प्रारंभिक परीक्षा
मून डस्ट एज़ ए सोलर शील्ड
हाल ही में शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने "डस्ट एज़ ए सोलर शील्ड" नामक एक अध्ययन प्रकाशित किया है, जिसमें एक प्रस्ताव के साथ यह जानकारी दी गई है कि समताप मंडल में चंद्रमा की धूल (मून डस्ट) पहुँचने से ग्लोबल-वार्मिंग धीमा हो सकता है।
प्रस्ताव:
- सौर विकिरण प्रबंधन:
- उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिये पृथ्वी एवं सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बिंदु (Lagrange Point-लैग्रेंज पॉइंट) पर मून डस्ट के नियमित परिवहन का प्रस्ताव दिया।
- उन्होंने इसे सौर विकिरण प्रबंधन (SRM) या स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन कहा, क्योंकि समताप मंडल में एरोसोल के छिड़काव से यह पृथ्वी तक पहुँचने वाले सौर प्रकाश के विकिरण को नियंत्रित करता है।
- पृथ्वी को गर्म होने से बचाने के लिये सौर विकिरण को फिल्टर करने पर दशकों से विचार किया जा रहा है, जिसमें विशाल अंतरिक्ष-आधारित स्क्रीन से लेकर परावर्तक सफेद बादलों के मंथन तक शामिल है।
- ज्वालामुखीय उदगार और मून डस्ट के साथ सादृश्य:
- समताप मंडल में मून डस्ट का कृत्रिम रूप से छिड़काव इस तथ्य से प्रेरित है कि एक पर्याप्त शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोट समताप मंडल में सल्फेट और अन्य एरोसोल को पहुँचा सकता है तथा इस प्रकार वहाँ की वायु को ठंडा कर सकता है।
- समताप मंडल में एरोसोल, विशेष रूप से सल्फेट जैसे विकिरण-प्रकीर्णन वाले शीतलन प्रभाव डालते हैं।
- स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल के साथ आने वाली सूरज की रोशनी की मात्रा को कम करने से चंद्रमा की धूल के समान प्रभाव पड़ेगा।
- जब फिलीपींस में स्थित माउंट पिनातुबो में वर्ष 1991 में विस्फोट हुआ, तो इसने उत्तरी गोलार्द्ध के तापमान को एक वर्ष के लिये लगभग 0.5 डिग्री सेल्सियस कम कर दिया।
- समताप मंडल में मून डस्ट का कृत्रिम रूप से छिड़काव इस तथ्य से प्रेरित है कि एक पर्याप्त शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोट समताप मंडल में सल्फेट और अन्य एरोसोल को पहुँचा सकता है तथा इस प्रकार वहाँ की वायु को ठंडा कर सकता है।
- गुण:
- सूर्य की किरणों को 1 या 2% तक अवरुद्ध करने से ही पृथ्वी की सतह को एक या दो डिग्री सेल्सियस तक कम किया जा सकता है, मोटे तौर पर जितना यह पिछली सदी में गर्म हुआ है।
इस तकनीक के परिणाम:
- समताप मंडल में धूल का छिड़काव उष्मन को कम कर सकता है, किंतु पृथ्वी व्यापक रूप से सूखा जैसी स्थिति का सामना कर सकती है, जिससे फसल की पैदावार कम हो सकती है एवं बीमारी और भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध करने के लिये वायुमंडल या अंतरिक्ष में धूल पहुँचने के परिणामस्वरूप वर्षा में परिवर्तन से संबंधित कोई भी अनुमान अत्यधिक अनिश्चित होगा।
- अन्य जलवायु शमन रणनीतियाँ, जैसे कि नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, उत्सर्जन में कमी की योजनाएँ, कार्बन-कैप्चर टेक्नोलॉजी और बायोएनर्जी का कोई खतरनाक अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न होने की संभावना नहीं है। दूसरी ओर, समताप मंडल के छोटे से क्षेत्र में भी एरोसोल के छिड़काव के वैश्विक परिणाम होंगे जो वर्तमान में पूरी तरह से निर्धारित नहीं किये जा सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समतापमंडल में सल्फेट वायुविलय अंतःक्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019) (a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये उत्तर: (d) |
स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
मस्तिष्क-प्रेरित सेंसर छोटी चीज़ों का पता लगाने में सक्षम
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISC) के एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि मस्तिष्क-प्रेरित एक छवि सेंसर प्रकाश की विवर्तन सीमा से परे उन छोटी वस्तुओं जैसे- सेलुलर घटकों या नैनो कणों की पहचान कर सकती है जो आधुनिक सूक्ष्मदर्शी के लिये भी कठिन कार्य है।
तकनीक:
- यह तकनीक एक न्यूरोमॉर्फिक कैमरा और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के साथ ऑप्टिकल माइक्रोस्कोपी का प्रयोग कर आकार में 50 नैनोमीटर से छोटी वस्तुओं के बारे में जानकारी प्रदान करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है।
- ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप दो वस्तुओं के बीच अंतर नहीं कर सकते हैं जो विवर्तन सीमा के कारण एक विशिष्ट आकार (आमतौर पर 200-300 नैनोमीटर) से छोटे होते हैं।
- न्यूरोमोर्फिक कैमरा ठीक उसी प्रकार कार्य करता है जिस प्रकार मानव रेटिना प्रकाश को विद्युत आवेगों में परिवर्तित करता है।
- न्यूरोमॉर्फिक कैमरों में प्रत्येक पिक्सेल स्वतंत्र रूप से संचालित होता है, जिससे विरल और कम मात्रा में डेटा उत्पन्न होता है। प्रक्रिया मानव रेटिना के काम करने के तरीके के समान है।
- यह कैमरे को बहुत अधिक अस्थायी रिज़ॉल्यूशन के साथ पर्यावरण का "नमूना" प्राप्त करने की अनुमति देता है।
- पारंपरिक कैमरों में प्रत्येक पिक्सेल उस पर पड़ने वाले प्रकाश की तीव्रता को कैप्चर करता है और इन पिक्सेल को वस्तु की छवि के पुनर्निर्माण के लिये एक साथ रखा जाता है।
- न्यूरोमॉर्फिक कैमरों में प्रत्येक पिक्सेल स्वतंत्र रूप से संचालित होता है, जिससे विरल और कम मात्रा में डेटा उत्पन्न होता है। प्रक्रिया मानव रेटिना के काम करने के तरीके के समान है।
- प्रयोग ने न्यूरोमॉर्फिक कैमरे का उपयोग उच्च और निम्न, दोनों तीव्रता पर लेज़र स्पंदन की चमक एवं प्रतिदीप्ति स्तरों में भिन्नता को मापकर विवर्तन की सीमा से छोटे विशिष्ट फ्लोरोसेंट मोतियों को इंगित करने के लिये किया।
- जैसे-जैसे तीव्रता बढ़ती है, कैमरा सिग्नल को "ऑन" घटना के रूप में कैप्चर करता है, जबकि प्रकाश की तीव्रता कम होने पर "ऑफ" घटना की सूचना मिलती है।
- फ्रेम के पुनर्निर्माण के लिये इन घटनाओं के डेटा को एक साथ संयोजित किया गया था।
इस तकनीक का महत्त्व:
- जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिकी में स्टोकेस्टिक प्रक्रियाओं को सटीक रूप से ट्रैक करने एवं समझने में इस दृष्टिकोण के व्यापक अनुप्रयोग हो सकते हैं।
- यह स्व-संगठन जैसी जैविक प्रक्रियाओं के सामान्य नियमों को समझने में मदद करेगा।
- टीम इस तकनीक का उपयोग करके एक जलीय घोल में स्वतंत्र रूप से घूमने वाले एक फ्लोरोसेंट मनके (मोती) की गति को बारीकी से ट्रैक करने में भी सक्षम थी।
स्टोकेस्टिक प्रक्रिया:
- इसे अनियमित प्रक्रिया के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसका संचालन संयोगवश होता है।
- उदाहरण के लिये रेडियोधर्मी क्षय में प्रत्येक परमाणु किसी भी समय अंतराल में टूटने की निश्चित संभावना के अधीन होता है।
विवर्तन सीमा:
- विवर्तन सीमा एक ऑप्टिकल प्रणाली की क्षमता पर एक मौलिक भौतिक सीमा है जो दो निकटवर्ती वस्तुओं के मध्य अंतर करने के लिये है।
- वस्तुओं का निरीक्षण करने हेतु उपयोग किये जाने वाले एपर्चर या लेंस का आकार प्रकाश की तरंग दैर्ध्य के साथ-साथ प्रकाश के दो-बिंदु स्रोतों के बीच सबसे छोटी समाधान योग्य दूरी (Resolvable Distance) निर्धारित करती है।
- व्यावहारिक रूप में इसका मतलब यह है कि सटीक लेंस या टेलीस्कोप के साथ भी एक छवि में कितने विवरण या खूबियों को हल किया जा सकता है इसकी भी एक सीमा होती है।
- विवर्तन सीमा से अधिक पास-पास की वस्तुएँ छवि में धुँधली या अविभाज्य दिखाई देंगी।
स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
UPI-PayNow इंटीग्रेशन
हाल ही में भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और सिंगापुर के PayNow को दोनों देशों के मध्य तीव्र गति से प्रेषण (रेमीटेंस) को सुनिश्चित करने हेतु एकीकृत किया गया है।
- सिंगापुर पहला देश बन गया है जिसके साथ सीमा पार पर्सन-टू-पर्सन (P2P) भुगतान सुविधा शुरू की गई है।
- UPI और PayNow के मध्य साझेदारी क्लाउड-आधारित बुनियादी ढाँचे और गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों द्वारा भागीदारी को प्रदर्शित करने वाली विश्व की पहली साझेदारी है।
UPI और PayNow:
- UPI:
- UPI भारत की मोबाइल-आधारित तीव्र भुगतान प्रणाली है, जो ग्राहकों द्वारा बनाए गए वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) का उपयोग करके चौबीसों घंटे त्वरित भुगतान करने की सुविधा देती है।
- VPA एक विशिष्ट पहचानकर्त्ता है जो किसी व्यक्ति को डिजिटल भुगतान प्रणाली के माध्यम से धन के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है। यह एक उपयोगकर्त्ता-निर्मित पहचानकर्त्ता है जिसका उपयोग भुगतान करते समय संवेदनशील बैंक खाता विवरण प्रदान करने के स्थान पर किया जा सकता है।
- यह प्रेषक द्वारा बैंक खाता विवरण साझा करने के जोखिम को समाप्त करता है। UPI पर्सन-टू-पर्सन (P2P) और पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) भुगतान दोनों को स्वीकार करता है तथा यह उपयोगकर्ता को पैसे भेजने या प्राप्त करने में भी सक्षम बनाता है।
- UPI भारत की मोबाइल-आधारित तीव्र भुगतान प्रणाली है, जो ग्राहकों द्वारा बनाए गए वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) का उपयोग करके चौबीसों घंटे त्वरित भुगतान करने की सुविधा देती है।
- PayNow:
- PayNow सिंगापुर की तेज़ भुगतान प्रणाली है। यह पीयर-टू-पीयर फंड ट्रांसफर सेवा को सक्षम बनाता है, जो सिंगापुर में भागीदार बैंकों और गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों (Non-Bank Financial Institutions- NFI) के माध्यम से खुदरा ग्राहकों हेतु उपलब्ध है।
- यह उपयोगकर्त्ताओं को केवल अपने मोबाइल नंबर, सिंगापुर राष्ट्रीय पंजीकरण पहचान पत्र (National Registration Identity Card- NRIC)/विदेशी पहचान संख्या (Foreign Identification Number- FIN) या VPA का उपयोग करके सिंगापुर में एक बैंक या ई-वॉलेट खाते से दूसरे बैंक में तत्काल धन भेजने और प्राप्त करने की अनुमति प्रदान करता है।
- अनुबंधन/लिंकेज:
- इस सुविधा के साथ बैंक खातों या ई-वॉलेट में रखी गई धनराशि को केवल UPI ID, मोबाइल नंबर या VPA का उपयोग करके भारत को/से स्थानांतरित किया जा सकता है।
- यह सुविधा लाभार्थियों के विवरण, जैसे- बैंक खाता संख्या, बैंक कोड आदि दर्ज करने की आवश्यकता को समाप्त कर देगी।
पहल का महत्त्व:
- इस परियोजना से सिंगापुर में भारतीय डायस्पोरा, विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों और छात्रों को काफी लाभ होने की उम्मीद है क्योंकि यह दोनों देशों में तेज़ी से तथा लागत प्रभावी एवं बिना अन्य भुगतान प्रणाली को शामिल किये धन हस्तांतरण की अनुमति देता है।
- विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs- MEA) के दस्तावेज़ प्रवासी भारतीयों की जनसंख्या (2022) के अनुसार, वर्तमान में सिंगापुर में लगभग 6.5 लाख भारतीय हैं, जिनमें अनिवासी भारतीय और भारतीय मूल के व्यक्ति शामिल हैं।
- रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया प्रेषण सर्वेक्षण, 2021 के अनुसार, वर्ष 2020-21 में भारत के कुल आवक प्रेषणों में सिंगापुर का हिस्सा 5.7% था।
- इस प्रणाली के एकीकरण से प्रेषण भेजने की लागत को 10%तक कम किया जा सकता है।
- सिंगापुर और भारत के बीच प्रेषणों की लागत और अक्षमताओं को कम कर PayNow-UPI लिंकेज भुगतान के माध्यम से सिंगापुर और भारत में व्यक्तियों तथा व्यवसायों को लाभान्वित करेगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. डिजिटल भुगतान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI)' को लागू करने का सबसे संभावित परिणाम है? (2017) (a) ऑनलाइन भुगतान के लिये मोबाइल वॉलेट की आवश्यकता नहीं होगी। उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
स्रोत: द हिंदू
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 फरवरी, 2023
अवसर की घोषणा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) ने वैज्ञानिकों और शोधकर्त्ताओं को समर्पित भारतीय खगोल विज्ञान मिशन, एस्ट्रोसैट से डेटा का विश्लेषण करने की अनुमति देने हेतु अवसर की घोषणा (Announcement of Opportunity-AO) की है। अंतरिक्ष एजेंसी ने एस्ट्रोसैट से 13वें AO चक्र प्रेक्षणों हेतु AO अनुरोध प्रस्ताव तैयार किया है। 13वें AO चक्र हेतु यह AO अनुरोध प्रस्ताव भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तावकों के लिये है कि वे एस्ट्रोसैट वेधशाला समय को प्रधान अन्वेषक (Principal Investigators- PI) के रूप में उपयोग करें। अवलोकन अक्तूबर 2023 से सितंबर 2024 के बीच किये जाएंगे। यह घोषणा भारत में संस्थानों, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में रहने वाले तथा काम करने वाले भारतीय वैज्ञानिकों, शोधकर्त्ताओं हेतु 55% अवलोकन समय तथा दुनिया भर में अंतरिक्ष एजेंसियों, संस्थानों, विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में काम करने वाले गैर-भारतीय वैज्ञानिकों, शोधकर्त्ताओं, अनिवासी भारतीयों (NRI) हेतु 20% अवलोकन समय के लिये खुली है। एस्ट्रोसैट पहला समर्पित भारतीय खगोल विज्ञान मिशन है जिसका उद्देश्य एक्स-रे तथा यूवी वर्णक्रमीय बैंड में खगोलीय स्रोतों का एक साथ अध्ययन करना है, जो इसरो द्वारा संचालित अंतरिक्ष खगोल विज्ञान वेधशाला प्रदान करता है। एस्ट्रोसैट को वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था, इसने सितंबर 2022 में अपनी कक्षा में सात वर्ष पूरे किये हैं।
और पढ़ें… एस्ट्रोसैट, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
कोर्ट रूम कार्यवाही का लाइव प्रतिलेखन
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर न्यायालयी कार्यवाही को लाइव करने की अपनी तरह की पहली परियोजना शुरू की। इसके लिये सर्वोच्च न्यायालय प्रतिलेखन Teres का उपयोग कर रहा है, यह अक्सर सहायक सत्रों के प्रतिलेखन के लिये एक मंच के रूप में उपयोग किया जाता है। इस प्रतिलेख को प्रत्येक शाम को सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर पोस्ट किया जाएगा और उन वकीलों के साथ साझा किया जाएगा जिन्होंने सत्यापन के लिये मामलों पर चर्चा की थी। यह संविधान बेंच से पहले अपनी कार्यवाही को लाइव करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद इसे और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में दूसरा बड़ा निर्णय है। सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश, स्टे ऑर्डर, जमानत आदेश और अन्य आदेशों को एक सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक संचार चैनल के माध्यम से संबंधित लोगों तक प्रेषित करने के लिये वर्ष 2022 में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने डिजिटल प्लेटफॉर्म FASTER ((इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का तेज़ी से और सुरक्षित ट्रांसमिशन)) लॉन्च किया। सर्वोच्च न्यायालय ने कानूनी अनुसंधान के साथ-साथ न्यायाधीशों की सहायता करने के उद्देश्य से न्यायिक प्रणाली में AI आधारित पोर्टल 'SUPACE' जैसी प्रौद्योगिकी से जुड़े अन्य कार्यक्रमों को भी लॉन्च किया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यायालय के प्रतिलेख याचिकाकर्त्ताओं और जनता के लिये उपलब्ध हैं। अमेरिका का न्यायालय कार्यवाही का ऑडियो और टेक्स्ट-स्वरूप प्रतिलेख प्रदान करता है। यूनाइटेड किंगडम में सुनवाई की रिकॉर्डिंग हेतु कोई याचिकाकर्त्ता कुछ शुल्क का भुगतान कर उस न्यायालयी कार्यवाही के प्रतिलेख हेतु अनुरोध कर सकता है।
और पढ़ें… आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग
विश्व सामाजिक न्याय दिवस
प्रत्येक वर्ष 20 फरवरी को विश्व भर में विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2007 में घोषणा की कि प्रतिवर्ष 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाया जाएगा। वर्ष 2008 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने समान वैश्वीकरण हेतु सामाजिक न्याय पर ILO घोषणा का समर्थन किया। वर्ष 1919 के ILO के संविधान के बाद से यह ILO के सिद्धांतों एवं नीतियों के अंतर्गत तीसरी बड़ी घोषणा है। यह दिवस सामाजिक अन्याय के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है तथा लिंग, आयु, जाति, नस्ल, धर्म, संस्कृति या विकलांगता के आधार पर बाधाओं को दूर करता है। कई स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय इस विशेष दिन पर कई गतिविधियों एवं कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, ताकि विश्व भर में लोग सामाजिक न्याय के मूल्यों को बनाए रखने की आवश्यकता को समझ सकें। इस वर्ष की थीम वैश्विक एकजुटता को मज़बूत करने तथा "बाधाओं पर नियंत्रण पाने एवं सामाजिक न्याय के अवसरों को उज़ागर करने" हेतु सरकार के प्रति विश्वास का पुनर्निर्माण करने हेतु तैयार किये गए सामान्य एजेंडे में उपलब्ध सिफारिशों पर केंद्रित है।
और पढ़ें… अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)
"जहाँ न्याय से इनकार किया जाता है, जहाँ गरीबी थोपी जाती है, जहाँ अज्ञानता प्रबल होती है और जहाँ किसी एक वर्ग को यह महसूस कराया जाता है कि समाज उन्हें दबाने, लूटने तथा नीचा दिखाने के लिये एक संगठित साजिश है, वहाँ न तो व्यक्ति और न ही संपत्ति सुरक्षित होगी।” -फ्रेडरिक डगलस
अनुभूति समावेशी पार्क
हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने महाराष्ट्र के नागपुर में विश्व के सबसे बड़े और अनोखे दिव्यांग पार्क - अनुभूति समावेशी पार्क की आधारशिला रखी। यह विश्व का पहला समावेशी दिव्यांग पार्क है जिसका निर्माण सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा किया गया है। दिव्यांगों के साथ-साथ आम जनता और वरिष्ठ नागरिकों के लिये विभिन्न परियोजनाओं की परिकल्पना की गई है। पार्क में सभी 21 प्रकार की दिव्यांगताओं हेतु अनुकूलित सुविधाएँ होंगी, इसमें टच एंड स्मेल गार्डन, हाइड्रोथेरेपी यूनिट, वाटर थेरेपी तथा मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों एवं माताओं के लिये स्वतंत्र कक्ष जैसी सुविधाएँ होंगी। वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों के लिये दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम को पारित किया। यह कानून दिव्यांगों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार प्रदान करता है। केंद्र सरकार ने इस पहल के तहत दक्षिण भारत और मध्य प्रदेश में भी कुछ दिव्यांग पार्क बनाए हैं।
और पढ़ें… दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, दिव्यांगों के सशक्तीकरण हेतु पहल