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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 29 Dec, 2023
  • 22 min read
प्रारंभिक परीक्षा

T+0 और त्वरित निपटान चक्र

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा निधियों एवं प्रतिभूतियों के लिये वैकल्पिक T+0 (उसी दिन) तथा तत्काल निपटान चक्र के लिये एक नई प्रणाली प्रस्तावित की गई है। यह प्रणाली द्वितीयक बाज़ारों में इक्विटी नकदी खंड के लिये मौजूदा T+1 (एक दिन का ट्रेड प्लस) निपटान चक्र का पूरक होगी।

  • SEBI यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस जैसे व्यापक रूप से उपयोग किये जाने वाले तात्कालिक भुगतान विकल्पों को अपनाकर स्टॉक ट्रेडिंग में लचीलेपन के लिये आधुनिक निवेशकों की इच्छाओं को बेहतर ढंग से समायोजित करना चाहता है।

प्रतिभूति बाज़ार में निपटान चक्र क्या है?

  • निपटान चक्र में T:  वित्तीय बाज़ारों के भीतर निपटान चक्रों में "T" उस दिन को संदर्भित करता है जिस दिन लेनदेन या व्यापार होता है।
    • इस संदर्भ में "T" लेनदेन की तारीख का प्रतिनिधित्व करता है। निपटान चक्र, जिसे "T+n" के रूप में दर्शाया जाता है, लेन-देन की तारीख (T) के बाद के दिनों की संख्या निर्दिष्ट करता है जिसके द्वारा व्यापार का निपटान या समापन होता है।
  • निपटान चक्र का विकास: SEBI ने निपटान चक्र को वर्ष 2002 में T+5 से छोटा करके T+3 और उसके बाद वर्ष 2003 में T+2 कर दिया।
    • वर्तमान में भारत में निधियों और प्रतिभूतियों का निपटान T+1 चक्र पर होता है, जिसे वर्ष 2021 तक चरणबद्ध किया गया तथा जनवरी 2023 तक पूर्ण रूप से लागू किया गया।
  • नए निपटान चक्रों के लिये SEBI के प्रस्तावित चरण:
    • चरण 1: T+0 निपटान चक्र:
      • दोपहर 1:30 बजे तक के ट्रेड/व्यापारों के लिये एक वैकल्पिक T+0 निपटान चक्र की कल्पना की गई है, जिसका लक्ष्य उसी दिन शाम 4:30 बजे तक फंड और प्रतिभूतियों का निपटान करना है।
    • चरण 2: त्वरित निपटान चक्र:
      • इसका लक्ष्य अपराह्न 3:30 बजे तक व्यापार के साथ, फंड/निधि और प्रतिभूतियों सहित, एक वैकल्पिक किंतु तात्कालिक व्यापार-दर-व्यापार निपटान करना है।
    • SEBI ने बाज़ार पूंजीकरण के आधार पर शीर्ष 500 सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों के लिये तीन किश्तों (200, 200,100) में T+0 निपटान चक्र के प्रारंभिक रोलआउट का प्रस्ताव दिया है।
      • यह पहल बदलते भारतीय प्रतिभूति बाज़ार के अनुरूप है, जो बढ़ती संख्या, मूल्यन/भाव तथा प्रतिभागियों पर आधारित है।
  • लाभ: 
    • ग्राहक: यह विक्रेताओं के लिये प्रतिभूतियों के लिये धन के त्वरित भुगतान को सक्षम बनाता है तथा भुगतान हेतु बेहतर लचीलेपन की प्रस्तुति करता है।
    • प्रतिभूति बाज़ार पारिस्थितिकी तंत्र: त्वरित भुगतान से बाज़ार पारिस्थितिकी तंत्र की दक्षता एवं तरलता को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।

प्रारंभिक परीक्षा

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) को हाल ही में देश को मौसम और जलवायु सेवाएँ प्रदान करने के 150वें वर्ष की शुरुआत से पहले एक नया लोगो मिला है।

  • नारंगी और हरे रंग के मिश्रण में नया लोगो, वर्तमान लोगो के साथ अंकित संख्यात्मक 150 को दर्शाता है जो भारतीय मानसूनी हवाओं को भारत के ऊपर से गुजरते हुए दिखाया गया है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग क्या है?

    • परिचय
      • IMD की स्थापना 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान एवं संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
      • यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
      • IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।
    • नियम और दायित्व:
      • कृषि, सिंचाई, नौवहन, विमानन, अपतटीय तेल अन्वेषण आदि जैसी मौसम-संवेदनशील गतिविधियों के इष्टतम संचालन के लिये मौसम संबंधी अवलोकन करना और वर्तमान एवं पूर्वानुमानित मौसम संबंधी जानकारी प्रदान करना।
      • उष्णकटिबंधीय चक्रवात, नॉर्थवेस्टर, धूल भरी आँधी, भारी बारिश और बर्फ, ठंड तथा ग्रीष्म लहरें आदि जैसी गंभीर मौसम की घटनाओं, जो जीवन एवं संपत्ति के विनाश का कारण बनती हैं, के प्रति चेतावनी देना
      • कृषि, जल संसाधन प्रबंधन, उद्योगों, तेल की खोज और अन्य राष्ट्र-निर्माण गतिविधियों के लिये आवश्यक मौसम संबंधी आँकड़े प्रदान करना।
      • मौसम विज्ञान और संबद्ध विषयों में अनुसंधान का संचालन एवं प्रचार करना।

    नोट: मौसम विज्ञान, पृथ्वी के वायुमंडल का वैज्ञानिक अध्ययन है, जो मौसम के प्रारूप, वायुमंडलीय घटनाओं तथा जलवायु को समझने और इनके पूर्वानुमान करने पर केंद्रित है।

    • इसमें मौसम पूर्वानुमान करने के साथ ही पृथ्वी की वायुमंडलीय प्रणाली को संचालित करने वाली प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिये तापमान, आर्द्रता, वायु दाब, पवन एवं वर्षण जैसी वायुमंडलीय स्थितियों का विश्लेषण करना शामिल है।

    भारत में मौसम विज्ञान से संबंधित प्रमुख पहल कौन-सी हैं?

    • राष्ट्रीय मानसून मिशन (NMM): भारत सरकार ने विभिन्न समय के आधार पर मानसूनी वर्षा के लिये एक अत्याधुनिक गतिशील पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करने की दृष्टि से वर्ष 2012 में NMM लॉन्च किया था।
    • मौसम ऐप: यह मौसम की सूचनाओं और चेतावनियों को आकर्षक एवं उपयोगकर्त्ता के अनुकूल तरीके से प्रसारित करने का माध्यम है।
    • डॉपलर मौसम रडार: डॉपलर सिद्धांत के आधार पर, रडार को एक परवलयिक डिश एंटीना के साथ 
    • एक फोम सैंडविच गोलाकार रेडोम का उपयोग करके लंबी दूरी के मौसम पूर्वानुमान एवं निगरानी में सटीकता में सुधार करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
      • DWR वर्षा की तीव्रता, पवन एवं वेग को मापने के साथ तूफान के केंद्र और बवंडर की दिशा ज्ञात करने के लिये एक उपकरण हैं।

    प्रारंभिक परीक्षा

    ब्रेकथ्रू पुरस्कार

    स्रोत: द हिंदू 

    जीवन विज्ञान श्रेणी में वर्ष 2024 के ब्रेकथ्रू पुरस्कारों ने तीन दुर्लभ रोगों- पर्किंसंस रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस और कैंसर से पीड़ित लोगों के जीवन को बदलने के लिये अभूतपूर्व अनुसंधान को मान्यता दी।

    • मौलिक भौतिकी और गणित की श्रेणियों में भी पुरस्कार दिये गए।

    वर्ष 2024 की पुरस्कार-विजेता सफलताएँ क्या हैं?

    • जीवन विज्ञान (Life Sciences):
      • कैंसर के उपचार में प्रगति: कार्ल जून और मिशेल सैडेलेन ने एकल कैंसर कोशिकाओं को पहचानने के लिये सिंथेटिक रिसेप्टर्स के साथ आनुवंशिक रूप से  T कोशिकाओं को इंजीनियर किया, जिससे ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मायलोमा जैसे लिक्विड कैंसर के प्रति उपचार हेतु उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई।
        • कुछ रोगियों ने उपचार के बाद पूर्ण ट्यूमर उन्मूलन और दीर्घकालिक मुक्ति का अनुभव किया है।
      • सिस्टिक फाइब्रोसिस ब्रेकथ्रू: सबाइन हदीदा, पॉल नेगुलेस्कु और फ्रेड्रिक वान गोर ने सिस्टिक फाइब्रोसिस के अंतर्निहित कारण का इलाज करने के लिये पहली प्रभावी दवाओं का आविष्कार किया।
        • ट्रिपल कॉम्बिनेशन दवा सहित ये दवाएँ प्रोटीन को ठीक से कार्य करने में सक्षम बनाती हैं, जिससे इस रोग से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता और आयु में काफी सुधार होता है।
      • पर्किंसंस रोग की खोज: थॉमस गैसर, एलेन सिड्रान्स्की तथा एंड्रयू सिंगलटन ने पर्किंसंस रोग के सबसे आम आनुवंशिक कारणों की खोज की।
        • ये निष्कर्ष न्यूरोनल विनाश में लाइसोसोम की भागीदारी की ओर इशारा करते हैं और साथ ही रोग के अंतर्निहित कारणों के बारे में संकेत प्रदान करते हैं।
    • मूलभूत भौतिकी: 
      • विजेता जॉन कार्डी और अलेक्जेंडर ज़मोलोडचिकोव ने क्वांटम क्षेत्र सिद्धांतों में जीवन भर गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करने में योगदान दिया है।
    • गणित: 
      • पुरस्कार विजेता साइमन ब्रेंडल ने विभेदक ज्यामिति, एक ऐसा क्षेत्र जो वक्रों, सतहों तथा स्थानों का अध्ययन करने के लिये कैलकुलस का उपयोग करता है, में उल्लेखनीय योगदान दिया है।

    ब्रेकथ्रू पुरस्कार क्या हैं?

    • स्थापना: 
      • वर्ष 2012 में यूरी मिलनर, मार्क ज़ुकरबर्ग, प्रिसिला चान (फेसबुक से) और सर्गेई ब्रिन (गूगल से) सहित सिलिकॉन वैली के प्रमुख लोगों द्वारा स्थापित किया गया।
    • वैज्ञानिक उत्कृष्टता की पहचान: 
      • पुरस्कारों का उद्देश्य उन उत्कृष्ट व्यक्तियों को सम्मानित करना है जिन्होंने आधारभूत विज्ञान, विशेष रूप से जीवन विज्ञान, गणित और मूलभूत भौतिकी जैसे क्षेत्रों में परिवर्तनकारी योगदान दिया है।
    • श्रेणियाँ: 
      • ब्रेकथ्रू पुरस्कार विभिन्न श्रेणियों में प्रदान किये जाते हैं, जिनमें जीवन विज्ञान (जीव विज्ञान, आनुवंशिकी, चिकित्सा), मूलभूत भौतिकी एवं गणित शामिल हैं।
    • वित्तीय पुरस्कार: 
      • ब्रेकथ्रू पुरस्कार के विजेताओं को पर्याप्त वित्तीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। प्रत्येक विजेता को 3 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान किये जाते हैं, जो नोबेल पुरस्कारों में मिलने वाले मौद्रिक मूल्य से अधिक है, जो प्रति श्रेणी केवल 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान करता है।
    • विज्ञान के ऑस्कर:
      • इन्हें अमूमन “विज्ञान के ऑस्कर” के रूप में जाना जाता है जो विज्ञान के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठा रखते हैं और साथ ही अभूतपूर्व खोजों एवं प्रगति पर प्रकाश डालते हैं।
    • मान्यता कार्यक्रम:
      • यह पुरस्कार विश्व स्तर पर शीर्ष वैज्ञानिकों को सम्मानित करते हुए प्रतिवर्ष प्रदान किये जाते हैं। वर्ष 2012 में आयोजित इसके प्रथम समारोह की मेज़बानी अभिनेता मॉर्गन फ्रीमैन ने की थी।
    • प्रारंभिक-कॅरियर शोधकर्त्ताओं के लिये सहायता:
      • इसके अतिरिक्त ब्रेकथ्रू पुरस्कारों से संबंधित अन्य पुरस्कार भी हैं, जैसे– भौतिकी और गणित में न्यू होराइजन्स तथा मरियम मिर्ज़ाखानी न्यू फ्रंटियर्स पुरस्कार, जो आशाजनक शुरुआती-कॅरियर शोधकर्त्ताओं के कार्य को मान्यता प्रदान करने के लिये समर्पित हैं।

    दुर्लभ रोग क्या हैं?

    • परिचय:
      • दुर्लभ बीमारी कम प्रसार वाली एक स्वास्थ्य स्थिति है जो सामान्य आबादी में अन्य प्रचलित बीमारियों की तुलना में कम संख्या में लोगों को प्रभावित करती है।
      • दुर्लभ बीमारियों की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं है और परिभाषाएँ आमतौर पर विभिन्न देशों में भिन्न-भिन्न होती हैं।
    • प्रसार:
      • लगभग 7,000 ज्ञात दुर्लभ बीमारियाँ हैं, जो दुनिया की लगभग 8% आबादी को प्रभावित करती हैं और “दुर्लभ बीमारी” के 75% मरीज़ बच्चे हैं।
      • भारत में 50 से 100 मिलियन लोग असामान्य बीमारी और विकार से पीड़ित हैं।
    • अन्य उदाहरण: 

    विविध

    Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 दिसंबर, 2023

    अंगोला ओपेक से हुआ बाहर 

    अफ्रीका के दो सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक, अंगोला ने घोषणा की है कि वह उत्पादन कोटा पर विवाद के कारण तेल उत्पादकों के संगठन पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) से अलग हो रहा है।

    • OPEC तथा 10 सहयोगी देशों ने अस्थिर वैश्विक कीमतों को बढ़ाने के लिये 2024 में तेल उत्पादन में और अधिक कटौती करने का फैसला किया, जो अंगोला के अनुसार, कीमतों में गिरावट से बचने और अनुबंधों का सम्मान करने की उसकी नीति के विरुद्ध है।
    • OPEC (मुख्यालय विएना, ऑस्ट्रिया में) एक स्थायी, अंतरसरकारी संगठन है, जिसे 1960 में बगदाद सम्मेलन में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला द्वारा बनाया गया था।
    • अंगोला 2007 में समूह में शामिल हुआ और कार्टेल छोड़ने वाला पहला देश नहीं है।
    • इक्वाडोर, इंडोनेशिया और कतर सभी ने ऐसा ही किया है।
    • अंगोला के OPEC से अलग होने से उसके पास 12 सदस्य रह जाएँगे।

    और पढ़ें: छठी भारत-ओपेक ऊर्जा वार्ता

    कोपरा MSP में वृद्धि: किसानों और बाज़ारों को प्रोत्साहन 

    आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने हाल ही में खोपरा/कोपरा के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में उल्लेखनीय वृद्धि की घोषणा की, जिससे वर्ष 2024 सीज़न के (शस्य ऋतु) मिलिंग खोपरा के लिये ₹11,160 प्रति क्विंटल और बॉल कोपरा के लिये ₹12,000 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया।

    • इन समायोजनों का लक्ष्य मिलिंग कोपरा के लिये 51.84% और बॉल कोपरा के लिये 63.26% का पर्याप्त मार्जिन सुनिश्चित करना है, जिससे केरल, तमिलनाडु व कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों को लाभ होगा।
    • भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत खरीद के लिये केंद्रीय नोडल एजेंसियों (CNA) के रूप में कार्य करेंगे, जिससे खोपरा तथा छिलके वाले नारियल की खरीद के लिये निरंतर समर्थन सुनिश्चित होगा।
    • सरकार द्वारा निर्धारित MSP, यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनकी उपज के लिये गारंटीकृत राशि मिले। वर्ष 1965 से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कार्यरत कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP), उत्पादन लागत, बाज़ार के रुझान एवं मांग-आपूर्ति की गतिशीलता के आधार पर MSP की सिफारिश करता है।

    और पढ़ें: न्यूनतम समर्थन मूल्य

    एर्डवार्क पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:

    ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी के एक हालिया अध्ययन में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति उप-सहारा अफ्रीका (सहारा रेगिस्तान के दक्षिण) में एर्डवार्क (ऑरिक्टेरोपस एफर) की संवेदनशीलता पर प्रकाश डाला गया है।

    • अध्ययन से एक चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चलता है क्योंकि तेज़ी से शुष्क परिदृश्य एर्डवार्क  को अलग-थलग कर देते हैं, जिससे वे तेज़ी से जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
    • शुष्कीकरण (किसी क्षेत्र के शुष्क होने की एक क्रमिक प्रक्रिया) उनके वितरण और संचलन को प्रभावित करती है, जिससे दीर्घकालिक सूखे की संभावना अधिक हो जाती है, विशेष रूप से हॉर्न ऑफ अफ्रीका में।
    • एर्डवार्क, अफ्रीका का मूल निवासी रात्रिचर स्तनपायी, ट्यूबुलीडेंटाटा वर्ग से संबंधित है और इस समूह के भीतर एकमात्र जीवित प्रजाति है।
      • एर्डवार्क अफ्रीका के दक्षिणी दो-तिहाई भाग में मुख्य रूप से सवाना और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में पाए जाने वाले बिल में रहने वाले स्तनधारी हैं।
      • वे पारिस्थितिकी तंत्र के लिये आवश्यक हैं क्योंकि वे दीमकों को खाते हैं, जो मानव निर्मित संरचनाओं को हानि पहुँचा सकते हैं, और उनके बिल कई अन्य प्रजातियों के लिये महत्त्वपूर्ण आवास प्रदान करते हैं।
      • संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN लाल सूची: कम चिंताजनक श्रेणी

    और पढ़ें…वैश्विक जलवायु संकट और नेट ज़ीरो

    सरकार ने MLJK-MA को विधि विरुद्ध संगठन घोषित किया

    भारत सरकार ने मुस्लिम लीग जम्मू एवं कश्मीर (मसरत आलम गुट) / MLJK-MA को विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA), 1967 की धारा 3 (1) के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया है।

    • यह निर्णय राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में इस संगठन की कथित संलिप्तता, आतंकवाद के लिये स्पष्ट समर्थन तथा जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के प्रयासों को उकसाने में इसकी भूमिका के आलोक में लिया गया है।
    • MLJK-MA जम्मू-कश्मीर में पूर्व आतंकवादी मसर्रत आलम भट के नेतृत्त्व में एक अलगाववादी राजनीतिक संगठन है।
    • विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA), 1967 का उद्देश्य उद्देश्य शुरू में अलगाववादी आंदोलनों और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों की रोकथाम करना था, अब तक इसमें कई बार संशोधन किया गया है।
      • सबसे हालिया संशोधन वर्ष 2019 में नवीनतम में किया गया था, जिसके तहत आतंकवाद का वित्तपोषण, साइबर-आतंकवाद, और संपत्ति ज़ब्ती से संबंधित प्रावधान शामिल किये गए थे।
    • यह कानून राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) को UAPA के राष्ट्रव्यापी क्षेत्राधिकार के तहत मामलों की जाँच और मुकदमा चलाने का अधिकार प्रदान करता है।
      • UAPA 1967 की धारा 3(1) के अनुसार, यदि केंद्र सरकार की राय में किसी संघ की प्रकृति विधि विरुद्ध हो गई है, तो वह आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना के माध्यम से ऐसे संघ को विधि विरुद्ध घोषित कर सकती है।

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