सामाजिक न्याय
लस्सा बुखार
- 07 Oct 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:लस्सा बुखार, ज़ूनोटिक रोग। मेन्स के लिये:लस्सा बुखार, संचरण और उपचार। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन अगले 50 वर्षों में लस्सा बुखार को पश्चिम अफ्रीका के कुछ हिस्सों, महाद्वीप के मध्य और पूर्वी भागों में फैलने में मदद कर सकता है।
प्रमुख बिंदु:
- लस्सा बुखार के वायरस के संपर्क में आने वाले लोगों की संख्या में 600% की वृद्धि होगी।
- जोखिम वाले लोगों की संख्या वर्ष 2050 तक बढ़कर 453 मिलियन और वर्ष 2070 तक 700 मिलियन हो जाएगी, जबकि वर्ष 2022 में यह संख्या लगभग 92 मिलियन है।
- अनुमानित 80% संक्रमण हल्के या स्पर्शोन्मुख होते हैं लेकिन शेष 20% मुँह और आँत से रक्तस्राव, निम्न रक्तचाप एवं संभावित स्थायी हानि का कारण बन सकता है।
- तापमान, वर्षा और चरागाह क्षेत्रों की उपस्थिति जैसे प्रमुख कारकों ने लस्सा वायरस के संचरण में योगदान दिया है।
- यदि वायरस पारिस्थितिक रूप से उपयुक्त नए क्षेत्र में संचारित होने में सफल हो जाता है, तो पहले दशक में इसकी वृद्धि सीमित होगी।
लस्सा बुखार:
- परिचय:
- लस्सा बुखार का वायरस पश्चिम अफ्रीका में पाया जाता है और पहली बार इसे वर्ष 1969 में नाइजीरिया के लासा में खोजा गया था।
- यह एकल-संयोजित RNA वायरस है जो वायरस परिवार एरेनाविरिडे से संबंधित है।
- यह बुखार चूहों द्वारा फैलता है और मुख्य रूप से सिएरा लियोन, लाइबेरिया, गिनी और नाइजीरिया सहित पश्चिम अफ्रीकी देशों में पाया जाता है जहाँ यह स्थानिक है।
- मास्टोमिस चूहों में इस घातक लस्सा वायरस को फैलाने की क्षमता होती है।
- इस बीमारी से जुड़ी मृत्यु दर कम है, लगभग 1%, लेकिन कुछ व्यक्तियों के लिये मृत्यु दर अधिक होती है, जैसे कि गर्भवती महिलाओं की तीसरी तिमाही में।
- यूरोपियन सेंटर फॉर डिज़ीज़ प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के अनुसार, लगभग 80% मामले लक्षणविहीन होते हैं, इसलिये उनकी पहचान नहीं की गई है।
- प्रसार:
- इससे व्यक्ति तब संक्रमित हो सकता है जब वह किसी संक्रमित चूहे (जूनोटिक रोग) के मूत्र या मल से दूषित भोजन या घरेलू सामान के संपर्क में आता है।
- यह कभी-कभी किसी बीमार व्यक्ति के संक्रमित शारीरिक तरल पदार्थ या आँख, नाक या मुँह जैसे श्लेष्म झिल्ली के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
- लक्षण:
- इसके सामान्य लक्षणों में हल्का बुखार, थकान, कमज़ोरी और सिरदर्द शामिल हैं।
- गंभीर लक्षणों में रक्तस्राव, साँस लेने में कठिनाई, उल्टी, चेहरे की सूजन और छाती, पीठ एवं पेट में दर्द आदि शामिल हैं।
- लक्षणों की शुरुआत के दो सप्ताह में रोगी की मृत्यु हो सकती है, आमतौर पर बहु-अंग विफलता के परिणामस्वरूप।
- उपचार:
- एंटीवायरल दवा ‘रिबाविरिन’ (Ribavirin) लस्सा बुखार के लिये एक प्रभावी उपचार प्रतीत होती है, लेकिन बीमारी होने पर इसे तुरंत दिया जाना चाहिये।
- वर्तमान में लासा बुखार की रोकथाम के लिये कोई लाइसेंस प्राप्त टीका नहीं है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। |