मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग स्कैन को समझना
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में चुंबकीय अनुनादी इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging- MRI) मानव शरीर के अंदर गैर-आक्रामक अन्वेषण के लिये एक अनिवार्य उपकरण के रूप में चर्चा का विषय रहा है।
चुंबकीय अनुनादी इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging- MRI) क्या है?
- परिचय:
- MRI एक गैर-आक्रामक निदान प्रक्रिया है जिसका उपयोग शरीर के अंदर कोमल ऊतकों (Soft tissue) की छवियाँ प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
- कोमल ऊतक, वह ऊतक है जो कैल्सीफिकेशन के कारण कठोर नहीं होते। कोमल ऊतकों का कैल्सीफिकेशन एक ऐसी स्थिति है जहाँ कैल्शियम लवण कोमल ऊतकों में एकत्रित हो जाते हैं, जिससे वे कठोर हो जाते हैं।
- इसका व्यापक रूप से मस्तिष्क, हृदय प्रणाली, रीढ़ की हड्डी, जोड़ों, मांसपेशियों, यकृत और धमनियों जैसे शरीर के विभिन्न हिस्सों की इमेजिंग के लिये उपयोग किया जाता है।
- X- किरणों के विपरीत, जो विकिरण का उपयोग करता है, MRI स्कैन शरीर के अंदर कोमल ऊतकों की विस्तृत छवियाँ बनाने के लिये शक्तिशाली चुंबक और रेडियो तरंगों का लाभ उठाता है।
- प्रोफेसर पॉल सी. लॉटरबर और पीटर मैंसफील्ड ने अपने अभिनव शोध के लिये फिज़ियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र में वर्ष 2003 का नोबेल पुरस्कार जीता, जिसके परिणामस्वरूप MRI का आविष्कार हुआ।
- MRI एक गैर-आक्रामक निदान प्रक्रिया है जिसका उपयोग शरीर के अंदर कोमल ऊतकों (Soft tissue) की छवियाँ प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
- MRI का कार्य सिद्धांत:
- हाइड्रोजन परमाणु का उपयोग: MRI प्रक्रिया स्कैन किये जा रहे शरीर के हिस्से में मौजूद हाइड्रोजन परमाणुओं का उपयोग करती है।
- MRI मशीन घटक: MRI मशीन में चार आवश्यक घटक होते हैं, जिसमें एक सुपरकंडक्टिंग चुंबक, एक रेडियोफ्रीक्वेंसी पल्स एमिटर और एक डिटेक्टर शामिल है।
- चुंबकीय क्षेत्र अनुप्रयोग: सुपरकंडक्टिंग चुंबक MRI स्कैनर के चारों ओर एक दृढ एवं स्थिर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है, जिससे हाइड्रोजन परमाणुओं के घूर्णन अक्ष या तो क्षेत्र के समानांतर अथवा प्रतिसमानांतर संरेखित हो जाते हैं।
- रेडियोफ्रीक्वेंसी पल्स उत्सर्जन: स्कैनर के निचले भाग से एक रेडियोफ्रीक्वेंसी पल्स उत्सर्जित होती है, जो असंरेखित हाइड्रोजन परमाणुओं की एक छोटी संख्या को उत्तेजित करती है।
- सिग्नल का पता लगाना और छवि निर्माण: उत्तेजित परमाणुओं से उत्सर्जित ऊर्जा को एक संसूचक (रिसीवर) द्वारा संसूचित किया जाता है तथा संकेतों में परिवर्तित किया जाता है।
- फिर इन संकेतों का उपयोग कंप्यूटर द्वारा स्कैन किये गए मानव शरीर के भागों की दो- या त्रि-आयामी छवियाँ बनाने के लिये किया जाता है।
- MRI का महत्त्व: MRI प्रोस्टेट और रेक्टल कैंसर जैसे कैंसर के अवलोकन एवं उपचार के साथ-साथ अल्जाइमर, मनोभ्रंश, मिर्गी एवं ब्रेनस्ट्रोक सहित न्यूरोलॉजिकल स्थितियों की जाँच करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इसके अतिरिक्त, शोधकर्त्ता रक्त प्रवाह में परिवर्तन का अध्ययन करने के लिये MRI स्कैन का उपयोग करते हैं, जो मस्तिष्क गतिविधियों को समझने में सहायता करता है, जिसे कार्यात्मक MRI के रूप में जाना जाता है।
- MRI के लाभ:
- उच्च स्तर की सटीकता: MRI मशीनें ग्रेडिएंट मैग्नेट के साथ शरीर के विशिष्ट भागों का सटीकता से स्कैन करती हैं।
- सुरक्षा: MRI स्कैन से कोई दीर्घकालिक नुकसान नहीं होता है, और चुंबकीय क्षेत्र के प्रभावों का अच्छी तरह से अध्ययन किया जाता है।
- बीमारी का प्रारंभिक पता लगाना: MRI कैंसर और मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी बीमारियों का शीघ्र पता लगाने में मदद करता है।
- न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया: सर्जरी के विपरीत MRI सुरक्षित और आरामदायक है, इससे बच्चों एवं बुज़ुर्गों को फायदा होता है।
- MRI के जोखिम:
- लागत: MRI मशीनों को खरीदना और उनका रखरखाव करना महँगा है, जिससे रोगियों के लिये नैदानिक लागत उच्च हो जाती है।
- असुविधा और क्लॉस्ट्रोफोबिया: रोगियों को MRI मशीन के अंदर लंबे समय तक लेटे रहना पड़ता है जो विशेष रूप से क्लॉस्ट्रोफोबिक व्यक्तियों के लिये असुविधाजनक हो सकता है।
- सीमित दृश्यात्मक क्षमता: उनके भौतिक गुणों के कारण, MRI को कुछ ऊतकों जैसे हड्डी, वायु और कुछ प्रकार के प्रत्यारोपणों की इमेजिंग करने में कठिनाई होती है।
- शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र: MRI में उपयोग किये जाने वाले शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र कुछ चिकित्सा प्रत्यारोपण (उदाहरण के लिये, पेसमेकर) या उनके शरीर में रखी धातु की वस्तुओं वाले रोगियों के लिये संभावित जोखिम उत्पन्न कर सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. 'निकट क्षेत्र संचार (नियर फील्ड कम्युनिकेशन) (NFC) प्रौद्योगिकी' के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये। (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) प्रश्न: दृश्य प्रकाश संचार (VLC) तकनीकी के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये- (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (c) |
होयसल में श्री माधव पेरुमल मंदिर द्वारा व्यापार मार्ग का खुलासा
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में श्री माधव पेरुमल मंदिर में पाए गए अभिलेख 1,000 वर्ष पूर्व के एक प्रमुख व्यापार मार्ग के अस्तित्व का संकेत देते हैं, जो पश्चिमी तमिलनाडु के कोंगु क्षेत्र को दक्षिणी कर्नाटक और केरल से जोड़ता है।
माधव पेरुमल मंदिर के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- यह मंदिर हिंदू देवता विष्णु को समर्पित है, जिन्हें माधव पेरुमल के रूप में पूजा जाता है। यह मायलापुर, चेन्नई (तमिलनाडु राज्य) में स्थित है।
- मायलापुर क्षेत्र होयसल राजवंश, विशेष रूप से राजा वीर बल्लाल-III के शासन के अधीन आया।
- होयसल सेना के सेनापति ने 680 वर्ष पहले धंडनायक किले का निर्माण कराया था। किले के अंदर द्रविड़ शैली की वास्तुकला में मंदिर का निर्माण किया गया था।
- कालांतर में इस क्षेत्र पर विजयनगर साम्राज्य और टीपू सुल्तान का शासन रहा।
- तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (1790-1792) के दौरान सत्यमंगलम की लड़ाई (1790) भी किले के पास ही हुई थी।
- कहा जाता है कि छठी से नौवीं शताब्दी ई.पू. के बारह अलवार संतों में से पहले तीन में से एक, पेयालवार का जन्म इसी मंदिर में हुआ था।
- इरोड ज़िले में भवानीसागर बाँध के जल-प्रसार क्षेत्र में काफी हद तक डूबा हुआ मंदिर बाँध में जल स्तर कम होने के पर दिखाई देने लगा।
- मंदिर अभिलेख:
- अभिलेखों से थुरावलुर नामक गाँव के अस्तित्व का पता चला।
- यह क्षेत्र मुख्य मार्ग के रूप में कार्य करता था, क्योंकि व्यापारी केरल के वायनाड और कर्नाटक के अन्य स्थानों पर पहुँचने के लिये भवानी तथा मोयार नदियों को पार करते थे।
- वर्ष 1948 में भवानीसागर बाँध के निर्माण के परिणामस्वरूप स्थानीय निवासियों का स्थानांतरण हुआ और 1953 में मंदिर की मूर्तियों को नए स्थानों पर स्थानांतरित किया गया।
भवानीसागर बाँध:
- यह भारत में तमिलनाडु के इरोड ज़िले में स्थित है।
- यह बाँध भवानी नदी पर बनाया गया है। यह विश्व के सबसे बड़े मिट्टी के बाँधों में से एक है।
- भवानी नदी पश्चिमी घाट की नीलगिरि पहाड़ियों से निकलती है, केरल के साइलेंट वैली नेशनल पार्क में प्रवेश करती है तथा तमिलनाडु की ओर बहती है। भवानी नदी कावेरी नदी की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है।
होयसल राजवंश के विषय में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- उत्पत्ति एवं उत्थान:
- होयसल, कल्याणी के चालुक्य अथवा पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य के सामंत थे।
- इस साम्राज्य के पहले राजा द्वारसमुद्र (वर्तमान हालेबिड) के उत्तर-पश्चिम की पहाड़ियों से आए थे, जो 1060 ईस्वी में उनकी राजधानी बनी।
- होयसल राजवंश के सबसे उल्लेखनीय शासक विष्णुवर्धन, वीर बल्लाल द्वितीय और वीर बल्लाल तृतीय थे।
- विष्णुवर्धन (जिन्हें बिट्टीदेव के नाम से भी जाना जाता है) होयसल राजवंश के सबसे महान राजा थे।
- होयासलों ने 11वीं से 14वीं शताब्दी के बीच कावेरी (कावेरी) नदी घाटी में कर्नाटक और तमिलनाडु तक फैले क्षेत्र पर शासन किया।
- बाद में, विजयनगर राजवंश होयसलों का उत्तराधिकारी बना।
- होयसल, कल्याणी के चालुक्य अथवा पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य के सामंत थे।
- धर्म एवं संस्कृति:
- इस राजवंश ने हिंदू, जैन एवं बौद्ध धर्म जैसे विभिन्न धर्मों को संरक्षण दिया।
- राजा विष्णुवर्धन प्रारंभ में जैन थे परंतु बाद में संत रामानुज के प्रभाव में आकर वह वैष्णव धर्म में परिवर्तित हो गए।
- मंदिर स्थापत्यकला:
- होयसल मंदिर 12वीं और 13वीं शताब्दी ईस्वी में बनाए गए थे, जो बेसर शैली की अनूठी वास्तुकला एवं कलात्मकता का प्रदर्शन करते हैं।
- होयसल मंदिरों में बेलूर का चेन्नाकेशव मंदिर, हालेबिड का होयसलेश्वर मंदिर, सोमनाथपुर का केशव मंदिर,UNESCO विश्व धरोहर स्थल हैं और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित हैं।
- होयसल वास्तुकला मध्य भारत में प्रचलित भूमिजा शैली, उत्तरी और पश्चिमी भारत की नागर परंपराओं एवं कल्याणी के चालुक्यों द्वारा समर्थित कर्नाटक द्रविड़ शैलियों के विशिष्ट मिश्रण के लिये जानी जाती है।
- इनमें कई मंदिर हैं जो एक केंद्रीय स्तंभ वाले हॉल के चारों ओर समूहित हैं और एक जटिल डिज़ाइन वाले तारे के आकार में बनाए गए हैं।
- वे सोपस्टोन से बने हैं जो अपेक्षाकृत नरम पत्थर है, कलाकार उनकी मूर्तियों को जटिल रूप से तराशने में सक्षम थे।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. नागर, द्रविड़ और वेसर हैं– (2012) (a) भारतीय उपमहाद्वीप के तीन मुख्य जातीय समूह उत्तर: C मेन्स:प्रश्न. मंदिर वास्तुकला के विकास में चोल वास्तुकला का उच्च स्थान है। विवेचना कीजिये। (2013) |
जिआधल नदी असम
स्रोत: डाउन टू अर्थ
असम में अत्यधिक वर्षा सक्रिय रूप से जिआधल नदी के मार्ग को नया आकार दे रही है, जिससे मृदा अपरदन हो रहा है और कृषि के लिये एक महत्त्वपूर्ण खतरा उत्पन्न हो रहा है।
- इसका उद्गम अरुणाचल प्रदेश के उप-हिमालयी पर्वतों से 1247 मीटर की ऊँचाई से होता है, यह नदी ब्रह्मपुत्र नदी की उत्तरी सहायक नदी के रूप में कार्य करती है।
- यह अरुणाचल प्रदेश में एक संकीर्ण घाटी से होकर बहती है और नदी असम के मैदानी इलाकों में निकलती है, विशेष रूप से धेमाजी ज़िले में, जिसे वार्षिक रूप से आने वाली बाढ़ और अपरदन के कारण "धेमाजी का शोक" कहा जाता है।
- यह गोगामुख से नीचे की ओर बहती है, जिसका नाम बदलकर कुमोटिया नदी कर दिया गया है।
- ब्रह्मपुत्र नदी की उत्तरी उप-सहायक नदी के रूप में, यह अपने अंतिम बिंदु के पास सुबनसिरी नदी में विलीन हो जाती है, जिससे ब्रह्मपुत्र की जल मात्रा और शक्ति बढ़ जाती है।
और पढ़ें: सुबनसिरी बाँध परियोजना
MTBVAC के द्वितीय चरण परीक्षणों को मंज़ूरी
स्रोत :द हिंदू
हाल ही में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन( Central Drug Standard Control Organisation - CDSCO) ने माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Live Attenuated) वैक्सीन के द्वितीय चरण के नैदानिक परीक्षण आयोजित करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।
- MTBVAC भारत में वयस्कों में नैदानिक परीक्षण प्रारंभ करने के लिये मानव स्रोत से प्राप्त माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के विरुद्ध पहला टीका है।
- भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने स्पेनिश जैव प्रौद्योगिकी कंपनी बायोफैब्री के सहयोग से भारत में MTBVAC की सुरक्षा, प्रतिरक्षाजन्यता एवं प्रभावकारिता का मूल्यांकन करने के लिये नैदानिक परीक्षणों की एक शृंखला प्रारंभ की है।
- MTBVAC को दो उद्देश्यों के लिये विकसित किया जा रहा है, नवजात बच्चों के लिये BCG (बैसिलस कैलमेट और गुएरिन) की तुलना में अधिक प्रभावी और संभावित रूप से लंबे समय तक चलने वाला टीका तथा वयस्कों और किशोरों में तपेदिक (TB) की रोकथाम के लिये टीका विकसित करना, जिनके लिये वर्तमान में कोई प्रभावी टीका नहीं है।
- MTBVAC नैदानिक परीक्षणों में तपेदिक के विरुद्ध एकमात्र टीका है जो मनुष्यों से पृथक किये गये रोगज़नक माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के आनुवंशिक रूप से संशोधित रूप पर आधारित है।
- BCG, गौवंशीय पशुओं में पाए जाने वाले TB रोगज़नक का एक क्षीण प्रकार है जो मानव में होने वाली तपेदिक से सौ वर्ष से अधिक पुराना है तथा मानवों में होने वाली तपेदिक पर इसका बहुत सीमित प्रभाव होता है।
और पढ़ें : ट्यूबरकुलोसिस
RBI द्वारा कोटक महिंद्रा बैंक के विरुद्ध नियामक कार्रवाई
स्रोत: द हिंदू
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कोटक महिंद्रा बैंक (KMB) को उसके ऑनलाइन और मोबाइल बैंकिंग चैनलों पर नए ग्राहकों को जोड़ने तथा नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से रोक दिया है।
- हालाँकि, बैंक को अपने मौजूदा ग्राहकों को ये सेवाएँ प्रदान करने की अनुमति है।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रतिबंध लगाने का क्या कारण है?
- RBI के अनुसार, KMB ने निम्नलिखित आयामों के संदर्भ में "व्यापक स्तर पर नियमों को अनदेखा" किया:
- IT इन्वेंट्री और उपयोगकर्त्ता पहुँच प्रबंधन।
- डेटा लीक रोकथाम रणनीति।
- व्यापार निरंतरता और आपदा पुनर्प्राप्ति कठोरता एवं अभ्यास।
- RBI द्वारा वर्ष 2022 और 2023 के लिये बैंक के सिस्टम की जाँच के दौरान इन कमियों की पहचान की गई।
- नियामक ने पाया कि सिफारिशों और सुधारात्मक कार्य योजनाओं के बावजूद, KMB इन चिंताओं को व्यापक स्तर पर और त्वरित रूप से संबोधित करने में विफल रहा।
- बैंक को RBI की बाद की सिफारिशों या 'सुधारात्मक कार्य योजनाओं' (CAP) का अनुपालन न करने वाला भी माना गया।
- CAP विनियमित संस्थाओं की मज़बूती सुनिश्चित करने के लिये RBI की एक हस्तक्षेप योजना का हिस्सा हैं।
- RBI के प्रतिबंध का प्रभाव:
- नियामक कार्रवाई KMB की क्रेडिट वृद्धि और लाभप्रदता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है, क्योंकि क्रेडिट कार्ड बैंक के लिये अधिक उपज देने वाला लक्ष्य विकास खंड है।
- KMB को RBI की प्रमुख चिंताओं को पूरी तरह से संबोधित करने में एक वर्ष लग सकता है, क्योंकि बदलावों को लागू करने और बाहरी ऑडिट में समय लगेगा।
- यह प्रतिबंध KMB के खुदरा उत्पादों के विकास पथ में बाधा उत्पन्न करेगा, जिससे मार्जिन और लाभप्रदता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
- नियामक कार्रवाई KMB की क्रेडिट वृद्धि और लाभप्रदता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है, क्योंकि क्रेडिट कार्ड बैंक के लिये अधिक उपज देने वाला लक्ष्य विकास खंड है।
बैंकिंग विनियमन में RBI की क्या भूमिका है?
- बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949:
- RBI बैंकों के विनियमन और पर्यवेक्षण के लिये शासी निकाय है। बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 एक ऐसा अधिनियम है जो भारत के बैंकों को विनियमित करने के लिये एक रूपरेखा प्रदान करता है।
- यह अधिनियम RBI को बैंकों के व्यवहार को नियंत्रित करने की शक्ति देता है। यह अधिनियम बैंकिंग कंपनी अधिनियम, 1949 के रूप में पारित किया गया था।
- यह अधिनियम बैंक के दैनिक कार्यों की निगरानी करता है। इस अधिनियम के तहत, RBI बैंकों को लाइसेंस दे सकता है, शेयरधारकों की शेयरधारिता और वोटिंग अधिकारों पर विनियमन कर सकता है, बोर्ड एवं प्रबंधन की नियुक्ति की देखरेख कर सकता है तथा ऑडिट के लिये निर्देश दे सकता है। RBI विलय और परिसमापन में भी भूमिका निभाता है।
- कोई भी बैंकिंग कंपनी RBI से लाइसेंस के बिना भारत में काम नहीं कर सकती है, जो लाइसेंस देने से पहले कंपनी के बही-खातों का निरीक्षण कर सकता है और अगर कंपनी भारत में अपना बैंकिंग परिचालन बंद कर देती है तो यह लाइसेंस रद्द भी कर सकती है।
- RBI बैंकों के विनियमन और पर्यवेक्षण के लिये शासी निकाय है। बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 एक ऐसा अधिनियम है जो भारत के बैंकों को विनियमित करने के लिये एक रूपरेखा प्रदान करता है।
- त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (Prompt Corrective Action- PCA) फ्रेमवर्क:
- RBI द्वारा PCA फ्रेमवर्क उन बैंकों पर निर्देशित एक पर्यवेक्षी रणनीति है जो कमज़ोर वित्तीय मैट्रिक्स प्रदर्शित करते हैं।
- RBI के PCA फ्रेमवर्क में बैंकों के प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों की निगरानी शामिल है, जैसे पूंजी से जोखिम-भारित संपत्ति अनुपात (Capital to Risk-weighted Assets Ratio- CRAR), शुद्ध गैर-निष्पादित संपत्ति (Net Non-Performing Assets- NNPA) अनुपात और उत्तोलन अनुपात (किसी व्यावसायिक इकाई द्वारा अपनी बैलेंस शीट, आय विवरण में कई अन्य खातों के विरुद्ध किये गए ऋण का स्तर)I
- यदि कोई बैंक इन संकेतकों के लिये निर्धारित जोखिम सीमाओं का उल्लंघन करता है, तो RBI, PCA लागू कर सकता है, जिससे अन्य चीज़ों के अतिरिक्त लाभांश वितरण, शाखा विस्तार और प्रबंधन मुआवज़े पर प्रतिबंध लग सकता है।
- PCA फ्रेमवर्क का उद्देश्य बैंकों को कम पूंजी स्तर, खराब परिसंपत्ति गुणवत्ता या लाभहीन संचालन से उत्पन्न जोखिमों को कम करने के लिये सुधारात्मक कदम उठाने हेतु प्रोत्साहित करना है।
- इसका उद्देश्य बैंकों की वित्तीय स्थितियों को पारदर्शी बनाकर बाज़ार अनुशासन लागू करना भी है।
RBI द्वारा पिछले किये गए कार्यों का तुलनात्मक विश्लेषण:
- दिसंबर 2020 में HDFC बैंक को अपने इंटरनेट व मोबाइल बैंकिंग प्लेटफॉर्म में बार-बार रुकावट या समस्या के कारण नए डिजिटल उत्पाद लॉन्च करने तथा नए क्रेडिट कार्ड ग्राहकों को सोर्स करने से रोक दिया गया था।
- अक्तूबर 2023 में बैंक ऑफ बड़ौदा को "कुछ सामग्री पर्यवेक्षी चिंताओं" को लेकर अपने 'बॉब वर्ल्ड' मोबाइल एप्लिकेशन पर ग्राहकों की नई ऑनबोर्डिंग को निलंबित करने का निर्देश दिया गया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. मौद्रिक नीति समिति (मोनेटरी पालिसी कमिटी/ MPC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न: यदि आर.बी.आई. प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये- (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
PRI की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों ने लिया CPD57 में भाग
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत के पंचायती राज संस्थानों से निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (Elected Women Representatives- EWR) ने संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या और विकास आयोग (Commission on Population and Development- CPD) कार्यक्रम में भाग लिया, जिसका शीर्षक था "SDG का स्थानीयकरण: भारत में स्थानीय प्रशासन में महिला नेतृत्त्व"।
- यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या और विकास आयोग (CPD57) के 57वें सत्र का हिस्सा था।
- इसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन और पंचायती राज मंत्रालय द्वारा संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nations Population Fund- UNFPA) के सहयोग से न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय सचिवालय भवन में किया गया था।
- भारत की पंचायती राज प्रणाली में 1.4 मिलियन से अधिक EWR में शामिल हैं, जो महिलाओं के नेतृत्त्व में सशक्तिकरण, समावेशन और प्रगति को प्रदर्शित करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या एवं विकास आयोग (CPD) के विषय में:
- वर्ष 1946 में आर्थिक और सामाजिक परिषद (Economic and Social Council- ECOSOC) द्वारा एक जनसंख्या आयोग की स्थापना की गई थी, जिसे वर्ष 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा जनसंख्या और विकास आयोग नाम दिया गया था।
- आयोग 47 सदस्य देशों से बना है।
- सदस्य देशों को भौगोलिक वितरण के आधार पर 4 वर्षों की अवधि के लिये ECOSOC द्वारा चुना जाता है।
और पढ़ें: पंचायती राज संस्थान (Panchayati Raj Institution- PRI)
निर्वाचन आयोग ने रोका रायथू भरोसा योजना का भुगतान
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) ने राज्य में लोकसभा चुनाव के लिये मतदान पूरा होने तक रायथु भरोसा (जिसे पहले रायथु बंधु के नाम से जाना जाता था) के तहत किसानों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता राशि के वितरण पर रोक लगा दी है।
- तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से रायथु भरोसा के तहत आगामी संवितरण के बारे में घोषणा करके आदर्श आचार संहिता (MCC) का उल्लंघन किया।
- MCC चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के आचरण को विनियमित करने के लिये ECI द्वारा जारी दिशानिर्देशों का एक समूह है।
- संविधान का अनुच्छेद 324 ECI को संसद और राज्य विधानसभाओं दोनों के लिये निष्पक्ष चुनावों की देखरेख एवं संचालन सुनिश्चित करने का अधिकार देता है।
- 'रायथु भरोसा' योजना जून 2019 में तेलंगाना सरकार द्वारा शुरू की गई नौ नवरत्न कल्याण योजनाओं में से एक है।
- यह योजना राज्य भर के किरायेदार किसानों सहित हर साल प्रति किसान परिवार को 13,500 रुपए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
और पढ़े: आदर्श आचार संहिता (MCC)
भारत में टाइफाइड के निदान में विडाल टेस्ट
स्रोत: द हिंदू
भारत में टाइफाइड के निदान के हेतु विडाल टेस्ट के व्यापक उपयोग ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन के लिये इसकी सटीकता और निहितार्थ के विषय में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
- विडाल टेस्ट, एक तीव्र रक्त परीक्षण, अपनी सीमाओं और गलत परिणामों की प्रवृत्ति के बावज़ूद, टाइफाइड बुखार के निदान के लिये भारत में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।
- साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया (Salmonella typhi bacteria) के कारण होने वाला टाइफाइड, दूषित भोजन एवं जल के सेवन से फैलता है, जो तेज़ बुखार, पेट दर्द, कमज़ोरी, मतली, उल्टी और त्वचा संबंधी रोग जैसे लक्षणों के साथ आंत्र ज्वर के रूप में उत्पन्न होता है।
- कुछ वाहक महीनों तक बैक्टीरिया छोड़ते हुए लक्षण रहित रह सकते हैं, उपचार न होने पर मलेरिया और इन्फ्लूएंज़ा जैसी अन्य बीमारियों की तरह जीवन के लिये जोखिम बन सकता है।
- किसी मरीज़ के रक्त या अस्थि मज्जा से रोगाणुओं को अलग करना और उन्हें प्रयोगशाला में विकसित करना टाइफाइड के निदान के लिये स्वर्ण मानक है, लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगता है तथा अत्यधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है।
- विडाल टेस्ट बैक्टीरिया के विरुद्ध एंटीबॉडी का पता लगाता है, परंतु पूर्व एंटीबायोटिक उपचार तथा अन्य संक्रमण या टीकाकरण से एंटीबॉडी के साथ क्रॉस-रिएक्टिविटी जैसे विभिन्न कारकों के कारण सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम दे सकता है।
- टाइफाइड के गलत निदान से उपचार में देरी और जटिलताएँ हो सकती हैं, जो भारत में इस बीमारी की अस्पष्ट पहचान करने में सहायक होती हैं।
- विडाल टेस्ट द्वारा एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) में योगदान देता है, जो एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा उत्पन्न करता है।
- टाइफाइड की चुनौतियों से निपटने के लिये निदान तथा AMR निगरानी तक बेहतर पहुँच महत्त्वपूर्ण है।
और पढ़ें: टाईपबार टाइफाइड का टीका