चौथा वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन और एक्सपो (री-इन्वेस्ट)
स्रोत: TH
हाल ही में प्रधानमंत्री ने गुजरात के गांधीनगर में चौथे वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन और एक्सपो (री-इन्वेस्ट) का उद्घाटन किया ।
- यह सरकारी अधिकारियों, उद्योग जगत के नेताओं, निवेशकों, शोधकर्त्ताओं और नीति निर्माताओं जैसे नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाता है ।
- इसका आयोजन नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से किया गया था।
पुनर्निवेश की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- हरित परियोजनाओं के लिये वित्तीय प्रतिबद्धताएँ: बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने हरित परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये 32.45 ट्रिलियन रुपये की प्रतिबद्धता जताई ।
- यह वित्तीय सहायता भारत द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा विकास पर बढ़ते बल तथा वित्तीय क्षेत्रों से प्राप्त मज़बूत समर्थन को दर्शाती है।
- इसमें शीर्ष ऋणदाता- रिलायंस ( 6 ट्रिलियन रुपए) , भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड ( 5 ट्रिलियन रुपए), भारतीय स्टेट बैंक ( 5 ट्रिलियन रुपए), पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन ( 3 ट्रिलियन रुपए) और नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट ( 1.86 ट्रिलियन रुपए)।
- डेवलपर्स और निर्माताओं से समर्थन: निर्माताओं ने सौर मॉड्यूल में 340 गीगावाट , सौर सेल में 240 गीगावाट, पवन टर्बाइन में 22 गीगावाट और इलेक्ट्रोलाइज़र में 10 गीगावाट की अतिरिक्त विनिर्माण क्षमता के लिये प्रतिबद्धता जताई है ।
- विनिर्माताओं को छोड़कर अन्य हितधारकों ने 570 गीगावाट अतिरिक्त क्षमता वृद्धि के लिये प्रतिबद्धता जताई है।
- निवेशकों को आमंत्रण : भारत ने वैश्विक हितधारकों को भारत के तेज़ी से बढ़ते अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने के लिये आमंत्रित किया। सरकार अक्षय ऊर्जा के माध्यम से बढ़ती ऊर्जा मांग को स्थायी रूप से पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
- सौर ऊर्जा शुल्क में कमी : भारत ने ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिये शुल्क में 76% की प्रमुख कमी की घोषणा की जिससे सौर ऊर्जा, डेवलपर्स और उपभोक्ताओं दोनों के लिये अधिक किफायती और आकर्षक हो गई।
- अन्य उल्लेखनीय उपलब्धियाँ:
- स्थापित क्षमता में वृद्धि : भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता मार्च 2014 में 75.52 गीगावाट से बढ़कर वर्ष 2024 में 207.7 गीगावाट से अधिक हो गई है।
- नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि : भारत में कुल नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन वर्ष 2014 के 193.50 बिलियन यूनिट से 86% बढ़कर वर्ष 2024 में 360 बिलियन यूनिट (बीयू) हो गया है।
नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के विकास में प्रमुख हितधारकों की प्रतिबद्धताएँ क्या हैं?
- रिलायंस इंडस्ट्रीज़ वर्ष 2030 तक 100 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- NTPC ने वर्ष 2030 तक 41.3 गीगावाट तथा टोरेंट पावर लिमिटेड ने 10 गीगावाट की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- ReNew Power ने वर्ष 2030 तक 40 गीगावाट क्षमता स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताई है। वर्तमान में इसकी स्थापित क्षमता 10 गीगावाट है , जो सौर और पवन ऊर्जा के बीच बराबर-बराबर विभाजित है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न: 'कभी-कभी समाचारों में दिखाई पड़ने वाले 'घरेलू अंश आवश्यकता (डोमेस्टिक कन्टेंट रिक्वायरमेंट)' पद का संबंध किससे है ? (2017) (a) हमारे देश में सौर शक्ति उत्पादन का विकास करने से उत्तर: (a) प्रश्न: भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (IREDA) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये। (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
गुरु अमरदास का 450 वाँ ज्योति जोत दिवस
स्रोत: TT
चर्चा में क्यों?
हाल ही में तीसरे सिख गुरु, गुरु अमरदास जी का 450 वाँ ज्योति जोत दिवस मनाया गया।
श्री गुरु अमरदास जी कौन थे?
- परिचय:
- अमृतसर ज़िले के बसरके में वर्ष 1479 में जन्मे श्री गुरु अमरदास जी का पालन-पोषण एक रूढ़िवादी हिंदू परिवार में हुआ था।
- वह गुरु नानक देव जी की गुरबानी से बहुत प्रेरित हुए और उन्होंने गुरु अंगद देव जी को अपना आध्यात्मिक मार्गदर्शक बना लिया।
- मार्च 1552 में 73 वर्ष की आयु में इन्हें तीसरे गुरु (गुरु अंगद जी के बाद) के रूप में नियुक्त किया गया, इन्होंने गोइंदवाल में अपना मुख्य केंद्र स्थापित किया।
- प्रमुख योगदान:
- गुरु अमरदास जी ने सिख धर्म की शिक्षाओं के प्रसार को सुगम बनाने के लिये सिख समुदाय को 22 प्रशासनिक ज़िलों (मंजियों) में विभाजित किया।
- इन्होंने समानता और समभाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, आगंतुकों से मिलने से पूर्व भोजन ग्रहण को महत्त्वपूर्ण माना एवं इसके लिये' गुरु के लंगर' (सामुदायिक रसोई) की परंपरा को सुदृढ़ किया।
- सम्राट अकबर के साथ इनके संवाद के उपरांत गैर-मुसलमानों के लिये तीर्थयात्री कर को समाप्त कर दिया गया था जिससे पारस्परिक संबंधों में सुदृढ़ता आई।
- इन्होंने सामाजिक अन्याय के विरुद्ध सक्रिय अभियान चलाया और सिखों में सती प्रथा एवं पर्दा प्रथा को समाप्त किया।
- इन्होंने आनंद कारज विवाह समारोह की शुरुआत की।
- इनकी विरासत एवं अंतिम वर्ष:
- गुरु अमरदास जी ने गोइंदवाल साहिब में एक बावड़ी का निर्माण कराया, जिससे यह एक महत्त्वपूर्ण सिख तीर्थ स्थल बन गया।
- इन्होंने 869 सबदों की रचना की (हालाँकि कुछ विवरण बताते हैं कि उनकी संख्या 709 थी), जिनमें आनंद साहिब भी शामिल है और गुरु अर्जन देव जी ने इन सभी सबदों को गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किया।
- 1 सितंबर, 1574 को 95 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया और वे एक महत्त्वपूर्ण विरासत छोड़ गए जो आज भी सिख समुदाय को प्रेरित कर रही है।
सिख गुरु और उनके प्रमुख योगदान |
||
गुरु |
अवधि |
प्रमुख योगदान |
गुरु नानक देव |
1469-1539 |
सिख धर्म के संस्थापक; गुरु का लंगर शुरू किया (सामुदायिक रसोई); बाबर के समकालीन; 550 वीं जयंती करतारपुर गलियारे के साथ मनाई गई। |
गुरु अंगद |
1504-1552 |
गुरु-मुखी लिपि का आविष्कार; गुरु का लंगर (सामुदायिक रसोई) की प्रथा को लोकप्रिय बनाया। |
गुरु अमर दास |
1479-1574 |
आनंद कारज विवाह की शुरुआत की, सती प्रथा और पर्दा प्रथा को समाप्त किया, अकबर के समकालीन थे। |
गुरु राम दास |
1534-1581 |
वर्ष 1577 में अमृतसर की स्थापना की; स्वर्ण मंदिर का निर्माण शुरू किया। |
गुरु अर्जुन देव |
1563-1606 |
वर्ष 1604 में आदि ग्रंथ की रचना की; स्वर्ण मंदिर का निर्माण पूरा किया गया; जहाँगीर द्वारा इसका निर्माण कराया गया। |
गुरु हरगोबिंद |
1594-1644 |
सिखों को एक सैन्य समुदाय में परिवर्तित किया; अकाल तख्त (सिख धर्म की धार्मिक सत्ता का मुख्य केंद्र) की स्थापना की; जहाँगीर और शाहजहाँ के विरुद्ध संघर्ष किया। |
गुरु हर राय |
1630-1661 |
औरंगजेब के साथ शांति को बढ़ावा दिया; धर्मप्रचार के कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया। |
गुरु हरकिशन |
1656-1664 |
सबसे युवा गुरु; इस्लाम विरोधी ईशनिंदा के संबंध में औरंगजेब द्वारा इन्हें अपने समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया गया। |
गुरु तेग बहादुर |
1621-1675 |
आनंदपुर साहिब की स्थापना की । |
गुरु गोबिंद सिंह |
1666-1708 |
वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की; इन्होंने एक नया संस्कार "पाहुल" (Pahul) शुरू किया, ये मानव रूप में अंतिम सिख गुरु थे और इन्होंने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को सिखों के गुरु के रूप में नामित किया । |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित भक्ति संतों पर विचार कीजिये: (2013)
इनमें से कौन उस समय उपदेश देता था/देते थे जब लोदी वंश का पतन हुआ तथा बाबर सत्तारुढ़ हुआ? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) |
विष्णुपद और महाबोधि मंदिर हेतु कॉरिडोर परियोजनाएँ
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय बजट 2024-25 में बिहार के गया में विष्णुपद मंदिर तथा बोधगया में महाबोधि मंदिर के लिये गलियारा परियोजनाओं को विकसित करने की योजना पर प्रकाश डाला गया।
- काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पर आधारित इन परियोजनाओं का उद्देश्य दोनों मंदिरों को प्रमुख तीर्थस्थल और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना है।
- ये मंदिर एक-दूसरे से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर हैं और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।
विष्णुपद मंदिर और महाबोधि मंदिर के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- गया स्थित विष्णुपद मंदिर: यह बिहार के गया ज़िले में फल्गु नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है ।
- किवदंती: स्थानीय पौराणिक कथाओं के अनुसार गयासुर नामक एक राक्षस ने देवताओं से दूसरों को मोक्ष (पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति) प्राप्त करने में मदद करने की शक्ति देने का अनुरोध किया था।
- हालाँकि इस शक्ति का दुरुपयोग करने पर भगवान विष्णु ने उसे वश में कर लिया। इस मंदिर में इस घटना का पदचिह्न माना जाता है।
- वास्तुकला संबंधी विशेषताएँ: यह मंदिर लगभग 100 फीट ऊँचा है और इसमें 44 स्तंभ हैं जो बड़े ग्रे ग्रेनाइट ब्लॉक (मुंगेर काले पत्थर) से बने हैं, जो लोहे की पट्टियों से जुड़े हुए हैं।
- यह अष्टकोणीय मंदिर पूर्व दिशा की ओर उन्मुख है।
- निर्माण: इसका निर्माण 1787 ई. में महारानी अहिल्याबाई होल्कर के आदेश पर किया गया था।
- सांस्कृतिक प्रथाएँ: इस मंदिर की मान्यता के कारण पितृ पक्ष की अवधि के दौरान, अपने पूर्वजों का स्मरण करने के लिये बड़ी संख्या में भक्त यहाँ आते हैं।
- ब्रह्म कल्पित ब्राह्मण (जिन्हें गयावाल ब्राह्मण भी कहा जाता है), प्राचीन काल से इस मंदिर के पारंपरिक पुजारी रहे हैं।
- किवदंती: स्थानीय पौराणिक कथाओं के अनुसार गयासुर नामक एक राक्षस ने देवताओं से दूसरों को मोक्ष (पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति) प्राप्त करने में मदद करने की शक्ति देने का अनुरोध किया था।
- बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर: ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ गौतम बुद्ध को महाबोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
- मंदिर का निर्माण: मूल मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया था जबकि वर्तमान संरचना 5वीं-6वीं शताब्दी की है।
- स्थापत्य विशेषताएँ: इसमें 50 मीटर ऊँचा भव्य मंदिर (वज्रासन), पवित्र बोधि वृक्ष और बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के अन्य 6 पवित्र स्थल शामिल हैं।
- यह कई प्राचीन स्तूपों से घिरा हुआ है, जिनका रखरखाव अच्छी तरह से किया गया है तथा यह आंतरिक, मध्य और बाहरी गोलाकार सीमाओं द्वारा संरक्षित हैं।
- यह गुप्त काल के सबसे प्रारंभिक ईंट मंदिरों में से एक है जिससे बाद की ईंट वास्तुकला प्रभावित हुई।
- वज्रासन (हीरा सिंहासन) मूलतः सम्राट अशोक द्वारा उस स्थान को चिह्नित करने के लिये स्थापित किया गया था जहाँ बुद्ध ध्यान करते थे।
- पवित्र स्थल:
- बोधि वृक्ष: ऐसा माना जाता है कि यह उस वृक्ष का प्रत्यक्ष वंशज है जिसके नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
- अनिमेषलोचन चैत्य: जहाँ बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद ध्यान का दूसरा सप्ताह बिताया था।
- रत्नचक्रमा: जहाँ ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध ने तीसरा सप्ताह बिताया था।
- रत्नाघर चैत्य: जहाँ ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध ने चौथा सप्ताह बिताया था।
- अजपाल निग्रोध वृक्ष: ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध के पाँचवें सप्ताह का स्थान।
- लोटस पॉण्ड: बुद्ध द्वारा ज्ञान प्राप्ति के बाद छठे सप्ताह का स्थान।
- राजयतन वृक्ष: बुद्ध द्वारा ज्ञान प्राप्ति के बाद सातवें सप्ताह का स्थान।
- मान्यता: इसे वर्ष 2002 से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है।
- तीर्थ स्थल: महाबोधि मंदिर में बड़ी संख्या में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय तीर्थयात्री आते हैं, जो इसके आध्यात्मिक महत्त्व को दर्शाता है।
नोट:
- बिहार के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में राजगीर का विश्व शांति स्तूप, नालंदा, प्राचीन शहर पाटलिपुत्र, पश्चिम चंपारण का वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व आदि शामिल हैं।
तीर्थयात्री गलियारा परियोजना (PCP) क्या है?
- तीर्थयात्री गलियारा परियोजना (PCP) के तहत धार्मिक स्थलों को आध्यात्मिक और पर्यटन उद्देश्यों के लिये विश्व स्तरीय स्थलों के रूप में उन्नत किया जाना शामिल है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- पर्यटन और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: धार्मिक पर्यटन के विस्तार से विदेशी मुद्रा तथा रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है साथ ही इससे भारत का पर्यटन राजस्व साल-दर-साल 65.7% बढ़ने की उम्मीद है (आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24)।
- संरक्षण और जीर्णोद्धार: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसी परियोजनाएँ मंदिर क्षेत्रों के विस्तार तथा जीर्णोद्धार पर केंद्रित हैं, जिनमें शीतला माता एवं राम मंदिर जैसे छोटे मंदिर भी शामिल हैं।
- आगंतुकों के अनुभवों का बेहतर होना: इसके तहत सुधारों में भीड़भाड़ को कम करना, आभासी पर्यटन की शुरुआत करना और शौचालय, दुकानें जैसी सुविधाएँ प्रदान करना, एस्केलेटर तथा रैंप के साथ बेहतर पहुँच प्रदान करना शामिल हैं।
और पढ़ें: मंदिर वास्तुकला, राम मंदिर
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. नागर, द्रविड़ और वेसर हैं– (2012) (a) भारतीय उपमहाद्वीप के तीन मुख्य जातीय समूह उत्तर: C |
एंटी सबमरीन वारफेयर
स्रोत: पीआईबी
हाल ही में भारतीय नौसेना के लिये मेसर्स कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित आठ एंटी सबमरीन वारफेयर (ASW) शैलो वाटर क्राफ्ट (SWC) परियोजना के चौथे और पाँचवें शिप (मालपे और मुल्की) का कोच्चि में अनावरण किया गया।
- आईएनएस माहे, आईएनएस मालवन और आईएनएस मंगरोल का अनावरण वर्ष 2023 में किया गया।
- माहे श्रेणी के ASW SWC का नाम भारत के समुद्र तट पर स्थित रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण बंदरगाहों के नाम पर रखा गया है।
- ASW SWC शिप स्वदेशी रूप से विकसित एवं अत्याधुनिक होने के साथ सेंसर से लैस होने के साथ तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियानों के साथ-साथ कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों और बारूदी सुरंग बिछाने के अभियानों के लिये परिकल्पित हैं।
- 25 नॉट्स की अधिकतम गति के साथ ये 1800 समुद्री मील तक की दूरी तक यात्रा कर सकते हैं।
और पढ़ें: भारतीय नौसेना की ASW SWC परियोजना
अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) के शासी बोर्ड की पहली बैठक हुई।
- इसमें भारत की अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ाने तथा सभी संस्थानों में मज़बूत अनुसंधान संस्कृति स्थापित करने की पहल पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- इस बैठक के दौरान त्वरित नवाचार और अनुसंधान के लिये साझेदारी (PAIR), उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों में उन्नति के लिये मिशन (MAHA) तथा ANRF उत्कृष्टता केंद्र (ACE) की शुरूआत करने की योजना पर प्रकाश डाला गया।
- PAIR का उद्देश्य शीर्ष स्तरीय संस्थानों और उन शैक्षणिक संस्थानों के बीच नई साझेदारियों को बढ़ावा देना है जहाँ अनुसंधान क्षमताएँ सीमित हैं।
- यह हब और स्पोक ढाँचे के तहत कार्य करेगा।
- MAHA को प्राथमिकता-संचालित, समाधान-केंद्रित अनुसंधान के माध्यम से प्रमुख रणनीतिक और उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान में तेज़ी लाने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
- MAHA के अंतर्गत सहायता के लिये तत्काल प्राथमिकता वाले क्षेत्र ईवी मोबिलिटी और उन्नत सामग्री हैं।
- ANRF उत्कृष्टता केंद्र विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान को समर्थन देने के लिये अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचे के साथ विश्व स्तरीय अनुसंधान वातावरण बनाने में सहायक होगा।
- ANRF की स्थापना अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन अधिनियम, 2023 के तहत पूरे देश में अनुसंधान तथा नवाचार की संस्कृति को विकसित करने एवं बढ़ावा देने के लिये की गई है।
और पढ़ें: राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन
बुध का दक्षिणी ध्रुव
स्रोत: IT
हाल ही में यूरोपीय-जापानी अंतरिक्ष एजेंशियों द्वारा संयुक्त रूप से भेजा गया बेपीकोलंबो मिशन सफलतापूर्वक चौथी बार बुध के निकटतम बिंदु तक पहुँचा, जिससे यह अंतरिक्ष यान सौरमंडल के सबसे आंतरिक ग्रह की कक्षा के निकट पहुँचने में कामयाब रहा।
- यह बेपीकोलंबो के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि इसने बुध के दुग्राह्य दक्षिणी ध्रुव की पहली झलक प्रदान की।
- इससे अंतरिक्ष यान को बुध की कक्षा में जाने के आगामी मिशन के लिये तैयार होने में मदद मिलेगी, जिसे नवंबर 2026 तक के लिये विलंबित कर दिया गया है।
बेपीकोलंबो मिशन:
- यह यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) का संयुक्त बुध मिशन है, जिसे अक्तूबर 2018 में लॉन्च किया गया था।
- यह एक महत्त्वाकांक्षी मिशन है जिसे बुध की सतह, संरचना, चुंबकीय क्षेत्र एवं सौर पर्यावरण के साथ इसकी अंतःक्रिया का अध्ययन करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
बुध:
- यह सूर्य के सबसे निकटतम है और हमारे सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह भी है।
- हालाँकि बुध सूर्य के सबसे निकट है लेकिन यह सबसे गर्म ग्रह नहीं है। सबसे गर्म ग्रह शुक्र है जो कि अपने सघन वायुमंडल के कारण विशेष है।
- इसका अपना कोई उपग्रह नहीं है।
- इसे एक परिक्रमण को पूरा करने में पृथ्वी के 88 दिन के बराबर समय लगता है।
और पढ़ें: बुध मिशन
तेलंगाना की AI सिटी परियोजना
स्रोत: BL
तेलंगाना सरकार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में अन्वेषण हेतु तेलंगाना को एक वैश्विक केंद्र बनाने के उद्देश्य से एक AI सिटी बनाने की परियोजना बना रही है।
- AI सिटी अनुसंधान, विकास और अनुप्रयोग हेतु एक केंद्र के रूप में कार्य करेगी, जिसका उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में अग्रणी प्रगति को प्रोत्साहित करना है।
- इसके अतिरिक्त, AI के क्षेत्र में विशेषज्ञता एवं शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये शहर में एक AI स्कूल की स्थापना की जाएगी।
- तेलंगाना AI मिशन, नैसकॉम के सहयोग से, AI प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग को रोकने के लिये AI फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन में सरकार की सहायता करेगा।
- सरकार निजी कंपनियों के साथ मिलकर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करेगी, जिसका उद्देश्य राज्य के महत्त्वपूर्ण और उभरते क्षेत्रों में AI को प्रोत्साहित करना है।
- इसका उद्देश्य तरुणों में प्रतिभा विकास एवं कौशल का संवर्द्धन करना है, जिससे 2.5 लाख से अधिक विद्यार्थी और पेशेवर लाभान्वित होंगे।
- सरकार वैश्विक अनुसंधान केंद्र अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (जे-पीएएल) के साथ साझेदारी करके AI रिसर्च लैब स्थापित करेगी, जो शासन सेवाओं और प्रक्रियाओं में AI की अनुप्रयोज्यता को प्रोत्साहित करेगी।
और पढ़ें: इंडिया AI मिशन