भारतीय अर्थव्यवस्था
सेबी बोर्ड ने नियामक ढाँचे को स्वीकृति प्रदान की
- 01 Dec 2023
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), वैकल्पिक निवेश कोष (AIF), वित्तीय बेंचमार्क के लिये IOSCO सिद्धांत, सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियम, 1996, सेबी (रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट) विनियम, 2014, लघु और मध्यम REIT (SM REIT), सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE), ज़ीरो कूपन ज़ीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट्स (ZCZP)। मेन्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय मानकों और सिद्धांतों के अनुसार सेबी द्वारा पूंजी बाज़ार के लिये मज़बूत नियामक ढाँचा और इसकी आवश्यकता और महत्त्व। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) बोर्ड ने प्रतिभूति बाज़ार में वित्तीय बेंचमार्क को नियंत्रित एवं प्रशासित करने में पारदर्शिता तथा जवाबदेही बढ़ाने हेतु सूचकांक प्रदाताओं के लिये एक ढाँचे को स्वीकृति प्रदान की है।
सेबी द्वारा बनाए गए नए नियम:
- सूचकांक प्रदाताओं के पंजीकरण हेतु ढाँचा:
- सेबी ने सूचकांक प्रदाताओं के पंजीकरण के लिये एक ढाँचा स्थापित करने वाले नियमों को स्वीकृति प्रदान करने की घोषणा की। यह ढाँचा विशेष रूप से 'महत्त्वपूर्ण सूचकांकों' पर लागू होगा, जिन्हें सेबी वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर पहचानेगा।
- नियामक ढाँचा, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (IOSCO) वित्तीय बेंचमार्क के सिद्धांतों के अनुरूप है।
- सेबी ने सूचकांक प्रदाताओं के पंजीकरण के लिये एक ढाँचा स्थापित करने वाले नियमों को स्वीकृति प्रदान करने की घोषणा की। यह ढाँचा विशेष रूप से 'महत्त्वपूर्ण सूचकांकों' पर लागू होगा, जिन्हें सेबी वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर पहचानेगा।
- AIF निवेश हेतु डिमटेरियलाइज़ेशन (अभौतिकीकरण) की आवश्यकता:
- सेबी ने वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) के लिये सितंबर 2024 के बाद किये गए नए निवेश को डीमटेरियलाइज़्ड रूप में रखने की शुरुआत की।
- हालाँकि मौजूदा निवेश इस नियम के अधीन नहीं हैं, जब तक कि संबंधित कानून द्वारा आवश्यक न हो या जब तक AIF निवेशित कंपनी स्वयं या अन्य सेबी-पंजीकृत व्यवसायों के साथ संयोजन में नियंत्रित न हो।
- संरक्षकों की नियुक्ति का आदेश, जो पहले विशिष्ट AIF श्रेणियों पर लागू होता था, अब सभी AIF पर लागू होगा।
- सेबी ने वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) के लिये सितंबर 2024 के बाद किये गए नए निवेश को डीमटेरियलाइज़्ड रूप में रखने की शुरुआत की।
- सेबी (रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट) विनियमों में संशोधन:
- सेबी बोर्ड ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट् (REIT) के विनियमों में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की, ताकि कम-से-कम ₹50 करोड़ की संपत्ति मूल्य वाले लघु और मध्यम REIT (SM REIT) के लिये एक नियामक ढाँचा तैयार किया जा सके।
- विशेष प्रयोजन वाहनों (SPV)के माध्यम से लघु और मध्यम REIT (SM REIT) अपने रियल एस्टेट परिसंपत्ति स्वामित्व के लिये अलग योजनाएँ स्थापित करने में सक्षम होंगे।
- सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) ढाँचे में लचीलापन:
- सेबी ने गैर-लाभकारी संगठनों (NPO) द्वारा धन की उगाही (boost fundraising) को बढ़ावा देने के लिये सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) के ढाँचे में लचीलापन प्रदान किया।
- इसमें SSE पर NPO द्वारा ज़ीरो कूपन ज़ीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट्स (ZCZP) के सार्वजनिक निर्गमन हेतु न्यूनतम निर्गम आकार (issue size) और आवेदन आकार (application size) में कमी शामिल है, जिससे खुदरा निवेशकों सहित व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
- NPO के लिये नामावली में बदलाव (Nomenclature Change) और सुविधाजनक उपाय:
- सेबी ने सामाजिक क्षेत्र के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त करने के लिये नामकरण को "सामाजिक लेखा परीक्षक" से "सामाजिक प्रभाव मूल्यांकनकर्त्ता" में परिवर्तन को स्वीकृति प्रदान की है।
- इस उपाय का उद्देश्य SSE में शामिल NPO को राहत प्रदान करना और सामाजिक प्रभाव पहल के लिये सेबी के समर्थन को सुदृढ़ करना है।
प्रमुख शब्दावली:
- सूचकांक प्रदाता: यह वित्तीय सूचकांकों के मूल्यों, उन्हें बनाए रखने और गणना करने के लिये ज़िम्मेदार संस्था है। वित्तीय सूचकांक वित्तीय बाज़ारों के एक विशिष्ट खंड के प्रदर्शन का एक सांख्यिकीय माप है।
- वैकल्पिक निवेश कोष (AIF): AIF से तात्पर्य भारत में स्थापित किसी भी निवेश से है, जो एक निजी तौर पर एकत्रित निवेश माध्यम है जो अपने निवेशकों के लाभ के लिये एक परिभाषित निवेश नीति के अनुसार निवेश करने के लिये परिष्कृत निवेशकों, चाहे वह भारतीय हो या विदेशी, से धन एकत्र करता है।
- श्रेणियाँ:
- श्रेणी I AIF: सामान्यतः ये स्टार्ट-अप या शुरुआती चरण के उद्यमों में निवेश करते हैं जिन्हें सरकार या नियामक सामाजिक या आर्थिक रूप से वांछनीय मानते हैं।
- जैसे: उद्यम पूंजी निधि, अवसंरचना निधि।
- श्रेणी II AIF: ये वे AIF हैं जो श्रेणी I और III में नहीं आते हैं और जो सेबी (वैकल्पिक निवेश निधि) विनियम, 2012 के नियमों के अनुसार दिन-प्रतिदिन की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के अतिरिक्त अन्य लाभ या ऋण नहीं लेते हैं।
- जैसे: रियल एस्टेट फंड, निजी इक्विटी फंड।
- श्रेणी III AIF: ये AIF जो विविध या जटिल व्यापारिक रणनीतियों को नियोजित करते हैं और सूचीबद्ध या गैर-सूचीबद्ध संजातीय (derivatives) निवेश का लाभ उठा सकते हैं।
- जैसे: हेज (hedge) फंड, सार्वजनिक इक्विटी फंड में निजी निवेश।
- श्रेणी I AIF: सामान्यतः ये स्टार्ट-अप या शुरुआती चरण के उद्यमों में निवेश करते हैं जिन्हें सरकार या नियामक सामाजिक या आर्थिक रूप से वांछनीय मानते हैं।
- रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REIT): यह निवेश का वह साधन है, जो व्यक्तियों को संपत्ति का प्रत्यक्ष प्रबंधन या स्वामित्व किये बिना बड़े पैमाने पर रियल एस्टेट में निवेश करने और आय अर्जित करने की अनुमति प्रदान करता है।
- REIT, रियल एस्टेट परिसंपत्तियों के विविध पोर्टफोलियो में निवेश करने के लिये कई निवेशकों से पूंजी एकत्र करता है, जिसमें आवासीय या वाणिज्यिक संपत्तियाँ, शॉपिंग सेंटर, कार्यालय, होटल आदि शामिल हैं।
- सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE): SSE मौजूदा स्टॉक एक्सचेंज के भीतर एक अलग खंड के रूप में कार्य करेगा और सामाजिक उद्यमों को अपने तंत्र के माध्यम से सामान्य जन से धन एकत्रित करने में सहायता करेगा।
- यह उद्यमों के लिये अपनी सामाजिक पहलों हेतु वित्त प्राप्त करने, दृश्यता हासिल करने और धन एकत्रित करने और अधिक पारदर्शिता प्रदान करने के माध्यम के रूप में कार्य करेगा।
सेबी (SEBI):
- परिचय:
- सेबी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को स्थापित एक वैधानिक निकाय (एक गैर-संवैधानिक निकाय जिसे संसद द्वारा स्थापित किया गया) है।
- सेबी का मूल कार्य प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करना तथा प्रतिभूति बाज़ार को बढ़ावा देना एवं विनियमित करना है।
- सेबी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है तथा क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली में स्थित हैं।
- पृष्ठभूमि:
- सेबी के अस्तित्व में आने से पहले पूंजीगत मुद्दों का नियंत्रक (Controller of Capital Issues) नियामक प्राधिकरण था; इसे पूंजी मुद्दे (नियंत्रण) अधिनियम, 1947 के तहत अधिकार प्राप्त थे।
- अप्रैल 1988 में भारत सरकार के एक प्रस्ताव के तहत सेबी का गठन भारत में पूंजी बाज़ार के नियामक के रूप में किया गया था।
- प्रारंभ में सेबी एक गैर-वैधानिक निकाय था जिसे किसी भी तरह की वैधानिक शक्ति प्राप्त नहीं थी, लेकिन सेबी अधिनियम, 1992 के माध्यम से यह एक स्वायत्त निकाय बना और इसे वैधानिक शक्तियाँ प्रदान की गईं।
- संरचना:
- सेबी बोर्ड में एक अध्यक्ष और कई अन्य पूर्णकालिक और अंशकालिक सदस्य होते हैं।
- सेबी समय-समय पर तत्कालीन महत्त्वपूर्ण मुद्दों की जाँच हेतु विभिन्न समितियाँ भी नियुक्त करता है।
- इसके अतिरिक्त सेबी के निर्णय से असंतुष्ट संस्थाओं के हितों की रक्षा के लिये एक प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (Securities Appellate Tribunal- SAT) का गठन भी किया गया है।
- SAT में एक पीठासीन अधिकारी और दो अन्य सदस्य शामिल होते हैं।
- सेबी के पास वही शक्तियाँ हैं, जो एक दीवानी न्यायालय में निहित होती हैं। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति ‘प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण’ (SAT) के निर्णय या आदेश से सहमत नहीं है तो वह सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (IOSCO):
- परिचय:
- स्थापना: अप्रैल 1983
- मुख्यालय: मेड्रिड, स्पेन
- IOSCO का एशिया पैसिफिक हब (IOSCO Asia Pacific Hub) कुआलालंपुर, मलेशिया में स्थित है।
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो विश्व के प्रतिभूति नियामकों को एक साथ लाता है, IOSCO विश्व के 95% से अधिक प्रतिभूति बाज़ारों को कवर करता है तथा प्रतिभूति क्षेत्र के लिये वैश्विक मानक निर्धारक का कार्य करता है।
- यह प्रतिभूति बाज़ारों की मज़बूती हेतु मानक स्थापित करने के लिये G20 समूह और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) के साथ मिलकर कार्य करता है।
- वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय है, जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली के संदर्भ में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करता है।
- IOSCO के प्रतिभूति विनियमन के सिद्धांतों और लक्ष्यों को FSB द्वारा तर्कसंगत वित्तीय प्रणालियों के लिये प्रमुख मानकों के रूप में समर्थन प्रदान किया गया है।
- IOSCO की प्रवर्तन भूमिका का विस्तार ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक’ (IFRS) की व्याख्या के मामलों तक है, जहाँ IOSCO सदस्य एजेंसियों द्वारा की गई प्रवर्तन कार्रवाइयों का एक (गोपनीय) डेटाबेस रखा जाता है।
- IFRS एक लेखा मानक है जिसे अंतर्राष्ट्रीय लेखा मानक बोर्ड (IASB) द्वारा वित्तीय जानकारी के प्रस्तुतीकरण में पारदर्शिता बढ़ाने के लिये एक सामान्य लेखांकन भाषा प्रदान करने के उद्देश्य से जारी किया गया है।
- उद्देश्य:
- निवेशकों की सुरक्षा, निष्पक्ष, कुशल और पारदर्शी बाज़ारों को बनाए रखने तथा प्रणालीगत जोखिमों को दूर करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त एवं विनियमन, निरीक्षण व प्रवर्तन के मानकों का पालन सुनिश्चित करने, लागू करने और बढ़ावा देने में सहयोग करना।
- प्रतिभूति बाज़ारों की अखंडता में सूचना के आदान-प्रदान और कदाचार के खिलाफ प्रवर्तन में सहयोग तथा बाज़ारों एवं बाज़ार के मध्यस्थों की निगरानी में सहयोग के माध्यम से निवेशकों की सुरक्षा व विश्वास को बढ़ावा देने के लिये; और
- बाज़ारों के विकास में सहायता, बाज़ार के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने और उचित विनियमन को लागू करने के लिये अपने अनुभवों के आधार पर वैश्विक तथा क्षेत्रीय दोनों स्तरों पर जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिये।
- सदस्यता का महत्त्व:
- IOSCO, सदस्यों को साझा हितों के क्षेत्रों, वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिये मंच प्रदान करता है।
- सेबी IOSCO का सदस्य है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा उन विदेशी निवेशकों, जो स्वयं को सीधे पंजीकृत कराए बिना भारतीय स्टॉक बाज़ार का हिस्सा बनना चाहते हैं, निम्नलिखित में से क्या जारी किया जाता है? (2019) (a) जमा प्रमाण पत्र उत्तर: (d) |