भारत में वायु प्रदूषण और NCAP

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

मेन्स के लिये:

पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु पहल

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (National Clean Air Campaign- NCAP) के तहत विश्लेषकों ने पाया कि प्रदूषण नियंत्रण के संबंध में सुधार की गति धीमी रही है और अधिकांश शहरों के प्रदूषण में नाममात्र कमी आई है।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम:

  • इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा जनवरी 2019 में लॉन्च किया गया था।
  • यह देश में वायु प्रदूषण में कमी लाने के लक्ष्य के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय ढाँचा तैयार करने का पहला प्रयास है।
  • आधार वर्ष 2017 के साथ आगामी पाँच वर्षों में भारी (व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम या PM10 के कण पदार्थ) और महीन कणों (व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम या PM2.5 के कण पदार्थ) के संकेंद्रण में कम-से-कम 20% की कमी लाने का प्रयास करना है।
  • इसमें प्रदूषण नियंत्रण संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त न कर पाने वाले 132 शहर शामिल हैं जिनकी पहचान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) द्वारा की गई थी।
    • प्रदूषण नियंत्रण संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त न कर पाने वाले शहर (Non- Attainment Cities) वे शहर हैं जो पाँच वर्षों से अधिक समय से राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (National Ambient Air Quality Standards- NAAQS) को पूरा करने में विफल रहे हैं।
      • NAAQs वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत CPCB द्वारा अधिसूचित विभिन्न पहचाने गए प्रदूषकों के संदर्भ में परिवेशी वायु गुणवत्ता के मानक हैं। NAAQS के तहत प्रदूषकों की सूची में PM10, PM2.5, SO2, NO2, CO, NH3, ओज़ोन, लेड, बेंज़ीन, बेंजो-पाइरेन, आर्सेनिक और निकेल शामिल है।

लक्षित स्तर: 

  • वर्तमान परिदृश्य: PM2.5 और PM10 के लिये देश की वर्तमान, वार्षिक औसत निर्धारित सीमा 40 माइक्रोग्राम/प्रति घन मीटर (ug/m3) और 60 माइक्रोग्राम/प्रति घन मीटर है।  
  • नए लक्ष्य: वर्ष 2017 में प्रदूषण के स्तर को सुधारने को आधार वर्ष मानते हुए NCAP ने वर्ष 2024 में प्रमुख वायु प्रदूषकों PM10 और PM2.5 को 20-30% तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया।
    • हालाँकि सितंबर 2022 में केंद्र ने लक्ष्यों को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2026 तक पार्टिकुलेट मैटर की सघनता में 40% की कमी लाने का एक नया लक्ष्य निर्धारित किया।  
  • सुधारों का आकलन: 2020-21 की शुरुआत से शहरों को सुधार की मात्रा निर्धारित करनी चाहिये थी, जिसके अंतर्गत वार्षिक औसत PM10 एकाग्रता में 15% या उससे अधिक की कमी और वार्षिक स्तर पर स्वच्छ वायु के दिनों की संख्या में कम-से-कम 200 तक आपेक्षित है।  
    • इससे कुछ भी कम अपर्याप्त माना जाएगा और परिणामस्वरूप मामले में वित्तपोषण में कमी की जा सकती है। 

NCAP का प्रभाव: 

  • लक्ष्य प्राप्ति के संबंध में: 
    • सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) द्वारा NCAP के चार वर्ष के प्रदर्शन के विश्लेषण से निष्कर्ष निकला कि केंद्र, शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) और राज्य प्रदूषण के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले 131 शहरों में से केवल 38 नियंत्रण बोर्डों ने अपने वार्षिक प्रदूषण में कमी के लक्ष्यों को प्राप्त किया है। 
  • सुझाव: 
    • CERA (जो किसी शहर में प्रदूषण के महत्त्वपूर्ण स्रोतों को सूचीबद्ध और परिमाणित करता है) के अनुसार, 37 शहरों ने स्रोत अवलोकन संबंधी विश्लेषण पूरा कर लिया है। हालाँकि इनमें से अधिकांश रिपोर्ट आम जनता के लिये उपलब्ध नहीं कराई गई और इन जाँचों के निष्कर्षों का उपयोग कर किसी भी शहर की कार्ययोजना में कोई संशोधन नहीं किया गया था।
    • CERA का अनुमान है कि भारत को वर्ष 2024 तक 1,500 निगरानी स्टेशनों के NCAP लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये प्रतिवर्ष 300 से अधिक मैनुअल वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन स्थापित करने की आवश्यकता होगी। पिछले चार वर्षों में केवल 180 स्टेशन स्थापित किये गए हैं।

NCAP प्रदूषण कम करने में कितना सफल: 

Most-Polluted

  • NCAP ट्रैकर, वायु प्रदूषण नीति में सक्रिय दो संगठनों की एक संयुक्त परियोजना है, जो वर्ष 2024 के स्वच्छ वायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रगति की निगरानी कर रहे हैं।  
  • गैर-प्राप्ति शहरों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली वर्ष 2022 में सबसे प्रदूषित रही लेकिन दिल्ली के PM 2.5 के स्तर में वर्ष 2019 की तुलना में 7% से अधिक का सुधार हुआ है। 
  • वर्ष 2022 की शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित सूची में अधिकांश शहर सिंधु-गंगा के मैदान से थे।  
  • वर्ष 2019 में सबसे प्रदूषित 10 शहरों में से नौ ने वर्ष 2022 में अपने PM 2.5 और PM 10 सांद्रता को कम किया है।  
  • 16 NCAP शहर और 15 Non-NCAP शहर ऐसे थे जिन्होंने लगभग समान संख्या के साथ अपने वार्षिक PM 2.5 के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की। इससे पता चलता कि NCAP की कम प्रभावशीलता के साथ Non-NCAP और NCAP शहरों के प्रदूषित होने की संभावना अधिक थी।

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु पहल: 

आगे की राह 

  • परिवर्तनकारी दृष्टिकोण:
    • भारत को वायु गुणवत्ता में सुधार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा स्वीकार्य स्तर तक प्रदूषकों को कम करने के लिये अपने दृष्टिकोण को बदलने और प्रभावी नीतियाँ लाने की आवश्यकता है। 
  • निकट समन्वय आवश्यक:
    • वायु प्रदूषण को रोकने के लिये न केवल इसके विशिष्ट स्रोतों से निपटने की आवश्यकता है, बल्कि स्थानीय और राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार सीमाओं में घनिष्ठ समन्वय बनाने की भी दरकार है। 
    • क्षेत्रीय सहयोग लागत प्रभावी संयुक्त रणनीतियों को लागू करने में मदद कर सकता है जो वायु गुणवत्ता की अन्योन्याश्रित प्रकृति का लाभ उठाते हैं। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक के मान की गणना में सामान्यतः निम्नलिखित में से किस वायुमंडलीय गैस पर विचार किया जाता है? (2016)

  1. कार्बन डाइऑक्साइड
  2. कार्बन मोनोऑक्साइड
  3. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
  4. सल्फर डाइऑक्साइड
  5. मीथेन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स 

प्रश्न. हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (AQGs) के प्रमुख बिंदुओं का वर्णन कीजिये। 2005 में इसके अंतिम अद्यतन से ये कैसे भिन्न हैं? संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में क्या बदलाव आवश्यक हैं? (2021)

स्रोत: द हिंदू