गाँवों के पुनर्वास पर NTCA की योजना
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority- NTCA) ने राज्य वन्यजीव विभागों से आग्रह किया है कि वे मुख्य बाघ आवासों के भीतर स्थित गाँवों के स्थानांतरण के लिये एक व्यापक समय-सीमा और कार्य योजना विकसित करें।
NTCA की गाँव पुनर्वास योजना क्या है?
- मुख्य क्षेत्रों के संबंध में:
- वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 व्यवहार्य बाघ प्रजनन आबादी को समर्थन देने के लिये अशांत क्षेत्र (Disturbed Areas) की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।
- मुख्य या महत्त्वपूर्ण बाघ आवास से तात्पर्य बाघ रिज़र्व के भीतर के उन क्षेत्रों से है, जिन्हें प्रजनन करने वाली बाघ आबादी के अस्तित्त्व को सुनिश्चित करने के लिये अछूता रखा जाता है।
- NTCA का ध्यान भारत के 55 अधिसूचित बाघ अभयारण्यों पर है, जहाँ लगभग 600 गाँव (64,801 परिवार) वर्तमान में मुख्य बाघ आवासों में रहते हैं।
- वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 व्यवहार्य बाघ प्रजनन आबादी को समर्थन देने के लिये अशांत क्षेत्र (Disturbed Areas) की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।
- स्वैच्छिक ग्राम पुनर्वास कार्यक्रम (VVRP):
- स्वैच्छिक ग्राम पुनर्वास कार्यक्रम (VVRP) के दोहरे उद्देश्य हैं- विकास के अवसरों तक पहुँच प्रदान करके स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना और बाघों के लिये अछूता स्थान बनाना, ताकि दोनों ही चीज़ें सामंजस्य के साथ हो सकें।
- पुनर्वास स्वैच्छिक होना चाहिये तथा ग्राम सभाओं और संबंधित परिवारों की सूचित सहमति पर आधारित होना चाहिये एवं अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य वनवासियों के वन अधिकारों को मान्यता दी जानी चाहिये व उनका निपटारा किया जाना चाहिये।
- प्रतिपूर्ति: संबंधित परिवार वित्तीय प्रतिपूर्ति (प्रति परिवार 15 लाख रुपए) या पुनर्वास पैकेज (भूमि, आवास और बुनियादी सुविधाओं सहित) का चयन कर सकते हैं।
- उक्त योजना से संबंधित मुद्दे: NTCA का पुनर्वास पैकेज भूमि अर्जन अधिनियम, 2013 द्वारा निर्धारित विधिक मानकों के अनुरूप नहीं है।
- NTCA में भूमि अर्जन अधिनियम, 2013 की विधिक अपेक्षाओं का अनुपालन नहीं किया गया है जिसमें अनुसूचित जनजाति समुदायों और वन निवासियों को पुनर्व्यस्थापन (Resettlement) तथा पुनर्वास (Rehabilitation) प्रदान करने के लिये विशेष प्रावधान हैं।
- स्वैच्छिक ग्राम पुनर्वास कार्यक्रम (VVRP) के दोहरे उद्देश्य हैं- विकास के अवसरों तक पहुँच प्रदान करके स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना और बाघों के लिये अछूता स्थान बनाना, ताकि दोनों ही चीज़ें सामंजस्य के साथ हो सकें।
प्रोजेक्ट टाइगर:
- प्रोजेक्ट टाइगर भारत में एक वन्यजीव संरक्षण पहल है जिसे वर्ष 1973 में शुरू किया गया था।
- प्रोजेक्ट टाइगर का प्राथमिक उद्देश्य समर्पित टाइगर रिज़र्व बनाकर बाघों का उनके प्राकृतिक आवासों में अस्तित्त्व और रखरखाव सुनिश्चित करना है।
- केवल नौ अभयारण्यों से शुरू होकर, इस परियोजना ने वन्यजीव संरक्षण प्रयासों में एक आदर्श बदलाव को चिह्नित किया। वर्ष 2024 तक 55 रिज़र्व के साथ इसका विस्तार का दायरा विभिन्न राज्यों में है जो भारत के भू क्षेत्र का कुल 2.38% है।
- वर्ष 1972 में पहली बाघ गणना में अनूठी पग-मार्क विधि के साथ कैमरा-ट्रैप विधि जैसी अधिक सटीक तकनीकों का उपयोग किया गया।
और पढ़ें: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972, वन अधिकार अधिनियम, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन-सा मंत्रालय केंद्रक अभिकरण (नोडल एजेंसी) है? (2021) (a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |
चीन सीमा पर सोने की तस्करी
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) ने ऑपरेशन जज़्बा के तहत पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा के पास दो व्यक्तियों को चीन से 108 किलोग्राम सोने के बिस्कुट की तस्करी करने के आरोप में गिरफ्तार किया।
- हालाँकि छोटी वस्तुओं की तस्करी आम बात थी, लेकिन यह पहली बार था कि इस क्षेत्र में कथित सोने की तस्करी का रैकेट उजागर हुआ, जो ITBP द्वारा सोने की तस्करी की अब तक की सबसे बड़ी खेप थी।
- ITBP को केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा तलाशी और ज़ब्त करने के लिये अधिकृत किया गया है तथा साथ ही तस्करी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिये सीमा पर सीमा शुल्क की शक्तियों का प्रयोग करने के लिये इसे ITBP अधिनियम में भी शामिल किया गया है।
और पढ़ें: तस्करी की समस्या का मुकाबला
एरियन 6 रॉकेट का सफल प्रक्षेपण
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने पहली बार फ्रेंच गुयाना से एरियन 6 रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने यूरोप की अंतरिक्ष में वापसी की सराहना की, क्योंकि एरियन 6 रॉकेट ने अपनी पहली उड़ान में कई प्रक्षेपणों को सफलतापूर्वक पूरा किया।
- यह यूरोप की एरियन रॉकेट शृंखला (एरियन 5 से आगे) में नवीनतम रॉकेट है, जो लो अर्थ ऑर्बिट से और दूर गहन अंतरिक्ष (Deep Space) में मिशन लॉन्च कर सकता है।
- इस पहली उड़ान ने नौ क्यूबसैट को कक्षा में पहुँचाया, जिसमें नासा का क्यूबसैट रेडियो इंटरफेरोमेट्री एक्सपेरीमेंट (CURIE) और पृथ्वी की जलवायु तथा मौसम का अध्ययन करने वाले अन्य उपग्रह शामिल थे।
- ऊपरी चरण में उपयोग किये जाने वाले विंसी इंजन (Vinci Engine) को बार-बार स्टार्ट (Restart Repeatedly) करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिससे ऑपरेटिंग एजेंसी को अलग-अलग कक्षाओं में पेलोड रखने की अनुमति मिलती है।
- अगले कई वर्षों में एरियन 6 द्वारा 29 मिशन प्रक्षेपित किये जाएंगे, जिसमें प्रतिवर्ष की 12 उड़ानें शामिल है।
और पढ़ें: यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का जूस मिशन
जगन्नाथ रथ यात्रा और आषाढ़ी पर्व
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में प्रधानमंत्री ने जगन्नाथ रथ यात्रा और कच्छी नववर्ष आषाढ़ी बीज के शुभ अवसर पर लोगों को शुभकामनाएँ दीं। गुजरात के मुख्यमंत्री ने रथ यात्रा के लिये जगन्नाथ के रथ के मार्ग की प्रतीकात्मक सफाई हेतु 'पहिंद विधि' की।
- जगन्नाथ रथ यात्रा: यह एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई भगवान बलभद्र और उनकी छोटी बहन देवी सुभद्रा की ओडिशा के पुरी में उनके घरेलू मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर दूर गुंडिचा में उनकी मौसी के मंदिर तक की यात्रा का जश्न मनाता है।
- इस उत्सव की शुरुआत कम-से-कम 12वीं शताब्दी से हुई है, जब जगन्नाथ मंदिर का निर्माण राजा अनंतवर्मन चोडगंगा देव ने करवाया था।
- इस त्योहार को रथों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि देवताओं को तीन विशाल लकड़ी के रथों पर ले जाया जाता है, जिन्हें भक्त रस्सियों से खींचते हैं।
- यह आषाढ़ (जून-जुलाई) माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को शुरू होता है और नौ दिनों तक चलता है।
- आषाढ़ी बीज:
- यह हिंदू कैलेंडर के आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को पड़ता है।
- यह त्योहार गुजरात के कच्छ क्षेत्र में बारिश की शुरुआत से जुड़ा हुआ है।
- आषाढ़ी बीज के दौरान, वातावरण में नमी की जाँच की जाती है ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि आने वाले महीने में कौन-सी फसल सबसे अच्छी होगी।
भारत में पारंपरिक नववर्ष उत्सव |
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नाम |
विशेषताएँ |
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा |
यह विक्रम संवत के नए वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है जिसे वैदिक (हिंदू) कैलेंडर के रूप में भी जाना जाता है। |
गुड़ी पड़वा और उगादि |
यह त्योहार कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सहित दक्कन क्षेत्र में मनाया जाता है। |
नवरेह |
कश्मीर में चंद्र नववर्ष मनाया जाता है। यह चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मनाया जाता है। |
साजिबू चेराओबा |
मणिपुर में मैतेई लोगों द्वारा मनाया जाता है। मणिपुर के चंद्र मास शाजिबू के पहले दिन मनाया जाता है। |
चेटीचंड |
सिंधी समुदाय द्वारा मनाया जाता है। सिंधियों के संरक्षक संत इष्ट देव उदेरोलाल/झूलेलाल की जयंती। |
बिहु |
यह वर्ष में तीन बार मनाया जाता है- अप्रैल में रोंगाली या बोहाग बिहू, अक्तूबर में कोंगाली या काटी बिहू और जनवरी में भोगली या माघ बिहू। |
बैसाखी |
किसानों द्वारा भारतीय आभार दिवस के रूप में मनाया जाता है। खालसा पंथ की नींव इसी दिन गुरु गोबिंद सिंह ने रखी थी। |
लोसूंग |
सिक्किम का नववर्ष, जिसे नामसूंग के नाम से भी जाना जाता है। |
और पढ़ें: जगन्नाथ रथ यात्रा, आषाढ़ी बीज