प्रारंभिक परीक्षा
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार
- 29 Sep 2022
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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने वर्ष 2020 का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार प्रसिद्ध अभिनेत्री आशा पारेख को देने की घोषणा की है। यह पुरस्कार नई दिल्ली में आयोजित होने वाले 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा।
- इससे पहले रजनीकांत (2019) और अमिताभ बच्चन (2018) को यह पुरस्कार मिल चुका है।
पुरस्कार के बारे में:
- परिचय:
- दादा साहेब फाल्के पुरस्कार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों- फिल्म उद्योग में सम्मान का एक उच्च प्रतिष्ठित संग्रह, का हिस्सा है। इस पुरस्कार का नाम धुंडीराज गोविंद फाल्के के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने वर्ष 1913 में भारत की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र प्रस्तुत की थी।
- इस पुरस्कार को भारतीय फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। यह "भारतीय सिनेमा की वृद्धि और विकास में उत्कृष्ट योगदान" के लिये दिया जाता है।
- पृष्ठभूमि:
- इस पुरस्कार की स्थापना सरकार द्वारा वर्ष 1969 में की गई थी। इस पुरस्कार के तहत एक 'स्वर्ण कमल', 10 लाख रुपए का नकद, एक प्रमाण पत्र, रेशम की एक पट्टिका और एक शॉल दिया जाता है।
- यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री, जूरी के अध्यक्षों, फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रतिनिधियों तथा अखिल भारतीय सिने कर्मचारियों के परिसंघ (Confederation of All India Cine Employees) सहित वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में प्रदान किया जाता है।
- वर्ष 1969 में देविका रानी रोरिक को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
धुंडीराज गोविंद ‘दादासाहेब' फाल्के:
- उनका जन्म वर्ष 1870 में महाराष्ट्र के त्र्यंबक में हुआ था। उन्होंने इंजीनियरिंग और मूर्तिकला का अध्ययन किया तथा वर्ष 1906 में आई मूक फिल्म ‘द लाइफ ऑफ क्राइस्ट’ देखने के बाद मोशन पिक्चर्स/चलचित्र में उनकी रुचि बढ़ी।
- फिल्मों में आने से पहले फाल्के ने एक फोटोग्राफर के रूप में काम किया, एक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक बने और यहाँ तक कि प्रसिद्ध चित्रकार राजा रवि वर्मा के साथ भी काम किया।
- वर्ष 1913 में,फाल्के ने भारत की पहली फीचर फिल्म (मूक) राजा हरिश्चंद्र की पटकथा लिखी, उसे निर्मित और निर्देशित किया। अपनी व्यावसायिक सफलता के परिणामस्वरूप फाल्के ने अगले 19 वर्षों में 95 अन्य फीचर फिल्मों के निर्माण के साथ ही 26 लघु फिल्में बनाईं।
- उन्हें "भारतीय सिनेमा के जनक" (Father of Indian Cinema) के रूप में जाना जाता है।