इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


शासन व्यवस्था

नव भारत साक्षरता कार्यक्रम

  • 17 Feb 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नव भारत साक्षरता कार्यक्रम, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020

मेन्स के लिये:

युवाओं को शिक्षित करने की आवश्यकता और देश के विकास में उनकी भूमिका, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

हांल ही में सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और 2021-22 की बजट घोषणाओं के अनुरूप प्रौढ़ शिक्षा के सभी पहलुओं को कवर करने हेतु वर्ष 2022-2027 की अवधि के लिये "नव भारत साक्षरता कार्यक्रम" को मंज़ूरी दी है।

  • यह बजट 2021-22 के अनुरूप है, जिसमें संसाधनों, प्रौढ़ शिक्षा ​​को कवर करने वाले ऑनलाइन मॉड्यूल तक पहुँच में विस्तार की घोषणा की गई थी।
  • "नव भारत साक्षरता कार्यक्रम" का अनुमानित कुल परिव्यय 1037.90 करोड़ रुपए है, जिसमें वर्ष 2022-27 के लिये क्रमशः 700 करोड़ रुपए का केंद्रीय हिस्सा और 337.90 करोड़ रुपए का राज्य हिस्सा शामिल है।
  • देश में प्रौढ़ शिक्षा का नाम बदलकर अब 'सभी के लिये शिक्षा' कर दिया गया है

नव भारत साक्षरता कार्यक्रम का उद्देश्य:

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल आधारभूत साक्षरता और अंकगणित की शिक्षा प्रदान करना है बल्कि उन अन्य घटकों को भी शामिल करना है जो 21वीं सदी के नागरिकों के लिये आवश्यक हैं। 
  • अन्य घटकों में शामिल हैं: 
    • महत्त्वपूर्ण जीवन कौशल (वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, वाणिज्यिक कौशल, स्वास्थ्य देखभाल और जागरूकता, बाल देखभाल एवं शिक्षा, तथा परिवार कल्याण आदि)।
    • व्यावसायिक कौशल विकास (स्थानीय रोज़गार प्राप्त करने की दृष्टि से)।
    • बुनियादी शिक्षा (प्रारंभिक, मध्य और माध्यमिक स्तर की समकक्षता सहित)।
    • सतत् शिक्षा (कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संस्कृति, खेल और मनोरंजन में समग्र वयस्क शिक्षा पाठ्यक्रम, साथ ही स्थानीय शिक्षार्थियों हेतु रुचि के अन्य विषयों का उपयोग जैसे महत्त्वपूर्ण जीवन कौशल पर अधिक उन्नत सामग्री सहित)।

योजना का क्रियान्वयन 

  • योजना को स्वयंसेवा (Volunteerism) द्वारा ऑनलाइन मोड के माध्यम से लागू किया जाएगा।
    • स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण, अभिविन्यास, कार्यशालाओं का आयोजन प्रत्यक्ष मोड के द्वारा किया जा सकता है। योजना से संबंधित सभी सामग्री और संसाधन डिजिटल रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • विद्यालय योजना के क्रियान्वयन हेतु इकाई होगा।
    • विद्यालयों का उपयोग लाभार्थियों और स्वैच्छिक शिक्षकों का सर्वेक्षण करने के लिये  किया जाएगा।

योजना में शामिल लोग: 

  • देश के सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के गैर-साक्षर लोग।
  • राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, NCERT और NIOS के सहयोग से ‘ऑनलाइन टीचिंग, लर्निंग एंड असेसमेंट सिस्टम (OTLAS)’ का उपयोग करके प्रतिवर्ष 1 करोड़ की दर से 5 करोड़ शिक्षार्थियों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • योजना की आवश्यकता: 
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों की कुल संख्या 25.76 करोड़ (पुरुष 9.08 करोड़, महिलाएँ 16.68 करोड़) है।
  • साथ ही वर्ष 2009-10 से वर्ष 2017-18 तक लागू ‘साक्षर भारत कार्यक्रम’ के तहत साक्षर के रूप में प्रमाणित 7.64 करोड़ लोगों को ध्यान में रखते हुए यह अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान में भारत में लगभग 18.12 करोड़ वयस्क निरक्षर हैं।

इससे संबंधित अन्य पहलें: 

  • राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC): इसका उद्देश्य बड़े, गुणवत्तापूर्ण और लाभकारी व्यावसायिक संस्थानों के निर्माण को उत्प्रेरित करके कौशल विकास को बढ़ावा देना है। यह उद्यमों, कंपनियों और कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने वाले संगठनों को वित्तपोषण प्रदान करके कौशल विकास में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।
  • डिजिटल इंडिया कार्यक्रम: यह कई मौजूदा योजनाओं का पुनर्गठन करता है, जिसके पश्चात् उन्हें सिंक्रनाइज़ तरीके से लागू किया जाता है।
  • प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान: यह नागरिकों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने के लक्ष्य के साथ देश की सबसे बड़ी पहलों में से एक है।
  • राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन: इसका उद्देश्य वर्ष 2020 तक महत्त्वपूर्ण डिजिटल साक्षरता कौशल के साथ प्रति परिवार कम-से-कम एक व्यक्ति को सशक्त बनाना है।
  • समग्र शिक्षा: यह स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिये पूर्व-विद्यालय से बारहवीं कक्षा तक की विद्यालयी शिक्षा हेतु एक एकीकृत योजना है।

आगे की राह

  • दुनिया भर में शिक्षा प्रणालियों के तहत बच्चों और कामकाजी वयस्कों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिये ताकि वे पढ़ना-लिखना सीख सकें। राष्ट्रीय शैक्षिक योजनाओं में बच्चों हेतु विद्यालयी शिक्षा और वयस्कों के लिये साक्षरता प्रशिक्षण समानांतर रूप में शामिल होना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2