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प्रारंभिक परीक्षा

टाईपबार टाइफाइड वैक्सीन

  • 09 Feb 2024
  • 7 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अफ्रीका के मलावी, जो कि टाइफाइड बुखार के लिये स्थानिक क्षेत्र है, में किये गए चरण-3 परीक्षण (9 माह से 12 वर्ष की आयु तक बच्चों पर) ने भारत बायोटेक के टाइफाइड कन्ज्यूगेट वैक्सीन (TCV), टाइपबार की दीर्घकालिक प्रभावकारिता प्रदर्शित की है। अध्ययन में टीके की प्रभावकारिता सभी आयु वर्ग के बच्चों में देखी गई।

  • टाईपबार TCV विश्व की पहली चिकित्सकीय रूप से प्रामाणित कन्ज्यूगेट टाइफाइड वैक्सीन है।
  • भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कन्ज्यूगेट टाइफाइड वैक्सीन को वर्ष 2017 में WHO प्रीक्वालिफिकेशन प्राप्त हुआ था।

नोट:

  • कन्ज्यूगेट या संयुग्मित वैक्सीन एक ऐसी वैक्सीन है जो एक कमज़ोर एंटीजन को मज़बूत एंटीजन जिसे वाहक प्रोटीन (Carrier Protein) भी कहा जाता है, के साथ संयोजित करता है। यह संयोजन प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर एंटीजन के प्रति एक मज़बूत और अधिक प्रभावी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित करने में मदद करता है।
  • यह मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उस रोगजनक (Pathogen) से संक्रमण से बचाने में मदद करती है जिसके परिणामस्वरूप कमज़ोर एंटीजन उत्पन्न हुआ था।

टाईपबार वैक्सीन परीक्षणों के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • फरवरी से सितंबर 2018 की अवधि के दौरान बच्चों को वैक्सीन का सिंगल डोज़ टीका लगाया गया था।
  • 14,069 बच्चों को टाइफाइड का टीका लगाया गया जबकि शेष 14,061 बच्चों को कंट्रोल वैक्सीन (MeNA) लगाई गई। 
  • 9 माह से 2 वर्ष की उम्र के बच्चों में 4.3 वर्ष के औसत अनुवर्ती के अंत में प्रभावकारिता 70.6% थी।
  • 2 से 4 वर्ष के बच्चों में प्रभावकारिता 79.6% थी, जबकि 5 से 12 वर्ष के बच्चों में प्रभावकारिता 79.3% थी।
  • प्रति 1,000 टीकाकरण वाले बच्चों में जोखिम में टाइफाइड संक्रमण कम होकर 6.1 तक पाया गया।
  • समय के साथ टीके की प्रभावकारिता में अनुमानित कमी चार वर्षों में प्रति वर्ष केवल 1-3% थी। 

टाइफाइड क्या है?

  • परिचय: टाइफाइड बुखार एक जानलेवा संक्रमण है जो साल्मोनेला टाइफी (Salmonella Typhi) नामक जीवाणु के कारण होता है। इसका प्रसार आमतौर पर दूषित भोजन या जल द्वारा होता है।
    • यह दूषित भोजन या जल के सेवन से मल-मौखिक मार्ग (faecal-oral route) द्वारा संचरित होता है।
      • एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद यह बैक्टीरिया गुणित होता है और रक्तप्रवाह में फैल जाता है।
    • शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप टाइफाइड का वैश्विक बोझ बढ़ने की संभावना व्यक्त की गई है।
  • लक्षण: इसमें बुखार, थकान, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएँ, सिरदर्द और कभी-कभी शरीर पर चकत्ते (rashes) पड़ जाना शामिल हैं।
    • इसके गंभीर मामलों में बहुत अधिक समस्याएँ या मृत्यु भी हो सकती है, इसकी पुष्टि रक्त परीक्षण से होती है।
  • जोखिम और रोग बोझ: वर्ष 2019 में, विश्व भर में अनुमानतः 9.24 मिलियन टाइफाइड के मामले सामने आए और इस बीमारी के कारण 1,10,000 मौतें हुईं।
    • यह एक महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दा बना हुआ है, विशेष रूप से विकासशील क्षेत्रों में। वर्ष 2019 में टाइफाइड के अधिकांश मामले दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका में सामने आए तथा सर्वाधिक मौतें भी इन्हीं क्षेत्रों में हुईं।
    • स्वच्छ जल और स्वच्छता की कमी से इसका जोखिम बढ़ जाता है, विशेष रूप से बच्चों के लिये
  • उपचार: एंटीबायोटिक इसके उपचार का मुख्य आधार हैं, लेकिन एंटीबायोटिक उपचार के प्रति बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता के कारण उन समुदायों में टाइफाइड का प्रसार आसानी से हो रहा है जिनकी सुरक्षित पेयजल या पर्याप्त स्वच्छता तक पहुँच नहीं है।
    • बैक्टीरिया के प्रतिरोधी उपभेदों के अस्तित्व का अर्थ है कि उन्हें मारने के लिये बनाई गई एंटीबायोटिक या दवाएँ अब काम नहीं करती हैं, जिससे इनका प्रसार तेज़ी से होता है, फलतः सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये जोखिम उत्पन्न होता है।
  • रोकथाम: रोकथाम रणनीतियों में सुरक्षित जल, स्वच्छता और साफ-सफाई तक पहुँच शामिल है।
    • WHO टाइफाइड स्थानिक देशों में नियमित शिशु टीकाकरण कार्यक्रमों में टाइफाइड कन्ज्यूगेट वैक्सीन को एकीकृत करने की सिफारिश करता है।
    • गावी (GAVI) पात्र देशों में वैक्सीन कार्यान्वयन का समर्थन करता है।
      • वैक्सीन एलायंस (GAVI) की स्थापना वर्ष 2000 में एक वैश्विक स्वास्थ्य साझेदारी के रूप में की गई थी, जिसका लक्ष्य विश्व के सबसे गरीब देशों में रहने वाले बच्चों के लिये नए और कम उपयोग वाले टीकों तक समान पहुँच बनाना था।
      • जून 2020 में ग्लोबल वैक्सीन शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने GAVI के 2021-2025 कार्यक्रम के लिये 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का वादा किया।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से, भारत में सूक्ष्मजैविक रोगजनकों में बहु-औषध प्रतिरोध के होने के कारण हैं?

  1. कुछ व्यक्तियों में आनुवंशिक पूर्ववृत्ति (जेनेटिक प्रीडिस्पोजीशन) का होना
  2. रोगों के उपचार के लिये प्रतिजैविकों (एंटिबॉयोटिक्स) की गलत खुराकें लेना
  3. पशुधन फार्मिंग में प्रतिजैविकों का इस्तेमाल करना
  4. कुछ व्यक्तियों में चिरकालिक रोगों की बहुलता होना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) 1 और 2   
(b) केवल 2 और 3
(c) 1, 3 और 4
(d) 2, 3 और 4

उत्तर: (b)

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