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भारतीय अर्थव्यवस्था

CBDT और EBIC का विलय नहीं

  • 07 Jul 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड

मेन्स के लिये:

CBDT और EBIC का विलय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक प्रमुख समाचार पत्र में 'केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड' (Central Board of Direct Taxes- CBDT) और 'केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड' (Central Board of Indirect Taxes and Customs- CBIC) के विलय का अप्रमाणित समाचार प्रकाशित होने के बाद केंद्र सरकार को मामलें में स्पष्टीकरण देना पड़ा।

प्रमुख बिंदु:

  • केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन दो बोर्डों के विलय का अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं है।
  • CBDT और CBIC बोर्डों का गठन 'केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम' (Central Board of Revenue Act)- 1963 के तहत किया गया है।
  • प्रकाशित अप्रमाणित न्यूज़, पत्रकारिता में निम्न स्तरीय गुणवत्ता को दर्शाता है।  

क्या था मामला?

  • एक प्रमुख समाचार पत्र ने अपनी रिपोर्ट को प्रकाशित करने के लिये 'कर प्रशासनिक सुधार आयोग' (Tax Administrative Reforms Commission- TARC) की सिफारिशों को आधार बनाया तथा न्यूज़ से जुड़े तथ्यों को वित्त मंत्रालय के आवश्यक सत्यापन के बिना मुख्य पेज पर प्रकाशित किया। 
  • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि सरकार द्वारा TARC के दोनों बोर्डों के विलय की सिफारिश को पहले ही अस्वीकार कर दिया गया था।

TARC की सिफरिशें:

  • वर्ष 2014 में ‘कर प्रशासनिक सुधार आयोग’ (TARC) ने CBDT तथा CBEC (वर्ष 2014 में CBIC को CBEC के रूप में जाना जाता था) के विलय की सिफारिश की थी। 
  • TARC द्वारा CBDT और CBEC को अगले 10 वर्षों में पूरी तरह से एकीकृत किये जाने की सिफारिश की गई थी।
  • TARC ने अगले 5 वर्षों में केंद्रीय प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के तहत एक एकीकृत प्रबंधन संरचना को अपनाने की भी सिफारिश की थी।

TARC का अवलोकन:

  • वर्तमान संगठनात्मक संरचना में 'केंद्रीय प्रशासन प्रत्यक्ष कर बोर्ड' (CBDT) और 'केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड' (CBEC) में शीर्ष कर प्रशासक राजस्व सचिव होता है। राजस्व सचिव एक कर प्रशासन विशेषज्ञ न होकर समान्यज्ञ होता है।
  • प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्रशासन के बीच एक कृत्रिम अलगाव है। CBDT और CBEC के बीच सहयोग का अभाव है।
  • भारत में कर प्रशासन और करदाताओं के बीच सबसे अधिक कर विवाद देखने को मिलते हैं जिसमें बकाया कर की वसूली का अनुपात बहुत कम है।
  • CBDT और CBEC सदस्यों का चयन विशेषज्ञता, नीति अनुभव आदि पर विचार किये बिना वरिष्ठता के आधार पर किया जाता है।

सरकार का पक्ष:

  • सरकार द्वारा दोनों बोर्डों के विलय के प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया गया तथा करदाताओं के लिये अन्य मैत्रीपूर्ण सुधारों जैसे इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन या लेन-देन को लागू करना आदि के कार्यान्वयन पर बल दिया गया।

CBIC और CBDT:

  •  'केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड' और 'केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड' का गठन वर्ष 1963 में 'केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम'- 1963 के माध्यम से केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन किया गया था।
  • ये दोनों ही संस्थाएँ सांविधिक निकाय (Statutory Body) हैं। 
  • CBIC के कार्य:
    • ‘केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड’ (CBIC) को पूर्व में 'केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड' (CBEC) के रूप में जाना जाता था।
    • CBIC के कार्यों में लेवी और सीमा शुल्क संग्रहण, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, ‘केंद्रीय माल और सेवा कर’ (CGST) और ‘एकीकृत माल और सेवा कर’ (IGST) के संग्रह तथा संबंधित कार्यों के संबंध में नीति तैयार करना शामिल है।
  • CBDT के कार्य:
    • CBDT प्रत्यक्ष करों से संबंधित नीतियों एवं योजनाओं के संबंध में महत्त्वपूर्ण इनपुट प्रदान करने के साथ-साथ आयकर विभाग की सहायता से प्रत्यक्ष करों से संबंधित कानूनों को प्रशासित करता है।

स्रोत: पीआईबी

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