विब्रियो वुल्निफिकस संक्रमण
स्रोत: डाउन टू अर्थ
हाल के वर्षों में भारत समुद्री वातावरण में पाए जाने वाले घातक बैक्टीरिया विब्रियो वुल्निफिकस के बढ़ते संक्रमण के कारण चिंतित है।
- इसके संभावित खतरे के बावजूद, यह रोगजनक भारत में काफी हद तक कम रिपोर्ट किया गया है।
विब्रियो वुल्निफिकस:
- परिचय:
- विब्रियो वुल्निफिकस एक जीवाणु है जो मनुष्यों में गंभीर संक्रमण उत्पन्न कर सकता है। यह अधपके समुद्री भोजन, विशेषकर सीप खाने से हो सकता है, जिसमें हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं।
- वाहक:
- यह सामान्यतः दो मुख्य मार्गों के माध्यम से अनुबंधित होता है: संक्रमित रॉ शैलफिश का सेवन करने से और घावों के दूषित जल के संपर्क में आने से।
- यह समुद्री जीवों जैसे ईल, डर्बी, तिलापिया, ट्राउट और झींगा के माध्यम से फैलता है।
- समुद्री जीवों में इसका पहला मामला वर्ष 1975 में जापानी ईल में दर्ज़ किया गया था। मनुष्यों में वी. वुल्निफिकस का पहला मामला वर्ष 1976 में अमेरिका में दर्ज़ किया गया था।
- यह रोगजनक वर्ष 1985 में आयातित ईल के माध्यम से स्पेन पहुँचा था।
- वर्ष 2018 में, भारत ने केरल के एक तिलापिया फार्म में वी. वुल्निफिकस के प्रकोप का दस्तावेज़ीकरण किया।
- मूल रूप से अफ्रीका और पश्चिम एशिया की तिलापिया विश्व स्तर पर सबसे अधिक कारोबार वाली खाद्य मछलियों में से एक है।
- यह सामान्यतः दो मुख्य मार्गों के माध्यम से अनुबंधित होता है: संक्रमित रॉ शैलफिश का सेवन करने से और घावों के दूषित जल के संपर्क में आने से।
- लक्षण:
- वी. वुल्निफिकस संक्रमण के लक्षणों में डायरिया, उल्टी, बुखार और, गंभीर मामलों में, माँस खाने से होने वाली बीमारियाँ शामिल हैं जो कुछ ही दिनों में घातक हो सकती हैं।
- भारत में वी. वुल्निफिकस के पक्ष में पर्यावरणीय कारक:
- यह जीवाणु 20°C से ऊपर गर्म जल में पनपता है। भारत की समुद्री सतह का औसत तापमान 28°C इसे एक आदर्श आवास स्थान प्रदान करता है।
- बढ़ी हुई वर्षा एवं कम तटीय लवणता के साथ जलवायु परिवर्तन, वी. वुल्निफिकस के विकास को और बढ़ावा देता है।
- यह जीवाणु 20°C से ऊपर गर्म जल में पनपता है। भारत की समुद्री सतह का औसत तापमान 28°C इसे एक आदर्श आवास स्थान प्रदान करता है।
- परिणाम:
- वी.वुल्निफिकस संक्रमण में शीघ्र निदान और उपचार के बावज़ूद भी उच्च मृत्यु दर 15% से 50% तक होती है।
- वैसी आबादी जो शारीरिक रूप से कमज़ोर है, अर्थात् जो क्रोनिक लीवर रोग, कैंसर, क्रोनिक किडनी रोग और मधुमेह से पीड़ित हैं, में इस रोग का जोखिम बढ़ जाता है।
- इस संक्रमण के कारण अंग विच्छेदन (Limb Amputations) करना (शरीर के किसी हिस्से, जैसे हाथ या पैर को शल्यचिकित्सा से हटाना) पड़ सकता है, जिससे यह एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता का विषय बन जाता है।
वैश्विक प्रसार:
- वी. वुल्निफिकस जोखिम को कम करने के उपाय:
- स्वास्थ्य देखभाल जागरूकता: यह सुनिश्चित करना चाहिये कि समुद्र तटीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर वी. वुल्निफिकस संक्रमण के जोखिमों से अवगत हों, साथ ही प्रासंगिक लक्षणों वाले रोगियों का परीक्षण किया जाना भी आवश्यक है।
- पूर्वानुमानित उपकरण: शोधकर्त्ता समुद्री सतह के तापमान और फाइटोप्लांकटन के स्तर की निगरानी के लिये उपग्रह-आधारित सेंसर का उपयोग करके जोखिम-चेतावनी उपकरण विकसित कर रहे हैं, जो बढ़े हुए वी. वुल्निफिकस संक्रमण से जुड़े हैं।
- जापान में प्रचलित मौसमी खाद्य उपभोग से सीख: जापान में, सीप और मसल्स जैसे समुद्री द्विकपाटी जीवों (Bivalves) का सेवन केवल सर्दियों में किया जाता है, गर्मियों के दौरान इनके सेवन से परहेज़ किया जाता है क्योंकि इस मौसम में बैक्टीरिया का स्तर अधिक होता है। खान-पान का यह अभ्यास संक्रमण के जोखिम को काफी कम कर देता है।
निर्यातित उत्पादों पर शुल्कों और करों में छूट की योजना
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट की योजना (RoDTEP), जिसे शुरुआत में 30 सितंबर 2023 तक अधिसूचित किया गया था, मौज़ूदा निर्यात वस्तुओं पर लागू समान दरों के साथ 30 जून 2024 तक बढ़ा दी गई है।
RoDTEP योजना:
- परिचय:
- निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट की योजना (RoDTEP) भारत के निर्यातकों को समर्थन देने में एक महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में उभरी है।
- यह मौज़ूदा निर्यात प्रोत्साहन योजना, मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया (MEIS) की जगह 1 जनवरी, 2021 को प्रारंभ हो गई।
- यह परिवर्तन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के फैसले से प्रेरित था, जिसने वस्तुओं के व्यापक स्पेक्ट्रम के लिये निर्यात सब्सिडी के प्रावधान के कारण MEIS योजना के WTO नियमों के उल्लंघन का निर्धारण किया था।
- योजना के तहत छूट निर्यात के FOB (फ्रेट ऑन बोर्ड) मूल्य के अनुमत प्रतिशत के आधार पर दी जाती है और हस्तांतरणीय शुल्क क्रेडिट/इलेक्ट्रॉनिक स्क्रिप (ई-स्क्रिप) के रूप में जारी की जाती है, जिसका विवरण केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) द्वारा एक डिजिटल बहीखाते में रखा जाता है। ।
- RoDTEP समिति राजस्व विभाग के अंतर्गत कार्य करती है।
- इसकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी RoDTEP योजना के तहत विभिन्न निर्यात क्षेत्रों के लिये अधिकतम दरों की समीक्षा और सिफारिश करना है।
- उद्देश्य:
- इसका प्राथमिक उद्देश्य निर्यातित उत्पादों के उत्पादन और वितरण के दौरान लगने वाले शुल्कों एवं करों में छूट देकर निर्यातकों को व्यापक सहायता प्रदान करना है।
- महत्त्वपूर्ण बात यह है कि RoDTEP केंद्रीय, राज्य और स्थानीय स्तरों पर करों, शुल्कों तथा लेवी को शामिल करता है, जिन्हें किसी अन्य मौजूदा तंत्र के माध्यम से वापस नहीं किया जाता है।
- वित्तीय आवंटन:
- वित्तीय वर्ष 2023-24 में, भारत सरकार ने RoDTEP योजना का समर्थन करने के लिये 15,070 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है।
- हितधारकों की वचनबद्धता:
- समिति ने हाल ही में निर्यात संवर्धन परिषदों (EPC) और चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के साथ जुड़कर अपनी गतिविधियाँ शुरू की हैं।
फ्रेट ऑन बोर्ड:
- फ्रेट ऑन बोर्ड या फ्री ऑन बोर्ड (FOB) एक शिपमेंट शब्द है जो आपूर्ति शृंखला में उस बिंदु को परिभाषित करता है जब कोई खरीदार या विक्रेता परिवहन की जा रही वस्तु के लिये उत्तरदायी हो जाता है। खरीदारों और विक्रेताओं के बीच खरीद आदेश FOB शर्तों को निर्दिष्ट करते हैं तथा स्वामित्व, जोखिम एवं परिवहन लागत निर्धारित करने में सहायता करते हैं।
- "FOB ओरिजिन" का अर्थ है कि खरीदार शिपमेंट बिंदु पर वस्तु का शीर्षक स्वीकार करता है और विक्रेता द्वारा उत्पाद भेजने के बाद सभी प्रकार के जोखिम लेता है।
- यदि पारगमन के दौरान सामान क्षतिग्रस्त हो जाता है या खो जाता है तो खरीदार उसका ज़िम्मेदार होता है।
- "FOB डेस्टिनेशन" का अर्थ है कि विक्रेता वस्तु का शीर्षक और पारगमन के दौरान सभी ज़िम्मेदारी तब तक बरकरार रखता है जब तक कि वस्तु खरीदार तक नहीं पहुँच जाती।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 सितंबर, 2023
वहीदा रहमान को दादा साहब फाल्के पुरस्कार
- भारतीय सिनेमा क्लासिक्स में उनकी महान भूमिकाओं के लिये प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री वहीदा रहमान को प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 2021 से सम्मानित किया गया है।
- यह पुरस्कार 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा।
- दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार सिनेमा जगत में भारत की सर्वोच्च सम्मान है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में फिल्म महोत्सव निदेशालय द्वारा प्रदान किया जाता है।
- इस पुरस्कार का नाम भारतीय फिल्म निर्माता दादा साहब फाल्के के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने भारत की पहली लंबी फीचर फिल्म, राजा हरिश्चंद्र (1913) का निर्देशन किया था।
- भारतीय सिनेमा के प्रति उनके अटूट समर्पण, प्रतिबद्धता और पेशेवर उत्कृष्टता के लिये वहीदा रहमान को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार, पद्म श्री तथा पद्म भूषण जैसे पुरस्कार से भी पुरस्कृत किया गया।
DNA नैनोबॉल रणनीति
- एक उल्लेखनीय वैज्ञानिक विकास की दिशा में, डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) नैनोबॉल रणनीति चिकित्सा क्षेत्र में रोगजनकों का तेज़ी से पता लगाने के लिये एक अभूतपूर्व, लागत प्रभावी तकनीक के रूप में उभरी है।
- DNA नैनोबॉल रणनीति तेज़ी से रोगजनक का पता लगाने के लिये न्यूक्लिक एसिड-आधारित डायग्नोस्टिक्स और लूप-मध्यस्थ इज़ोटेर्मल एम्प्लीफिकेशन (LAMP) तकनीक को जोड़ती है।
- LAMP एक ऐसी प्रक्रिया है जो गोलाकार DNA अणुओं को लंबे स्ट्रैंड में विस्तारित करती है जिसमें DNA की कई प्रतियाँ होती हैं। ये तार फिर गोलाकार संरचनाओं में बदल जाते हैं जिन्हें DNA नैनोबॉल कहा जाता है, जिन्हें माइक्रोस्कोप द्वारा सरलता से देखा जा सकता है।
- निदान का समर्थन करने के लिये इस डिज़ाइन को प्रयोगशाला तकनीकों की आवश्यकता नहीं है। यह एक कम लागत वाली तकनीक है जिसे व्यापक रूप से तैनात और स्केलेबल किया जा सकता है।
और पढ़ें: कोविड-19 टेस्ट के लिये चित्रा जीन LAMP-N
भारत का डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा: एक वैश्विक मॉडल
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्री ने विश्व बैंक द्वारा आयोजित "दक्षिण-दक्षिण ज्ञान साझाकरण शृंखला" में भाग लिया, जिसमें भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) और अफ्रीकी देशों के लिये एक मॉडल के रूप में इसकी क्षमता पर ध्यान केंद्रित किया गया, हाल ही में G20 में भारत की अध्यक्षता के दौरान विशेष रूप से अफ्रीकी संघ को शामिल किया गया।
- वैश्विक सशक्तिकरण के लिये प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता इंटरनेट को परिवर्तन, लचीलेपन, सुरक्षा और विश्वास का समर्थक बनाने के अपने लक्ष्य के साथ संरेखित होती है, जो लोगों के जीवन पर प्रौद्योगिकी के गहरे प्रभाव में भारत को वैश्विक मामले के अध्ययन के रूप में स्थापित करती है।
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महामारी के बीच MSME को राहत देने हेतु सरकार ने 256 करोड़ रुपए से अधिक का अनुदान दिया
भारत सरकार ने विवाद से विश्वास - I योजना के तहत 10,000 से अधिक दावों को स्वीकार करके सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को राहत प्रदान की है, जिसका उद्देश्य कोविड-19 महामारी के दौरान इन व्यवसायों का समर्थन करना है।
- विवाद से विश्वास- I योजना, MSME के लिये राहत योजना केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा 2023-24 के बजट भाषण के दौरान पेश की गई थी और इसे गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल के माध्यम से लॉन्च किया गया था।
- इसने MSME को राहत के लिये दावे प्रस्तुत करने की अनुमति दी, जिसमें कटौती की गई प्रदर्शन सुरक्षा, बोली सुरक्षा और परिसमाप्त क्षति के 95% की वापसी, साथ ही अनुबंध निष्पादन चूक के कारण प्रतिबंध का सामना करने वाले MSME के लिये सहायता शामिल है।
और पढ़ें… सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम