प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 28 दिसंबर 2019
कलारिपयट्टु
Kalaripayattu
हाल ही में केरल राज्य युवा कल्याण बोर्ड (Kerala State Youth Welfare Board) द्वारा युवा महिलाओं के आत्मविश्वास और मानसिक एवं शारीरिक शक्ति बढ़ाने हेतु ’कलारिपयट्टु’ (Kalaripayattu) प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है।
कलारिपयट्टु के विषय में:
- इसकी उत्पत्ति के संबंध में दो मत हैं, कुछ लोग केरल को इसका उत्पत्ति स्थल मानते हैं तथा कुछ पूरे दक्षिण भारत को इसका उत्पत्ति स्थल मानते हैं।
- कलारिपयट्टु दो शब्दों कलारि तथा पयट्टु से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ युद्ध की कला का अभ्यास होता है।
- ऐसी मान्यता है कि प्राचीन समय में यह युद्ध शैली अगस्त्य ऋषि एवं भगवान् परशुराम द्वारा सिखाई जाती थी, इसके साथ ही इस युद्ध कला का वेदों में भी वर्णन मिलता है।
- इसके अलावा इसका उल्लेख संगम साहित्य में भी मिलता है।
- प्राचीन समय में 7 वर्ष से कम आयु के बच्चो को इस युद्ध कला का प्रशिक्षण दिया जाता था।
- केरल की मार्शल कला कलारिपयट्टु को विश्व में मार्शल कला का सर्वाधिक प्राचीन और वैज्ञानिक रूप माना जाता है।
- लड़ाई का ‘कलारि याती’ नामक प्रशिक्षण स्कूलों में दिया जाता है।
- इसकी शुरुआत शरीर की तेल मालिश से होती है इसके बाद चाट्टोम (कूद), ओट्टम (दौड़), मिरिचिल (कलाबाजी) आदि करतब दिखाए जाते हैं जिसके बाद भाला, कटार, तलवार, गदा,धनुष बाण जैसे हथियारों को चलाना सिखाया जाता है।
भारत में प्रचलित अन्य युद्धकलाएँ:
- सिलांबम (तमिलनाडु)
- मर्दानी (महाराष्ट्र)
- थांग-टा, सरित- साराक और छीबी गद-गा (मणिपुर)
- ठोडा (हिमाचल प्रदेश)
- मुष्टि युद्धकला ( उत्तर प्रदेश)
- पारीकदा (पश्चिम बंगाल और बिहार)
- कथी सामू (आंध्र प्रदेश)
- गतका (पंजाब)
- पाईका अखाड़ा (ओडिशा)
बेलम गुफा महोत्सव
Belum Caves Festival
आंध्र प्रदेश के कुरनूल में अवस्थित बेलम गुफाओं (Belum Caves) को लोकप्रिय बनाने के लिये बेलम गुफा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।
महोत्सव के विषय में:
- इस महोत्सव का उद्देश्य लोगों को कुरनूल के इतिहास के बारे में जानकारी देना है।
- पाँच वर्षों के अंतराल के बाद ज़िले में आयोजित होने वाला यह पहला पर्यटन महोत्सव होगा।
- महोत्सव के लिये 'कंदनवोलू सम्बरालु' (Kandanavolu Sambaralu) नाम प्रस्तावित किया गया है यह कुरनूल का मूल नाम है।
बेलम गुफा के विषय में
- भारतीय उप-महाद्वीप में यह सबसे बड़ी गुफा प्रणाली और एक संरक्षित स्मारक है जिसमें जनता को प्रवेश की अनुमति है। इन्हें ‘बेलम गुहलू’ (Belum Guhalu) के नाम से भी जाना जाता है।
- भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे लंबी प्राकृतिक गुफाएँ मेघालय में क्रेम लियत प्राहा गुफाएं (Krem Liat Prah caves) हैं।
निर्माण:
- ये गुफाएँ हज़ारों वर्ष पुरानी हैं तथा इनका विकास भूमिगत जल के निरंतर प्रवाह द्वारा हुआ है।
भौगोलिक विशेषताएँ:
- ये गुफाएं स्टैलेक्टाइट (Stalactite) और स्टैलेग्माईट (Stalagmite) संरचनाओं की तरह स्पेलोटेम (Speleothem) संरचनाओं के लिये प्रसिद्ध हैं।
- स्पेलोटेम किसी गुफा में एकत्रित द्वितीयक खनिज भंडार हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- प्राचीन काल में इन गुफाओं पर जैन और बौद्ध भिक्षुओं द्वारा कब्जा कर लिया गया था। बौद्ध-पूर्व युग से संबंधित 4500 वर्ष पुराने पात्र इनकी उपस्थिति को सुनिश्चित करते हैं।
स्नोएक्स
SnowEx
शीत ऋतु के दौरान हुई बर्फ बारी में जल की मात्रा का पता लगाने के लिये नासा (NASA) ने एक मौसमी अभियान शुरू किया है यह अभियान नासा के 5 वर्षीय कार्यक्रम स्नोएक्स (SnowEx) का हिस्सा है।
स्नोएक्स के विषय में:
- इसकी शुरुआत 2016-17 में की गई थी तथा इसका भौगोलिक केंद्र-बिंदु उत्तरी अमेरिका है जिसमें टुंड्रा (अल्पाइन या आर्कटिक), टैगा (बोरेल वन), वार्म (समशीतोष्ण) वन, समुद्री, प्रेयरी और अल्पायु (Ephemeral) जैसे जलवायु क्षेत्र शामिल हैं।
महत्त्व:
- स्नोएक्स ‘अर्थ सिस्टम एक्सप्लोरर’ (Earth System Explorer) अभियान के लिये रिमोट सेंसिंग और मॉडल की सहायता से विश्व के समग्र स्नो वाटर इक्वालैंट (Snow Water Equivalent- SWE) के मानचित्रण में सहायक होगा।
- SWE एक सामान्य स्नो पैक्स (Snow Packs) माप है। अर्थात यह बर्फ के भीतर निहित पानी की मात्रा है।
कार्य:
- स्नोएक्स किसी भौगोलिक सीमा के भीतर कहाँ कितनी बर्फ गिरी है तथा इसकी विशेषताओं में परिवर्तन का आकलन करता है।
- आकलन करने के लिये एयरबोर्न मापन (Airborne Measurements), भू-आधारित मापन और कंप्यूटर मॉडलिंग (Computer Modelling) का उपयोग किया जाता है।
- एयरबोर्न माप में बर्फ की गहराई को मापने के लिये रडार और लिडार, SWE को मापने के लिये माइक्रोवेव रडार तथा रेडियोमीटर, सतह की तस्वीर लेने के लिये ऑप्टिकल कैमरे, सतह के तापमान को मापने के लिये अवरक्त रेडियोमीटर एवं बर्फ की सतह व संरचना के लिये हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजर्स का उपयोग किया जाता है।
- ग्राउंड टीमें बर्फ की गहराई, घनत्व, संचय परतों, तापमान, गीलापन और बर्फ के दाने के आकार को मापती हैं।
- इस वर्ष वास्तविक समय के लिये कंप्यूटर मॉडलिंग को भी अभियान में एकीकृत किया जाएगा।
पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर
Western Dedicated Freight Corridor
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (Dedicated Freight Corridor Corporation of India Ltd.- DFCCIL) ने रेवाड़ी (हरियाणा) से मदार (राजस्थान) के बीच पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (Western Dedicated Freight Corridor- WDFC) का 300 किलोमीटर से अधिक का खंड व्यावसायिक परीक्षण के लिये खोला है।
यह निर्माणाधीन 1,500 किलोमीटर के पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर का पहला खंड है।
WDFC के विषय में:
- 1,504 किलोमीटर का पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के दादरी से शुरू होकर देश के सबसे बड़े कंटेनर पोर्ट - जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, मुंबई तक फैला हुआ है।
- यह कॉरिडोर यूपी, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों से होकर गुजरेगा।
- इसे 100 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति को ध्यान में रखते हुए बनाया है।
DFCCIL के विषय में:
- DFCCIL रेल मंत्रालय के अधीन एक ‘विशेष प्रयोजन माध्यम’ (Special Purpose Vehicle) संस्था है जिसे पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर और पूर्वी फ्रेट कॉरिडोर (DFCs) को मिलाकर 3,306 किलोमीटर की योजना को पूरा करने का काम सौंपा गया है।
राष्ट्रीय पर्वतारोहण और संबद्ध खेल संस्थान
National Institute of Mountaineering and Allied Sports
राष्ट्रीय पर्वतारोहण और संबद्ध खेल संस्थान ( National Institute of Mountaineering and Allied Sports- NIMAS) के दीरांग स्थित कर्मचारियों का एक साइक्लिंग अभियान दल 25 दिसंबर, 2019 को यांगो (म्यांमार) पहुंचा।
NIMAS के विषय में:
- NIMAS अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में स्थित है तथा इस संस्थान ने 30 मई, 2013 से प्रभावी कार्य करना शुरू किया है।
- यह संस्थान भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के नियंत्रण और अधीक्षण के तहत काम करता है।
- संस्थान में केंद्रीय और अरुणाचल प्रदेश सरकार के प्रतिनिधियों के साथ सात सदस्यीय गवर्निंग काउंसिल है।
- संस्थान के अध्यक्ष की भूमिका केंद्रीय रक्षा मंत्री तथा उपाध्यक्ष की भूमिका अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा निभाई जाती है।
- यह संस्थान न केवल राज्य में बल्कि भारत में भी अपनी तरह का पहला संस्थान है जो नागरिकों की विभिन्न प्रकार की चुनौतियों के समाधान का अनुभव करने के साथ-साथ साहसिक खेलों में कैरियर बनाने का अवसर देता है।
- इसके अलावा यह संस्थान एक सतत् लक्ष्य के साथ स्थायी रोजगार के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान देता है।
एमसीएक्स इंडिया कमोडिटी इन्डिसीज़
MCX iComdex
देश के सबसे बड़े जिंस एक्सचेंज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (Multi Commodity Exchange) ने इस मंच पर कारोबार किये जाने वाले जिंस वायदा अनुबंधों के आधार पर नए सूचकांकों की शृंखला MCX इंडिया कमोडिटी इन्डिसीज़ (MCX iComdex) जारी की है।
- एक आंतरिक अनुसंधान और विकास दल द्वारा विकसित यह सूचकांक सेबी और इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ सिक्योरिटीज़ कमिशंस (International Organisation of Securities Commissions-IOSCO) के मानकों के अनुरूप है।
- नए सूचकांकों का यह नया सेट उस मौजूदा सेट का स्थान लेगा जिसे कुछ साल पहले थॉमसन रॉयटर्स के साथ मिलकर विकसित किया गया था।
- MCX iCOMDEX एक्सेस रिटर्न इंडेक्स हैं जो एक कंपोज़िट इंडेक्स, सेक्टोरल इंडेक्स और सिंगल कमोडिटी इंडेक्स से मिलकर बनते हैं।
- ये भौतिक वस्तुओं के बजाय आगामी निवेश सूची से उत्पन्न वास्तविक रिटर्न को दर्शाते हैं।
- अत्यधिक रिटर्न आधारित ट्रेडेबल इंडेक्स (Tradable Index) शृंखला होने के कारण MCX iComdex S&P GSCI और ब्लूमबर्ग कमोडिटी इंडेक्स (Bloomberg Commodity Index) जैसे वैश्विक बेंचमार्क सूचकांकों की रैंक में शामिल होता है, जिस पर कमोडिटी की कीमतों से रिटर्न ट्रैक करने वाले डेरिवेटिव प्रोडक्ट लॉन्च किये जा सकते हैं।
- MCX ने खंड और जिंस विशेष से संबंधित सूचकांक भी पेश किये हैं जिन्हें विनियामक द्वारा अनुमति दिये जाने पर कारोबार के लिये स्वीकृत किया जा सकता है। जब इन सूचकांकों पर उत्पादों (उदाहरण के लिये वायदा, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या ETF आदि) की शुरुआत की जाएगी, तब सभी वर्ग के निवेशक काफी कम लागत वाले तरीके से जिंस/जिंस खंडों तक अपनी पहुँच बना सकेंगे।