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जगन्नाथ मंदिर

  • 24 Jan 2023
  • 7 min read

हाल ही में ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल ने पुरी के विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के अंदर विदेशी नागरिकों के प्रवेश का समर्थन किया है, जो दशकों से चली आ रही बहस का विषय बना हुआ है और समय-समय पर विवाद पैदा करता रहा है। 

  • वर्तमान में केवल हिंदुओं को मंदिर के अंदर गर्भगृह में देवताओं की पूजा करने की अनुमति है।
  • मंदिर के सिंह द्वार (मुख्य प्रवेश द्वार) पर एक संकेत स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि "केवल हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति है।"

जगन्नाथ मंदिर में गैर-हिंदुओं को अनुमति क्यों नहीं?

  • यह सदियों से चली आ रही प्रथा है, हालाँकि इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं है।
  • कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मुस्लिम शासकों द्वारा मंदिर पर किये गए कई हमलों ने सेवादारों को गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिये प्रेरित किया होगा।
    • कई लोगों का कहना है कि मंदिर के निर्माण के समय से ही यह प्रथा थी।
  • भगवान जगन्नाथ को पतितपावन के नाम से भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है "दलितों का उद्धारकर्त्ता"।
    • इसलिये यह माना जाता है कि धार्मिक कारणों से मंदिर में प्रवेश करने से प्रतिबंधित सभी लोगों को सिंह द्वार पर पतितपावन के रूप में भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है।
  • उदाहरण:  
    • वर्ष 1984 में मंदिर के सेवकों ने एक गैर-हिंदू से विवाह करने के कारण इंदिरा गांधी के प्रवेश का विरोध किया था।
    • वर्ष 2005 में एक थाई राजकुमारी को मंदिर को केवल बाहर से देखने की अनुमति दी गई थी क्योंकि विदेशियों को इसमें प्रवेश की अनुमति नहीं है।
    • इसके अलावा वर्ष 2006 में एक स्विस नागरिक को उसके द्वारा भारी मात्रा में  दिये गए दान के बाद भी उसके ईसाई धर्म के कारण प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।

जगन्नाथ मंदिर के बारे में प्रमुख तथ्य: 

  • ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में पूर्वी गंग राजवंश (Eastern Ganga Dynasty) के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा किया गया था। 
  • जगन्नाथपुरी मंदिर को ‘यमनिका तीर्थ’ भी कहा जाता है, जहाँ हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पुरी में भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति के कारण मृत्यु के देवता ‘यम’ की शक्ति समाप्त हो गई है।
  • इस मंदिर को "सफेद पैगोडा" कहा जाता था और यह चारधाम तीर्थयात्रा (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) का एक हिस्सा है।
  • मंदिर अपनी तरह की अनूठी वास्तुकला के लिये प्रसिद्ध है, जिसमें एक विशाल परिसर की दीवार और कई टावरों, हॉल तथा मंदिरों के साथ एक बड़ा परिसर शामिल है।
  • मंदिर का मुख्य आकर्षण वार्षिक रथ यात्रा उत्सव है, जिसमें मंदिर के तीन मुख्य देवताओं, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ निकाली जाती है।
  • मंदिर अपने अनूठे भोजन, महाप्रसाद के लिये भी जाना जाता है, जिसे मंदिर की रसोई में तैयार किया जाता है और भक्तों के बीच वितरित किया जाता है।

Jagannath-Temple

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  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. हाल ही में प्रधानमंत्री ने वेरावल में सोमनाथ मंदिर के निकट नए सर्किट हाउस का उद्घाटन किया। सोमनाथ मंदिर के बारे में निम्नलिखित कथनों में कौन-से सही हैं? (2022)

  1. सोमनाथ मंदिर ज्योतिर्लिंग देव-मंदिरों में से एक है।
  2. अल-बरूनी ने सोमनाथ मंदिर का वर्णन किया है। 
  3. सोमनाथ मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा (वर्तमान मंदिर की स्थापना) राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन द्वारा की गई थी।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2     
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a) 

व्याख्या: 

  • सोमनाथ मंदिर गुजरात राज्य में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम में अरब सागर के तट पर स्थित है।
  • सोमनाथ मंदिर भारत के बारह आदि ज्योतिर्लिंगों में प्रथम है। अत: कथन 1 सही है।
  • इसका उल्लेख अरब यात्री अल-बरूनी ने अपने यात्रा वृत्तांत में किया था, जिससे प्रभावित होकर महमूद गजनवी ने 1024 ई. में अपने पांँच हज़ार सैनिकों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला कर दिया और उसकी संपत्ति लूट ली, साथ ही मंदिर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। अत: कथन 2 सही है।
  • प्राचीन भारतीय शास्त्रीय ग्रंथों पर आधारित शोध से पता चलता है कि पहली बार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की प्राण-प्रतिष्ठा (वर्तमान मंदिर की स्थापना), वैवस्वत मनवंतर के दसवें त्रेता युग के दौरान श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया गया था।
  • 13 नवंबर, 1947 को सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने वाले सरदार पटेल के संकल्प के साथ आधुनिक मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। 11 मई, 1951 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने मौजूदा मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की थी। अतः कथन 3 सही नहीं है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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