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बुकर पुरस्कार का दासता से संबंध
- 10 May 2024
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में साहित्य जगत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक, ‘बुकर पुरस्कार’ की अपने मूल प्रायोजक, ‘बुकर समूह’ की दासता से जुड़े ऐतिहासिक संबंधों के कारण आलोचना हुई है।
- यह दावा किया जाता है कि 1800 के दशक की शुरुआत में कंपनी के संस्थापक जॉर्ज और जोसियस बुकर ने कथित तौर पर करीब 200 व्यक्तियों को दास बनाया गया था।
बुकर पुरस्कार के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- इस पुरस्कार की स्थापना 1969 में टॉम माश्लर और ग्राहम सी. ग्रीन द्वारा की गई थी।
- बुकर पुरस्कार प्रतिवर्ष किसी भी राष्ट्रीयता के लेखक द्वारा मूल रूप से अंग्रेज़ी में लिखे गए और यू. के. और/या आयरलैंड में प्रकाशित साहित्य के सर्वश्रेष्ठ लेखक को प्रदान किया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार अंग्रेज़ी में अनुवादित कार्यों के लिये एक अलग पुरस्कार है।
- बुकर पुरस्कार के विजेता को 50,000 पाउंड का नकद पुरस्कार मिलता है। इसके अतिरिक्त, चुने गए प्रत्येक लेखक को 2,500 पाउंड का पुरस्कार दिया जाता है।
- आयरिश लेखक पॉल लिंच ने अपने उपन्यास 'पैगंबर सॉन्ग' के लिये 2023 बुकर पुरस्कार जीता है।
बुकर पुरस्कार दासता और गिरमिटिया श्रम से कैसे संबंधित है?
- वर्ष 1815 में पेरिस की संधि के माध्यम से ब्रिटेन ने गुयाना पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया।
- गुयाना दक्षिण अमेरिका का एक देश है जिसकी सीमा पूर्व में सूरीनाम, दक्षिण में ब्राज़ील और पश्चिम में वेनेज़ुएला से लगती है।
- इसकी अर्थव्यवस्था चीनी और कपास उद्योगों द्वारा संचालित थी, जिसमें अफ्रीकी दास बागानों में श्रम प्रदान करते थे।
- ब्रिटिश गुयाना में अफ्रीकी दासों का उपयोग 19वीं शताब्दी के दौरान इस क्षेत्र में दासता के इतिहास को दर्शाता है।
- बुकर ब्रदर्स जोसियस और जॉर्ज ब्रिटिश गुयाना की शोषणकारी दास-आधारित अर्थव्यवस्था में शामिल थे। एक कपास बागान में, उन्होंने लगभग 200 लोगों को दास बनाया।
- वर्ष 1834 में गुयाना में दासता समाप्त होने और अफ्रीकी दासों को मुक्ति मिलने के बाद, बुकर बंधुओं को 52 मुक्त दासों के लिये कुल 2,884 पाउंड (वर्ष 2020 में 378,000 पाउंड के बराबर) मुआवज़ा मिला।
- बुकर बंधुओं ने ब्रिटिश सरकार को भारत से प्रतिस्थापित चीनी श्रमिकों को एकत्रित करने के लिये यात्राओं का वित्तपोषण करने के लिये मनाया।
- इससे भारतीय श्रमिकों का शोषण हुआ, जिन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों के कारण कर्ज़ और बेरोज़गारी का सामना करना पड़ा और ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा गुयाना भेज दिया गया।
- गिरमिटिया श्रम प्रणाली लगभग 1920 के दशक तक चली, जिसके कारण भारत से गुयाना में मज़दूरों का एक महत्त्वपूर्ण प्रवास हुआ।
- प्रवासन के पैमाने के कारण भारतीय मूल के लोग अब गुयाना में सबसे बड़ा जातीय समूह हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित है? (2013)
उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित में से किस समूह के सभी चारों देश G20 के सदस्य हैं? (2020) (a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका एवं तुर्की उत्तर: (a) |