प्राकृतिक कृषि के विज्ञान पर कार्यक्रम
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में "प्राकृतिक कृषि के विज्ञान पर क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम" में संधारणीय कृषि पद्धति के रूप में प्राकृतिक कृषि अर्थात् रसायन मुक्त कृषि के महत्त्व पर बल दिया गया।
- यह घोषणा की गई कि जो किसान अपनी भूमि के एक हिस्से पर तीन वर्षों तक प्राकृतिक कृषि करेंगे, वे सरकारी सब्सिडी के लिये पात्र होंगे।
प्राकृतिक कृषि क्या है?
- परिचय:
- प्राकृतिक कृषि एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें फसलों की कृषि के लिये न्यूनतम हस्तक्षेप (कृषि विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में मृदा परीक्षण, पोषक तत्त्व प्रबंधन, सिंचाई, जुताई और कीट प्रबंधन सहित कई तरह की तकनीकें) के साथ प्राकृतिक संसाधनों के ही उपयोग पर बल दिया जाता है।
- इसका उद्देश्य कृत्रिम उर्वरकों, कीटनाशकों या शाकनाशियों पर निर्भर हुए बिना मृदा स्वास्थ्य, जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन को बढ़ाना है।
- यह मुख्य रूप से बायोमास पुनर्चक्रण पर आधारित है, जिसमें बायोमास मल्चिंग, खेत में गाय के गोबर-मूत्र के फॉर्मूलेशन का उपयोग, मृदा में वायु संचार बनाए रखने के साथ सभी कृत्रिम रासायनिक आदानों/इनपुट का त्याग करना शामिल है।
- लक्ष्य और उद्देश्य:
- प्राकृतिक वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण करना।
- मृदा के स्वास्थ्य और उर्वरता को बनाए करना।
- फसल उत्पादन में विविधता बनाए रखना।
- भूमि और प्राकृतिक संसाधनों का कुशल उपयोग करना।
- प्राकृतिक लाभकारी कीटों, जंतुओं और सूक्ष्म जीवों को बढ़ावा देना।
- पशुधन एकीकरण के लिये स्थानीय नस्लों को बढ़ावा देना।
- प्राकृतिक/स्थानीय संसाधन-आधारित आदानों/इनपुट का उपयोग करना।
- कृषि उत्पादन की इनपुट लागत कम करना।
- किसानों की अर्थव्यवस्था में सुधार करना।
- प्राकृतिक कृषि के तत्त्व:
- वर्तमान परिदृश्य:
- आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु सहित कई राज्यों ने प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिये कार्यक्रम शुरू किये हैं।
- वर्तमान में भारत में 10 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि का उपयोग प्राकृतिक कृषि के लिये किया जा रहा है।
- सरकारी योजनाएँ:
- भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (BPKP): यह परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत एक उप-मिशन है, जो राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन (NMSA) के अंतर्गत आता है।
- राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन
तालिका 1: जैविक और प्राकृतिक कृषि के बीच अंतर |
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जैविक कृषि |
प्राकृतिक कृषि |
जैविक उर्वरक और खाद जैसे कृषि आदान, बाह्य स्रोतों से प्राप्त वर्मी-कम्पोस्ट और गोबर की खाद का उपयोग किया जाता है। |
प्राकृतिक कृषि में मृदा में न तो रासायनिक और न ही जैविक खाद डाली जाती है। वास्तव में मृदा में कोई बाह्य तौर पर या अतिरिक्त पोषक तत्त्व नहीं मिलाया जाता है। |
जैविक कृषि अभी भी महंगी है क्योंकि इसमें वृहत मात्रा में खाद की आवश्यकता होती है और इसका पारिस्थितिकी पर प्रभाव पड़ता है। |
यह कम लागत वाली कृषि पद्धति है, जो स्थानीय जैवविविधता के साथ पूरी तरह से संतुलन स्थापित करती है। |
जैविक कृषि में खाद और कम्पोस्ट को मृदा में मिलाया जाता है ताकि इनका अच्छी तरह अपघटन हो सके जिसके लिये अधिक प्रयास और लागत की आवश्यकता होती है। |
प्राकृतिक कृषि में सूक्ष्मजीवों और केंचुओं द्वारा कार्बनिक पदार्थों के अपघटन की प्रक्रिया मृदा की सतह पर ही की जाती है, जिससे धीरे-धीरे मृदा में पोषक तत्त्वों की वृद्धि होती जाती है। |
जैविक कृषि द्वारा निकटवर्ती परिवेश/पर्यावरण पर कुछ हद तक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि इसके तहत प्राकृतिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता होती है। |
प्राकृतिक कृषि द्वारा निकटवर्ती परिवेश/पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और यह जैवविविधता की स्थानीय प्रक्रियाओं के अनुरूप होती है। |
इसमें प्रमाणन के उद्देश्य से दिशानिर्देशों और विनियमों का पालन किये जाने की भी आवश्यकता होती है। |
यह कम विनियमित होती है। |
और पढ़ें: खेत से थाली तक: प्राकृतिक कृषि का प्रसार, प्राकृतिक कृषि
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न 1. स्थायी कृषि (पर्माकल्चर), पारंपरिक रासायनिक कृषि से किस प्रकार भिन्न है? (2021)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सी ‘मिश्रित खेती’ की प्रमुख विशेषता है? (2012) (a) नकदी और खाद्य दोनों सस्यों की साथ-साथ खेती उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. फसल विविधता के समक्ष मौजूदा चुनौतियाँ क्या हैं? उभरती प्रौद्योगिकियाँ फसल विविधता के लिये किस प्रकार अवसर प्रदान करती हैं? (2021) प्रश्न. जल इंजीनियरिंग और कृषि विज्ञान के क्षेत्रों में क्रमशः सर एम. विश्वेश्वरैया और डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन के योगदानों से भारत को किस प्रकार लाभ पहुँचा था? (2019) |
असम के मोईदाम को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने पर विचार
स्रोत: UNESCO
हाल ही में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के दौरान अहोम राजवंश के 'मोईदाम' को विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है।
- भारत पहली बार जुलाई 2024 में नई दिल्ली में होने वाले इस सत्र की मेजबानी कर रहा है।
- वर्तमान में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में 168 देशों की 1,199 संपत्तियाँ शामिल हैं।
मोईदाम क्या थे?
- ये असम के चराईदेव ज़िले में अहोम साम्राज्य के शाही परिवारों के लिये बनी कब्रगाह (13वीं-19वीं शताब्दी) हैं।
- इनका निर्माण मुख्य रूप से मिट्टी, ईंटों और पत्थर से किया गया था। बाहरी संरचना में आमतौर पर मिट्टी का एक टीला होता था, जो अक्सर ईंट या पत्थर की दीवार से घिरा होता था।
- इसमें अहोम साम्राज्य के शाही परिवारों के सदस्यों के पार्थिव अवशेषों को दफनाया जाता था।
- 18वीं शताब्दी के बाद, अहोम शासकों ने हिंदू दाह संस्कार पद्धति को अपनाया और चराईदेव में दाह संस्कार की बची हड्डियों और राख को दफनाना शुरू कर दिया।
- अहोम राजवंश की ये दफन पद्दतियाँ चीन के प्राचीन शाही मकबरों और मिस्र के फिरौन के पिरामिडों से तुलनीय हैं।
अहोम साम्राज्य के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- अहोम साम्राज्य की स्थापना वर्ष 1228 में असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में हुई थी और इसने 600 वर्षों तक अपनी संप्रभुता बनाए रखी।
- इसकी स्थापना 13वीं शताब्दी के शासक छोलुंग सुकफा (Chaolung Sukapha) ने वर्ष 1253 में की थी।
- चराईदेव उनकी प्रारंभिक राजधानी थी, जो गुवाहाटी से 400 किमी पूर्व में स्थित थी।
- अहोम राजवंश ने लगभग 600 वर्षों तक शासन किया, जब तक कि वर्ष 1826 में यांडबू की संधि के माध्यम से अंग्रेज़ों ने असम पर कब्ज़ा नहीं कर लिया था।
- राजनीतिक व्यवस्था:
- अहोमों ने भुइयाँ (ज़मींदारों) की पुरानी राजनीतिक व्यवस्था का दमन कर एक नया साम्राज्य स्थापित किया।
- यह राज्य बलात् श्रम पर निर्भर था। राज्य के लिये इस प्रकार का श्रम करने वालों को पाइक (Paik) कहा जाता था।
- समाज:
- अहोम समाज कुलों या खेलों में विभाजित था। एक खेल के तहत प्रायः कई गाँवों को नियंत्रित किया जाता था।
- अहोम साम्राज्य के लोग अपने स्वयं के आदिवासी देवताओं की पूजा करते थे, फिर भी उन्होंने हिंदू धर्म और असमिया भाषा को स्वीकार किया।
- हालाँकि अहोम राजाओं ने हिंदू धर्म अपनाने के बाद अपनी पारंपरिक मान्यताओं को पूरी तरह से नहीं छोड़ा।
- सैन्य रणनीति:
- अहोम सेना की पूरी टुकड़ी में पैदल सेना, नौसेना, तोपखाने, हाथी, घुड़सवार सेना और जासूस शामिल थे।
- मुख्य आयुध में तीर-धनुष, तलवारें, भाले, बंदूकें, बारूद वाले आग्नेयास्त्र और तोपें शामिल थीं।
- अहोम सैनिक गुरिल्ला युद्धकला में निपुण थे। उन्होंने ब्रह्मपुत्र में नौका सेतु (Boat Bridges) बनाने की तकनीक भी सीखी।
- लाचित बोड़फुकन के नेतृत्व में अहोम नौसेना ने सन् 1671 में सरायघाट के युद्ध में औरंगज़ेब के शासनकाल के दौरान राम सिंह प्रथम की कमान वाली मुगल सेना को हराया था।
- राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लाचित बोड़फुकन स्वर्ण पदक दिया जाता है।
- यह पदक वर्ष 1999 में रक्षा कर्मियों को बोड़फुकन की वीरता और बलिदान का अनुकरण करने के क्रम में प्रेरित करने हेतु शुरू किया गया था।
- राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लाचित बोड़फुकन स्वर्ण पदक दिया जाता है।
- अहोम सेना की पूरी टुकड़ी में पैदल सेना, नौसेना, तोपखाने, हाथी, घुड़सवार सेना और जासूस शामिल थे।
यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल क्या हैं?
- विश्व धरोहर/विरासत स्थल का आशय एक ऐसे स्थान से है, जिसे यूनेस्को द्वारा उसके विशिष्ट सांस्कृतिक अथवा भौतिक महत्त्व के कारण सूचीबद्ध किया गया है।
- विश्व धरोहर स्थलों की सूची को ‘विश्व धरोहर कार्यक्रम’ द्वारा तैयार किया जाता है, यूनेस्को की ‘विश्व धरोहर समिति’ द्वारा इस कार्यक्रम को प्रशासित किया जाता है।
- यह सूची, यूनेस्को द्वारा वर्ष 1972 में अपनाई गई ‘विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण से संबंधित कन्वेंशन’ नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संधि से संबंधित है।
- भारत में 42 विश्व धरोहर स्थल हैं (34 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित स्थल)। नवीनतम स्थलों में शांतिनिकेतन (2023) और होयसल के पवित्र मंदिर (2023) शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित नेशनल पार्कों में से किस एक की जलवायु उष्णकटिबंधीय से उपोष्ण, शीतोष्ण और आर्कटिक तक परिवर्तित होती है? (2015) (a) कंचनजंगा नेशनल पार्क उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. महात्मा गांधी और रबींद्रनाथ टैगोर की शिक्षा और राष्ट्रवाद के प्रति सोच में क्या अंतर था? (2023) |
सर्वोच्च न्यायालय में दो नए न्यायाधीशों की नियुक्ति
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह और न्यायमूर्ति आर. महादेवन को भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।
- न्यायमूर्ति सिंह मणिपुर से सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त होने वाले पहले न्यायाधीश हैं।
- इन नियुक्तियों के साथ सर्वोच्च न्यायालय में अब मुख्य न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की संख्या 34 हो गई है।
- संसद को विधि निर्माण द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की शक्ति एवं संख्या में संशोधन करने की शक्ति प्राप्त है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश:
- सर्वोच्च न्यायालय में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और अधिकतम 33 अन्य न्यायाधीश होते हैं।
- मुख्य न्यायाधीश और 4 वरिष्ठतम न्यायाधीशों से मिलकर बना सर्वोच्च न्यायालय का कॉलेजियम न्यायिक नियुक्तियों के लिये ज़िम्मेदार होता है।
- अनुच्छेद 124(2) के तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह और मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों के परामर्श के आधार पर की जाती है।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये कोई न्यूनतम आयु सीमा नहीं है और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक कार्य करने के पात्र होते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन, भत्ते, विशेषाधिकार, छुट्टियाँ और पेंशन संसद द्वारा निर्धारित किये जाते हैं तथा यह भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं।
मिनामी-तोरीशिमा द्वीप
स्रोत: बिज़नेस इनसाइडर
हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने जापान के सुदूर द्वीप मिनामी-तोरीशिमा (Minami-Torishima) के निकट समुद्र तल पर महत्त्वपूर्ण खनिज भंडार की खोज की है।
- इस खोज के दौरान वृहत मात्रा में कोबाल्ट और निकल युक्त मैंगनीज नोड्यूल्स/भंडार पाए गए हैं।
- शोधकर्त्ताओं ने अनुमान लगाया है कि मिनामी-तोरीशिमा द्वीप के निकट समुद्र तल में लगभग 610,000 मीट्रिक टन कोबाल्ट और 740,000 मीट्रिक टन निकल मौजूद है।
- कोबाल्ट और निकल दोनों ही EV बैटरियों के आवश्यक घटक हैं।
- कैथोड को अधिक गर्म होने से बचाने तथा बैटरियों के जीवनकाल को बढ़ाने के संदर्भ में कोबाल्ट, EV के लिये महत्त्वपूर्ण है जबकि मैंगनीज बैटरियों की कैथोड आवश्यकताओं की 61% की पूर्ति करता है।
मिनामी-तोरीशिमा द्वीप:
- वर्ष 1543 में खोजा गया मिनामी-तोरीशिमा द्वीप, जापान से 1,125 किमी दक्षिण-पूर्व में मध्य प्रशांत महासागर में अवस्थित एक प्रवाल द्वीप है।
- यह ओगासावरा द्वीप (Ogasawara Island) समूह के चिचिजिमा द्वीप (Chichijima Island) से भी लगभग 1,200 किमी दूर है।
- त्रिकोणीय आकार का मिनामी-तोरीशिमा द्वीप विशाल समुद्री पर्वतमाला का शिखर है और यह मार्कस-नेकर रिज (Marcus-Necker Ridge) पर स्थित है।
- जापान के सबसे पूर्वी छोर पर स्थित होने के कारण जापान में सबसे पहले इसी द्वीप पर सूर्योदय की घटना प्रेक्षित की जाती है।
और पढ़ें: होक्काइडो, जापान का गार्डन ऑफ गॉड्स
सियाचिन में AAD की पहली महिला अधिकारी की तैनाती
स्रोत: द हिंदू
मैसूर की रहने वाली कैप्टन सुप्रीता CT ने सियाचिन में सेना वायु रक्षा कोर की पहली अधिकारी बनकर इतिहास रच दिया है।
- सियाचिन ग्लेशियर को हिमालय में पूर्वी काराकोरम पर्वतमाला में स्थित विश्व के सबसे ऊँचे युद्धक्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। भारत ने वर्ष 1984 में सियाचिन ग्लेशियर पर अपना प्रभाव स्थापित करने के लिये ऑपरेशन मेघदूत शुरू किया था, जिसके तहत उसने रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण इस ग्लेशियर पर सफलतापूर्वक नियंत्रण हासिल कर लिया था।
- यह विश्व के गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों में दूसरा सबसे लंबा ग्लेशियर है और यूरेशियन प्लेट को भारतीय उपमहाद्वीप से अलग करने वाले जल निकासी विभाजन के दक्षिण में स्थित है। नुब्रा नदी (Nubra River) सियाचिन ग्लेशियर से निकलती है।
- ताजिकिस्तान के याज़गुलम रेंज में स्थित फेडचेंको ग्लेशियर विश्व के गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों में अवस्थित सबसे लंबा ग्लेशियर है।
- सामरिक महत्त्व, विषम जलवायु और दुर्गम भू-भाग के कारण सियाचिन में विभिन्न चुनौतियाँ बनी रहती हैं।
- कैप्टन सुप्रीता से पहले शिवा चौहान सियाचिन में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी थीं।
और पढ़ें: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: सशस्त्र बलों में महिलाएँ
कवक- मशरूम
स्रोत: द प्रिंट
हाल ही के एक अध्ययन से पता चला है कि मैजिक मशरूम में पाए जाने वाले यौगिक साइलोसाइबिन (जो मतिभ्रम उत्पन्न करता है) के अंतर्ग्रहण के परिणामस्वरूप मस्तिष्क के न्यूरॉन नेटवर्क/तंत्रिका तंत्र (जो किसी व्यक्ति में समय और स्व-धारणा/अभिज्ञता को विनियमित करने के लिये ज़िम्मेदार होता है) में अस्थायी परिवर्तन होता है।
- मशरूम ऐसे कवक हैं जिनमें आमतौर पर एक तना, एक शीर्ष (Cap) और क्लोम/गिल्स (Gills) होते हैं।
- क्लोरोफिल न पाए जाने के कारण इन्हें कवक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और इस कारण ये प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से अपना भोजन नहीं बना सकते हैं।
- कवक विषमपोषी जीवों के एक विशिष्ट संघ का हिस्सा हैं।
- ये यूकेरियोटिक सूक्ष्मजीवों या मैक्रोस्कोपिक जीवों का एक विविध समूह होते हैं जो पादप, जंतु और बैक्टीरिया से पृथक् अपने जैविक समुदाय से संबंधित हैं।
- एककोशिकीय खमीर/यीस्ट (Yeast) को छोड़कर, कवक तंतुमय होते हैं।
- कवक के कई लाभकारी अनुप्रयोग हैं जैसे कि पेनिसिलिन एंटीबायोटिक बनाने तथा भोजन के विविध रूपों के साथ बेकिंग और ब्रूइंग/किण्वासवन में खमीर/यीस्ट का अनुप्रयोग।
- कवक उष्ण व आर्द्र स्थानों में पनपते हैं।
- कवक में कायिक माध्यमों (विखंडन और मुकुलन ) से जनन के साथ अलैंगिक जनन (बीजाणुओं द्वारा) और लैंगिक जनन हो सकता है।
- कवक हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में कई कार्यों जैसे कि अपघटन, सहजीविता और मृदा संवर्द्धन के माध्यम से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
और पढ़ें: गैनोडर्मा ल्यूसिडम: मैजिकल मशरूम
GeM लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) के ई-लर्निंग प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, 12 आधिकारिक भाषाओं में उपलब्ध कराए गए हैं।
- वर्ष 2024 में शुरू किया गया गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (LMS), सरकार द्वारा शुरू की गई एक अभिनव पहल का परिचायक है।
- GeM-LMS ज्ञान का महत्त्वपूर्ण भंडार है जिसे उपयोगकर्त्ता-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ डिज़ाइन किया गया है। यह उपयोगकर्त्ताओं और प्रशिक्षकों के लिये एक व्यापक मंच प्रदान करने के साथ पंजीकरण, प्रशिक्षण तथा प्रमाणन जैसी विभिन्न मध्यवर्ती प्रक्रियाओं का समर्थन करता है।
- GeM में इंटरैक्टिव और उपयोगकर्त्ता के अनुकूल LMS का विस्तार करके इसमें छह और आधिकारिक भाषाएँ शामिल की गई हैं, जिससे यह शिक्षण प्लेटफॉर्म भारत की कुल बारह आधिकारिक भाषाओं में सुलभ हो गया है।
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM):
- GeM एक 100% सरकारी स्वामित्व वाला राष्ट्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल है जो विभिन्न सरकारी विभागों/संगठनों/सार्वजनिक उपक्रमों को सामान्य उपयोग की आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद हेतु सुविधा प्रदान करता है।
- यह पहल भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में शुरू की गई थी।
- यह सरकारी उपयोगकर्त्ताओं को सुविधा प्रदान करने तथा संपत्ति का सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त करने के लिये ई-बोली, रिवर्स ई-नीलामी और मांग समुच्चय जैसे उपकरण प्रदान करता है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता, दक्षता एवं गतिशीलता को बढ़ाना है।
और पढ़ें: गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस
सिंधु-सरस्वती सभ्यता और उज्जयिनी मध्याह्न रेखा
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
NCERT की नई पाठ्यपुस्तकों में पुरानी पाठ्यपुस्तकों की तुलना में कई बदलाव किये गए हैं। इसका उद्देश्य स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2023 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुरूप पाठ्यपुस्तकों को तैयार करना है, जिसमें पारंपरिक भारतीय ज्ञान के एकीकरण एवं सामाजिक विज्ञान शिक्षण हेतु विषयगत दृष्टिकोण पर बल दिया गया है।
NCERT की पाठ्यपुस्तकों में परिवर्तन:
- इनमें हड़प्पा सभ्यता को 'सिंधु-सरस्वती' सभ्यता के रूप में संदर्भित किया गया है, जिसमें सरस्वती नदी की प्रमुखता पर प्रकाश डाला गया है।
- इसमें उल्लेख किया गया है कि सरस्वती नदी (जिसे अब घग्गर-हकरा नदी के रूप में जाना जाता है) की हड़प्पा सभ्यता में प्रमुख भूमिका थी और इसके सूखने से इस सभ्यता के पतन का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- ग्रीनविच मध्याह्न रेखा को अपनाने से बहुत पहले भारत की अपनी प्रधान मध्याह्न रेखा थी जिसे "मध्य रेखा" के नाम से जाना जाता था, जो उज्जैन शहर से होकर गुजरती थी।
- पाठ्यपुस्तक में 'उज्जयिनी मध्याह्न रेखा' की अवधारणा का परिचय दिया गया है जो भारत की एक प्राचीन प्रधान मध्याह्न रेखा थी जिसका उपयोग खगोलीय गणनाओं के लिये किया जाता था।
- संरचना और विषय-वस्तु में अन्य परिवर्तन:
- इतिहास, राजनीति विज्ञान और भूगोल विषयों की पूर्व की अलग-अलग पाठ्यपुस्तकों के विपरीत, नई पाठ्यपुस्तक के एक ही खंड में पाँच विषयों को शामिल किया गया है।
- इसका उद्देश्य सामाजिक विज्ञान शिक्षा के क्रम में अधिक एकीकृत और अंतःविषयक दृष्टिकोण विकसित करना है।
- पुरानी पाठ्यपुस्तकों की तुलना में, विविधता पर आधारित अध्याय में अब जाति-आधारित भेदभाव तथा असमानता पर कम बल दिया गया है।
- इतिहास, राजनीति विज्ञान और भूगोल विषयों की पूर्व की अलग-अलग पाठ्यपुस्तकों के विपरीत, नई पाठ्यपुस्तक के एक ही खंड में पाँच विषयों को शामिल किया गया है।
और पढ़ें… राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2023
प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस
स्रोत : द हिंदू
केरल ने इस दुर्लभ लेकिन घातक संक्रमण के हाल के मामलों के बाद प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस ((Primary Amoebic Meningoencephaliti - PAM) के निदान, प्रबंधन और रोकथाम के लिये तकनीकी दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
- केरल स्वास्थ्य विभाग ने मैनिंजाइटिस मामलों से निपटने के लिये SOP जारी किये हैं, जो इस दुर्लभ संक्रमण के लिये भारत में संभवतः दिशा-निर्देशों का पहला सेट है। अधिकांश मामलों में अमीबिक परजीवी नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria Fowleri) की पहचान की गई, जिसमें से एक मामले में वर्मअमीबा वर्मीफॉर्मिस (Vermamoeba Vermiformis) की भी पहचान की गई।
- रोग की विशेषताएँ: PAM नेगलेरिया फाउलेरी के कारण होता है, जो गर्म, स्थिर मीठे जल में स्वतंत्र रूप से मिलने वाला अमीबा है और इसकी मृत्यु दर बहुत अधिक (>97%) है।
- इसे "ब्रेन ईटिंग अमीबा" के रूप में जाना जाता है, यह नाक के मार्ग से मस्तिष्क को संक्रमित करता है, जिससे मस्तिष्क के ऊतकों को गंभीर नुकसान होता है। विशेष रूप से बच्चे इसके प्रति संवेदनशील होते हैं, हाँलाकि PAM एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में या दूषित जल पीने से नहीं फैलता है।
- लक्षण और निदान: इसके लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी शामिल हैं। PAM का निदान चुनौतीपूर्ण है और अक्सर इसे बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस समझ लिया जाता है।
- बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस का आशय मेनिन्जेस (जो मस्तिष्क और मेरुदंड का सुरक्षात्मक आवरण है) में होने वाला संक्रमण है, जिसके परिणामस्वरूप इसमें सूजन आ जाती है। यह एक गंभीर और जानलेवा स्थिति है।
- उपचार: प्रारंभिक निदान और एंटीमाइक्रोबियल की समय पर शुरुआत महत्त्वपूर्ण है। इसकी इष्टतम उपचार व्यवस्था अभी भी अनिश्चित है।
- रोकथाम के उपाय: स्थिर मीठे जल के संपर्क में आने से बचने एवं नोज़ प्लग का उपयोग करने के साथ PAM को रोकने के लिये स्विमिंग पूल का उचित क्लोरीनीकरण एव रखरखाव सुनिश्चित करना चाहिये।
- वर्मअमीबा वर्मीफॉर्मिस एक मुक्त-अवस्था में मिलने वाला अमीबा है जो मीठे जल के स्रोतों सहित प्राकृतिक एवं मानव निर्मित वातावरण में पाया जाता है।
और पढ़ें : नेगलेरिया फाउलेरी: "ब्रेन ईटिंग अमीबा"
भारत में मध्य-वार्षिक वायु गुणवत्ता मूल्यांकन: CREA
स्रोत : हिन्दुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) द्वारा द्वारा भारत में जनवरी से जून 2024 तक की अवधि को कवर करते हुए मध्य-वार्षिक वायु गुणवत्ता मूल्यांकन किया गया, जो देश के वायु प्रदूषण के स्तर का व्यापक अवलोकन प्रदान करता है।
- यह रिपोर्ट भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण की गंभीरता और वितरण पर प्रकाश डालने के साथ इस पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिये कड़े उपायों के महत्त्व पर बल देती है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु क्या हैं?
- मुख्य विशेषताएँ:
- असम-मेघालय सीमा पर स्थित बर्नीहाट भारत का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहाँ PM 2.5 की औसत सांद्रता 140 µg/m³ (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) है।
- भारत के शीर्ष 10 प्रदूषित शहरों में से तीन हरियाणा में, दो-दो राजस्थान और उत्तर प्रदेश में तथा एक-एक दिल्ली, असम एवं बिहार में है।
- दिल्ली को तीसरे सबसे प्रदूषित शहर (जहाँ PM2.5 का स्तर 102 µg/m³ है) के रूप में शामिल किया गया है जो राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशा-निर्देशों से अधिक है।
- शामिल किये गए 256 शहरों में से 163 शहरों में राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) के वार्षिक स्तर (40 µg/m³) से अधिक प्रदूषण था जबकि सभी शहरों में प्रदूषण का स्तर WHO द्वारा निर्धारित वार्षिक सांद्रता मानक (5 µg/m³) से अधिक था।
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत शामिल 97 शहरों में से 63 शहरों में प्रदूषण की सांद्रता, राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक थी।
- राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक प्रदूषण वाले 163 शहरों में से केवल 63 ही NCAP का हिस्सा हैं और इस प्रकार से 100 शहरों में वायु प्रदूषण कम करने की कोई कार्य-योजना नहीं है।
- शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहर 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से शामिल थे, जो भारत में वायु प्रदूषण की व्यापक प्रकृति को दर्शाते हैं।
- छह नए सतत् परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (CAAQMS) शामिल होने से इनकी कुल संख्या बढ़कर 545 हो गई।
- कर्नाटक और महाराष्ट्र में "अच्छा" और "संतोषजनक" श्रेणियों के तहत सबसे अधिक शहर थे, जबकि बिहार में "मध्यम" श्रेणी में सबसे अधिक शहर थे।
- निहितार्थ:
- बर्नीहाट और दिल्ली में पीएम 2.5 का उच्च स्तर स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण उपायों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में प्रदूषण की व्यापकता, वायु गुणवत्ता के मुद्दों से निपटने के लिये समन्वित क्षेत्रीय प्रयासों पर बल देती है।
- यह तथ्य कि राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक प्रदूषण वाले 100 शहर NCAP के अंतर्गत शामिल नहीं हैं, भारत के वायु गुणवत्ता प्रबंधन ढाँचे में एक महत्त्वपूर्ण अंतराल पर प्रकाश डालता है।
- इन शहरों को शामिल करने के लिये NCAP का विस्तार करना, वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- PM2.5 के उच्च स्तरों के लगातार संपर्क में रहने से श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों सहित गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परिणाम होते हैं।
- रिपोर्ट के निष्कर्ष लोक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल देते हैं।
- CAAQMS में वृद्धि एक सकारात्मक कदम है, लेकिन डेटा अंतराल और गैर-संचालन स्टेशन बेहतर निगरानी बुनियादी ढाँचे एवं रखरखाव की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।
- बर्नीहाट और दिल्ली में पीएम 2.5 का उच्च स्तर स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण उपायों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- नीतिगत सिफारिशें: उत्सर्जन मानकों को मज़बूत करना, हरित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाना प्रदूषण के स्तर को काफी कम कर सकता है।
- स्थायी वायु गुणवत्ता सुधार के लिये सामुदायिक भागीदारी और पर्यावरण कानूनों का कठोर प्रवर्तन आवश्यक है।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु उठाए गए कदम
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक के मान की गणना में सामान्यतः निम्नलिखित में से किन वायुमंडलीय गैसों पर विचार किया जाता है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न. हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (AQGs) के प्रमुख बिंदुओं का वर्णन कीजिये। वर्ष 2005 में इसके अंतिम अद्यतन से ये कैसे भिन्न हैं? संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में क्या बदलाव आवश्यक हैं? (2021) |
चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में प्रधानमंत्री ने चंद्रशेखर आज़ाद को उनकी जयंती (23 जुलाई 2024) पर श्रद्धांजलि अर्पित की। वह एक लोकप्रिय भारतीय नेता और क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिये संघर्ष किया।
- उनका जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के अलीराजपुर ज़िले में हुआ था।
- 15 वर्षीय छात्र के रूप में दिसंबर, 1921 में यह असहयोग आंदोलन में शामिल हुए।
- गांधी द्वारा वर्ष 1922 में असहयोग आंदोलन को वापस लिये जाने के बाद चंद्रशेखर आज़ाद, हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (Hindustan Republican Association- HRA) में शामिल हो गए।
- HRA भारत का एक क्रांतिकारी संगठन था जिसकी स्थापना वर्ष 1924 में पूर्वी बंगाल में शचींद्र नाथ सान्याल, राम प्रसाद बिस्मिल और जोगेश चंद्र चटर्जी द्वारा औपनिवेशिक सरकार को सत्ताहीन करने के क्रम में सशस्त्र क्रांति करने हेतु की गई थी।
- इसके सदस्यों में भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खान एवं राजेंद्र लाहिड़ी थे।
- HRA को बाद में ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HSRA) के रूप में पुनर्गठित किया गया था।
- इसकी स्थापना वर्ष 1928 में नई दिल्ली के फिरोज़ शाह कोटला में चंद्रशेखर आज़ाद, अशफाक उल्ला खान, भगत सिंह, सुखदेव थापर और जोगेश चंद्र चटर्जी ने की थी।
- चंद्रशेखर आज़ाद वर्ष 1929 में लॉर्ड इरविन की ट्रेन पर बम फेंकने के षड्यंत्र में भी शामिल थे।
- 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के आज़ाद पार्क में चंद्रशेखर आज़ाद को वीरगति प्राप्त हुई।
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