:
- यह योजना मुख्य रूप से शिक्षण और सीखने के लिये स्वयंसेवा पर आधारित है और स्वयंसेवक मोबाइल एप के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं।
- प्रौद्योगिकी के माध्यम से कार्यान्वयन:
- यह योजना मुख्य रूप से ऑनलाइन मोड के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है और प्रौद्योगिकी पर आधारित है।
- शिक्षण एवं सीखने की सामग्री तथा संसाधन NCERT के दीक्षा मंच (DIKSHA Platform) पर उपलब्ध हैं और इन्हें मोबाइल एप के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।
- मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान का प्रसार:
- बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान के प्रसार के लिये टीवी, रेडियो, सामाजिक चेतना केंद्र आदि जैसे साधनों का भी उपयोग किया जाता है।
- पात्रता:
- 15 वर्ष से अधिक आयु के सभी निरक्षर इस योजना का लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं।
- NILP की आवश्यकता:
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में देश के निरक्षरों की समग्र संख्या 25.76 करोड़ (पुरुष 9.08 करोड़, महिला 16.68 करोड़) है।
- वर्ष 2009-10 से 2017-18 के दौरान कार्यान्वित साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत साक्षर के रूप में प्रमाणित व्यक्तियों की प्रगति को ध्यान में रखते हुए यह अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान में भारत में लगभग 18.12 करोड़ वयस्क निरक्षर हैं।
स्रोत: पी.आई.बी.
निष्क्रिय सोने की खानों से विद्युत उत्पादन
हाल ही में एक ऑस्ट्रेलियाई अक्षय-ऊर्जा कंपनी ग्रीन ग्रेविटी ने लो-टेक ग्रेविटी तकनीक (Low-Tech Gravity Technology) का उपयोग करके कर्नाटक में निष्क्रिय कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF) से विद्युत उत्पन्न करने के लिये एक योजना प्रस्तावित की है।
प्रौद्योगिकी की प्रक्रिया:
- यह विचार निष्क्रिय खदानों का पता लगाने के लिये है, जो सैकड़ों या हज़ारों मीटर गहरी हो सकती हैं और अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके दिन के दौरान एक भारित ब्लॉक, जिसका वज़न 40 टन तक हो सकता है, खान में लगे शाफ्ट के शीर्ष तक लाया जाता है।
- जब बैकअप पॉवर की आवश्यकता होती है, तो भारी ब्लॉक गुरुत्वाकर्षण के कारण गिर जाते हैं और आगामी गति एक कनेक्टेड शाफ्ट (या रोटर) के माध्यम से एक जनरेटर को शक्ति प्रदान करती है।
- जिस गहराई तक ब्लॉक नीचे जा सकता है उसे ब्रेकिंग सिस्टम के माध्यम से निर्धारित किया जा सकता है, इस प्रकार विद्युत की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है।
- यह पंप की गई जलविद्युत भंडारण पद्धति के समान है, जहाँ जल को जलाशय में विद्युत के माध्यम से ऊपर की ओर पंप किया जाता है और फिर एक टरबाइन में स्थानांतरित करने और आवश्यकतानुसार विद्युत उत्पन्न करने के लिये नीचे की ओर छोड़ा जाता है, जैसा कि एक पनबिजली संयंत्र में होता है।
तकनीक का महत्त्व:
- नवीकरणीय ऊर्जा को अस्थिर बनाने में रात्रि या शांत दिनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इस अवरोध के दौरान अतिरिक्त पूर्तिकर्त्ता के रूप में उपयोग करने के लिये बैटरी को आवेशित करने से विद्युत की कीमतें बढ़ जाती हैं।
- लो-टेक ग्रेविटी तकनीक इस चुनौती को दूर करने में मदद कर सकती है। यह तकनीक उत्पादित ऊर्जा की तुलना में अधिक ऊर्जा का उपयोग कर सकती है, लेकिन ऑफ-पीक आवर्स में अक्षय ऊर्जा उपलब्ध कराने में सक्षम होने का अर्थ है कि कोयला-उत्पादित और विश्वसनीय विद्युत तक पहुँच पर निर्भरता कम हो सकती है।
- जल के बजाय भारित ब्लॉकों का उपयोग करने का अर्थ है कि निष्क्रिय खदानों का उपयोग किया जा सकता है और पर्यावरणीय लागत तथा जल को ऊपर ले जाने की चुनौतियों से बचा जा सकता है।
कोलार गोल्ड फील्ड:
- कोलार गोल्ड फील्ड (KGF) कर्नाटक के कोलार ज़िले में स्थित एक खनन क्षेत्र है। यह अपनी ऐतिहासिक सोने की खानों हेतु जाना जाता है, जो दुनिया की सबसे गहरी खानों में से एक थी।
- KGF में खनन जॉन टेलर एंड संस द्वारा वर्ष 1880 में शुरू किया गया था।
- 28 फरवरी, 2001 को बंद होने से पहले खदानें 121 वर्षों तक सक्रिय रहीं। इस खदान को उच्च परिचालन लागत एवं कम राजस्व के कारण बंद कर दिया गया था।
- सोने के खनन के अतिरिक्त खानों का उपयोग कण भौतिकी प्रयोगों में भी किया गया है जिसमें शोध दल ने ब्रह्मांडीय कणों की खोज की है जिन्हें वायुमंडलीय न्यूट्रिनो कहा जाता है।
- वर्तमान में भारत में सोने की तीन खदानें हैं - कर्नाटक में हुट्टी और उटी खदानें तथा झारखंड में हीराबुद्दीनी खदानें।
- भारत सालाना इस्तेमाल होने वाले 774 टन सोने की तुलना में केवल लगभग 1.6 टन सोने का उत्पादन करता है।
स्रोत: द हिंदू
ग्लोबल वार्मिंग में राष्ट्रीय योगदान में भारत पाँचवें स्थान पर
हाल ही में 'साइंटिफिक डेटा' पत्रिका में प्रकाशित शोध में ग्लोबल वार्मिंग के शीर्ष 10 योगदानकर्त्ताओं में भारत को पाँचवाँ स्थान दिया गया है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- शीर्ष योगदानकर्त्ता:
- तापमान में 0.28 डिग्री सेल्सियस (17.3%) वृद्धि के कारण अपने कुल उत्सर्जन के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका सूची में शीर्ष स्थान पर है।
- चीन दूसरे और रूस तीसरे स्थान पर रहा।
- भारत की स्थिति:
- भारत वर्ष 2005 के 10वें स्थान से पाँचवें स्थान पर पहुँच गया।
- वर्ष 1850 से 2021 तक 0.08 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग के लिये भारत उत्तरदायी है।
- वर्ष 1851-2021 से भारत के कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4) और नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) के उत्सर्जन के परिणामस्वरूप पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में क्रमशः 0.04 डिग्री सेल्सियस, 0.03 डिग्री सेल्सियस और 0.006 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग देखी गई है।
- वार्मिंग का कारण:
- विश्व के आधे देशों में भूमि उपयोग और वानिकी क्षेत्र का वार्मिंग में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
- ब्राज़ील में भूमि उपयोग, भूमि उपयोग परिवर्तन और वानिकी (LULUCF) से CO2 उत्सर्जन के कारण 0.04 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग हुई।
- इसके अतिरिक्त LULUCF क्षेत्र ने वर्ष 1851-2021 के बीच CH4 उत्सर्जन के कारण कुल वार्मिंग में 38% और N2O उत्सर्जन की वजह से 72% का योगदान रहा।
- रिपोर्ट में वनों की अंधाधुंध कटाई एवं कृषि विस्तार से जुड़े उत्सर्जन पर प्रकाश डाला गया है।
- जीवाश्म ईंधन का सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान अभी भी बना हुआ है। वर्ष 1992 के बाद से वैश्विक जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन के कारण होने वाली अतिरिक्त वार्मिंग भूमि-उपयोग परिवर्तन के कारण चार गुना से अधिक हो गई है।
ग्रीनहाउस गैसें:
- ग्रीनहाउस गैस एक ऐसी गैस है जो थर्मल इन्फ्रारेड तरंगदैर्ध्य पर चमकदार ऊर्जा को अवशोषित एवं उत्सर्जित करती है, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न होता है।
- पृथ्वी के वायुमंडल में प्राथमिक ग्रीनहाउस गैस जल वाष्प (H2O), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4), नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) और ओज़ोन (O3) हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समताप मंडल में सल्फेट वायु विलय अंतःक्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं?(2019) (a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये उत्तर: d |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
टाइप 1 मधुमेह
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights- NCPCR) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सूचित करते हुए कहा है कि वे अपने क्षेत्र में टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित (T1D) बच्चों को आवश्यक उपचार और सुविधाएँ प्रदान करें।
टाइप 1 मधुमेह:
- परिचय:
- T1D एक दीर्घकालिक स्थिति है जिसमें अग्न्याशय बहुत कम अथवा कोई इंसुलिन, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिये आवश्यक हार्मोन, उत्पन्न नहीं कर पाता है। इस प्रकार का मधुमेह आमतौर पर बच्चों और युवा वयस्कों में होता है, हालाँकि यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है।
- इंटरनेशनल डायबिटीज़ फेडरेशन एटलस 2021 के आँकड़ों के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में भारत में टाइप I मधुमेह मेलिटस (TIDM) बच्चों और किशोरों की संख्या 2.4 लाख है जो कि विश्व में सबसे अधिक है।
- यह एक स्व-प्रतिरक्षित रोग है, जिसका अर्थ है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। इस स्थिति का सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन माना जाता है कि आनुवंशिक एवं पर्यावरणीय कारक इस रोग के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- T1D एक दीर्घकालिक स्थिति है जिसमें अग्न्याशय बहुत कम अथवा कोई इंसुलिन, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिये आवश्यक हार्मोन, उत्पन्न नहीं कर पाता है। इस प्रकार का मधुमेह आमतौर पर बच्चों और युवा वयस्कों में होता है, हालाँकि यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है।
- उपचार:
- टाइप 1 मधुमेह में सामान्यतः रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने हेतु इंसुलिन इंजेक्शन या इंसुलिन पंप की आवश्यकता होती है।
- बच्चों में जटिलताएँ:
- बच्चों में टाइप 1 मधुमेह की जटिलताओं में हाइपोग्लाइसीमिया (निम्न रक्त शर्करा), हाइपरग्लेसेमिया (उच्च रक्त शर्करा), केटोएसिडोसिस (संभावित जीवन-संकट वाली स्थिति, जब शरीर ग्लूकोज़ के बजाय ऊर्जा हेतु वसा का विखंडन करता है), साथ ही दीर्घकालिक जटिलताओं में जैसे- आँख, किडनी, तंत्रिका और हृदय संबंधी क्षति शामिल हो सकती है।
मधुमेह के अन्य प्रकार:
- टाइप 2 मधुमेह:
- यह शरीर द्वारा इंसुलिन के उपयोग के तरीके को प्रभावित करता है, जबकि शरीर इंसुलिन उत्पादन करता रहता है।
- टाइप 2 मधुमेह किसी भी उम्र में, यहाँ तक कि बचपन में भी हो सकता है। हालाँकि इस प्रकार का मधुमेह अक्सर मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध लोगों में होता है।
- गर्भावस्थाजन्य मधुमेह:
- यह मधुमेह गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में उस स्थिति में होता है जब शरीर कभी-कभी इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाता है। यह मधुमेह गर्भकालीन सभी महिलाओं में नहीं होता है और आमतौर पर बच्चे को जन्म देने के बाद ठीक हो जाता है।
संबंधित पहलें:
- कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (National Programme for Prevention and Control of Cancer, Diabetes, Cardiovascular Diseases and Stroke-NPCDCS):
- यह पहल भारत द्वारा वर्ष 2010 में बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य संवर्द्धन, शीघ्र निदान, प्रबंधन और रेफरल पर ज़ोर देने के साथ प्रमुख गैर संक्रामक रोग को रोकने एवं नियंत्रित करने के लिये शुरू की गई थी।
- विश्व मधुमेह दिवस:
- यह हर वर्ष 14 नवंबर को मनाया जाता है। 2022 अभियान मधुमेह शिक्षा तक पहुँच पर ध्यान केंद्रित करता है।
- ग्लोबल डायबिटीज़ कॉम्पैक्ट:
- WHO ने इंसुलिन की खोज की शताब्दी को चिह्नित करते हुए बीमारी से बेहतर तरीके से लड़ने के लिये ग्लोबल डायबिटीज़ कॉम्पैक्ट शुरू किया।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग:
- NCPCR बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 के तहत मार्च 2007 में स्थापित एक सांविधिक निकाय है।
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
- आयोग का जनादेश यह सुनिश्चित करना है कि सभी कानून, नीतियाँ, कार्यक्रम और प्रशासनिक तंत्र भारत के संविधान तथा बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में निहित बाल अधिकारों के परिप्रेक्ष्य के अनुरूप हों।
- यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत एक बच्चे के मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से संबंधित शिकायतों की जाँच करता है।
- यह यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 31 मार्च, 2023
भारत द्वारा दुर्लभ रोग दवाओं और खाद्य आयात शुल्क पर छूट की घोषणा
भारत सरकार ने दुर्लभ बीमारियों के इलाज हेतु व्यक्तिगत उपयोग के लिये आयात की जाने वाली विशेष चिकित्सा उद्देश्यों वाली सभी दवाओं एवं भोजन के संदर्भ में बुनियादी सीमा शुल्क पर छूट की घोषणा की है। यह छूट 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी होगी। विभिन्न तरह के कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा पेम्ब्रोलिजुमाब (कीट्रूडा) को भी बुनियादी सीमा शुल्क से छूट दी गई है। पहले स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी या डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज हेतु उपयोग की जाने वाली दवाओं को छूट प्रदान की जाती थी। व्यक्तिगत आयातक को छूट का लाभ उठाने हेतु केंद्रीय या राज्य निदेशक स्वास्थ्य सेवा या ज़िला चिकित्सा अधिकारी/सिविल सर्जन से एक प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। दुर्लभ बीमारियों का इलाज बहुत महँगा हो सकता है और इस छूट के परिणामस्वरूप रोगियों को लागत की काफी बचत होगी।
और पढ़ें…सीमा शुल्क, दुर्लभ रोग।
इसरो ने EOS-06 उपग्रह द्वारा कैप्चर किये गए ग्लोबल अर्थ मोज़ेक जारी किया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में EOS-06 उपग्रह पर ओशन कलर मॉनिटर (OCM) पेलोड द्वारा कैप्चर की गई छवियों का एक ग्लोबल फाल्स कलर कंपोज़िट (FCC) मोज़ेक जारी किया है। वैश्विक महासागरों के लिये भूमि और महासागर बायोटा पर वैश्विक वनस्पति आवरण के संदर्भ में जानकारी प्रदान करने के लिये OCM पृथ्वी को 13 अलग-अलग तरंग दैर्ध्य में महसूस करता है। नवंबर 2021 में इसरो द्वारा लॉन्च किया गया EOS-06 उपग्रह ओशनसैट शृंखला में तीसरी पीढ़ी का है तथा समुद्र के रंग डेटा, समुद्र की सतह के तापमान और जलवायु एवं मौसम संबंधी अनुप्रयोगों हेतु पवन वेक्टर डेटा का निरीक्षण करने के लिये चार पेलोड से युक्त है
और पढ़े… EOS-06 Satellite, Oceansat
श्यामजी कृष्ण वर्मा
30 मार्च, 2023 को श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा की पुण्यतिथि मनाई गई। श्यामजी कृष्ण वर्मा एक प्रमुख भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह अपने मज़बूत राष्ट्रवादी आदर्शों और साहस के लिये जाने जाते थे, जिसने उस समय के कई अन्य नेताओं को प्रेरित किया। उन्होंने लंदन में इंडियन होमरूल सोसाइटी की भी स्थापना की, जिसने भारतीय छात्रों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिये एक मंच प्रदान किया। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।
और पढ़ें...भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
असम की तिवा जनजाति द्वारा यांगली महोत्सव का आयोजन
असम की तिवा जनजाति के लोग बुवाई के मौसम की शुरुआत के प्रतीक के रूप में मनाने के लिये प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार यांगली महोत्सव का आयोजन करते हैं। यांगली उत्सव, जो कि कृषि से संबंधित है, तिवा जनजाति की लोगों के लिये एक महत्त्वपूर्ण उत्सव है क्योंकि कृषि उनके समुदाय के लिये आय का मुख्य स्रोत है। उत्सव के दौरान तिवा लोग नृत्य करते हैं और उत्तम फसल के लिये प्रार्थना करते हैं तथा कीटों एवं प्राकृतिक आपदाओं से अपनी फसलों की सुरक्षा की मांग करते हैं।