प्रारंभिक परीक्षा
अंटार्कटिक में हीटवेव
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल के समय में अंटार्कटिक अत्यंत शीत ऋतु में भी भीषण हीटवेव का सामना कर रहा है, जो पिछले दो वर्षों में रिकॉर्ड तापमान की दूसरी घटना है।
- जुलाई 2024 के मध्य से भूमि का तापमान सामान्य से औसतन 10 डिग्री सेल्सियस अधिक हो गया है, कुछ क्षेत्रों में 28 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि देखी गई है।
अंटार्कटिक में शीत ऋतु में हीटवेव के क्या कारण हैं?
- ध्रुवीय भँवर/पोलर वोर्टेक्स का कमज़ोर होना:
- पोलर वोर्टेक्स/ध्रुवीय भँवर (जिसे पोलर पिग के नाम से भी जाना जाता है) पृथ्वी के दोनों ध्रुवों के आस-पास निम्न दाब और ठंडी पवनों का एक बड़ा क्षेत्र है।
- "वोर्टेक्स" शब्द का अर्थ पवन के वामावर्त प्रवाह से है जो ध्रुवों के निकट ठंडी पवन को बनाए रखने में सहायता करता है। यह हमेशा ध्रुवों के निकट मौजूद रहता है लेकिन गर्मियों में कमज़ोर हो जाता है व सर्दियों में मज़बूत हो जाता है।
- उच्च तापमान और शक्तिशाली वायुमंडलीय तरंगों (वायुमंडलीय चर के क्षेत्रों में आवधिक अवरोध) ने वोर्टेक्स/भँवर को बाधित कर दिया।
- इससे ऊपर से आने वाली गर्म पवनों ने नीचे पहुँच कर ठंडी पवनों को प्रतिस्थापित कर दिया। इन गर्म पवनों के आगमन ने क्षेत्र के तापमान में वृद्धि की।
- पोलर वोर्टेक्स/ध्रुवीय भँवर (जिसे पोलर पिग के नाम से भी जाना जाता है) पृथ्वी के दोनों ध्रुवों के आस-पास निम्न दाब और ठंडी पवनों का एक बड़ा क्षेत्र है।
- अंटार्कटिक समुद्री बर्फ में कमी:
- अंटार्कटिक समुद्री बर्फ ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर पर पहुँच गई है, जिससे सौर ऊर्जा को परावर्तित करने और शीत पवनों एवं गर्म जल के बीच अवरोध के रूप में कार्य करने की इसकी क्षमता कम हो गई है। यह कमी वैश्विक तापमान में वृद्धि में योगदान देती है।
- ग्लोबल वार्मिंग की उच्च दर:
- अंटार्कटिका वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी दर से वार्मिंग का अनुभव कर रहा है, जिसका अनुमान प्रति दशक 0.22 से 0.32 डिग्री सेल्सियस है।
- IPCC के अनुमानों के अनुसार पूरी पृथ्वी प्रति दशक 0.14-0.18 डिग्री सेल्सियस की दर से गर्म हो रही है।
- यह त्वरित वार्मिंग मुख्य रूप से मानवजनित जलवायु परिवर्तन द्वारा संचालित है, जो प्राकृतिक जलवायु परिवर्तनशीलता के प्रभावों को बढ़ाता है।
- अंटार्कटिका वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी दर से वार्मिंग का अनुभव कर रहा है, जिसका अनुमान प्रति दशक 0.22 से 0.32 डिग्री सेल्सियस है।
- दक्षिणी महासागर का प्रभाव:
- गर्म होता दक्षिणी महासागर समुद्री बर्फ में कमी के कारण अत्यधिक ऊष्मा को अवशोषित करता है, जिससे एक फीडबैक लूप बनता है जो अंटार्कटिका पर हवा के तापमान को बढ़ाता है तथा चरम मौसम घटनाओं के जोखिम को बढ़ाता है।
अंटार्कटिका में हीट वेव के परिणाम क्या हैं?
- बर्फ का त्वरित विगलन: अंटार्कटिका शीतकालीन तापमान बढ़ने के कारण बर्फ का पिघलना तीव्र हो रहा है तथा हाल के दशकों में 1980 और 1990 के दशक की तुलना में इसमें 280% की वृद्धि देखी गई है।
- जिससे वैश्विक समुद्र के बढ़ते स्तर का महत्त्वपूर्ण जोखिम उजागर हुआ। मार्च 2022 में एक हीट वेव के कारण लगभग 1300 वर्ग किलोमीटर का एक हिमनद का हिस्सा ढह गया, जिससे वैश्विक समुद्र स्तर के बढ़ने का खतरा बन गया है।
- वैश्विक समुद्र स्तर में वृद्धि: अंटार्कटिक हिम चादर अंटार्कटिका के 98% हिस्से को आच्छादित करती है और इसमें विश्व के 60% से अधिक मीठे जल का भंडार है।
- समुद्र के स्तर में कुछ फीट की मामूली वृद्धि के परिणामस्वरूप मौजूदा उच्च ज्वार रेखाओं के 3 फीट के भीतर रहने वाले लगभग 230 मिलियन व्यक्तियों का विस्थापन हो सकता है, जो तटीय शहरों और पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण खतरा उत्पन्न करता है।
- महासागर परिसंचरण में व्यवधान: पिघलते हिमनद से मीठे जल का प्रवाह समुद्री जल की लवणता और घनत्व को बदल देता है, जिससे वैश्विक महासागर परिसंचरण धीमा हो जाता है।
- वर्ष 2023 के एक अध्ययन से पता चला है कि यह मंदी महासागर की उष्णता, कार्बन और पोषक तत्त्वों को संग्रहीत करने एवं परिवहन करने की क्षमता को कमज़ोर करती है, जो जलवायु विनियमन के लिये आवश्यक हैं। कम महासागर परिसंचरण गर्मी और CO2 अवशोषण को कम करता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग तेज़ होती है और चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति बढ़ जाती है जो विश्व भर में पारिस्थितिकी तंत्र तथा मानव आबादी को प्रभावित करती हैं।
- पारिस्थितिकी तंत्र व्यवधान: तापमान परिवर्तन और हिमनद की हानि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करता है, स्थिर बर्फ पर निर्भर प्रजातियों को खतरा होता है, जिससे जैवविविधता की हानि होती है तथा वैश्विक खाद्य जाल में बदलाव होता है।
- उदाहरणतः ध्रुवीय भालू और पेंगुइन जैसी प्रजातियाँ जीवित रहने के लिये स्थिर बर्फ पर निर्भर रहती हैं।
- फीडबैक लूप: बर्फ पिघलने से सूर्य के प्रकाश का परावर्तन (एल्बिडो प्रभाव) कम हो जाता है, जिससे महासागरों और भूमि द्वारा ऊष्मा का अवशोषण बढ़ जाता है, जिससे बर्फ पिघलने की प्रक्रिया और तेज़ हो जाती है, जिससे एक फीडबैक लूप का निर्माण होता है, जो जलवायु परिवर्तन को और बदतर बना देता है।
- एल्बिडो, सतहों की सूर्य के प्रकाश (सूर्य से आने वाली गर्मी) को परावर्तित करने की क्षमता की अभिव्यक्ति है।
अंटार्कटिक के लिये भारत की पहल
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. पृथ्वी ग्रह पर जल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:(2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
प्रारंभिक परीक्षा
अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्वदेशी अधिकारों के समर्थन को बढ़ावा देने के लिये 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस (International Day of Indigenous Peoples) मनाया गया।
- एक अन्य घटनाक्रम में, भारतीय विज्ञान संस्थान (IIS), बंगलूरु को जनजातीय अनुसंधान सूचना, शिक्षा, संचार और कार्यक्रम (TRI-ECE) के भाग के रूप में जनजातीय छात्रों के लिये सेमीकंडक्टर निर्माण तथा लक्षण वर्णन प्रशिक्षण के अंतर्गत जनजातीय छात्रों को प्रशिक्षित करने का कार्य सौंपा गया है।
अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस क्या है?
- परिचय: दिसंबर 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस’ को मनाए जाने का संकल्प पारित किये जाने के बाद से ही प्रतिवर्ष 9 अगस्त को यह दिवस मनाया जाता है।
- यह दिवस वर्ष 1982 में जिनेवा में आयोजित आदिवासी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्यसमूह की पहली बैठक को मान्यता देता है।
- वर्ष 2024 के लिये इस दिवस की थीम है: "Protecting the Rights of Indigenous Peoples in Voluntary Isolation and Initial Contact अर्थात् स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में स्वदेशी लोगों के अधिकारों का संरक्षण।"
- विश्व स्तर पर आदिवासियों से संबंधित मुख्य तथ्य:
- वर्तमान में बोलीविया, ब्राज़ील, कोलंबिया, इक्वाडोर, भारत आदि में लगभग 200 आदिवासी समूह स्वैच्छिक अलगाव में रह रहे हैं।
- अनुमान है कि विश्व में 90 देशों में 476 मिलियन आदिवासी रहते हैं।
- वे विश्व की जनसंख्या के 6% से भी कम हैं, लेकिन सबसे गरीब लोगों में कम-से-कम 15% हिस्सा उनका है।
- विश्व की अनुमानित 7,000 भाषाओं में से अधिकांश इन्हीं के द्वारा बोली जाती हैं तथा ये 5,000 विशिष्ट संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भारत में आदिवासियों से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- भारत में, 'आदिवासी' शब्द का इस्तेमाल कई जातीय और आदिवासी लोगों को परिभाषित करने के लिये एक व्यापक शब्द के रूप में किया जाता है, जिन्हें भारत की आदिवासी आबादी माना जाता है।
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार ये पैतृक समूह भारत की सामान्य आबादी के लगभग 8.6% भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो समग्र रूप से लगभग 104 मिलियन लोगों के बराबर है।
- आवश्यक विशेषताएँ: लोकुर समिति (1965) के अनुसार, आदिवासियों की आवश्यक विशेषताएँ हैं:
- आदिम लक्षणों का संकेत
- विशिष्ट संस्कृति
- बड़े पैमाने पर समुदाय के साथ संपर्क में संकोच
- भौगोलिक अलगाव
- पिछड़ापन
- भारत में अनुसूचित जनजातियाँ (ST) विभिन्न आदिवासी समुदायों या जनजातियों को संदर्भित करती हैं जिन्हें सरकार द्वारा विशेष सुरक्षा एवं सहायता हेतु मान्यता प्राप्त है।
- भारतीय संविधान द्वारा अनुसूचित जनजातियों के लिये प्रदत्त बुनियादी सुरक्षा उपाय:
- शैक्षिक एवं सांस्कृतिक सुरक्षा:
- अनुच्छेद 15(4): अन्य पिछड़े वर्गों (इसमें अनुसूचित जनजातियाँ शामिल हैं) की उन्नति के लिये विशेष प्रावधान
- अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा (इसमें अनुसूचित जनजातियाँ शामिल हैं)
- अनुच्छेद 46: राज्य विशेष ध्यान के साथ व्यक्तियों के कमज़ोर वर्गों, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक एवं आर्थिक हितों को बढ़ावा देगा तथा उन्हें सामाजिक अन्याय व सभी प्रकार के शोषण से बचाएगा।
- अनुच्छेद 350: विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार।
- राजनीतिक सुरक्षा:
- अनुच्छेद 330: लोकसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों का आरक्षण,
- अनुच्छेद 332: राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों का आरक्षण
- अनुच्छेद 243: पंचायतों में सीटों का आरक्षण।
- प्रशासनिक सुरक्षा: अनुच्छेद 275 में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण को बढ़ावा देने और उन्हें बेहतर प्रशासन प्रदान करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को विशेष निधि प्रदान करने का प्रावधान है।
- शैक्षिक एवं सांस्कृतिक सुरक्षा:
विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह
- जनजातीय समूहों में पीवीटीजी अधिक असुरक्षित हैं।
- वर्ष 1973 में, ढेबर आयोग ने आदिम जनजातीय समूहों (PTG) को एक अलग श्रेणी के रूप में बनाया, जो जनजातीय समूहों में कम विकसित हैं।
- वर्ष 2006 में, भारत सरकार ने PTG का नाम बदलकर PVTG कर दिया। इस संदर्भ में, वर्ष 1975 में, भारत सरकार ने सबसे कमज़ोर जनजातीय समूहों को PVTG नामक एक अलग श्रेणी के रूप में पहचानने की पहल की और 52 ऐसे समूहों की घोषणा की, जबकि वर्ष 1993 में अतिरिक्त 23 समूहों को श्रेणी में जोड़ा गया, जिससे कुल 705 अनुसूचित जनजातियों में से 75 PVTG हो गए।
- PVTG की कुछ बुनियादी विशेषताएँ हैं- वे ज़्यादातर समरूप हैं, जिनकी आबादी कम है, वे अपेक्षाकृत शारीरिक रूप से अलग-थलग हैं, लिखित भाषा का अभाव है, अपेक्षाकृत सरल तकनीक है और बदलाव की दर धीमी है आदि।
- सूचीबद्ध 75 PVTG में सबसे अधिक संख्या ओडिशा में पाई जाती है।
जनजातीय समुदाय परियोजना के छात्रों के लिये सेमीकंडक्टर निर्माण और विशेषता प्रशिक्षण क्या है?
- परिचय: परियोजना का उद्देश्य जनजातीय छात्रों को उन्नत तकनीकी कौशल को बढ़ावा देने हेतु विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना है।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य तीन वर्षों में जनजातीय छात्रों को सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में 2100 NSQF- प्रामाणित स्तर 6.0 और 6.5 प्रशिक्षण प्रदान करना है।
- राष्ट्रीय कौशल योग्यता रूपरेखा (NSQF) स्तर 6.0 आम तौर पर स्नातक की डिग्री या समकक्ष के अनुरूप होता है और NSQF स्तर 6.5 अक्सर स्नातक की डिग्री से परे एक विशेष कौशल सेट या उन्नत डिप्लोमा का प्रतिनिधित्व करता है।
- प्रशिक्षण संरचना: 1,500 जनजातीय छात्रों को सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिसमें 600 छात्रों को उन्नत प्रशिक्षण के लिये चुना जाएगा। पात्र आवेदकों के पास इंजीनियरिंग विषय में डिग्री होनी चाहिये।
अनुसूचित जनजातियों के लिये सरकारी पहल
- PM जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM JANMAN)
- PM PVTG मिशन
- TRIFED
- आदिवासी स्कूलों का डिजिटल रूपांतरण
- प्रधानमंत्री वन धन योजना
- एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में विशिष्टत: असुरक्षित जनजातीय समूहों/पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप्स (PVTGs) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019) 1. PVTGs देश के 18 राज्यों तथा एक संघ राज्यक्षेत्र में निवास करते हैं। उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं? (a) 1, 2 और 3 उत्तर: (c) प्रश्न. भारत के इतिहास के संदर्भ में, ‘ऊलगुलान’ अथवा महान उपद्रव निम्नलिखित में से किस घटना का विवरण था? (2020) (a) 1857 के विद्रोह का उत्तर: (d) प्रश्न. भारत के संविधान की किस अनुसूची के अधीन जनजातीय भूमि का, खनन के लिये निजी पक्षकारों को अंतरण अकृत और शून्य घोषित किया जा सकता है? (2019) (a) तीसरी अनुसूची उत्तर: (b) प्रश्न. अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अधीन, व्यक्तिगत या सामुदायिक वन अधिकारों अथवा दोनों की प्रकृति एवं विस्तार के निर्धारण की प्रक्रिया को प्रारंभ करने के लिये कौन प्राधिकारी होगा? (2013) (a) राज्य वन विभाग उत्तर: (d) प्रश्न. पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 के अंतर्गत समाविष्ट क्षेत्रों में ग्रामसभा की क्या भूमिका/शक्ति है? (2012)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019) 1. भारतीय वन अधिनियम, 1927 में हाल में हुए संशोधन के अनुसार, वन निवासियों को वनक्षेत्रों में उगने वाले बाँस को काट गिराने का अधिकार है। उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
रैपिड फायर
वन्यजीव अभयारण्यों में गैर-वानिकी गतिविधियों हेतु वन मंज़ूरी
स्रोत: द हिंदू
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) को बताया कि असम सरकार ने सोनाई-रूपाई वन्यजीव अभयारण्य (Sonai-Rupai Wildlife Sanctuary) में गैर-वनीय गतिविधियों के लिये आवश्यक वन मंज़ूरी नहीं ली है। मंत्रालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसी गतिविधियों हेतु केंद्र सरकार से मंज़ूरी की आवश्यकता होती है, जो नहीं मांगी गई।
- असम, भारत में स्थित सोनाई-रूपाई वन्यजीव अभयारण्य अपनी विविध वनस्पतियों और जीवों के लिये जाना जाता है, जिसमें लुप्तप्राय एक सींग वाला गैंडा भी शामिल है। यह विभिन्न वन्यजीव प्रजातियों हेतु एक महत्त्वपूर्ण आवास के रूप में कार्य करता है तथा व्यापक काजीरंगा-कार्बी आंगलोंग भू-दृश्य का हिस्सा है।
- मंत्रालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को अतिक्रमण के मुद्दों पर उचित आदेश पारित करने की सलाह दी तथा कहा कि राज्य सरकारें अनधिकृत निर्माण या अवैध बस्तियों की समस्या का समाधान कर सकती हैं।
- NGT पर्यावरण संरक्षण तथा वनों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी एवं शीघ्र निपटान के लिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम (2010) के तहत स्थापित एक विशेष निकाय है।
- मंत्रालय के काउंटर-एफिडेविट (जबावी शपथ-पत्र) में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि वन भूमि पर गैर-वानिकी गतिविधियों के लिये वन संरक्षण अधिनियम, 1980 की धारा 2(1)(ii) के तहत केंद्रीय अनुमोदन की आवश्यकता है। ऐसा कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ।
- वन संरक्षण अधिनियम, 1980 भारत में गैर-वनीय उद्देश्यों हेतु वन भूमि के उपयोग को नियंत्रित करता है, जिसके लिये केंद्र सरकार से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
- इसका उद्देश्य वनों की कटाई को नियंत्रित करके तथा सतत् वन प्रबंधन को बढ़ावा देकर वन भूमि को संरक्षित एवं सुरक्षित रखना है।
और पढ़ें: आरक्षित वन, होलोंगापार गिब्बन अभयारण्य, बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य, देहिंग पटकाई और रायमोना राष्ट्रीय उद्यान: असम, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)
रैपिड फायर
माइक्रोवेव ओवन में जीवाणु समुदाय
स्रोत: नेचर
हाल ही में माइक्रोवेव ओवन जैसे चरम ताप वाले वातावरण में पनपने वाले सूक्ष्मजीवों के विकासवादी अनुकूलन को समझने के लिये उन पर अध्ययन किया गया है।
मुख्य निष्कर्ष:
- ये प्रमुख जीवाणु बैसिलस, माइक्रोकॉकस और स्टैफिलोकोकस जेनेरा से संबंधित थे, जो आम तौर पर मानव त्वचा एवं सतहों पर रहते हैं जिन्हें लोग प्रायः छूते हैं।
- क्लेबसिएला (Klebsiella) और ब्रेवुंडिमोनस (Brevundimonas) सहित खाद्य जनित बीमारियों से जुड़े बैक्टीरिया के कुछ प्रकार भी घरेलू माइक्रोवेव में विकसित हुए।
- प्रयोगशाला माइक्रोवेव ओवन में बैक्टीरिया की सबसे बड़ी आनुवंशिक विविधता (एक प्रजाति के भीतर जीन में भिन्नता) थी।
- माइक्रोवेव हीटिंग ऊष्मा उत्पन्न करने और भोजन में अधिकांश सूक्ष्मजीवों को निष्क्रिय करने के लिये विद्युत चुंबकीय तरंगों (300 मेगाहर्ट्ज़ से 300 गीगाहर्ट्ज़) का उपयोग करता है।
- बैक्टीरिया:
- बैक्टीरिया सूक्ष्म जीव हैं जिनमें केवल एक कोशिका होती है। ये गोले, छड़ और सर्पिल जैसे विभिन्न आकार के होते हैं। वे लाभप्रद या हानिकारक हो सकते हैं।
- एक्सट्रीमोफाइल्स ऐसे जीव हैं जो सबसे विषम वातावरण, जिसमें झुलसाने वाले जलतापीय छिद्र/हाइड्रोथर्मल वेंट, सब-ज़ीरो अंटार्कटिक आइस और भू-पर्पटी के परम दाब शामिल हैं, में भी जीवित रह सकते हैं और पनप सकते हैं।
और पढ़ें: मेटाजीनोमिक्स
रैपिड फायर
ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर परियोजना
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में SJVN ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (SGEL) ने 90 मेगावाट की ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर परियोजना शुरू की।
- SJVN लिमिटेड भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत एक मिनी रत्न अनुसूची 'A' केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (CPSU) है।
- ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर परियोजना:
- मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले में स्थित ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पार्क में स्थित है।
- यह पार्क भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पार्क है।
- इस परियोजना का उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन में 2.3 लाख टन CO2 की उल्लेखनीय कमी लाना है, जिससे वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य को पूरा किया जा सके।
- यह जल वाष्पीकरण को कम करके जल संरक्षण में भी सहायता करेगा।
- भारत की स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता जून 2024 तक 85.47 गीगावाट तक पहुँचकर उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है।
- मई 2024 तक, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की कुल स्थापित क्षमता 195.01 गीगावाट है, जिसमें 46.65 गीगावाट पवन ऊर्जा, 10.35 गीगावाट बायोमास/सह-उत्पादन, 5 गीगावाट लघु जल विद्युत, 0.59 गीगावाट अपशिष्ट से ऊर्जा और 46.92 गीगावाट वृहत् जल विद्युत शामिल है।
और पढ़ें: वर्ष 2023 में भारत बना विश्व का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक
रैपिड फायर
तिमोर-लेस्ते ने किया राष्ट्रपति मुर्मू को सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में तिमोर-लेस्ते के राष्ट्रपति होर्ता ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सार्वजनिक सेवा, शिक्षा और महिला सशक्तीकरण में उनके योगदान को मान्यता देते हुए, ग्रैंड-कॉलर ऑफ द ऑर्डर ऑफ तिमोर-लेस्ते से सम्मानित किया।
- राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री गुस्माओ ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, प्रसार भारती तथा तिमोर-लेस्ते रेडियो एवं टेलीविज़न (RTTL) के बीच सहयोग व राजनयिक, आधिकारिक तथा सेवा पासपोर्ट के लिये वीज़ा छूट को शामिल करने वाले तीन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये।
पूर्वी तिमोर:
- पूर्वी तिमोर जिसे तिमोर-लेस्ते के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण-पूर्व में तिमोर सागर, उत्तर में वेटार जलडमरूमध्य, उत्तर-पश्चिम में ओम्बाई जलडमरूमध्य और दक्षिण-पश्चिम में पश्चिमी तिमोर (इंडोनेशियाई प्रांत पूर्वी नुसा तेंगारा का हिस्सा) से घिरा है।
- पूर्वी तिमोर में तिमोर द्वीप का पूर्वी आधा हिस्सा शामिल है, जिसका पश्चिमी आधा हिस्सा इंडोनेशिया का हिस्सा है।
- पूर्वी तिमोर, जिसे 18वीं शताब्दी में पुर्तगाल ने उपनिवेश बनाया था, पुर्तगाल के शासन के बाद वर्ष 1975 में इंडोनेशिया द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया, जिसके कारण यहाँ स्वतंत्रता के लिये एक लंबा संघर्ष चला।
- वर्ष 1999 में संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में हुए जनमत संग्रह में, पूर्वी तिमोरियों ने स्वतंत्रता के लिये मतदान किया, जिसके कारण शांति सेना के हस्तक्षेप तक हिंसा जारी रही और वर्ष 2002 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा देश को आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई।
- पूर्वी तिमोर ने आसियान की सदस्यता के लिये आवेदन किया है और वर्तमान में पर्यवेक्षक का दर्ज़ा रखता है।
और पढ़ें: पूर्वी तिमोर
रैपिड फायर
विश्व हाथी दिवस
स्रोत : मिंट
वनीय क्षेत्रों में एशियाई और अफ्रीकी हाथियों की स्थिति के बारे में जागरूकता लाने के लिये प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है।
- वर्ष 2024 की थीम है "प्रागैतिहासिक सौंदर्य, धार्मिक प्रासंगिकता और पर्यावरणीय महत्त्व को मूर्त रूप देना"।
- वर्ष 2017 की जनगणना के अनुसार अनुमानित 27,312 हाथियों और 138 पहचाने गए हाथी गलियारों के साथ, भारत विश्व की लगभग 60% एशियाई हाथियों की आबादी का आवास स्थान है।
- हाथियों की गर्भधारण अवधि लगभग 22 महीने होती है, जो किसी भी भूमि जीव की तुलना में सबसे लंबी होती है।
- एशियाई हाथियों (भारतीय) को आवास स्थान की क्षति, मानव-हाथी संघर्ष और अवैध शिकार के कारण IUCN रेड लिस्ट में लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
और पढ़ें: विश्व हाथी दिवस, हाथी गलियारे
रैपिड फायर
विश्व शेर दिवस
स्रोत: पी.आई.बी
बिग कैट रेस्क्यू द्वारा स्थापित और वर्ष 2013 से 10 अगस्त को मनाया जाने वाला विश्व शेर दिवस, आवास हानि, मानव-वन्यजीव संघर्ष तथा अवैध शिकार जैसे खतरों के कारण शेरों के संरक्षण की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
- शीर्ष शिकारियों के रूप में, शेर शाकाहारी आबादी को नियंत्रित करते हैं और जंगल में 10-14 वर्ष के जीवनकाल तथा लगभग 2 वर्ष के जन्म अंतराल के साथ पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं।
- भारत में, राष्ट्रीय प्रतीक में शक्ति का प्रतीक एशियाई शेर की आबादी सफल संरक्षण प्रयासों के कारण वर्ष 2015 में 523 से बढ़कर वर्ष 2020 में लगभग 674 हो गई है।
- 15 अगस्त 2020 को लॉन्च किये गए 'प्रोजेक्ट लायन' का उद्देश्य आवास सुधार, उन्नत निगरानी और मानव-वन्यजीव संघर्ष को संबोधित करके एशियाई शेरों के भविष्य को सुरक्षित करना है।