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डिकिन्सोनिया जीवाश्म

  • 24 Feb 2023
  • 5 min read

डिकिन्सोनिया जीवाश्म, जिसके बारे में वैज्ञानिकों ने वर्ष 2021 में भारत के भीमबेटका रॉक शेल्टर में खुदाई करने का दावा किया था, के संबंध में सूचना गलत साबित हुई है।

  • शोधकर्त्ताओं को इस स्थान की गहन जाँच करने पर पता चला कि डिकिन्सोनिया जीवाश्म वास्तव में एक चट्टान पर फैला मधुमक्खी का मोम था।

डिकिन्सोनिया:

  • परिचय: डिकिन्सोनिया  विलुप्त, कोमल शरीर वाले, समुद्री जीवों की एक प्रजाति है, जो लगभग 550 से 560 मिलियन वर्ष पूर्व एडियाकरन काल के दौरान पाए जाते थे।
    • ये जीव लगभग 30 मिलियन वर्षों तक जीवन अस्तित्व के कैम्ब्रियन काल से पूर्व पृथ्वी पर पाए जाने वाले शुरुआती जटिल जीवों में से थे।
  • विशेषताएँ: अंडाकार या पत्ती के आकार की संरचना डिकिन्सोनिया जीवाश्मों की विशेषता है, ये आकार में एक इंच से भी कम से लेकर चार फीट से अधिक लंबे हो सकते हैं। इन जीवों के शरीर चपटे थे तथा उनमें कोई कठोर भाग नहीं था, जैसे खोल या हड्डियाँ, जिसका अर्थ है कि वे आसानी से जीवाश्म नहीं बनते हैं और अक्सर चट्टानों में छापों (Impressions) के रूप में संरक्षित होते हैं। 
  • प्रकृति और अन्य जीवों के साथ संबंध: डिकिन्सोनिया की प्रकृति और अन्य जीवों के साथ संबंध अभी भी वैज्ञानिकों के बीच विवाद का विषय है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि वे जेलीफिश या अन्य निडारियन (Cnidarians) से संबंधित हो सकते हैं, जबकि अन्य का दावा है कि वे जीवों का एक अलग ‘विलुप्त संघ’ से थे जो किसी भी आधुनिक जीवों से निकटता से संबंधित नहीं हैं।  
  • महत्त्व: उनकी गंभीर प्रकृति के बावजूद डिकिन्सोनिया जीवाश्म पृथ्वी पर जटिल पशु-जीवन के शुरुआती विकास को समझने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • इसने अंतिम एडियाकरन अवधि के दौरान शारीरिक संरचना के विकास और पारिस्थितिक अंतःक्रियाओं के बारे में महत्त्वपूर्ण साक्ष्य प्रदान किये हैं।

Dickinsonia-Fossil

भीमबेटका रॉक शेल्टर के मुख्य तथ्य: 

  • इतिहास,अवधि एवं सीमा:
    • भीमबेटका रॉक शेल्टर मध्य भारत में एक पुरातात्त्विक स्थल है जिसका विस्तार प्रागैतिहासिक पुरापाषाण और मेसोलिथिक काल के साथ-साथ ऐतिहासिक काल तक देखा गया। 
    • यह भारत में मानव जीवन की शुरुआत एवं एश्यूलियन काल के पाषाण युग के साक्ष्य प्रदर्शित करता है।
    • यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है जिसमें सात पहाड़ियाँ हैं और 10 किमी. में फैले 750 से अधिक शैलाश्रय हैं।
  • खोज: भीमबेटका रॉक शेल्टर की खोज वी.एस. वाकणकर द्वारा वर्ष 1957 में की गई थी।
  • स्थान: यह मध्य प्रदेश में होशंगाबाद और भोपाल के मध्य रायसेन ज़िले में स्थित है।
    • यह विंध्य पर्वत की तलहटी में भोपाल से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। 
  • पेंटिंग्स: भीमबेटका के कुछ रॉक शेल्टर में प्रागैतिहासिक गुफा चित्र हैं और ये सबसे पुराने लगभग 10,000 वर्ष पुराने हैं (8,000 ईसा पूर्व), जो भारतीय मेसोलिथिक के अनुरूप हैं।
    • ये चित्र अधिकांश गुफाओं की दीवारों पर लाल और सफेद रंग से बने हैं।
    • रॉक कला के इस रूप में कई विषयों को शामिल किया गया था और इसमें गायन, नृत्य, शिकार तथा यहाँ रहने वाले लोगों की अन्य सामान्य गतिविधियों जैसे दृश्यों को दर्शाया गया था।
      • भीमबेटका की सबसे पुरानी गुफा पेंटिंग लगभग 12,000 वर्ष पहले की मानी जाती है।

स्रोत: द हिंदू

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