प्रारंभिक परीक्षा
उपग्रह प्रौद्योगिकी दिवस 2024
स्रोत: इसरो
बंगलुरु स्थित अंतरिक्ष विभाग के यू. आर. राव उपग्रह केंद्र {जिसे पहले इसरो सैटेलाइट सेंटर (ISAC)} के नाम से जाना जाता था) में हाल ही में उपग्रह प्रौद्योगिकी दिवस 2024 मनाया गया, यह दिवस 19 अप्रैल, 1975 को भारत के पहले उपग्रह प्रक्षेपण, आर्यभट्ट की 50 वीं वर्षगाँठ को चिह्नित करता है।
- इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाने वाले चंद्रयान-3, आदित्य-L1 और एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट जैसे हालिया मिशनों के साथ-साथ यू. आर. राव उपग्रह केंद्र (URSC) की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया।
आर्यभट्ट उपग्रह से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- आर्यभट्ट अंतरिक्ष यान का नाम 5वीं शताब्दी के महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री ‘आर्यभट्ट’ के नाम पर रखा गया था, यह भारत का पहला उपग्रह था। इसे पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन और निर्मित किया गया था तथा 19 अप्रैल, 1975 को इसे रूस के ‘कपुस्टिन यार’ नामक स्थान से प्रमोचित किया गया था।
- आर्यभट्ट उपग्रह के प्रमोचन के साथ ही भारत अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने वाला विश्व का 11वाँ देश बना।
- आर्यभट्ट का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा एक्स-रे खगोल विज्ञान, एरोनॉमिक्स और सौर भौतिकी में प्रयोग करने के लिये किया गया था।
आर्यभट्ट उपग्रह |
|
पेलोड |
एक्स-रे खगोल विज्ञान, एरोनोमी और सौर भौतिकी |
प्रक्षेपण स्थल |
वोल्गोग्राड लॉन्च स्टेशन (वर्तमान में रूस में) |
प्रक्षेपण यान |
C-1 इंटरकॉसमॉस |
यू. आर. राव सैटेलाइट सेंटर:
- यू. आर. राव सैटेलाइट सेंटर का नाम ISRO के पूर्व अध्यक्ष डॉ. उडुपी रामचंद्र राव के नाम पर रखा गया है, यह ISRO का प्रमुख केंद्र है जो संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, वैज्ञानिक और छोटे उपग्रह मिशनों के डिज़ाइन, विकास, चेकआउट एवं एकीकरण के लिये ज़िम्मेदार होता है।
- URSC भारत के लिये लागत प्रभावी अंतरिक्ष बुनियादी ढाँचा तैयार करने में सक्रिय रूप से शामिल है।
- यह केंद्र अवधारणा चरण से लेकर कक्षा में अंतरिक्ष यान परिचालन चरण तक कुल अंतरिक्ष यान परियोजना प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रमोचित करने वाले वाहनों के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (2018)
उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न 2.निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:(2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |
प्रारंभिक परीक्षा
एमपॉक्स वायरस
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार एमपॉक्स वायरस के एक नए अनुकूलन तंत्र (Adaptation Mechanism) की खोज हुई है, जो हालिया प्रकोपों के बीच मनुष्यों को संक्रमित करने की क्षमता को बढ़ाता है।
- बंदरों के स्टिग्मा से बचने और वायरस की प्रत्यक्ष मानव संक्रामकता को प्रतिबिंबित करने के लिये "मंकीपॉक्स" का नाम बदलकर "एमपॉक्स" कर दिया गया।
एमपॉक्स क्या है?
- परिचय:
- एमपॉक्स, जिसे मंकीपॉक्स भी कहा जाता है, एक डी.एन.ए. वायरस है। यह पॉक्सविरिडे फैमिली (family Pox।viridae) से संबंधित है, जो लार्ज, डबल-स्ट्रैंडेड डी.एन.ए. वायरस होते हैं।
- वायरस की पहचान पहली बार 1958 में बंदरों में की गई थी, लेकिन तब से यह पाया गया है कि यह मनुष्यों को भी संक्रमित करता है।
- संचरण: एमपॉक्स मुख्य रूप से जानवरों, विशेष रूप से कृंतकों और स्तनपायियों (Rodents and Primates) से सीधे संपर्क या दूषित वस्तुओं के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है।
- लक्षण: मनुष्यों में एमपॉक्स संक्रमण के कारण सामान्यतः बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और फुंसियाँ, जिसमें चकत्ते, फफोले, छाले व बड़ी फुंसियाँ भी शामिल हैं, देखने को मिलती हैं।
- टीकाकरण: एमपॉक्स के लिये एक टीका मौजूद है, इसकी उपलब्धता और प्रभावशीलता सीमित है, जो बेहतर रोकथाम एवं नियंत्रण उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
- एमपॉक्स, जिसे मंकीपॉक्स भी कहा जाता है, एक डी.एन.ए. वायरस है। यह पॉक्सविरिडे फैमिली (family Pox।viridae) से संबंधित है, जो लार्ज, डबल-स्ट्रैंडेड डी.एन.ए. वायरस होते हैं।
- वैश्विक प्रकोप: वर्ष 2022-2023 में एमपॉक्स के व्यापक प्रकोप, जिसने 118 से अधिक देशों में 100,000 से अधिक लोगों को प्रभावित किया, इस बीमारी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया।
- इसका प्रकोप एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचरण की उच्च दर, विशेष रूप से अंतरंग स्पर्श एवं यौन संपर्क के कारण होता है।
- WHO की घोषणा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने एमपॉक्स के प्रकोप को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है, और साथ ही इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिये समन्वित प्रयास किये जा रहे हैं।
- जीनोमिक विशेषताएँ:
- उपलब्ध आँकड़ों के आधार पर एमपॉक्स जीनोम को दो समूहों I तथा II में वर्गीकृत किया गया है, जो दर्शाता है कि समूह I में मृत्यु दर अधिक है।
- वर्ष 2022 के प्रकोप में एक नए वंश का क्लैड IIb शामिल था, जो मानव से मानव संचरण के लिये अनुकूलित था।
- जीनोमिक विश्लेषण: शोधकर्त्ताओं को मानव संचरण से जुड़े क्लैड I की एक विशिष्ट वंशावली का प्रमाण मिला, जो ज़ूनोटिक स्पिलओवर घटना के संकेत प्रदान करता है।
- विकासवादी अनुकूलन: एमपॉक्स वायरस विभिन्न होस्टरों एवं वातावरणों के अनुकूलता लिये जीन दोहराव अथवा विलोपन के माध्यम से जीनोमिक अकॉर्डियन से गुजर सकते हैं।
- नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक अध्ययन में वर्ष 2022 के प्रकोप से एमपॉक्स वायरस के जीनोम को अनुक्रमित किया गया, जिससे पता चला कि कुछ खंड मानव से मानव संचरण को दृढ़ता से प्रभावित करते हैं साथ ही ये वायरस के जीनोमिक अकॉर्डियन होते हैं।
- उपलब्ध आँकड़ों के आधार पर एमपॉक्स जीनोम को दो समूहों I तथा II में वर्गीकृत किया गया है, जो दर्शाता है कि समूह I में मृत्यु दर अधिक है।
नोट:
- जीनोमिक अकॉर्डियन वायरस के जीनोम के आकार में क्रमबद्ध (Rhythmic) विस्तार और संकुचन को संदर्भित करता है, जो विशेष रूप से मंकीपॉक्स जैसे पॉक्सवायरस में देखा जाता है।
- यह घटना वायरस के जीनोम के भीतर जीन दोहराव या विलोपन से प्रेरित होती है जिससे इसके आकार में परिवर्तन होता है।
स्मॉलपॉक्स, चिकनपॉक्स, मंकीपॉक्स के बीच अंतर:
विशेषता |
स्मॉलपॉक्स |
मंकीपॉक्स |
चिकनपॉक्स |
वायरस |
वेरियोला वायरस (Variola virus) |
मंकीपॉक्स वायरस |
वैरीसेला-ज़ोस्टर वायरस (Varicella-zoster virus- VZV) |
गंभीरता |
अत्यधिक गंभीर, प्रायः घातक |
स्मॉलपॉक्स से हल्का, शायद ही कभी घातक |
सौम्य (Mild) |
स्थिति |
1980 में समाप्त |
मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में स्थानिकमारी, अन्यत्र मामले सामने आ रहे हैं। |
सामान्य बचपन की बीमारी, टीकाकरण के कारण कम आम है। |
संचरण |
श्वसन बूंदों और संक्रमित घावों के संपर्क के माध्यम से अत्यधिक संक्रामक |
संक्रमित जानवरों, घावों या शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क से फैलता है। |
श्वसन बूंदों और घावों के संपर्क के माध्यम से अत्यधिक संक्रामक |
लक्षण |
बुखार, सिरदर्द, गंभीर थकान, उल्टी, और इसके बाद शारीर पर मवाद से भरे दाने निकलना |
बुखार, सिरदर्द, सूजी हुई लिंफ नोड्स, जिसके बाद दाने निकलते हैं जो चरणों में बढ़ते हैं। |
बुखार, थकान, भूख न लगना, इसके बाद खुजली, तरल पदार्थ से भरे दाने। |
टीकाकरण |
अब आवश्यकता नहीं पड़ती |
नियमित रूप से अनुशंसित नहीं, ऐसे व्यक्तियों को दिया जा सकता है, जो अत्यधिक जोखिम में हैं। |
उन बच्चों और वयस्कों के लिये नियमित टीकाकरण जिन्हें चिकनपॉक्स नहीं हुआ है। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 'ACE2' पद का उल्लेख किस संदर्भ में किया जाता है? (2021) (a) आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपों में पुरःस्थापित (इंट्रोड्यूस्ड) जीन उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन भारत में माइक्रोबियल रोगजनकों में मल्टीड्रग प्रतिरोध की घटना के कारण हैं? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने में विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका का समालोचनात्मक परिक्षण कीजिये। (2020) |
प्रारंभिक परीक्षा
तेलंगाना में मिले इक्ष्वाकु काल के सिक्के
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में तेलंगाना के पुरातत्त्व विभाग ने हैदराबाद से 110 किमी दूर स्थित प्रसिद्ध बौद्ध विरासत स्थल फणीगिरी में एक मिट्टी के बर्तन में 3,730 सीसे के सिक्कों के भंडार की खोज की।
उत्खनन के निष्कर्ष क्या हैं?
- हालिया उत्खनन:
- सबसे दक्षिणी मठ कक्ष (monastic cell) में ज़मीनी स्तर से 40 सेमी की गहराई पर 16.7 सेमी व्यास और 15 सेमी ऊँचाई का एक गोलाकार बर्तन मिला।
- घड़े का मुँह बाहर की तरफ एक उथले घड़े से और अंदर की तरफ एक टूटे हुए कटोरे के आधार से ढँका हुआ था तथा इसमें औसतन 2.3 ग्राम वज़न वाले 3730 सिक्के थे।
- पुरातत्वविदों का निष्कर्ष है कि सभी सिक्के, जो देखने में समान हैं तथा सीसे से बने हैं, जिनके अग्र भाग पर हाथी का प्रतीक और पश्च भाग पर उज्जैन का प्रतीक है, वे स्तर ग्राफिकल व टाइपोलॉज़िकल अध्ययनों के आधार पर इक्ष्वाकु काल (तीसरी-चौथी शताब्दी ईस्वी) से संबंधित हैं।
- मिलने वालीं अन्य कलाकृतियाँ:
- खुदाई के दौरान पत्थर और काँच के मोती, शंख की चूड़ियों के टुकड़े, प्लास्टर की आकृतियाँ, टूटी चूना पत्थर की मूर्तियाँ, खिलौना गाड़ी के पहिये, लोहे की कीलें व मिट्टी के बर्तन सहित कई अन्य मूल्यवान सांस्कृतिक पुरावशेष एवं संरचनात्मक अवशेष भी पाए गए।
- पूर्व उत्खनन:
- फणीगिरि में, उत्खनन क्रमानुसार सात चरणों तक किया गया।
- फणीगिरि में इन उत्खननों से एक महास्तूप, अर्द्धवृत्ताकार चैत्य गृह, मन्नत स्तूप, स्तंभों वाले मण्डली हॉल, विहार, विभिन्न स्तरों पर सीढ़ियों वाले मंच, अष्टकोणीय स्तूप चैत्य प्राप्त हुए।
- एक 24-स्तंभों वाला मंडप, एक गोलाकार चैत्य, और टेराकोटा मोती, अर्द्ध-कीमती मोती, लोहे की वस्तुएँ, शंख व चूड़ी के टुकड़े, सिक्के, महीन चूने की आकृतियाँ, ब्राह्मी लेबल शिलालेख तथा एक पवित्र ताबूत अवशेष सहित अन्य सांस्कृतिक वस्तुएँ भी मिलीं।
- सभी सांस्कृतिक वस्तुएँ पहली शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ई.पू. तक की बताई जा सकती हैं।
- फणीगिरि में, उत्खनन क्रमानुसार सात चरणों तक किया गया।
- फणीगिरी गाँव का महत्त्व:
- फणीगिरी गाँव हैदराबाद में मूसी नदी की सहायक नदी बिक्केरू नदी के बाएँ तट पर स्थित है।
- यह उत्तर से दक्षिण को जोड़ने वाले प्राचीन व्यापार मार्ग (दक्षिणापथ) पर पहाड़ी की चोटी पर स्थित महत्त्वपूर्ण बौद्ध मठों में से एक है।
- व्युत्पत्तिशास्त्र (Etymologically) के अनुसार, फणीगिरी गाँव का नाम गाँव के उत्तरी किनारे पर स्थित एक पहाड़ी के आकार से लिया गया है, जिसका आकार साँप के फन के समान है।
- संस्कृत में फणी का अर्थ है साँप और गिरि का अर्थ है पहाड़ी।
- यह गाँव पूर्व/आद्य-ऐतिहासिक, प्रारंभिक ऐतिहासिक, प्रारंभिक मध्ययुगीन और आसफ जाही काल (वर्ष 1724-1948) के निवासियों के अधिग्रहण में था।
- इस गाँव में 1000 ईसा पूर्व से 18वीं शताब्दी के अंत तक जीवन था।
- यह आंध्र प्रदेश के विकसित बौद्धमठ अमरावती और विजयपुरी (नागार्जुनकोंडा) के मठों से भी पूर्व का है।
- फणीगिरी के प्रारंभिक ऐतिहासिक स्थल को पहली बार निज़ाम के काल के दौरान खोजा और संरक्षित किया गया था तथा इसकी खुदाई वर्ष 1941 से वर्ष 1944 तक श्री खाजा महामद अहमद द्वारा की गई थी।
- क्षेत्र में अन्य बौद्ध स्थल:
- फणीगिरि के पास कई बौद्ध स्थल हैं, जैसे वर्द्धमानुकोटा, गजुला बंदा, तिरुमलगिरि, नगरम, सिंगाराम, अरावापल्ली, अय्यावरिपल्ली, अरलागड्डागुडेम और येलेश्वरम।
सिक्कों का स्तरिक (Stratigraphical) तथा प्रतीकात्मक (Typological) अध्ययन:
ये सिक्कों के कालानुक्रमिक और सांस्कृतिक संदर्भ को समझने के लिये मुद्राशास्त्र (सिक्कों का अध्ययन) में उपयोग की जाने वाली विधियाँ हैं।
- स्तरिक अध्ययन:
- इस विधि में उस परत या स्तर का अध्ययन करना शामिल है, जिसमें पुरातात्विक उत्खनन के दौरान सिक्के पाए जाते हैं।
- इसमें स्तरों या परतों का विश्लेषण करके, शोधकर्त्ता एक ही परत में पाए गए अन्य कलाकृतियों की तुलना में सिक्कों की सापेक्ष आयु निर्धारित कर सकते हैं।
- इससे सिक्कों के कालानुक्रमिक क्रम को स्थापित करने और किसी स्थल के इतिहास को समझने में सहायता मिलती है।
- प्रतीकात्मक अध्ययन:
- प्रतीकात्मक सिक्कों का उनकी भौतिक विशेषताओं, जैसे डिज़ाइन, धातु संरचना, आकार और शिलालेखों के आधार पर वर्गीकरण है।
- इन विशेषताओं की तुलना करके, मुद्राशास्त्री सिक्कों को उनके प्रकार और उपप्रकारों में समूहित करते हैं।
- प्रतीकात्मक अध्ययन सिक्कों की उत्पत्ति, ढलाई की विशेषता और प्रचालन अवधि (Period Of Circulation) की पहचान करने में सहायक है।
इक्ष्वाकु काल के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- इक्ष्वाकु राजवंश, जिसका नाम प्रसिद्ध राजा इक्ष्वाकु के नाम पर रखा गया, तीसरी ईस्वी चौथी शताब्दी ईस्वी के बीच दक्षिण भारत में फला-फूला।
- इक्ष्वाकुओं का ज्ञान मुख्यतः शिलालेखों, सिक्कों एवं पुरातात्विक उत्खनन से प्राप्त होता है।
- साक्ष्यों से ज्ञात होता हैं कि राजवंश का उदय तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास विजयपुरी क्षेत्र (आधुनिक बेल्लारी ज़िला, कर्नाटक) में हुआ था।
- विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण:
- इक्ष्वाकु राजा कान्हा (दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व) के अधीन प्रमुखता से उभरे, जिन्होंने अपने क्षेत्र का उल्लेखनीय रूप से विस्तार किया।
- कान्हा की विस्तार क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से शामिल थे, जिससे एक दुर्जेय क्षेत्रीय शक्ति स्थापित हुई।
- सांस्कृतिक एवं आर्थिक योगदान:
- राजवंश ने सक्रिय रूप से बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया, जिससे कंगनहल्ली तथा शंकरम जैसे शानदार स्तूपों एवं मठों का निर्माण हुआ।
- बौद्ध प्रतीकों एवं क्षेत्रीय देवताओं की विशेषता वाले इक्ष्वाकु सिक्के इस युग के दौरान व्यापक रूप से प्रसारित हुए थे।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत के इतिहास के संदर्भ में, ‘कुल्यावाप’ तथा ‘द्रोणवाप’ शब्द क्या निर्दिष्ट करते हैं? (a) भू-माप उत्तर: (a) प्रश्न. मध्यकालीन भारत में, शब्द ‘‘फणम’’ किसे निर्दिष्ट करता था? (a) पहनावा उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. आप इस विचार को, कि गुप्तकालीन सिक्काशास्त्रीय कला की उत्कृष्टता का स्तर बाद के समय में नितांत दर्शनीय नहीं है, किस प्रकार सही सिद्ध करेंगे ? (150 शब्द) (2017) |
रैपिड फायर
भारत की सबसे बड़ी जलवायु घड़ी
स्रोत: पी. आई. बी.
हाल ही में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific & Industrial Research- CSIR) ने पृथ्वी दिवस समारोह के एक भाग के रूप में नई दिल्ली में CSIR मुख्यालय में भारत की सबसे बड़ी जलवायु घड़ी की स्थापना और परिचालन की शुरुआत की।
- यह आयोजन जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता का प्रचार करने और लोगों को ऊर्जा साक्षर बनाने के CSIR के उद्देश्य को दर्शाता है।
- इसे वर्ष 2015 में दर्शकों को जलवायु परिवर्तन शमन की प्रगति की निगरानी के लिये एक संकेतक के रूप में पेश किया गया था।
- इससे यह प्रदर्शित होगा कि वर्तमान उत्सर्जन रुझानों को देखते हुए ग्रह कितनी तेज़ी से 1.5 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग के करीब पहुँच रहा है। यह पहले से ही उत्सर्जित CO2 की मात्रा और अब तक की ग्लोबल वार्मिंग को भी दर्शाता है।
- मानवता के 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुँचने पर दिखाई गई तारीख उत्सर्जन बढ़ने के साथ करीब आती जाएगी तथा उत्सर्जन कम होने पर और दूर होती जाएगी।
- 4 अप्रैल, 2024 तक वर्तमान जलवायु तापमान 1.295°C है।
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रैपिड फायर
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस, 2024 के अवसर पर नई दिल्ली में "73वें संवैधानिक संशोधन के तीन दशकों के बाद ज़मीनी स्तर पर शासन" विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया।
- यह आयोजन ग्रामीण परिवारों के जीवन को बेहतर बनाने में उनके प्रयासों के लिये सर्वश्रेष्ठ पंचायतों को पुरस्कार से सम्मानित करेगा।
- भारत में पंचायती राज मंत्रालय प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाता है। 73वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992, जिसने पंचायती राज संस्थानों (PRI) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और भारत में स्थानीय स्वशासन में सुधार किया, 24 अप्रैल के दिन ही इस संशोधन को लागू किया गया था।
- भारत की त्रिस्तरीय (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और ज़िला परिषद्) प्रशासनिक संरचना को पंचायती राज प्रणाली के रूप में जाना जाता है, इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में ज़मीनी स्तर पर सुधार लाना है।
- यह समावेशी विकास लक्ष्य प्राप्त करने और जलवायु परिवर्तन एवं ग्रामीण से शहरी प्रवासन जैसे मुद्दों के समाधान के लिये महत्त्वपूर्ण है
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रैपिड फायर
अगली पीढ़ी की सोडियम बैटरियाँ
स्रोत: इंडिपेंडेंट
हाल ही में दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने अगली पीढ़ी की सोडियम बैटरी विकसित की है जो कुछ ही सेकंड में चार्ज होने में सक्षम है।
- ये नई हाइब्रिड सोडियम-आयन बैटरियाँ पारंपरिक बैटरियों की सामग्रियों को सुपरकैपेसिटर में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों के साथ जोड़ती हैं।
- ये स्मार्टफोन तथा इलेक्ट्रिक कारों में पाई जाने वाली पारंपरिक लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में सस्ती एवं सुरक्षित दोनों हैं।
- इन बैटरियों में सोडियम (Na), लिथियम की तुलना में 500 गुना अधिक मात्रा में होता है, जबकि इसकी लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में अधिक चार्ज एवं दक्षता की क्षमता रखता है।
- धीमी चार्जिंग एवं कम ऊर्जा भंडारण जैसी कमियों के कारण सोडियम-आयन बैटरियों को व्यापक रूप से नहीं अपनाया गया है।
- नई बैटरी के लाभ:
- वर्तमान लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में तेज़ चार्जिंग स्पीड।
- व्यावसायिक लिथियम-आयन बैटरियों (247 Wh/kg) की तुलना में उच्च ऊर्जा घनत्व।
- उच्च शक्ति घनत्व (34,748 Wh/kg)।
- इसके संभावित अनुप्रयोगों में इलेक्ट्रिक वाहन तथा इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण शामिल हैं।
और पढ़ें… सोडियम-आयन बैटरियाँ
रैपिड फायर
इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT)
स्रोत: द हिंदू
भारत में औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स पार्कों के डिवेलपर इंडोस्पेस (IndoSpace) का लक्ष्य 700-800 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने के लिये एक इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT) लॉन्च करना है।
- यह भारत के औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का सबसे बड़ा InvIT होगा। इंडोस्पेस के पास भारत के 11 शहरों में 52 औद्योगिक लॉजिस्टिक पार्क हैं।
इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT):
- InvITs ऐसे उपकरण हैं जो म्यूचुअल फंड की तरह काम करते हैं। इन्हें कई निवेशकों से छोटी-छोटी धनराशि एकत्रित करके उन परिसंपत्तियों में निवेश करने के लिये डिज़ाइन किया गया है जो एक निश्चित अवधि में नकदी प्रवाह प्रदान करती हैं। इस नकदी प्रवाह का एक हिस्सा निवेशकों को लाभांश के रूप में वितरित किया जाएगा।
- InvIT प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) में न्यूनतम निवेश राशि 10 लाख रुपए है, इसलिये, InvIT उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों, संस्थागत और गैर-संस्थागत निवेशकों के लिये उपयुक्त हैं।
- स्टॉक के समान, InvITs IPO के माध्यम से पूंजी जुटाते हैं और फिर स्टॉक एक्सचेंजों पर व्यापार योग्य होते हैं। सूचीबद्ध InvITs के उदाहरणों में IRB InvIT Fund और India Grid Trust शामिल हैं।
- InvITs को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) (इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट) विनियम, 2014 द्वारा विनियमित किया जाता है।
और पढ़ें: इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड