रैपिड फायर
पेरिस समझौते के अंतर्गत BTR और BUR
स्रोत: TH
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) भारत की पहली द्विवार्षिक पारदर्शिता रिपोर्ट (Biennial Transparency Report- BTR) का निष्पक्ष विशेषज्ञ मूल्यांकन करेगा, जिसे पेरिस समझौते के तहत प्रस्तुत किया जाना है।
- BTR: जलवायु कार्रवाई में खुलापन बढ़ाने के लिये, सरकारों को पेरिस समझौते, 2015 के तहत प्रत्येक दो वर्ष में BTR प्रस्तुत करना आवश्यक है। सबसे कम विकसित देश (LDC) और छोटे द्वीप विकासशील राज्य (SIDS) इसे प्रस्तुत करने के लिये स्वतंत्र हैं।
- ये रिपोर्टें राष्ट्रीय ग्रीनहाउस गैस (GHG) सूची, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) और जलवायु अनुकूलन उपायों पर प्रगति को संरेखित करती हैं।
- BUR: भारत ने पहले द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (Biennial Update Reports- BUR) प्रस्तुत की, जिसमें अंतिम रिपोर्ट 2024 ( BUR-4) में 2020 तक के आँकड़ें शामिल हैं।
- BUR 4 की मुख्य विशेषताएँ:
- भारत का गैस उत्सर्जन: कार्बन डाइऑक्साइड (80.53%), मीथेन (13.32%), नाइट्रस ऑक्साइड (5.13%), और अन्य 1.02%।
- क्षेत्रवार उत्सर्जन: ऊर्जा (75.66%), कृषि (13.72%), औद्योगिक प्रक्रिया और उत्पाद उपयोग (IPPU) (8.06%), और अपशिष्ट (2.56%)।
- वन एवं वृक्ष आवरण: 522 मिलियन टन (mt) CO₂ संग्रहित किया गया, जो वर्ष 2020 में देश के कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 22% की कमी लाने के बराबर है।
- उत्सर्जन तीव्रता में कमी: उत्सर्जन तीव्रता में 36% की कमी (2005-2020), भारत वर्ष 2030 तक 45% की कमी के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है।
- वर्ष 2020 तक, भूमि उपयोग, भूमि उपयोग परिवर्तन और वानिकी (LULUCF) को छोड़कर भारत का उत्सर्जन 2,959 मीट्रिक टन CO2e, जबकि LULUCF को शामिल करते हुए, शुद्ध उत्सर्जन 2,437 मीट्रिक टन CO2e था।
और पढ़ें: WMO का ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन 2023
रैपिड फायर
भारत-अर्जेंटीना लिथियम साझेदारी
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत और अर्जेंटीना ने अर्जेंटीना में लिथियम अन्वेषण और निवेश अवसरों के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- अर्जेंटीना अपने विशाल लिथियम भंडार के लिये जाना जाता है और बोलीविया और चिली के सहित 'लिथियम ट्रायंगल' का हिस्सा है।
- लिथियम: यह एक नरम, रजताभ (चाँदी की भाँति श्वेत) क्षार धातु है और इसे श्वेत स्वर्ण भी कहते हैं।
- यह सबसे हल्की धातु और ठोस तत्व है तथा इसे क्षार और दुर्लभ धातु दोनों रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- इसका खनन पेटालाइट, लेपिडोलाइट, स्पोड्यूमीन तथा भूमिगत ब्राइन अयस्कों से किया जाता है।
- यह अत्यधिक अभिक्रियाशील और ज्वलनशील है और इसे खनिज तेल में संग्रहित किया जाना चाहिए ।
- यह इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी और नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण के लिये आवश्यक खनिज है।
- चिली (प्रथम), चीन (द्वितीय) और ऑस्ट्रेलिया (तृतीय) में लिथियम के सबसे बड़े भंडार हैं।
- भारत में, सलाल-हैमना क्षेत्र (जम्मू-कश्मीर का रियासी ज़िला), कोडरमा और गिरिडीह (झारखंड) तथा मांड्या (कर्नाटक) में लिथियम भंडार हैं।
- यह सबसे हल्की धातु और ठोस तत्व है तथा इसे क्षार और दुर्लभ धातु दोनों रूप में वर्गीकृत किया गया है।
और पढ़ें: अर्जेंटीना के साथ लिथियम-डील
रैपिड फायर
कलर रिवोल्यूशन
स्रोत: द हिंदू
जॉर्जिया के वर्ष 2024 के चुनावों से कलर रिवोल्यूशन (क्रांति) फिर से चर्चाओं में आ गए हैं जिसमें चल रहे राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों में पश्चिमी हस्तक्षेप के आरोप शामिल हैं क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति ने चुनावी कदाचार का हवाला देते हुए पद छोड़ने से मना कर दिया, जबकि निर्वाचित राष्ट्रपति सत्ता में आए।
- कलर रिवोल्यूशन:
- परिचय: यह सोवियत संघ के बाद के राज्यों में शांतिपूर्ण एवं बड़े पैमाने के विरोध प्रदर्शनों से संबंधित है। इसमें प्रतीकात्मक रंगों का उपयोग किया गया, जिनका उद्देश्य मास्को समर्थक शासन के स्थान पर शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक सरकारों की स्थापना करना था।
- यद्यपि प्रारंभ में ये रिवोल्यूशन पश्चिमी समर्थक सरकारें बनाने में सफल रहे लेकिन इनके परिणामस्वरूप प्रायः अस्थिरता और भ्रष्टाचार देखा गया।
- उदाहरण:
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जॉर्जिया का रोज़ रिवोल्यूशन (2003)
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यूक्रेन का ऑरेंज रिवोल्यूशन (2004).
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किर्गिज़स्तान का ट्यूलिप रिवोल्यूशन (2005)
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रूस इन गतिविधियों को पश्चिमी हस्तक्षेप के रूप में देखता है जो उसके क्षेत्रीय प्रभाव के लिये खतरा है।
- परिचय: यह सोवियत संघ के बाद के राज्यों में शांतिपूर्ण एवं बड़े पैमाने के विरोध प्रदर्शनों से संबंधित है। इसमें प्रतीकात्मक रंगों का उपयोग किया गया, जिनका उद्देश्य मास्को समर्थक शासन के स्थान पर शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक सरकारों की स्थापना करना था।
- जॉर्जिया: यह पूर्वी यूरोप और पश्चिम एशिया में स्थित एक देश है जिसकी सीमा रूस, अज़रबैजान, आर्मेनिया एवं तुर्की से लगती है। इसकी समुद्री सीमा काला सागर से मिलती है।
रैपिड फायर
DDoS साइबर अटैक
स्रोत: TH
संपत्ति पंजीकरण से संबंधित कर्नाटक के कावेरी 2.0 पोर्टल को डिस्ट्रीब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस (DDoS) अटैक के कारण उत्पन्न समस्याओं का सामना करना पड़ा।
- स्वचालित अनुरोधों और फेक एकाउंट्स के कारण सिस्टम पर अत्यधिक बोझ पड़ने से डाउनटाइम की समस्या उत्पन्न हो गई।
- डिस्ट्रीब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस (DDoS) अटैक:
- DDoS अटैक एक साइबर अटैक है, जिसमें दुर्भावनापूर्ण ट्रैफिक किसी नेटवर्क या वेबसाइट पर अत्यधिक भार डाल देता है, जिससे कार्य बाधित होता है।
- DDoS अटैक, डेनियल ऑफ सर्विस (DoS) हमलों का बड़े पैमाने का संस्करण हैं, जो लक्ष्य को अधिभारित करने के लिये एकल स्रोत के बजाय कई समझौता किये गए सिस्टम (बॉटनेट) का उपयोग करते हैं।
- प्रकार:
- प्रभाव:
- DDoS अटैक सेवाओं को बाधित करते हैं, राजस्व को प्रभावित करते हैं, तथा साइबर सुरक्षा कमज़ोरियों को उजागर करते हैं, जिससे संगठन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचता है।
- शमन संबंधी रणनीतियाँ
- ट्रैफिक फिल्टरिंग, दर सीमा, सिक्यूरिटी ऑडिट, घटना प्रतिक्रिया योजना, बहु-कारक प्रमाणीकरण और बॉट डिटेक्शन (कैप्चा, व्यवहार विश्लेषण) द्वारा DDoS अटैक के विरुद्ध सुरक्षा में सुधार किया गया है।
और पढ़ें: डिनायल ऑफ-सर्विस (DoS) अटैक
प्रारंभिक परीक्षा
राज्य के जल मंत्रियों का दूसरा अखिल भारतीय सम्मेलन
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित राज्य के जल मंत्रियों का दूसरा अखिल भारतीय सम्मेलन राजस्थान के उदयपुर में संपन्न हुआ, जिसमें जल प्रबंधन के मुद्दों के लिये कई पहलों का सुझाव दिया गया।
इस सम्मेलन का विषय था "इंडिया@2047 - एक जल सुरक्षित राष्ट्र"।
नोट: भोपाल में आयोजित राज्य के जल मंत्रियों का पहला अखिल भारतीय सम्मेलन (जनवरी 2023) पाँच प्रमुख क्षेत्रों अर्थात जल सुरक्षा, जल उपयोग दक्षता, शासन, जलवायु अनुकूलन और जल गुणवत्ता पर केंद्रित था
राज्य के जल मंत्रियों के दूसरे अखिल भारतीय सम्मेलन में शामिल की गई प्रमुख पहल क्या हैं?
- कृषि जल प्रबंधन: ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों को अपनाना, प्रेसराइज़ सिंचाई नेटवर्क (PIN) का विस्तार करना, कृषि में जल दक्षता में सुधार के लिये इवैपोट्रांसपाइरेशन (ET) आधारित सिंचाई प्रणाली का मूल्यांकन करना।
- ET से मृदा वाष्पीकरण और पौधों के वाष्पोत्सर्जन को संयोजित कर यह आकलन किया जाता है कि फसलों को इष्टतम विकास के लिये पर्याप्त जल प्राप्त हो रहा है या नहीं।
- नदी का नवोन्मेषण: बाढ़ से प्रभावित मैदानों के क्षेत्रीकरण करने, नदी के प्रवाह को बढ़ाने के लिये झरनों जैसे जल स्रोतों का नवोन्मेषण करने, तथा जल उपभोग के परिमाणीकरण को बढ़ावा देने से नदी नवोन्मेषण परियोजनाओं को बढ़ावा मिल सकता है।
- पेयजल आपूर्ति में सुधार: ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों (VWSC) के माध्यम से जल जीवन मिशन (JJM) को बनाए रखना।
- अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग के लिये स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के अंतर्गत ग्रे वाटर प्रबंधन को बढ़ावा देते हुए जल आपूर्ति बुनियादी ढाँचे में सुधार कर AMRUT के माध्यम से शहरी जल सुरक्षा का वर्द्धन करना।
- जल भंडारण में सुधार: जल भंडारण प्रणालियों के विस्तार, नवीनीकरण और आधुनिकीकरण (ERM) को प्राथमिकता देना ताकि दक्षता और जीवनकाल को अधिकतम तथा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में उपलब्धता बढ़ाने के लिये छोटे जल निकायों को बहाल किया जा सके।
- जल भंडारण और वितरण के बेहतर प्रबंधन के लिये स्वचालित जलाशय संचालन को लागू करना।
- जल प्रशासन को सुदृढ़ बनाना: राज्य-विशिष्ट समाधानों के साथ एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM) को लागू करना और जल प्रशासन में ज़मीनी स्तर पर भागीदारी को मज़बूत करना।
- समुदाय-संचालित जल संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देने के लिये देश भर में ' जल संचय जनभागीदारी' पहल को बढ़ावा देना।
दृष्टि अभ्यास प्रश्न : प्रश्न: स्थायी जल प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिये क्या पहल की जा सकती है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्स:प्रश्न: जल संरक्षण एवं जल सुरक्षा हेतु भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित जल शक्ति अभियान की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? (2020) प्रश्न. जल तनाव (Water Stress) क्या है? भारत में क्षेत्रीय स्तर पर यह कैसे और क्यों भिन्न है? (2019) |