उत्तर प्रदेश
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
- 09 Jul 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में श्री जगन्नाथ स्वामी रथ यात्रा समिति कीडगंज के तत्त्वावधान में प्रयागराज में भगवान जगन्नाथ स्वामी जी की भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया गया।
मुख्य बिंदु:
- रथ यात्रा कीडगंज में त्रिवेणी मार्ग स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से शुरू हुई।
- भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के अलावा गरुड़ देव, बद्री विशाल, भगवान राम और भगवान द्वारकाधीश के रथ भी शोभायात्रा का हिस्सा रहे
- रथयात्रा में राधा कृष्ण, नरसिंह अवतार और दामोदर लीला को दर्शाती झांकियाँ भी शामिल रहीं।
- जगन्नाथ रथ यात्रा एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई भगवान बलभद्र और उनकी छोटी बहन देवी सुभद्रा की ओडिशा के पुरी में उनके घरेलू मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर दूर गुंडिचा में उनकी मौसी के मंदिर तक की यात्रा का उत्सव मनाता है।
- इस त्योहार के पीछे किंवदंती है कि एक बार देवी सुभद्रा ने गुंडिचा में अपनी मौसी के घर जाने की इच्छा व्यक्त की।
- उनकी इच्छा पूरी करने के लिये भगवान जगन्नाथ और भगवान बलभद्र ने उनके साथ रथ यात्रा पर जाने का निर्णय किया। इस घटना को प्रति वर्ष देवताओं को इसी तरह की यात्रा पर ले जाकर मनाया जाता है।
- इस त्योहार की शुरुआत कम-से-कम 12वीं शताब्दी ई. से हुई है, जब राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। हालाँकि कुछ स्रोतों से पता चलता है कि यह त्योहार प्राचीन काल से ही प्रचलित था।
- इस त्योहार को रथों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि देवताओं को तीन विशाल लकड़ी के रथों पर ले जाया जाता है, जिन्हें भक्त रस्सियों से खींचते हैं।
- यह आषाढ़ (जून-जुलाई) माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को शुरू होता है और नौ दिनों तक चलता है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर
- यह भारतीय राज्य ओडिशा के सबसे प्रभावशाली स्मारकों में से एक है।
- यह मंदिर "सफेद पैगोडा" के नाम से जाना जाता है और यह चार धाम तीर्थयात्राओं (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) का एक हिस्सा है।
- यह कलिंग वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है, जो घुमावदार मीनारों, जटिल नक्काशी और अलंकृत मूर्तियों से पहचाना जाता है।
- मंदिर परिसर चारों ओर से ऊँची दीवार से घिरा हुआ है तथा इसके चारों दिशाओं की ओर चार द्वार हैं।
- मुख्य मंदिर में चार संरचनाएँ हैं: विमान (गर्भगृह), जगमोहन (सभा कक्ष), नट-मंदिर (उत्सव कक्ष) और भोग-मंडप (अर्पण कक्ष)।
- जगन्नाथ पुरी मंदिर को 'यमनिका तीर्थ' कहा जाता है, जहाँ हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति के कारण पुरी में मृत्यु के देवता 'यम' की शक्ति समाप्त हो गई है