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जैव विविधता और पर्यावरण

बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य: असम

  • 29 Jun 2021
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य- अवस्थिति, वनस्पति तथा जैव विविधता; हिस्पिड हेयर/असम रैबिट, असम के विभिन्न अभयारण्य

मेन्स के लिये:

बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया (WWF) ने असम के बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य (Barnadi Wildlife Sanctuary) में कुछ बाघों को पाया।

  • बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य असम के सबसे छोटे वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है तथा 26.22 वर्ग किमी. के क्षेत्र को कवर करता है।

प्रमुख बिंदु

अवस्थिति:

  • बरनाडी वन्यजीव अभयारण्य (BWS) उत्तरी असम के बक्सा और उदालगुरी ज़िलों में भूटान की सीमा के निकट स्थित है।
  • अभयारण्य पश्चिम और पूर्व में क्रमशः बरनाडी तथा नलपारा नदी से घिरा हुआ है।

assam

कानूनी दर्जा:

  • असम सरकार द्वारा वर्ष 1980 में वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया।
  • बरनाडी अभयारण्य की स्थापना विशेष रूप से पिग्मी हॉग (Sus salvanius) और हिस्पिड हेयर (Caprolagus hispidus) के संरक्षण हेतु की गई थी।

जैव-विविधता:

  • यह एशियाई हाथी (Elephas maximus), बाघ/टाइगर (Panthera tigris) और गौर (Bos frontalis) जैसी संकटग्रस्त प्रजातियों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • BWS के लगभग 60% भाग को चरागाह के रूप में दर्ज किया गया है, इसमें से अधिकांश क्षेत्र अब घासयुक्त वनप्रदेश/जंगल हैं।
  • अभयारण्य में पाए जाने वाले वन मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती प्रकार के हैं जो कि उत्तरी किनारे पर पाए जाते हैं तथा दक्षिणी भागों में कुछ वृक्षों के साथ मिश्रित झाड़ियाँ और घास के मैदान हैं।

वनस्पति:

  • मानव गतिविधियों ने क्षेत्र की वनस्पति को काफी हद तक परिवर्तित किया गया है।
  • अधिकांश प्राकृतिक वनस्पतियों को बॉम्बेक्स सेइबा, टेक्टोना ग्रैंडिस और यूकेलिप्टस के व्यावसायिक वृक्षारोपण तथा छप्पर घास (अधिकांशतः सैकरम, कुछ मात्रा में फ्राग्माइट्स और थीम्डा के साथ) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।

असम में अन्य संरक्षित क्षेत्र:

हिस्पिड हेयर/असम रैबिट (Caprolagus hispidus)

Rabbit

आवास: 

  • मध्य हिमालय की दक्षिणी तलहटी।
  • यह प्रारंभिक क्रमिक लंबे घास, जिसे स्थानीय रूप से हाथी घास कहा जाता है, के मैदानों में रहता है। शुष्क मौसम के दौरान, घास वाले अधिकांश क्षेत्रों में आग लगने की संभावना होती है तब ये खरगोश नदी के किनारे दलदली क्षेत्रों या घास में शरण लेते हैं जो अग्नि के प्रति अतिसंवेदनशील नहीं होते हैं।

खतरे: 

  • हिस्पिड हेयर का आवास बढ़ती कृषि, बाढ़ नियंत्रण और मानव विकास के कारण अत्यधिक खंडित हो रहा है।
  • वनप्रदेशों/जंगलों में घास के मैदानों के अनुक्रमण की प्राकृतिक प्रक्रिया उपयुक्त आवास को कम कर देती है।

संरक्षण:

स्रोत: द हिंदू

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