प्रिलिम्स फैक्ट्स (06 Jan, 2025)



डिजिटल कॉमर्स के लिये ओपन नेटवर्क के 3 वर्ष

स्रोत: द हिंदू 

भारत के प्रधानमंत्री ने -कॉमर्स पर इसके परिवर्तनकारी प्रभाव और छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाने में इसकी भूमिका के लिये ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) पर प्रकाश डाला है।

  • हाल ही में ONDC ने 15 मिलियन से अधिक मासिक लेनदेन के साथ 3 वर्ष पूरे किये हैं, जिससे प्लेटफॉर्म एकाधिकार का सामना करने और समान अवसर को बढ़ावा देने में प्रगति हुई है।

डिजिटल कॉमर्स के लिये ओपन नेटवर्क क्या है?

  • ONDC: इसको अप्रैल 2022 में उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लॉन्च किया गया। इसका उद्देश्य एक खुले, समावेशी और अंतर-संचालन योग्य प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिजिटल वाणिज्य का लोकतंत्रीकरण करना है।
    • ONDC को दिसंबर 2021 में एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में शामिल किया गया था, जिसमें क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया और प्रोटीन ई-गोव टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड के संस्थापक सदस्य शामिल हैं। 
  • उद्देश्य: 
    • वाणिज्य का लोकतंत्रीकरण: एकाधिकारवादी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के प्रभुत्व को कम करने के लिये अंतर-संचालन को बढ़ावा देना।
    • लागत दक्षता: ग्राहकों के अधिग्रहण और लेनदेन प्रसंस्करण की लागत को कम करना।
    • बाज़ार का विस्तार: व्यापक बाज़ार भागीदारी के लिये क्षेत्रीय और भाषाई अंतर को पाटना।
    • उपभोक्ता सशक्तीकरण: छूट और प्रमोशन के माध्यम से कम कीमतों पर खरीदारों को विविध उत्पाद और सेवा विकल्प प्रदान करना, विकल्पों को बढ़ाना और प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण को बढ़ावा देना।

  • प्रमुख विशेषताएँ: 
    • ओपन प्रोटोकॉल: ओपन-सोर्स कार्यप्रणाली (जिस तक हर कोई पहुँच सकता है) और प्रोटोकॉल पर निर्मित, ONDC क्रेताओं तथा विक्रेताओं को विभिन्न प्लेटफॉर्मों और अनुप्रयोगों पर निर्बाध रूप से लेनदेन करने की अनुमति देता है।
      • भूमिका पृथक्करण: प्रतिभागियों में क्रेता ऐप्स (उपभोक्ताओं और विक्रेताओं को जोड़ना), विक्रेता ऐप्स (व्यवसायों के लिये उत्पादों को सूचीबद्ध करने और प्रबंधित करने के लिये इंटरफेस), लॉजिस्टिक्स प्रदाता (कुशल परिवहन सुनिश्चित करना), टेक इनेबलर्स (IT उपकरण प्रदान करना) शामिल हैं।
    • क्षेत्रीय दायरा: ONDC खाद्य, किराना और फैशन से लेकर वित्तीय सेवाओं, कृषि और स्वास्थ्य तक विविध क्षेत्रों में सुविधा प्रदान करता है।
  • ONDC के लाभ:
  • यह डिजिटल कौशल निर्माण के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करता है और MSME-टीम योजना जैसी पहलों के माध्यम से महिला-स्वामित्व वाले तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के नेतृत्व वाले उद्यमों को समर्थन देकर समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करता है।

  • स्टार्टअप: ONDC स्टार्टअप महोत्सव के माध्यम से सहयोग को बढ़ावा देता है, तथा स्टार्टअप को लॉजिस्टिक्स, आईटी और विक्रेता-क्रेता प्लेटफॉर्मों में अवसर प्रदान करता है, ताकि वे एक विशाल ई-कॉमर्स नेटवर्क में एकीकृत हो सकें। 

  • जागरूकता के लिये ONDC की पहल:

    • ONDC छोटे व्यवसायों को शिक्षित करने के लिये फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) जैसे उद्योग संघों के साथ कार्यशालाएँ आयोजित कर रहा है।

    • ONDC ने भारतीय भाषाओं में ऐप विकास और ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिये भाषिणी के साथ सहयोग किया है।

      • "ONDC सहायक" व्हाट्सएप बॉट 5 भाषाओं में जानकारी प्रदान करता है।
    • ONDC की उपलब्धियाँ: ONDC ने बंगलुरू और दिल्ली जैसे शहरों में सफलतापूर्वक पायलट प्रोजेक्ट आरंभ किया है, जबकि खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने हिमाचल प्रदेश में उचित मूल्य की दुकान का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है।
  • प्रारंभ में खाद्य एवं पेय (F एंड B) और किराना से शुरुआत करते हुए, ONDC ने मोबिलिटी, फैशन, स्वास्थ्य और B2B जैसी श्रेणियों तक विस्तार किया है। 
  • जनवरी 2024 तक यह 616 से अधिक शहरों को कवर कर लेगा, जिससे इसकी भौगोलिक पहुँच में वृद्धि होगी। 

  • पुरस्कार और मान्यता:  वर्ष 2024 में ONDC को ई-गवर्नेंस के लिये राष्ट्रीय पुरस्कारों में "नागरिक केंद्रित सेवाएँ प्रदान करने के लिये उभरती प्रौद्योगिकियों का अनुप्रयोग" पुरस्कार मिला और इसे 14वें भारत डिजिटल पुरस्कार (IDA) में "स्टार्ट-अप ऑफ द ईयर" के रूप में मान्यता दी गई।

    • वर्ष 2023 में ONDC को ग्लोबल फिनटेक अवॉर्ड्स में "फिनटेक कंपनी ऑफ द ईयर" के रूप में मान्यता दी गई।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स 

प्रश्न 1. 'भारतीय गुणता परिषद् (QCI)' के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. QCI का गठन, भारत सरकार तथा भारतीय उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
  2. QCI के अध्यक्ष की नियुक्ति, उद्योग द्वारा सरकार को की गई संस्तुतियों पर, प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


प्रश्न 2. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2022)

  1. आरोग्य सेतु
  2. कोविन
  3. डिजिलॉकर
  4. दीक्षा

उपर्युक्त में से कौन-से ओपन-सोर्स डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बनाए गए हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2, 3 और 4 
(c) केवल 1, 3 और 4 
(d) 1, 2, 3 और 4


उत्तर: (d)


शीतकालीन चारधाम

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में उत्तराखंड ने वर्ष भर पर्यटन को बढ़ावा देने और ऑफ-सीजन सर्दियों के महीनों के दौरान राज्य में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये शीतकालीन चारधाम सर्किट शुरू किया है। 

  • चारधाम तीर्थस्थल (4 पूजनीय तीर्थस्थल) चार पवित्र स्थल हैं, अर्थात यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ और ये गढ़वाल हिमालय में स्थित हैं। पारंपरिक रूप से मई और नवंबर के बीच इनकी यात्रा की जाती है।
    • सर्दियों के महीनों के दौरान, इन मंदिरों के मुख्य देवताओं को निम्न ऊँचाई पर स्थित मंदिरों में लाया जाता है:
      • केदारनाथ: उखीमठ (रुद्रप्रयाग) में ओंकारेश्वर मंदिर
      • बद्रीनाथ: चमोली में पांडुकेश्वर
      • गंगोत्री: उत्तरकाशी में मुखबा 
      • यमुनोत्री: उत्तरकाशी में खरसाली
  • चारधाम परियोजना का उद्देश्य राजमार्गों की स्थिति में सुधार करके बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तक संपर्क बढ़ाना है।
  • आदि शंकराचार्य (अद्वैत वेदांत के प्रतिपादक) ने देश के चार अलग-अलग दिशाओं में चारधामों की स्थापना की जिनमें बद्रीनाथ, पुरी, द्वारका और रामेश्वरम शामिल हैं। 
    • अद्वैत वेदांत एक गैर-द्वैतवादी दर्शन है जो यह मानता है कि परम वास्तविकता (ब्रह्म) एकवचन और निराकार है, व्यक्तिगत आत्माएँ (आत्मा) इसके समान हैं, और इस एकता की प्राप्ति के माध्यम से मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त की जाती है।

और पढ़ें: चारधाम परियोजना


कैंसर चिकित्सा के लिये हाइड्रोजेल

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में, शोधकर्त्ताओं ने स्थानीयकृत कैंसर के उपचार के लिये एक इंजेक्टेबल हाइड्रोजेल विकसित किया है।

  • हाइड्रोजेल कैंसर रोधी दवाओं के लिये एक स्थिर भंडार के रूप में कार्य करता है, जो स्वस्थ कोशिकाओं को सुरक्षित रखकर कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करते हुए दुष्प्रभावों को कम करता है।
  • जैवसंगत और जैवनिम्नीकरणीय अल्ट्रा-शॉर्ट पेप्टाइड्स से बना यह हाइड्रोजेल, ग्लूटाथिऑन (GSH) के बढ़े हुए स्तर पर प्रतिक्रिया करता है, जो कैंसर कोशिकाओं में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला अणु है।
  • हाइड्रोजेल कैंसर वाली जगह (Tumour Site) पर स्थानीयकृत दवा वितरण सुनिश्चित करता है, जिससे उपचार की परिशुद्धता में सुधार होता है।
    • पारंपरिक कीमोथेरेपी और सर्जरी कैंसर कोशिकाओं का उपचार करते समय स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती है।
  • हाइड्रोजेल जल-आधारित, त्रि-आयामी बहुलक नेटवर्क हैं जो तरल पदार्थ को अवशोषित करने और बनाए रखने में सक्षम हैं।
    • उनकी अनूठी संरचना जीवित ऊतकों की प्रतिकृति बनाती है, जिससे वे जैव-चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिये उपयुक्त बन जाते हैं।

और पढ़ें: माइक्रोप्लास्टिक पृथक्करण हेतु नोवेल हाइड्रोजेल


अरुणाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1978

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

अरुणाचल प्रदेश सरकार, अरुणाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1978 के अधिनियमित होने के लगभग 46 वर्ष बाद, इसके प्रवर्तन हेतु नियम बनाकर इसे लागू करने के क्रम में कदम उठा रही है। 

  • इस कदम का उद्देश्य राज्य में जबरन धर्मांतरण से संबंधित चिंताओं को दूर करना है।

अरुणाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1978 क्या है?

  • परिचय:
    • अरुणाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1978 को जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिये लागू किया गया था। 
    • यह अधिनियम अरुणाचल प्रदेश में तीव्र सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तनों के दौर में (1978 में) लागू किया गया था जिसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों की पारंपरिक धार्मिक प्रथाओं का बाहरी प्रभाव या दबाव से संरक्षण करना था।
  • प्रमुख प्रावधान:
    • स्वदेशी आस्थाओं की परिभाषा: यह अधिनियम स्पष्ट रूप से अरुणाचल प्रदेश के मूल समुदायों द्वारा अपनाए जाने वाले धर्मों, विश्वासों, रीति-रिवाजों को स्वदेशी आस्थाओं के रूप में मान्यता देता है। इनमें शामिल हैं:
      • बौद्ध धर्म: मोनपा, मेंबा, शेरदुकपेन, खंबा, खंपति और सिंगफोस जैसे जनजातीय समूहों के बीच प्रचलित।
      • प्रकृति पूजा: विशेष रूप से डोनी-पोलो (जिसका अर्थ है "सूर्य और चंद्रमा") की पूजा राज्य के कई समुदायों द्वारा की जाती है।
        • डोनी-पोलो पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम के तानी और अन्य चीनी-तिब्बती लोगों का स्वदेशी धर्म है।
      • वैष्णव धर्म: जैसा कि नोक्टेस और आकाओं द्वारा प्रचलित है।
    • जबरन धर्म परिवर्तन पर प्रतिषेध: यह अधिनियम स्पष्ट रूप से किसी व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध या बलपूर्वक किसी एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाता है।
    • उल्लंघन के लिये दंड: अधिनियम में दूसरों को जबरन धर्मांतरित करने या ऐसा करने का प्रयास करने का दोषी पाए जाने पर 2 वर्ष तक के कारावास और 10,000 रुपए तक के ज़ुर्माने की सजा का प्रावधान है।
    • अनिवार्य रिपोर्टिंग: अधिनियम में यह प्रावधान है कि धर्म परिवर्तन के किसी भी कृत्य की सूचना संबंधित जिले के उपायुक्त (DC) को दी जानी चाहिये।
  • पुनरुद्धार हेतु प्रयास:
    • वर्ष 2022 में एक जनहित याचिका (PIL) के बाद अधिनियम के पुनरुद्धार को गति मिली, जिसके कारण गुवाहाटी उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से राज्य सरकार को इसके कार्यान्वयन के लिये आवश्यक नियमों को अंतिम रूप देने के लिये प्रेरित किया गया। 
    • इसे अरुणाचल प्रदेश के स्वदेशी आस्था और सांस्कृतिक सोसायटी (IFCSAP) जैसे संगठनों द्वारा भी समर्थन दिया गया है, जिसका उद्देश्य स्वदेशी मान्यताओं की रक्षा करना है, विशेष रूप से कुछ ज़िलों में जहाँ धर्मांतरण की दर 90% तक देखी गई है
      • अरुणाचल प्रदेश में ईसाई जनसंख्या वर्ष 1971 में 0.79% से बढ़कर वर्ष 2011 में 30.26% हो गयी।

धार्मिक आस्था से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद 25: अनुच्छेद 25 सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन, अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म को मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने के अधिकार को सुनिश्चित करता है। 
    • यह राज्य को धार्मिक आचरण से संबंधित धर्मनिरपेक्ष गतिविधियों को विनियमित करने की अनुमति देता है, जो सभी हिंदुओं के लिये हिंदू धार्मिक संस्थानों को खोलने का आदेश देता है, चाहे उनकी जाति या वर्ग कुछ भी हो।
  • अनुच्छेद 26: अनुच्छेद 26 प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय को सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने का अधिकार देता है।
  • अनुच्छेद 27-30: धार्मिक प्रथाओं के लिये वित्तीय योगदान देने, धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने तथा धार्मिक उद्देश्यों के लिये शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन करने की स्वतंत्रता की रक्षा करना है।

राज्य स्तरीय धर्मांतरण विरोधी कानून

  • ओडिशा (वर्ष 1967): यह धार्मिक रूपांतरण पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पारित करने वाला पहला राज्य बना, जिसमें जबरन या धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण पर रोक लगाई गई।
  • मध्यप्रदेश (वर्ष 1968): मध्यप्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम लागू किया गया, जिसके अधीन किसी भी धर्मांतरण गतिविधि की सूचना ज़िला मजिस्ट्रेट को देना अनिवार्य किया गया, तथा इसका पालन न करने पर दंड का प्रावधान किया गया।
  • अन्य राज्य: गुजरात (2003), छत्तीसगढ़ (2000 और 2006), राजस्थान (2006 और 2008), हिमाचल प्रदेश (2006 तथा 2019), तमिलनाडु (2002 एवं 2004), झारखंड (2017), उत्तराखंड (2018), उत्तर प्रदेश (2021) और हरियाणा (2022) सहित कई अन्य राज्यों ने विभिन्न प्रकार के धार्मिक रूपांतरणों को प्रतिबंधित करने के उद्देश्य से समान कानून प्रवर्तित किये। 

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 26 जनवरी, 1950 को भारत की वास्तविक संवैधानिक स्थिति क्या थी? (2021) 

(a) लोकतंत्रात्मक गणराज्य 
(b) संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य
(c) संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य 
(d) संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य 

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत के संविधान की उद्देशिका है (2020)

(a) संविधान का भाग है किंतु कोई विधिक प्रभाव नहीं रखती।
(b) संविधान का भाग नहीं है और कोई विधिक प्रभाव भी नहीं रखती।
(c) संविधान का भाग है और वैसा ही विधिक प्रभाव रखती है जैसा कि उसका कोई अन्य भाग।
(d) संविधान का भाग है किंतु उसके अन्य भागों से स्वतंत्र होकर उसका कोई विधिक प्रभाव नहीं है।

उत्तर: (d)


श्री नारायण गुरु

स्रोत: डेकन हेराल्ड 

हाल ही में केरल के शिवगिरी मठ के प्रमुख ने मंदिर में प्रवेश करने से पहले पुरुष श्रद्धालुओं द्वारा ऊपरी वस्त्र उतारने की प्रथा को समाप्त करने का आह्वान किया और इसे एक "कुप्रथा" बताया।

  • उनके अनुसार यह प्रथा, जो मूल रूप से पुरुषों द्वारा "पुनुल" (ब्राह्मण वर्ग द्वारा धारण किया जाने वाल यज्ञोपवीत) धारण किया जाना सुनिश्चित करने हेतु शुरू की गई थी, श्री नारायण गुरु के सामाजिक सुधार सिद्धांतों के विपरीत है।

श्री नारायण गुरु: 

  • जन्म: श्री नारायण का जन्म 22 अगस्त 1856 को केरल के चेम्पाज़ंथी में हुआ था। वे एझावा जाति से थे, जिसे तत्तकालीन सामाजिक मानदंडों के अनुसार 'अवर्ण' माना जाता था।
  • दर्शन: उन्होंने जातिगत भेदभाव का विरोध करते हुए समानता, शिक्षा और सामाजिक उत्थान का समर्थन किया। 
    • उनका मूल विश्वास "मानवता के लिये एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर" के नारे में व्यक्त होता है।
    • वह आदि शंकराचार्य द्वारा प्रणीत अद्वैतवादी दर्शन, अद्वैत वेदांत के प्रमुख समर्थक रहे।
  • सामाजिक सुधार: उन्होंने हाशिये पर स्थित लोगों के उत्थान के लिये एक परोपकारी समाज, श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP) की स्थापना की।
    • अरुविप्पुरम आंदोलन (1888): उन्होंने अरुविप्पुरम में एक शिव मूर्ति स्थापित की, जो सामाजिक अन्याय, विशेष रूप से उन जाति-आधारित प्रतिबंधों के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक थी, जिसके अंतर्गत निम्न जातियों का मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित था।
    • उन्होंने 1904 में शिवगिरी मठ की स्थापना की।
  • साहित्यिक योगदान: उन्होंने कई महत्वपूर्ण रचनाएँ की, जिनमें अद्वैत दीपिका, आत्मविलासम, दैव दसकम और ब्रह्मविद्या पंचकम शामिल हैं।

और पढ़ें: श्री नारायण गुरु  


पंचायत से संसद 2.0

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में 6 जनवरी 2025 को आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा पंचायत से संसद 2.0 कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया।

  • इस कार्यक्रम में पूरे भारत से अनुसूचित जनजातियों (ST) की 502 निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
  • पंचायत से संसद 2.0 कार्यक्रम: यह संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की समझ बढ़ाने के क्रम में महिला जागरूकता तथा सशक्तीकरण पहल है।
  • उद्देश्य: पंचायतों (PRI) और शहरी स्थानीय निकायों (ULB) में विविध पृष्ठभूमि से निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को संवैधानिक प्रावधानों, संसदीय प्रक्रियाओं तथा शासन संबंधी जानकारी प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना।
    • प्रमुख विशेषताएँ: 
      • इसके तहत विशेषज्ञों एवं संसद सदस्यों (MP) द्वारा इंटरैक्टिव कार्यशालाओं के साथ नए संसद भवन, संविधान सदन, प्रधानमंत्री संग्रहालय तथा राष्ट्रपति भवन के निर्देशित दौरे शामिल हैं।
      • पंचायत से संसद 1.0 का आयोजन जनवरी 2024 में 500 से अधिक प्रतिभागियों के साथ किया गया था। 
  • महिला आरक्षण हेतु अधिनियम: 
  • बिरसा मुंडा ने मुंडा विद्रोह (उलगुलान) का नेतृत्व किया तथा उनकी जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है।

और पढ़ें: जनजातीय गौरव दिवस: 15 नवंबर