प्रारंभिक परीक्षा
H5N1- एवियन इन्फ्लूएंज़ा
- 14 Feb 2023
- 6 min read
स्तनधारियों में H5N1 (एवियन इन्फ्लूएंज़ा का उपप्रकार) के प्रसारित होने की हालिया रिपोर्टों ने मानव महामारी पैदा करने की वायरस की क्षमता के संदर्भ में चिंता जताई है।
- कैस्पियन सागर के तट पर 700 से अधिक सीलों की सामूहिक मौत की घटना के बाद वैज्ञानिक वायरस की स्तनधारियों में संक्रमण की संभावित क्षमता (स्पिलओवर) की जाँच कर रहे हैं, जहाँ कुछ महीने पहले जंगली पक्षियों में H5N1 वैरिएंट की खोज की गई थी
H5N1- एवियन इन्फ्लूएंज़ा:
- परिचय:
- यह दुनिया भर में जंगली पक्षियों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले एवियन इन्फ्लूएंज़ा (Avian Influenza- AI) टाइप A वायरस के कारण होने वाली बीमारी है।
- कभी-कभी वायरस पक्षियों से स्तनधारियों को संक्रमित कर सकता है जिसे स्पिलओवर कहा जाता है, हालाँकि इसकी स्तनधारियों के बीच फैलने की संभावना दुर्लभ हो सकती है।
- H5N1, एवियन इन्फ्लूएंज़ा का उपप्रकार है, जिसमें संक्रमित पक्षियों, उनके मल या संक्रमित पक्षी शवों के संपर्क के माध्यम से अन्य स्तनधारियों जैसे कि मिंक, फेरेट्स, सील, घरेलू बिल्लियाँ और अन्य को संक्रमित करने की क्षमता होती है।
- यह दुनिया भर में जंगली पक्षियों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले एवियन इन्फ्लूएंज़ा (Avian Influenza- AI) टाइप A वायरस के कारण होने वाली बीमारी है।
- मनुष्यों में लक्षण:
- हल्के से लेकर गंभीर इन्फ्लूएंज़ा जैसी बीमारियाँ जैसे- बुखार, खाँसी, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द, मतली, पेट में दर्द, दस्त, उल्टी आदि इसके लक्षणों के अंतर्गत आते हैं।
- लोगों में गंभीर श्वसन बीमारी (जैसे- साँस लेने में कठिनाई, निमोनिया, तीव्र श्वसन समस्या, वायरल निमोनिया) और मानसिक स्थिति में बदलाव, दौरे पड़ना आदि भी देखे जा सकते हैं।
- एवियन इन्फ्लूएंज़ा:
- वर्ष 2019 में भारत को एवियन इन्फ्लूएंज़ा (H5N1) मुक्त घोषित किया गया, जिसके विषय में विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (World Organization for Animal Health -OIE) को भी अधिसूचित किया गया है।
- हालाँकि दिसंबर 2020 और वर्ष 2021 की शुरुआत में भारत के 15 राज्यों में मुर्गी पालन (Poultry) क्षेत्र में एवियन इन्फ्लूएंज़ा H5N1 और H5N8 के प्रकोप की सूचना मिली थी।
- वर्ष 2019 में भारत को एवियन इन्फ्लूएंज़ा (H5N1) मुक्त घोषित किया गया, जिसके विषय में विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (World Organization for Animal Health -OIE) को भी अधिसूचित किया गया है।
- उपचार:
- ऐसे कुछ संकेत हैं जिनसे पता चलता है कि कुछ एंटीवायरल दवाएँ वायरस प्रतिकृति के लिये आवश्यक समय को कम कर सकती हैं और इससे जीवित रहने की संभावना बढ़ सकती हैं, लेकिन इस संबंध में और भी नैदानिक अनुसंधान किया जाना आवश्यक है।
- चिंताएँ:
- व्यापक H5N1 प्रकोपों का अत्यधिक आर्थिक प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप पोल्ट्री उद्योग को गंभीर नुकसान होता है, साथ ही पशु कल्याण एवं पर्यावरणीय चिंताओं के बढ़ने के अलावा खाद्य तथा टीका सुरक्षा संबंधी खतरा होता है।
इन्फ्लूएंज़ा वायरस के प्रकार:
- इन्फ्लूएंज़ा वायरस चार प्रकार के होते हैं: इन्फ्लूएंज़ा A, B, C और D
- इन्फ्लूएंज़ा A और B दो प्रकार के इन्फ्लूएंज़ा हैं जो लगभग प्रत्येक वर्ष मौसमी संक्रमण जनित महामारी का कारण बनते हैं।
- इन्फ्लूएंज़ा विषाणु C सामान्यतः मनुष्यों में प्रभाव डालता है लेकिन यह विषाणु कुत्तों एवं सूअरों को भी प्रभावित करता है।
- इन्फ्लूएंज़ा D मुख्य रूप से मवेशियों में पाया जाता है। इस विषाणु के अब तक मनुष्यों में संक्रमण या बीमारी उत्पन्न करने के कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
एवियन इन्फ्लूएंज़ा टाइप A वायरस
- इन्फ्लूएंज़ा A वायरस को दो प्रकार के प्रोटीन HA (Hemagglutinin) और NA (Neuraminidase) के आधार पर 18HA एवं 11NA उप-प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।
- इन दो प्रोटीनों के कई संयोजन संभव हैं, जैसे- H5N1, H7N2, H9N6, H17N10, H18N11 आदि।
- इन्फ्लूएंज़ा A वायरस के सभी ज्ञात उप-प्रकार पक्षियों को संक्रमित कर सकते हैं; H17N10 और H18N11 को छोड़कर, जो केवल चमगादड़ में पाए गए हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. H1N1 वायरस का उल्लेख कभी-कभी समाचारों में निम्नलिखित में से किस एक बीमारी के संदर्भ में किया जाता है? (2015) (a) एड्स उत्तर: (d) |