भारत छोड़ो आंदोलन | 10 Aug 2022

प्रिलिम्स के लिये:

भारत छोड़ो आंदोलन, महात्मा गांधी, स्वतंत्रता संग्राम, भारतीय राष्ट्रीय सेना।

मेन्स के लिये:

भारत छोड़ो आंदोलन की सफलताएँ और विफलताएँ।

चर्चा में क्यों?

8 अगस्त, 2022 को भारत ने भारत छोड़ो आंदोलन के 80 साल पूरे किये, जिसे अगस्त क्रांति भी कहा जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया और मुंबई में अखिल भारतीय काॅन्ग्रेस कमेटी के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया।
    • गांधीजी ने ग्वालिया टैंक मैदान में अपने भाषण में "करो या मरो" का आह्वान किया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाता है।
    • स्वतंत्रता आंदोलन की 'ग्रैंड ओल्ड लेडी' के रूप में लोकप्रिय अरुणा आसफ अली को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराने के लिये जाना जाता है।
    • 'भारत छोड़ो' का नारा एक समाजवादी और ट्रेड यूनियनवादी यूसुफ मेहरली द्वारा गढ़ा गया था, जिन्होंने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था।
      • मेहरअली ने "साइमन गो बैक" का नारा भी गढ़ा था।
  • कारण:
    • क्रिप्स मिशन की विफलता: आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था।
      • संदर्भ: इस मिशन को स्टेफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में भारत में एक नए संविधान एवं स्वशासन के निर्माण से संबंधित प्रश्न को हल करने के लिये भेजा गया था।
      • क्रिप्स मिशन के पीछे कारण: दक्षिण-पूर्व एशिया में जापान की बढ़ती आक्रामकता, युद्ध में भारत की पूर्ण भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिये ब्रिटिश सरकार की उत्सुकता, ब्रिटेन पर चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बढ़ते दबाव के कारण ब्रिटेन की सत्तारूढ़ लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल द्वारा मार्च 1942 में भारत में क्रिप्स मिशन भेजा गया।
      • पतन का कारण: यह मिशन विफल हो गया क्योंकि इसने भारत के लिये पूर्ण स्वतंत्रता नहीं बल्कि विभाजन के साथ डोमिनियन स्टेटस की पेशकश की।
    • नेताओं के साथ पूर्व परामर्श के बिना द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भागीदारी:
    • ब्रिटिश विरोधी भावना का प्रसार:
      • ब्रिटिश-विरोधी भावना तथा पूर्ण स्वतंत्रता की मांग ने भारतीय जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली थी।
    • कई छोटे आंदोलनों का केंद्रीकरण:
      • अखिल भारतीय किसान सभा, फारवर्ड ब्लाक आदि जैसे काॅन्ग्रेस से संबद्ध विभिन्न निकायों के नेतृत्त्व में दो दशक से चल रहे जन आंदोलनों ने इस आंदोलन के लिये पृष्ठभूमि निर्मित कर दी थी।
      • देश में कई स्थानों पर उग्रवादी विस्फोट हो रहे थे जो भारत छोड़ो आंदोलन के साथ जुड़ गए।
    • आवश्यक वस्तुओं की कमी:
      • द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था भी बिखर गई थी।

मांगें :

  • फासीवाद के खिलाफ द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों का सहयोग पाने के लिये भारत में ब्रिटिश शासन को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की मांग की गई।
  • भारत से अंग्रेज़ों के जाने के बाद एक अंतरिम सरकार बनाने की मांग।

चरण: आंदोलन के तीन चरण थे:

  • पहला चरण- शहरी विद्रोह, हड़ताल, बहिष्कार और धरने के रूप में चिह्नित, जिसे जल्दी दबा दिया गया था।
    • पूरे देश में हड़तालें तथा प्रदर्शन हुए तथा श्रमिकों ने कारखानों में काम न करके समर्थन प्रदान किया।
    • गांधीजी को पुणे के आगा खान पैलेस (Aga Khan Palace) में कैद कर दिया गया और लगभग सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • आंदोलन के दूसरे चरण में ध्यान ग्रामीण इलाकों में स्थानांतरित किया गया जिसमें एक प्रमुख किसान विद्रोह देखा गया, इसमें संचार प्रणालियों को बाधित करना मुख्य उद्देश्य था, जैसे कि रेलवे ट्रैक और स्टेशन, टेलीग्राफ तार व पोल, सरकारी भवनों पर हमले या औपनिवेशिक सत्ता का कोई अन्य दृश्य प्रतीक।
  • अंतिम चरण में अलग-अलग इलाकों (बलिया, तमलुक, सतारा आदि) में राष्ट्रीय सरकारों या समानांतर सरकारों का गठन किया गया।

आंदोलन की सफलता

भविष्य के नेताओं का उदय:

  • राम मनोहर लोहिया, जेपी नारायण, अरुणा आसफ अली, बीजू पटनायक, सुचेता कृपलानी आदि नेताओं ने भूमिगत गतिविधियों को अंजाम दिया जो बाद में प्रमुख नेताओं के रूप में उभरे।

महिलाओं की भागीदारी:

  • आंदोलन में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उषा मेहता जैसी महिला नेताओं ने एक भूमिगत रेडियो स्टेशन स्थापित करने में मदद की जिससे आंदोलन के बारे में जागरूकता पैदा हुई।

राष्ट्रवाद का उदय:

  • भारत छोड़ो आंदोलन के कारण देश में एकता और भाईचारे की एक विशिष्ट भावना पैदा हुई। कई छात्रों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिये और लोगों ने अपनी नौकरी छोड़ दी।

स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त:

  • यद्यपि वर्ष 1944 में भारत छोड़ो आंदोलन को कुचल दिया गया था और अंग्रेज़ों ने यह कहते हुए तत्काल स्वतंत्रता देने से इनकार कर दिया था कि स्वतंत्रता युद्ध समाप्ति के बाद ही दी जाएगी, किंतु इस आंदोलन और द्वितीय विश्व युद्ध के बोझ के कारण ब्रिटिश प्रशासन को यह अहसास हो गया कि भारत को लंबे समय तक नियंत्रित करना संभव नहीं था।
  • इस आंदोलन के कारण अंग्रेज़ों के साथ भारत की राजनीतिक वार्ता की प्रकृति ही बदल गई और अंततः भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त हुआ।

आंदोलन की असफलता:

क्रूर दमन:

  • आंदोलन के दौरान कुछ स्थानों पर हिंसा देखी गई, जो कि पूर्व नियोजित नहीं थी।
  • आंदोलन को अंग्रेज़ों द्वारा हिंसक रूप से दबा दिया गया, लोगों पर गोलियाँ चलाई गईं, लाठीचार्ज किया गया, गाँवों को जला दिया गया और भारी जुर्माना लगाया गया।
  • इस तरह सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिये हिंसा का सहारा लिया और 1,00,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।

समर्थन का अभाव:

  • मुस्लिम लीग, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और हिंदू महासभा ने आंदोलन का समर्थन नहीं किया। भारतीय नौकरशाही ने भी इस आंदोलन का समर्थन नहीं किया।
    • मुस्लिम लीग, बँटवारे से पूर्व अंग्रेज़ों के भारत छोड़ने के पक्ष में नहीं थी।
    • कम्युनिस्ट पार्टी ने अंग्रेज़ों का समर्थन किया, क्योंकि वे सोवियत संघ के साथ संबद्ध थे।
    • हिंदू महासभा ने खुले तौर पर भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और इस आशंका के तहत आधिकारिक तौर पर इसका बहिष्कार किया कि यह आंदोलन आंतरिक अव्यवस्था पैदा करेगा और युद्ध के दौरान आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डाल देगा।
  • इस बीच सुभाष चंद्र बोस ने देश के बाहर भारतीय राष्ट्रीय सेना’ और ‘आज़ाद हिंद सरकार’ को गठन किया।
  • सी. राजगोपालाचारी जैसे कई काॅन्ग्रेस सदस्यों ने प्रांतीय विधायिका से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि वे महात्मा गांधी के विचार का समर्थन नहीं करते थे।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा  विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):

भारतीय इतिहास में 8 अगस्त, 1942 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?

(a) भारत छोड़ो प्रस्ताव AICC द्वारा अपनाया गया था।
(b) अधिक भारतीयों को शामिल करने के लिये वायसराय की कार्यकारी परिषद का विस्तार किया गया।
(c) सात प्रांतों में काॅन्ग्रेस के मंत्रिमंडलों ने इस्तीफा दे दिया।
(d) द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद क्रिप्स ने पूर्ण डोमिनियन स्थिति के साथ एक भारतीय संघ का प्रस्ताव रखा।

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी द्वारा भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने के लिये एक स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया गया जिसके तहत मुंबई में अखिल भारतीय काॅन्ग्रेस समिति (All-India Congress Committee) के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया गया । गाँधीजी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान में दिये गए अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का नारा दिया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान (August Kranti Maidan) के नाम से जाना जाता है।
  • भारतीय परिषद अधिनियम 1909 या मॉर्ले-मिंटो सुधार ब्रिटिश संसद का एक अधिनियम था जिसने विधान परिषदों में कुछ सुधारों की शुरुआत की और ब्रिटिश भारत के शासन में भारतीयों की भागीदारी को बढ़ाया। भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 ने गवर्नर जनरल को कार्यकारी परिषद में एक भारतीय सदस्य को नामित करने का अधिकार दिया, जिससे सत्येंद्र सिन्हा को पहले भारतीय सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। भारत सरकार अधिनियम, 1919 ने परिषद में भारतीयों की संख्या बढ़ाकर तीन कर दी।
  • द्वितीय विश्व युद्ध में भारत को जुझारू घोषित करने की वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो की कार्रवाई के विरोध में 1939 में काॅन्ग्रेस मंत्रालयों ने सात प्रांतों में इस्तीफा दे दिया। ब्रिटिश सरकार ने काॅन्ग्रेस मंत्रियों के इस्तीफे से राहत महसूस की क्योंकि वे ग्यारह प्रांतों में से आठ को नियंत्रित करते थे और सरकार के युद्ध प्रयासों को बाधित करने की शक्ति रखते थे।
  • द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सहयोग प्राप्त करने के लिये मार्च, 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा क्रिप्स मिशन को भारत भेजा गया था। इसकी अध्यक्षता सर स्टैफोर्ड क्रिप्स ने की थी। मिशन की कुछ सिफारिशों में शामिल हैं:
    • एक डोमिनियन स्थिति के साथ एक भारतीय संघ की स्थापना की जाएगी।
    • भारत राष्ट्रमंडल के साथ अपने संबंधों को तय करने और संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय निकायों में भाग लेने के लिये स्वतंत्र होगा।
    • युद्ध की समाप्ति के बाद एक नया संविधान बनाने के लिये एक संविधान सभा बुलाई जाएगी। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिये: (2017)

  1. रॉयल इंडियन नेवी में विद्रोह
  2. भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत  
  3. द्वितीय गोलमेज सम्मेलन

उपरोक्त घटनाओं का सही कालानुक्रमिक क्रम क्या है?

(a) 1 – 2– 3
(b) 2 – 1 – 3
(c) 3 – 2 – 1
(d) 3 – 1 – 2

उत्तर : (c)

व्याख्या:

  • रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह: यह फरवरी 1946 में शुरू हुआ, जब रेटिंग्स के नाम से जाने जाने वाले गैर-कमीशन अधिकारियों और नाविकों के एक वर्ग ने ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह किया। यह बेहतर भोजन और आवास की मांग को लेकर हड़ताल के रूप में शुरू हुआ। सरदार वल्लभ भाई पटेल और मुहम्मद अली ज़िन्ना के हस्तक्षेप से विद्रोह समाप्त हो गया। विद्रोहियों ने 23 फरवरी, 1946 को आत्मसमर्पण कर दिया। महात्मा गांधी ने अगस्त 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन नामक आंदोलन का एक नया चरण शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने जनता को 'करो या मरो' का नारा दिया और उन्हें अहिंसक तरीके से विरोध करने के लिये कहा। गांधी और अन्य नेताओं को जेल में डाल दिया गया था, लेकिन आंदोलन ने अपना काम कर दिखाया।
  • द्वितीय गोलमेज सम्मेलन: सितंबर 1931 से दिसंबर 1931 के दौरान लंदन में एक द्वितीय गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया था। यहाँ, गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस (INC) का प्रतिनिधित्व किया था। यह एकमात्र गोलमेज सम्मेलन था जिसमें काॅन्ग्रेस ने भाग लिया था। अतः विकल्प (c) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.