नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

ASI ने खोजा 1300 वर्ष पुराना बौद्ध स्तूप

  • 28 Feb 2023
  • 7 min read

हाल ही में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) ने ओडिशा के जाजपुर ज़िले में खोंडालाइट खनन स्थल पर 1,300 वर्ष पुराने स्तूप की खोज की है।

  • यह वह स्थान है जहाँ से पुरी में 12वीं शताब्दी के श्री जगन्नाथ मंदिर के सौंदर्यीकरण परियोजना हेतु खोंडालाइट पत्थरों की आपूर्ति की गई थी।

प्रमुख बिंदु

  • यह स्तूप 4.5 मीटर ऊँचा हो सकता है और प्रारंभिक आकलन से पता चला है कि यह 7वीं या 8वीं शताब्दी का हो सकता है।
  • यह परभदी में पाया गया था जो ललितगिरि के पास स्थित है, एक प्रमुख बौद्ध परिसर है जिसमें बड़ी संख्या में स्तूप और मठ हैं।
    • एक पत्थर के ताबूत के अंदर बुद्ध के अवशेष वाले एक विशाल स्तूप की खोज के कारण ललितगिरि बौद्ध स्थल को तीन साइटों (ललितगिरि, रत्नागिरि और उदयगिरि) में सबसे पवित्र माना जाता है।

खोंडालाइट चट्टान: 

  • खोंडालाइट एक प्रकार की कायांतरित चट्टान है जो भारत के पूर्वी घाट में विशेष रूप से ओडिशा राज्य में पाई जाती है। इसका नाम चट्टानों के खोंडालाइट समूह के नाम पर रखा गया है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह लगभग 1.6 अरब वर्ष पहले प्रोटेरोज़ोइक युग के दौरान बनी थी।
  • खोंडालाइट मुख्य रूप से फेल्डस्पार, क्वार्ट्ज़ और अभ्रक से बनी है एवं गुलाबी-ग्रे रंग इसकी विशेषता है। इसे सामान्यतः निर्माण में एक सजावटी पत्थर के रूप में उपयोग किया जाता है तथा विशेष रूप से स्थायित्व और अपक्षय के प्रतिरोध हेतु बेशकीमती है।
  • प्राचीन मंदिर परिसरों में खोंडालाइट पत्थरों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था। कुछ परियोजनाओं जैसे- विरासत सुरक्षा क्षेत्र, जगन्नाथ बल्लभ तीर्थ केंद्र आदि के सौंदर्य को बनाए रखने हेतु उनका व्यापक रूप से उपयोग करने का प्रस्ताव है।

स्तूप:

  • परिचय: स्तूप वैदिक काल से भारत में प्रचलित शवाधान टीले थे।
  • वास्तुकला: स्तूप में एक बेलनाकार ड्रम होता है जिसमें शीर्ष गोल अंडाकार, हर्मिका एवं छत्र होता है।
    • अंडाकार: बुद्ध के अवशेषों को ढँकने के लिये मिट्टी के टीले का प्रतीकात्मक गोलार्द्ध टीला (कई स्तूपों में वास्तविक अवशेषों का उपयोग किया गया था)।
    • Anda: Hemispherical mound symbolic of the mound of dirt used to cover Buddha’s remains (in many stupas actual relics were used).
    • हरमिका: टीले के ऊपर चौकोर रेलिंग।
    • छत्र: ट्रिपल छत्र को सहारा देने वाला केंद्रीय स्तंभ।
  • प्रयुक्त सामग्री: स्तूप का मुख्य भाग कच्ची ईंटों से बना था, जबकि बाहरी सतह पकी हुई ईंटों का उपयोग करके बनाई गई थी, जिन्हें बाद में प्लास्टर और मेढ़ी (Medhi) की एक मोटी परत से ढक दिया गया था और तोरण को लकड़ी की मूर्तियों से सजाया गया था।
  • उदाहरण:
    • मध्य प्रदेश में सांची स्तूप अशोक स्तूपों में सबसे प्रसिद्ध है।
    • उत्तर प्रदेश में पिपरहवा स्तूप सबसे पुराना स्तूप है।
    • बुद्ध की मृत्यु के बाद बनाए गए स्तूप: राजगृह, वैशाली, कपिलवस्तु, अल्लकप्पा, रामग्राम, वेथापिडा, पावा, कुशीनगर और पिप्पलिवन।
    • बैराट, राजस्थान में स्तूप: एक गोलाकार टीला और एक प्रदक्षिणा पथ के साथ भव्य स्तूप।

  UPSCसिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2021)

(a) अजंता की गुफाएँ वाघोरा नदी के घाट में स्थित हैं।
(b) सांची स्तूप चंबल नदी के घाट में स्थित है।
(c) पांडु-लीना गुफा मंदिर नर्मदा नदी के घाट में स्थित है।
(d) अमरावती स्तूप गोदावरी नदी के घाट में स्थित है।

उत्तर: (a) 

व्याख्या: 

  • अजंता गुफाएँ महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास वाघोरा नदी के पास सह्याद्रि पर्वतमाला (पश्चिमी घाट) में रॉक-कट गुफाओं की एक शृंखला के रूप में स्थित हैं। इसमें कुल 29 गुफाएँ (सभी बौद्ध) हैं, जिनमें से 25 को विहार या आवासीय गुफाओं के रूप में, जबकि 4 को चैत्य या प्रार्थना हॉल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बौद्ध कला के चित्रों, मूर्तियों और मंदिरों का संग्रह है, जिसका निर्माण 200 ईसा पूर्व से 500 ईस्वी के बीच किया गया था।
  • साँची स्तूप मध्य प्रदेश में स्थित है। यह बेतवा नदी के ठीक पश्चिम में और विदिशा से लगभग 5 मील (8 किमी) दक्षिण-पश्चिम में एक ऊँचे पठारी क्षेत्र में स्थित है। इसे वर्ष 1989 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल नामित किया गया था।
  • बौद्ध स्मारक पांडवलेनी गुफाएँ, जिन्हें पांडु लेना गुफाओं और त्रिरश्मी गुफाओं के नाम से भी जाना जाता है, 24 रॉक-कट (पहाड़ों को काट कर निर्मित) गुफाओं का एक समूह है। ये नासिक शहर की त्रिवश्मी पहाड़ी के उत्तरी ओर स्थित हैं। नासिक शहर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है।
  • अमरावती स्तूप एक हाथी को वश में करते हुए भगवान बुद्ध को मानव रूप में दिखाता है। यह स्तूप, साँची स्तूप की तुलना में लंबा है और एक विशाल गोलाकार गुंबद के साथ-साथ चार मुख्य दिशाओं में फैले हुए ऊँचे मंच हैं। अमरावती स्तूप कृष्णा नदी के पास स्थित है। 

अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।


मेन्स:

प्रश्न. प्रारंभिक बौद्ध स्तूप-कला, लोक वर्ण्य विषयों और कथानकों को चित्रित करते हुए बौद्ध आदर्शों की सफलतापूर्वक व्याख्या करती है। विशदीकरण कीजिये। (2016) 

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow