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जैव विविधता और पर्यावरण

तेज़ी से पिघल रही अंटार्कटिक की बर्फ

  • 01 Apr 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ओशन टर्निंग सर्कुलेशन, अंटार्कटिका के संदर्भ में भारत की पहल।

मेन्स के लिये:

वैश्विक महासागर पर बर्फ के पिघलने का प्रभाव, भारत की अंटार्कटिका में  पहल, हिमस्खलन और प्रभाव, तेज़ी से बर्फ का पिघलना और समुद्र के स्तर में वृद्धि।

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि तेज़ी से पिघलने वाली अंटार्कटिक बर्फ नाटकीय रूप से दुनिया के महासागरों के माध्यम से जल के प्रवाह को धीमा कर रही है और वैश्विक जलवायु, समुद्री खाद्य शृंखला और बर्फ की पेटियों की स्थिरता पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएंँ: 

  • विश्व के महासागर पर प्रभाव:
    • जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है और अंटार्कटिका की पिघलती बर्फ से स्वच्छ जल समुद्र में प्रवेश करता है, सतह के जल की लवणता और घनत्व कम हो जाता है, जिससे समुद्र के तल में नीचे की ओर जल का प्रवाह कम हो जाता है।
    • अध्ययन से पता चला है कि पश्चिमी अंटार्कटिक बर्फ के शेल्फ में गर्म जल का प्रवेश बढ़ जाएगा, लेकिन यह नहीं देखा कि यह प्रतिक्रिया प्रभाव कैसे पैदा कर सकती है और किस प्रकार इससे भी अधिक पिघलने का कारण बन सकती है।
    • रिपोर्ट में पाया गया कि अंटार्कटिक में गहरे जल का संचलन उत्तरी अटलांटिक में गिरावट की दर से दोगुनी दर से कमज़ोर हो सकता है।
      • इसके अलावा, अंटार्कटिका से गहरे समुद्र के जल का प्रवाह वर्ष 2050 तक 40% तक घट सकता है।
  • वैश्विक जलवायु पर प्रभाव:
    • निष्कर्ष यह भी सुझाव देते हैं कि समुद्र उतना कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करने में सक्षम नहीं होगा क्योंकि इसकी ऊपरी परतें अधिक स्तरीकृत हो जाती हैं, जिससे वातावरण में अधिक CO2 निकल जाती है।
  • खाद्य शृंखला पर प्रभाव:
    • समुद्र के निवर्तनियता से पोषक तत्त्व नीचे से ऊपर उठते हैं, दक्षिणी महासागर का वैश्विक फाइटोप्लांकटन उत्पादन के तीन-चौथाई हिस्से का योगदान है, जो खाद्य शृंखला का आधार है।
      • अंटार्कटिका के पास सिंकिंग का धीमा होना, पूरे संचलन को धीमा कर देता है और इसलिये पोषक तत्त्वों की मात्रा भी कम हो जाती है जिनका गहरे समुद्र से वापस सतह पर निवर्तन होता है।

अंटार्कटिका के संदर्भ में भारत की पहलें:

  • अंटार्कटिक संधि: भारत आधिकारिक तौर पर 1 अगस्त, 1983 को अंटार्कटिक संधि प्रणाली में शामिल हुआ। 12 सितंबर, 1983 को भारत अंटार्कटिक संधि का पंद्रहवांँ सलाहकार सदस्य बना।
  • अनुसंधान स्टेशन: अंटार्कटिका में अनुसंधान करने के लिये दक्षिण गंगोत्री स्टेशन (वर्तमान में डीकमीशन) और मैत्री, भारती स्टेशन की स्थापना की गई थी।
  • NCAOR की स्थापना: राष्ट्रीय अंटार्कटिक और महासागर अनुसंधान केंद्र (NCAOR) की स्थापना ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर क्षेत्रों में देश की अनुसंधान गतिविधियों को संचालित करने के लिये की गई थी।
  • भारतीय अंटार्कटिक अधिनियम 2022: यह अंटार्कटिका की यात्राओं और गतिविधियों को विनियमित करने के साथ-साथ महाद्वीप पर मौजूद लोगों के बीच उत्पन्न होने वाले संभावित विवादों की परिकल्पना करता है।
    • अधिनियम के अन्य प्रावधानों में खनिज संसाधनों, स्थानिक पौधों और  अंटार्कटिका के स्थानिक पक्षियों के संरक्षण एवं भारतीय टूर ऑपरेटरों के लिये प्रावधान शामिल हैं।

शेष विश्व में डीग्लेसिएशन की स्थिति:

  • थवाइट्स ग्लेशियर का पिघलना: थवाइट्स ग्लेशियर अंटार्कटिका में स्थित 120 किमी चौड़ा, तीव्र गतिशील ग्लेशियर है।
    • इसके आकार (1.9 लाख वर्ग किमी) के कारण, इसमें इतना जल है कि यह विश्व समुद्र स्तर को आधा मीटर से अधिक बढ़ा सकता है।
    • इसका पिघलना प्रत्येक वर्ष वैश्विक समुद्र-स्तर की वृद्धि में 4% का योगदान देता है।
  • माउंट किलिमंजारो पर बर्फ का पिघलना: अफ्रीका की सबसे बड़ी चोटी, तंजानिया के माउंट किलिमंजारो पर बर्फ की टोपी जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2050 तक पिघलने वाले प्रसिद्ध ग्लेशियरों में से एक है।
    • यह वर्ष 1912 से अब तक 80% से अधिक पिघल चुका है।
  • निवर्तित हिमालय: हिमालय के हिमनद ध्रुवीय टोपियों के बाहर बर्फ के सबसे बड़े खंड का निर्माण करते हैं और भारतीय-गंगा के मैदानी इलाकों में प्रवाहित होने वाली नदियों के लिये जल का स्रोत हैं।
    • दुनिया के किसी भी हिस्से की तुलना में हिमालय के ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं।
    • वर्ष 2000 के बाद से प्रत्येक वर्ष ग्लेशियर एक वर्टिकल फुट से अधिक और वर्ष 1975 से 2000 तक बर्फ पिघलने की मात्रा के दोगुने से अधिक का क्षरण हो रहा है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्र. पृथ्वी ग्रह पर जल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. नदियों और झीलों में जल की मात्रा भूजल की मात्रा से अधिक है।
  2. ध्रुवीय बर्फ की चोटियों और ग्लेशियरों में जल की मात्रा भूजल की मात्रा से अधिक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस

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