भारतीय अर्थव्यवस्था
सोशल स्टॉक एक्सचेंज
- 02 Mar 2023
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प्रिलिम्स के लिये:नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, सेबी के ICDR विनियम 2018, ज़ीरो कूपन ज़ीरो प्रिंसिपल (ZCZP) इंस्ट्रूमेंट्स, डेवलपमेंट इम्पैक्ट बाॅण्ड। मेन्स के लिये:सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) की विशेषताएँ। |
चर्चा में क्यों?
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया को सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) स्थापित करने हेतु भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से अंतिम मंज़ूरी मिल गई है।
सोशल स्टॉक एक्सचेंज:
- परिचय:
- SSE मौजूदा स्टॉक एक्सचेंज के भीतर एक अलग खंड के रूप में कार्य करेगा और सामाजिक उद्यमों को अपने तंत्र के माध्यम से जनता से धन जुटाने में मदद करेगा।
- यह उद्यमों हेतु उनकी सामाजिक पहलों के लिये वित्त की व्यवस्था करने, दृश्यता हासिल करने और फंड जुटाने एवं उपयोग के बारे में बढ़ी हुई पारदर्शिता प्रदान करने हेतु एक माध्यम के रूप में काम करेगा।
- खुदरा निवेशक केवल मुख्य बोर्ड के तहत लाभकारी सामाजिक उद्यमों (Social Enterprises- SE) द्वारा प्रस्तावित प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते हैं।
- अन्य सभी मामलों में केवल संस्थागत निवेशक और गैर-संस्थागत निवेशक सामाजिक उद्यमों द्वारा जारी प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते हैं।
- पात्रता:
- कोई भी गैर-लाभकारी संगठन (Non-Profit Organisation- NPO) या लाभकारी सामाजिक उद्यम (FPSEs) जो सामाजिक प्रधानता का इरादा रखता है, को सामाजिक उद्यम के रूप में मान्यता दी जाएगी, जो इसे SSE में पंजीकृत या सूचीबद्ध होने के योग्य बनाएगा।
- सेबी के ICDR विनियम, 2018 के तहत 17 प्रशंसनीय मानदंड भूख, गरीबी और कुपोषण को खत्म करने के साथ-साथ शिक्षा, रोज़गार, समानता एवं पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने हेतु कार्य कर रहे हैं।
- अयोग्यता:
- कॉर्पोरेट क्षेत्र, राजनीतिक या धार्मिक संगठन, पेशेवर या व्यापार संघ, बुनियादी निर्माण एवं आवास कंपनियों (किफायती आवास को छोड़कर) को सामाजिक उद्यम हेतु गैर-लाभकारी संगठन के रूप में पहचाना नहीं जाएगा।
- जो गैर-लाभकारी संगठन अपनी फंडिंग के 50% से अधिक के लिये कॉर्पोरेट पर निर्भर हैं, उन्हें अयोग्य माना जाएगा।
- गैर-लाभकारी संगठनों द्वारा धन जुटाना:
- गैर-लाभकारी संगठन निजी नियोजन या सार्वजनिक निर्गम से ज़ीरो कूपन ज़ीरो प्रिंसिपल (ZCZP) इंस्ट्रूमेंट जारी करके या म्यूचुअल फंड से दान के माध्यम से धन जुटा सकते हैं।
- ZCZP बॉण्ड पारंपरिक बॉण्ड से इस अर्थ में भिन्न होते हैं कि इसमें ज़ीरो कूपन होता है और परिपक्वता पर कोई मूल भुगतान नहीं होता है।
- ZCZP जारी करने के लिये न्यूनतम निर्गम आकार वर्तमान में 1 करोड़ रुपए और सदस्यता हेतु न्यूनतम आवेदन आकार 2 लाख रुपए निर्धारित किया गया है।
- इसके अलावा डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉण्ड (Development Impact Bonds) परियोजना के पूरा होने पर उपलब्ध होते हैं और पूर्व-सहमत सामाजिक मेट्रिक्स पर पूर्व-सहमत लागतों/दरों पर वितरित किये जाते हैं।
- गैर-लाभकारी संगठन निजी नियोजन या सार्वजनिक निर्गम से ज़ीरो कूपन ज़ीरो प्रिंसिपल (ZCZP) इंस्ट्रूमेंट जारी करके या म्यूचुअल फंड से दान के माध्यम से धन जुटा सकते हैं।
- FPSE द्वारा धन जुटाना:
- FPSE को सोशल स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से धन जुटाने से पूर्व SSE के साथ पंजीकृत होने की आवश्यकता नहीं है।
- यह इक्विटी शेयर जारी करके अथवा सामाजिक प्रभाव कोष (Social Impact Fund) सहित किसी वैकल्पिक निवेश कोष को इक्विटी शेयर जारी करके अथवा ऋण लिखतों को जारी करके धन जुटा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) व्याख्या:
अतः विकल्प (C) सही उत्तर है। |