लोक नृत्य यक्षगान
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
15 वर्षीय प्रतिभाशाली तुलसी राघवेंद्र हेगड़े ने एक अग्रणी यक्षगान कलाकार के रूप में पहचान बनाई है। हाल ही में उन्हें रोटरी क्लब ऑफ मद्रास ईस्ट द्वारा यंग अचीवर अवार्ड 2024 से सम्मानित किया गया।
यक्षगान क्या है?
- परिचय: यक्षगान तटीय कर्नाटक का एक पारंपरिक लोक नृत्य-नाटक है जिसमें नृत्य, संगीत, गीत एवं विस्तृत वेशभूषा का संयोजन शामिल है।
- इसके नाम "यक्षगान" का अर्थ है "दिव्य संगीत" (यक्ष का अर्थ है दिव्य और गान का अर्थ है संगीत)। यह विद्वानों के संवादों एवं रात भर चलने वाले प्रदर्शनों के माध्यम से एक दिव्य विश्व को प्रस्तुत करता है।
- यक्षगान का आयोजन खुले आसमान के नीचे (अक्सर गाँव के धान के खेतों में, फसल कटने के बाद) किया जाता है। पारंपरिक रूप से पुरुषों द्वारा किया जाने वाला यक्षगान अब महिलाओं द्वारा भी किया जाता है, जो अब यक्षगान मेलों ( मंडलियों) का हिस्सा बन रहे हैं।
- यक्षगान के प्रमुख तत्व:
- प्रत्येक प्रदर्शन रामायण या महाभारत जैसे प्राचीन हिंदू महाकाव्यों की एक उप-कहानी (प्रसंग) पर केंद्रित होता है ।
- इन प्रदर्शनों में मंचीय अभिनय एवं कमेंट्री का संयोजन होता है, जिसमें मुख्य गायक कथा सुनाते हैं तथा साथ में इसमें पारंपरिक संगीत भी होता है।
- संगीत : यक्षगान संगीत में चंदे (ड्रम), हारमोनियम, मडेल, ताल (मिनी धातु क्लैपर) और बाँसुरी जैसे वाद्ययंत्रों का उपयोग किया जाता है, जो नर्तकों के लिये लयबद्ध वातावरण बनाते हैं।
- पोशाक : कलाकार विस्तृत और अनोखी वेशभूषा पहनते हैं, जिसमें सिर पर बड़ी टोपी, चेहरे पर रंगीन रंग, शरीर की पोशाक और पैरों में संगीतमय मालाएँ (गेज्जे) शामिल हैं।
- ये पोशाकें भारी होती हैं, इन्हें पहनने के लिये काफी ताकत की आवश्यकता होती है, तथा इनका प्रदर्शन कई घंटों तक चलता है।
- प्रत्येक प्रदर्शन रामायण या महाभारत जैसे प्राचीन हिंदू महाकाव्यों की एक उप-कहानी (प्रसंग) पर केंद्रित होता है ।
लोक नृत्य
- परिचय: यह नृत्य शैली पीढ़ियों से चली आ रही है, जो समुदाय के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और दैनिक जीवन को दर्शाती है, तथा पहचान व्यक्त करने और सांस्कृतिक विरासत को प्रसारित करने का काम करती है।
भारत के प्रमुख लोक नृत्य:
क्षेत्र |
लोक नृत्य शैली |
आंध्र प्रदेश |
बुर्राकथा, बुट्टा बोम्मालू |
असम |
बिहू |
बिहार |
बिरहा, जट-जटिन |
छत्तीसगढ |
गौर मारिया, राउत नाच |
गोवा |
तरंग मेल, फुगडी |
गुजरात |
गरबा |
हिमाचल प्रदेश |
चारबा |
जम्मू और कश्मीर |
दुम्हल |
झारखंड |
छऊ (सरायकेला) |
कर्नाटक |
यक्षगान, भूत आराधना, पटा कुनीथा |
केरल |
कुम्मी, कोलकालि-परिचकाली, पढ़यानी, कैकोट्टिकली, चकयार कुथु, मयिलाट्टम |
मध्य प्रदेश |
जवारा |
मणिपुर |
थांग टा |
मिज़ोरम |
चेराव |
नगालैंड |
रांगमा |
ओडिशा |
छऊ (मयूरभंज), पाइका, झूमर, डंडा-जात्रा, दलखई |
पंजाब |
भांगड़ा, गिद्दा, झूमर |
राजस्थान |
घूमर, कालबेलिया |
सिक्किम |
सिंघी छाम |
तमिलनाडु |
कुम्मी, मईलट्टम |
उतार प्रदेश। |
रासलीला, दादरा |
पश्चिम बंगाल |
छऊ (पुरुलिया), आलकाप |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न: निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं? (a). केवल 1 उत्तर: C |
ICA वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने संगठन के 130 वर्ष के इतिहास में पहली बार नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता गठबंधन (ICA) वैश्विक सहकारी सम्मेलन की मेजबानी की।
- इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 का शुभारंभ किया गया।
ICA वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- परिचय: यह सम्मेलन नेताओं, नीति निर्माताओं एवं हितधारकों को सहकारी आंदोलन को आगे बढ़ाने के क्रम में विभिन्न मुद्दों पर विचार करने, प्रथाओं को साझा करने एवं रणनीतियों हेतु एक मंच प्रदान करता है।
- इसका आयोजन अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) द्वारा किया जाता है। सहकारी मॉडल को बढ़ावा देने के लिये ICA की स्थापना वर्ष 1895 में की गई थी।
- विषय: इस सम्मेलन का विषय "सहकारिता सभी के लिये समृद्धि का निर्माण है" है, जो भारत सरकार के "सहकार से समृद्धि" के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- शामिल संगठन: यह कार्यक्रम इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र को-ऑपरेटिव लिमिटेड द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA), AMUL, कृषक भारती को-ऑपरेटिव लिमिटेड (KRIBHCO) एवं भारत सरकार के सहयोग से आयोजित किया गया था।
- संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025: भारत के प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 का शुभारंभ किया, जो “सहकारिता एक बेहतर विश्व का निर्माण करती है” विषय पर केंद्रित है।
- डाक टिकट: कमल की तस्वीर वाला एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया। कमल की पाँच पंखुड़ियाँ प्रकृति के पाँच तत्त्वों (पंचतत्त्व) का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिये सहकारी समितियों की प्रतिबद्धता को उज़ागर करती हैं।
- पंचतत्त्व में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश शामिल हैं।
भारत में सहकारिता
- संवैधानिक प्रावधान: 97 वें संविधान संशोधन, 2011 ने भारत में सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा और संरक्षण प्रदान किया।
- भारतीय संविधान में भाग IX B (अनुच्छेद 243-ZH से 243-ZT) जोड़ा गया जो सहकारी समितियों और उनके कामकाज से संबंधित है।
- इसने सहकारी समितियाँ बनाने के अधिकार को अनुच्छेद 19(1) के तहत मौलिक अधिकार बना दिया।
- सहकारी समितियों को बढ़ावा देने के लिये राज्य के नीति निदेशक तत्त्व, अनुच्छेद 43-B, को पेश किया गया।
- सहकारिता को बढ़ावा: सहकारिता आंदोलन को मज़बूत करने और जमीनी स्तर तक इसकी पहुँच बढ़ाने के लिये वर्ष 2021 में सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया था।
- केंद्र सरकार एक सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने की योजना बना रही है और एक नई सहकारी नीति भी लाने की योजना बना रही है।
- सहकारिता का योगदान: भारत में 8 लाख से अधिक सहकारी समितियाँ हैं तथा 98% ग्रामीण क्षेत्र इनके अंतर्गत आते हैं।
- भारत में लगभग 300 मिलियन लोग सहकारी समितियों से जुड़े हुए हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (A) केवल 1 उत्तर: B |
सिद्दी समुदाय
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म (रिदम ऑफ दम्मम) में भारत में हाशिये पर स्थित सिद्दी समुदाय पर प्रकाश डाला गया है।
- उत्पत्ति: ये 17वीं शताब्दी के अंत में पुर्तगालियों द्वारा ट्राँस-हिंद महासागर दास व्यापार के दौरान लाए गए अफ्रीकी दासों के वंशज हैं।
- ये नीग्रोइड के शारीरिक लक्षणों से समानता दर्शाते हैं।
- इन्हें हब्शी (Habshi) और बादशा (Badsha) जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है।
- वर्तमान स्थान: ये मुख्य रूप से भारत के पश्चिमी तट (विशेष रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों) के आस-पास रहते हैं।
- अनुसूचित जनजाति का दर्जा: भारत में केंद्र सरकार ने वर्ष 2003 में सिद्दी को अनुसूचित जनजातियों की सूची में वर्गीकृत किया।
- ये केंद्र की विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों की सूची में भी शामिल हैं।
- परिवार प्रणाली: इस समुदाय द्वारा सामान्यतः एकल परिवार प्रणाली को अपनाया जाता है।
- सांस्कृतिक अभिव्यक्ति: सिद्दी को अपने लोक संगीत एवं नृत्यों के लिये जाना जाता है जैसे धमाल और रसदा, जिसमें पुरुष धमाल नृत्य करते हैं।
और पढ़ें: भारत में जनजातियों के अधिकार
नॉर्वे ने ऐतिहासिक समावेशन नीतियों के लिये माफी मांगी
स्रोत: द हिंदू
नॉर्वे की संसद ने एक शताब्दी से चली आ रही "नॉर्वेजियनीकरण" नामक समावेशन नीतियों के लिये आधिकारिक माफी जारी की, जिसके तहत सामी, क्वेन और फॉरेस्ट फिन समुदायों के साथ भेदभाव किया जाता था।
- आत्मसातीकरण नीति विविध समूहों को प्रमुख संस्कृति में एकीकृत करने को बढ़ावा देती है, जिसके तहत प्रायः उन्हें इसके मानदंडों, मूल्यों और भाषा को अपनाने की आवश्यकता होती है, जिससे कभी-कभी उनकी अपनी सांस्कृतिक पहचान भी समाप्त हो जाती है।
- नॉर्वेइजेशन प्रक्रिया का उद्देश्य सामी, क्वेन और फॉरेस्ट फिन्स की संस्कृतियों और भाषाओं को मिटाना था।
- मूलनिवासी बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर सरकारी स्कूलों में भेज दिया गया, जहाँ उन्हें भेदभाव और जबरन सांस्कृतिक परिवर्तन का सामना करना पड़ा।
- सामी: उत्तरी यूरोप के मूल निवासी, मुख्यतः नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड और रूस के लोग सामी भाषा बोलते हैं, जो लुप्तप्राय है।
- क्वेन और फॉरेस्ट फिन्स: फिनलैंड और स्वीडन से आये प्रवासी जो सदियों पहले नॉर्वे में बस गए थे, जिनकी सांस्कृतिक प्रथाएँ अलग थीं।
और पढ़ें: जनजातीय विकास दृष्टिकोण
समोस द्वीप
स्रोत: द हिंदू
ग्रीक द्वीप सामोस के निकट जहाज़ दुर्घटना में आठ प्रवासियों की मौत हो गई, जिससे इस क्षेत्र में लगातार प्रवास की वर्तमान चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।
- समोस और आस-पास के एजियन द्वीप तुर्की से अवैध रूप से यूरोपीय संघ में प्रवेश करने वाले प्रवासियों के लिये प्रमुख पारगमन बिंदु हैं। वर्ष 2024 में 54,000 से अधिक प्रवासी अवैध रूप से ग्रीस में प्रवेश कर चुके हैं।
- कई लोगों को असुरक्षित, भीड़भाड़ वाली नावों में खतरनाक यात्रा का सामना करना पड़ता है, जिनमें लीबिया से जोखिम भरे भूमध्यसागरीय मार्ग भी शामिल हैं।
- समोस द्वीप ग्रीस में स्थित है, जो पूर्वी एजियन सागर पर एशिया माइनर तुर्की तट से सिर्फ 1,700 मीटर की दूरी पर स्थित है।
- वर्तमान तुर्की का अधिकांश भाग एशिया माइनर में स्थित है, जिसे अनातोलिया के नाम से भी जाना जाता है, जो एशिया का सबसे पश्चिमी क्षेत्र है।
- यूनेस्को विरासत स्थल, हेरा (हेरायन) का प्राचीन मंदिर और समोस का किलाबंद प्राचीन शहर (पाइथागोरियन) इस द्वीप पर स्थित हैं। यूनानी गणितज्ञ और दार्शनिक पाइथागोरस का जन्म भी यहीं हुआ था।
और पढ़ें: ग्रीक द्वीप लेस्बोस
सियाचिन में ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
पहली बार, भारतीय सेना ने हाई स्पीड ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिये सियाचिन और दौलत बेग ओल्डी (DBO) में ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी सफलतापूर्वक स्थापित की है।
- फाइबर ऑप्टिक केबल डिजिटल जानकारी को स्थानांतरित करने के लिये प्रकाश की तेज़ गति से यात्रा करने वाली तरंगों का उपयोग करते हैं। यह अपने संचालन के लिये पूर्ण आंतरिक परावर्तन पर निर्भर करता है।
- सियाचिन विश्व का सबसे ऊँचा और सबसे ठंडा युद्धक्षेत्र है। यह रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योकि इसके बाईं ओर पाकिस्तान तथा दाईं ओर चीन स्थित है।
- यह नुब्रा घाटी के उत्तर में स्थित है, जहाँ से नुब्रा नदी प्रवाहित होती है।
- नुब्रा नदी, जो श्योक नदी की एक सहायक नदी है, सियाचिन ग्लेशियर से निकलती है, यह सिंधु नदी प्रणाली का हिस्सा है।
- सके अतिरिक्त, सियाचिन ग्लेशियर से काराकोरम पर्वतमाला में नुब्रा घाटी भी देखी जा सकती है।
- वर्ष 1984 में भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन मेघदूत चलाकर पाकिस्तान द्वारा कब्ज़ा करने से पहले साल्टोरो रिज ग्लेशियर पर नियंत्रण कर लेने के बाद से सियाचिन भारत के क्षेत्राधिकार में है।
- यह नुब्रा घाटी के उत्तर में स्थित है, जहाँ से नुब्रा नदी प्रवाहित होती है।
- DBO एक भारतीय सैन्य अड्डा है, जो भारत के सबसे उत्तरी छोर पर कराकोरम पर्वतमाला में स्थित है।
और पढ़ें: सियाचिन ग्लेशियर