51,200 वर्ष प्राचीन गुफा चित्रकला की खोज
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में एक शोध किया गया जिसमें काल निर्धारण की नवीन तकनीक के उपयोग द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि विश्व की प्राचीनतम ज्ञात आलंकारिक गुफा चित्रकला लगभग 51,200 वर्ष पुरानी है।
- यह चित्रकला इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप में एक चूना पत्थर गुफा की छत पर पाई गई हैं।
चित्रकला से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- कलात्मक चित्रण: चित्र में दर्शाया गया है:
- एक सुअर की आकृति जिसका मुख आंशिक रूप से खुला हुआ है।
- सुअर के इर्द-गिर्द तीन मानव जैसी आकृतियाँ:
- सबसे बड़ी आकृति हाथ फैलाए, एक छड़ पकड़े हुए है।
- दूसरी आकृति सुअर के सामने हाथ में एक छड़ी के साथ है।
- तीसरी आकृति उल्टी चित्रित है, जिसके पैर ऊपर की ओर हैं और एक हाथ सुअर के सिर की ओर है।
- काल निर्धारण में प्रयुक्त तकनीक:
- शोधकर्त्ताओं ने चूना पत्थर गुफाओं में कैल्साइट निक्षेप के यूरेनियम शृंखला (U-सीरीज़) विश्लेषण का उपयोग कर इस शैल कला का काल निर्धारण किया।
- शोधकर्त्ताओं ने इन चित्रों का काल निर्धारित करने के लिये लेज़र किरणों का उपयोग कर यूरेनियम के विशिष्ट समस्थानिक और थोरियम के विशिष्ट समस्थानिक के अनुपात की तुलना की।
- समस्थानिक (Isotope) एक ही तत्त्व के परमाणु का एक रूप होता है, जिनकी परमाणु संख्या और रासायनिक गुण समान होते हैं किंतु इनके परमाणु भार/द्रव्यमान संख्या तथा भौतिक विशेषताओं में भिन्नता होती है।
- शोधकर्त्ताओं ने इन चित्रों का काल निर्धारित करने के लिये लेज़र किरणों का उपयोग कर यूरेनियम के विशिष्ट समस्थानिक और थोरियम के विशिष्ट समस्थानिक के अनुपात की तुलना की।
- इस पद्धति का उपयोग ‘लींग बुलू’ सिपोंग 4 में एक अन्य गुफा चित्रकला का काल निर्धारित करने के लिये भी किया गया था जिसे आरंभ में 43,900 वर्ष प्राचीन माना गया था।
- इसके निष्कर्षों के अनुसार यह चित्रकला पूर्व में किये गए अनुमान से कम-से-कम 4,000 वर्ष अधिक प्राचीन है।
- भारत में मध्य प्रदेश जैसे स्थानों में शैल चित्रकारी की एक महत्त्वपूर्ण शृंखला देखने को मिलती है किंतु उक्त प्रकार की कोई काल निर्धारण पद्धति मौजूद नहीं है।
- मध्य प्रदेश के भीमबेटका की प्राचीनतम चित्रकारी लगभग 30,000 वर्ष पुरानी है।
- शोधकर्त्ताओं ने चूना पत्थर गुफाओं में कैल्साइट निक्षेप के यूरेनियम शृंखला (U-सीरीज़) विश्लेषण का उपयोग कर इस शैल कला का काल निर्धारण किया।
- महत्त्व:
- शोधकर्त्ताओं के अनुसार इन चित्रों में मनुष्यों और जंतुओं की आलंकारिक कला का काल पूर्व में किये गए अनुमान की अपेक्षा कहीं अधिक हैं।
- निएंडरथल मानव ने गुफाओं को उकेरना का अभ्यास लगभग 75,000 वर्ष पहले ही शुरू किया किंतु उनके द्वारा किये गए ये अंकन आलंकारिक/प्रतीकात्मक नहीं होते थे।
- यह न केवल प्रारंभिक मनुष्यों की सांस्कृतिक प्रथाओं के संबंध में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है अपितु कथा की एक परिष्कृत परंपरा के उद्भव का भी सुझाव देता है जिसमें मनुष्यों और जंतुओं के बीच संबंधों को दर्शाने के लिये दृश्य कलाओं का उपयोग किया गया।
- शोधकर्त्ताओं के अनुसार इन चित्रों में मनुष्यों और जंतुओं की आलंकारिक कला का काल पूर्व में किये गए अनुमान की अपेक्षा कहीं अधिक हैं।
भीमबेटका शैल चित्रकारी (रॉक पेंटिंग)
- अवस्थित: यह मध्य प्रदेश के विंध्यन पर्वतमाला में भोपाल के दक्षिण में स्थित है, जहाँ 500 से अधिक शैलचित्रों वाले शैलाश्रय हैं।
- भीमबेटका की गुफाओं की खोज वर्ष 1957-58 में वी. एस. वाकणकर ने की थी।
- इसे वर्ष 2003 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
- समयावधि: अनुमान है कि सबसे पुरानी चित्रकारी 30,000 वर्ष पुरानी हैं तथा गुफाओं के अंदर स्थित होने के कारण आज भी सुरक्षित हैं।
- 100,000 ईसा पूर्व से 1000 ईस्वी तक गुफाओं में व्याप्ति में स्पष्ट निरंतरता है तथा अनेक चित्र (पेंटिंग) एक के ऊपर एक चित्रित किये गए हैं।
- कुछ स्थानों पर तो एक के ऊपर एक चित्रों की 20 परतें हैं।
- भीमबेटका की चित्रकारी उच्च पुरापाषाण, मध्यपाषाण, ताम्रपाषाण, प्रारंभिक ऐतिहासिक और मध्यकालीन काल की है।
- हालाँकि अधिकांश चित्र मध्यपाषाण युग के हैं।
- 100,000 ईसा पूर्व से 1000 ईस्वी तक गुफाओं में व्याप्ति में स्पष्ट निरंतरता है तथा अनेक चित्र (पेंटिंग) एक के ऊपर एक चित्रित किये गए हैं।
- चित्रकारी तकनीक: इसमें प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त विभिन्न रंगों जैसे लाल गेरू, बैंगनी, भूरा, सफेद, पीला और हरा आदि का उपयोग किया जाता है।
- लाल रंग के लिये हेमेटाइट अयस्कों का इस्तेमाल किया गया था और सफ़ेद रंग संभवतः चूना पत्थर से बनाया गया था।
- हरा रंग चाल्सेडनी नामक हरे रंग की चट्टान से तैयार किया गया था।
- ब्रश पौधे के रेशे से बनाए गए थे।
- चित्रों की विषय-वस्तु: प्रागैतिहासिक पुरुषों के रोज़मर्रा के जीवन को अक्सर छड़ी जैसी मानव आकृतियों में दर्शाया गया है।
- हाथी, बाइसन, हिरण, मोर और साँप जैसे विभिन्न जानवरों को दर्शाया गया है।
- शस्त्रधारी पुरुषों के साथ शिकार के दृश्य और युद्ध के दृश्य।
- सरल ज्यामितीय डिज़ाइन और प्रतीक।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. सुप्रसिद्ध चित्र “बणी ठणी” किस शैली का है? (2018) (a) बूँदी शैली उत्तर: (d) प्रश्न. बोधिसत्व पद्मपाणि का चित्र सर्वाधिक प्रसिद्ध और प्रायः चित्रित चित्रकारी है, जो- (2017) (a) अजंता में (b) बादामी में (c) बाघ में (d) एलोरा में उत्तर: (a) |
भारत का भुगतान संतुलन
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के आँकड़ों से पता चला है कि भारत के चालू खाते में वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में अधिशेष दर्ज किया है। यह 11 तिमाहियों में पहला अधिशेष था।
- यह उपलब्धि भारत के भुगतान संतुलन (BoP) के महत्त्व को रेखांकित करती है तथा मुद्रा विनिमय दरों, सॉवरेन क्रेडिट एवं समग्र आर्थिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को उजागर करती है।
भुगतान संतुलन क्या है?
- परिचय: भुगतान संतुलन एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक संकेतक के रूप में कार्य करता है, जो भारत एवं शेष विश्व के बीच सभी वित्तीय लेन-देन का विवरण देता है।
- यह व्यापक खाता बही धन के अंतर्वाह और बहिर्वाह पर नज़र रखता है, जहाँ अंतर्वाह को सकारात्मक एवं बहिर्वाह को नकारात्मक के रूप में चिह्नित किया जाता है, जो वैश्विक स्तर पर देश की आर्थिक अंतःक्रियाओं को दर्शाता है।
- यह विदेशी मुद्राओं के तुलना में रुपए की सापेक्ष मांग को मापता है, जो विनिमय दरों एवं आर्थिक स्थिरता को विशेष रूप से प्रभावित करता है।
- BoP के घटक:
- चालू खाता:
- वस्तुओं का व्यापार: भौतिक आयात एवं निर्यात को ट्रैक करता है, जो व्यापार संतुलन को दर्शाता है। घाटा निर्यात की तुलना में अधिक आयात का संकेत देता है।
- सेवाओं का व्यापार (अदृश्य): इसमें IT, पर्यटन तथा धनप्रेषण जैसे क्षेत्र शामिल हैं, जो व्यापार घाटे के बावजूद भारत के चालू खाता अधिशेष में सकारात्मक योगदान देते हैं।
- इन दोनों घटकों का शुद्ध योग चालू खाता शेष निर्धारित करता है। वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में, भारत ने चालू खाते पर अधिशेष दर्ज किया, जिसमें अदृश्य अधिशेष लेकिन व्यापार खाते में घाटा था।
- पूंजी खाता:
- इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) तथा विदेशी संस्थागत निवेश (FII) जैसे निवेश शामिल हैं, जो आर्थिक विकास एवं स्थिरता के लिये आवश्यक हैं। पूंजी खाता प्रवाह वाणिज्यिक उधार, बैंकिंग, निवेश, ऋण और पूंजी जैसे कारकों को प्रतिबिंबित करता है।
- वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में, भारत ने पूंजी खाते पर 25 बिलियन अमेरीकी डॉलर का शुद्ध अधिशेष को दर्शाया।
- इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) तथा विदेशी संस्थागत निवेश (FII) जैसे निवेश शामिल हैं, जो आर्थिक विकास एवं स्थिरता के लिये आवश्यक हैं। पूंजी खाता प्रवाह वाणिज्यिक उधार, बैंकिंग, निवेश, ऋण और पूंजी जैसे कारकों को प्रतिबिंबित करता है।
- चालू खाता:
- असंतुलन: भुगतान संतुलन में अधिशेष का अर्थ घाटे की स्थिति से है।
- भुगतान संतुलन अधिशेष उस स्थिति में होता है जब किसी देश की निर्यात, सेवाओं और निवेश से होने वाली आय, उसके आयात तथा बाह्य दायित्वों पर होने वाले व्यय से अधिक हो जाती है।
- चुनौतियाँ: अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन को सही ढंग से रिकॉर्ड करने में जटिलताओं के कारण भुगतान संतुलन गणना में त्रुटियाँ और चूक शामिल हैं।
- लगातार घाटा किसी देश की आर्थिक स्थिरता पर तनाव उत्पन्न कर सकता है, जिसके लिये बाह्य उधार या IMF जैसी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
- आम धारणा के विपरीत, घाटा स्वाभाविक रूप से नकारात्मक नहीं होता और न ही अधिशेष स्पष्ट रूप से सकारात्मक होता है। घाटा रणनीतिक निवेश का संकेत हो सकता है, जबकि अधिशेष मज़बूत आर्थिक स्वास्थ्य के बजाय कम आयात से उपजा हो सकता है।
- BoP का प्रबंधन:
- विदेशी मुद्रा भंडार: RBI बाज़ार हस्तक्षेप के माध्यम से विदेशी मुद्रा भंडार को और ब्याज दरों को समायोजित करने, खुले बाज़ार परिचालन एवं उधार लेने तथा खर्च को प्रभावित करने जैसे उपकरणों का उपयोग करके भुगतान संतुलन में उतार-चढ़ाव का प्रबंधन करता है।
- नीतिगत हस्तक्षेप: सरकार भुगतान संतुलन की गतिशीलता को स्थिर करने के लिये व्यापार नीतियों और विनियामक उपायों को क्रियान्वित करती हैं, जिससे सतत् आर्थिक विकास सुनिश्चित होता है।
- अपस्फीति मुद्रा आपूर्ति या कुल मांग में जानबूझकर की गई कमी है। इसके परिणामस्वरूप घरेलू कीमतें कम हो सकती हैं, जिससे निर्यात अधिक प्रतिस्पर्द्धी हो सकता है और आयात सहित खपत कम हो सकती है। हालाँकि इससे आर्थिक मंदी और बेरोज़गारी में वृद्धि जैसे जोखिम भी उत्त्पन्न होते हैं।
- विदेशी निवेश संवर्द्धन: कर प्रोत्साहन देकर, बुनियादी ढाँचे में सुधार, कारोबारी माहौल और विदेशी व्यवसायों के लिये विनियमनों को सुव्यवस्थित करके पूंजी खाते को बढ़ाने हेतु विदेशी निवेश को बढ़ावा देना।
- इससे विदेशी पूंजी और प्रौद्योगिकी आकर्षित हो सकती है, जिससे निर्यात क्षमता में संभावित सुधार हो सकता है।
UPSC सिविल सेवा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न 1. निम्नलिखित कार्यवाहियों पर विचार कीजिये जो सरकार द्वारा की जा सकती हैं: (2011)
उपर्युक्त में से कौन-सी क्रिया/क्रियाएँ चालू खाते के घाटे को कम करने में सहायक साबित हो सकती है/हैं? (a) 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न 2. भुगतान संतुलन के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन चालू खाता प्रदर्शित करता है/गठन करता है? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
प्रागैतिहासिक शुतुरमुर्ग घोंसले की खोज
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में पुरातत्त्वविदों द्वारा आंध्र प्रदेश के प्रकाशम में शुतुरमुर्ग के 41,000 वर्ष पुराने घोसले की खोज की गई।
- इससे भारत में महाप्राणी या मेगाफौना (50 किलोग्राम से अधिक वज़न वाले जानवर) की विलुप्ति के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
- भारत में शुतुरमुर्गों के प्रारंभिक साक्ष्य:
- शुतुरमुर्ग के जीवाश्म पहली बार वर्ष 1884 में पाकिस्तान के ऊपरी शिवालिक पहाड़ियों में स्थित ढोक पठान निक्षेपों में पाए गए थे।
- हिमालय में शुतुरमुर्ग के जीवाश्मों की खोज से पता चलता है कि अतीत में यह क्षेत्र कमज़ोर भारतीय मानसून के कारण शुष्क तथा ठंडा था, जबकि अत्यंतनूतन युग (Pleistocene Epoch) के दौरान प्रायद्वीपीय भारत में ऐसा नहीं था।
- इसके बाद वर्ष 1989 में महाराष्ट्र के पाटन (भारत के महाराष्ट्र के उत्तरी भाग में स्थित जलगाँव ज़िले का एक गाँव है) में बड़ी संख्या में उच्च पुरापाषाण स्थल पर 50,000-40,000 वर्ष पूर्व के शुतुरमुर्ग के अंडे के छिलके उत्कीर्णन के साथ पाए गए।
- वर्ष 2017 में साक्ष्यों से पता चला कि शुतुरमुर्ग 25,000 वर्ष पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में मौजूद थे।
- शुतुरमुर्ग के जीवाश्म पहली बार वर्ष 1884 में पाकिस्तान के ऊपरी शिवालिक पहाड़ियों में स्थित ढोक पठान निक्षेपों में पाए गए थे।
- शुतुरमुर्ग (Struthio Camelus):
- IUCN स्थिति: कम चिंतनीय (Least Concern- LC)
- सबसे बड़े जीवित पक्षी: 2-2.8 मीटर लंबे, वज़न 90-160 किलोग्राम।
- उड़ने में असमर्थ पक्षी, 43 मील प्रति घंटे तक की गति वाले असाधारण धावक।
- अफ्रीकी सवाना और रेगिस्तान (सोमालिया, इथियोपिया, केन्या, दक्षिण अफ्रीका) के स्थानिक।
- ये छोटे झुंड में रहते हैं (एक दर्ज़न से भी कम), जिनका नेतृत्व नर करते हैं जो मुख्य रूप से अग्रणी मादा के साथ जनन करते हैं।
अधिक पढ़ें: डिकिंसोनिया जीवाश्म
SEHER कार्यक्रम
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में महिला उद्यमिता मंच (Women Entrepreneurship Platform - WEP) और ट्रांसयूनियन क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड [TransUnion CIBIL] ने भारत में महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिये मानव संसाधन सशक्तीकरण सोसायटी (Society for Empowering Human Resource- SEHER) कार्यक्रम शुरू किया है।
- इसका उद्देश्य महिला उद्यमियों के बीच वित्त, ऋण तक पहुँच और प्रबंधन के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, इसके लिये उन्हें व्यक्तिगत संसाधन तथा उपकरण प्रदान करना है।
- भारत में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देकर 30 मिलियन से अधिक नए महिला स्वामित्व वाले उद्यम बना सकता है जिससे 150-170 मिलियन से अधिक नौकरियाँ सृजित होंगी।
- भारत में व्यवसाय में संलग्न महिलाएँ:
- भारत में 63 मिलियन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम ( Micro, Small, and Medium Enterprises - MSME) हैं, जिनमें से लगभग 20% महिलाओं के स्वामित्व में हैं तथा 27 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करते हैं।
- विगत 5 वर्षों (वित्तवर्ष 2019 - वित्तवर्ष 2024) में महिलाओं द्वारा व्यावसायिक ऋण की मांग में 3.9 गुना वृद्धि हुई है।
- वित्तवर्ष 2019 और 2024 के बीच व्यवसाय ऋण प्राप्त करने वाली महिला उधारकर्त्ताओं की हिस्सेदारी में 10% की वृद्धि हुई।
- शहरी क्षेत्रों (18.42%) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के स्वामित्व वाले उद्यमों (22.24%) की हिस्सेदारी तुलनात्मक रूप से अधिक है।
- WEP को वर्ष 2018 में नीति आयोग द्वारा लॉन्च किया गया था और भारत में महिला उद्यमियों को समर्थन देने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2022 में इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership - PPP) में परिवर्तित कर दिया गया।
- ट्रांसयूनियन सिबिल भारत की अग्रणी ऋण सूचना कंपनी है, जिसके पास उपभोक्ता सूचना का सबसे बड़ा संग्रह है।
और पढ़ें: भारत का MSME क्षेत्र, UNDP, महिला उद्यमियों हेतु UNDP और DAY-NULM
भारत और पाकिस्तान द्वारा कैदियों की सूची का आदान-प्रदान
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारत और पाकिस्तान ने नई दिल्ली तथा इस्लामाबाद में एक साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से एक-दूसरे की हिरासत में बंद नागरिक कैदियों एवं मछुआरों की सूचियों का आदान-प्रदान किया।
- कॉन्सुलर एक्सेस 2008 पर द्विपक्षीय समझौते के प्रावधानों के तहत ऐसी सूचियों का आदान-प्रदान प्रतिवर्ष 1 जनवरी और 1 जुलाई को किया जाता है।
- समझौते की धारा 4 में कहा गया है कि दोनों देशों की सरकारों को दूसरे देश के नागरिकों को उनकी गिरफ्तारी, हिरासत या कारावास के तीन महीने के भीतर कॉन्सुलर एक्सेस प्रदान करना होगा।
- समझौते की धारा 5 में यह प्रावधान है कि दोनों सरकारों को व्यक्तियों की राष्ट्रीयता की पुष्टि होने और उनकी सज़ा पूरी होने के एक महीने के भीतर उन्हें रिहा करना होगा तथा वापस भेजना होगा।
- भारत सरकार ने पाकिस्तान की हिरासत से नागरिक कैदियों, मछुआरों, उनकी नौकाओं तथा लापता भारतीय रक्षा कर्मियों की शीघ्र रिहाई और स्वदेश वापसी का आह्वान किया है।
और पढ़ें: भारत और पाकिस्तान
कॉग्निटिव टेस्ट
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
अमेरिकी राष्ट्रपति को राष्ट्रपति पद के लिये उनकी उपयुक्तता अथवा स्वस्थता पर चिंताओं को लेकर उनका कॉग्निटिव टेस्ट (व्यक्ति का संज्ञानात्मक परीक्षण) कराने का आह्वान किया जा रहा है।
- कॉग्निटिव टेस्ट मनुष्य के मानसिक प्रकार्य और मस्तिष्क द्वारा विचारों को संसाधित करने का मूल्यांकन करता है। इस प्रक्रिया में संबंधित व्यक्ति से सरल प्रश्न पूछे जाते हैं और सरल कार्य करवाकर उसका परीक्षण किया जाता है।
- संज्ञान मस्तिष्क की वह क्षमता है जो आपकी इंद्रियों से प्राप्त सभी सूचनाओं को संसाधित करती है।
- यह संज्ञानात्मक कमियों, उनके कारणों और मस्तिष्क के प्रभावित भागों की पहचान करता है।
- परीक्षण के परिणामों के आधार पर मनुष्य के संज्ञानात्मक हानि (Cognitive Impairment), डिमेंशिया (मनोभ्रंश) या सूडो डिमेंशिया का निदान किया जाता है, जिससे व्यक्ति के व्यवहार और संज्ञान में सुधार आता है।
- यह उन लोगों के लिये अनुशंसित है जो स्मृति ह्रास, स्मृतिभ्रंश (Memory Loss) या भूलने की बीमारी, ध्यान केंद्रित करने या निर्णय लेने में कठिनाई का अनुभव करते हैं।
सामान्य संज्ञानात्मक स्क्रीनिंग टेस्ट:
- मॉन्ट्रियल कॉग्निटिव असेसमेंट (MoCA) में शब्दों को याद रखना, वस्तुओं का नाम बताना और आकृतियों को देखकर उनकी प्रति बनाना जैसे कार्य शामिल हैं।
- मिनी-मेंटल स्टेट परीक्षा (MMSE) में उल्टी गिनती करना, वस्तुओं की पहचान करना और तारीख बताना शामिल है।
- मिनी-कॉग में शब्दों को याद रखना, घड़ी बनाना और उसमें घंटे के बिंदुओं का अंकन करना शामिल है।
और पढ़ें: संज्ञानात्मक विसंगति
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रधानमंत्री ने हाल ही में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को कलकत्ता में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
- वह एक भारतीय राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर और शिक्षाविद थे जिन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया।
- वर्ष 1934 में 33 वर्ष की आयु में, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के कुलपति बने।
- कुलपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, रवींद्रनाथ टैगोर ने विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को पहली बार बंगाली भाषा में संबोधित किया और भारतीय भाषा को सर्वोच्च परीक्षा के लये एक विषय के रूप में प्रस्तुत किया गया।
- वर्ष 1946 में उन्होंने बंगाल के विभाजन की मांग की ताकि इसके हिंदू-बहुल क्षेत्रों को मुस्लिम बहुल पूर्वी पाकिस्तान में शामिल करने से रोका जा सके।
- वर्ष 1947 में उन्होंने सुभाष चंद्र बोस के भाई शरत बोस और बंगाली मुस्लिम राजनेता हुसैन शहीद सुहरावर्दी द्वारा बनाई गई एक संयुक्त लेकिन स्वतंत्र बंगाल के लिये एक असफल बोली का भी विरोध किया।
- उन्होंने आधुनिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ (BJS) की स्थापना की।
- श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक भारतीय राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर और शिक्षाविद थे, जिन्होंने प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया।जम्मू और कश्मीर के मुद्दों पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के साथ मतभेद के कारण भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस से अलग होने के बाद, उन्होंने जनता पार्टी की स्थापना की, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी।
- वर्ष 1953 में, कश्मीर को दिये गए विशेष दर्जे के विरोध में उन्होंने बिना अनुमति के कश्मीर में प्रवेश करने की कोशिश की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। हिरासत के दौरान रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।
और पढ़ें: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी
डॉ. गंगाधर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष नियुक्त
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. बीएन गंगाधर को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission- NMC) का प्रमुख नियुक्त किया, जबकि डॉ. संजय बिहारी को चिकित्सा मूल्यांकन एवं रेटिंग बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया।
- NMC का गठन संसद के एक अधिनियम द्वारा किया गया है जिसे राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के रूप में जाना जाता है, जिसने भारतीय चिकित्सा परिषद (Medical Council of India - MCI) का स्थान लिया।
- इस सुधार का उद्देश्य चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन करना है, विशेष रूप से MIC को प्रतिस्थापित करना है, जो भ्रष्टाचार और अन्य मुद्दों से ग्रस्त है।
- NMC भारत में चिकित्सा शिक्षा और अभ्यास के शीर्ष नियामक के रूप में कार्य करता है।
- इसके चार अलग-अलग स्वायत्त बोर्ड होंगे:
- स्नातक चिकित्सा शिक्षा।
- स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा।
- चिकित्सा मूल्यांकन और रेटिंग।
- नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण।
और पढ़ें: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग