प्रवासी भारतीयों के माध्यम से भारत की वैश्विक पहुँच
यह एडिटोरियल 08/01/2025 को हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित “How Indian diaspora can contribute to Viksit Bharat” पर आधारित है। लेख में ओडिशा द्वारा प्रवासी भारतीय दिवस- 2025 की मेज़बानी पर प्रकाश डाला गया है, जो भारतीय प्रवासियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है। यह आयोजन पिछले कुछ वर्षों में प्रचलित हुआ है, जिससे प्रवासी भारतीयों में गौरव और सामुदायिकता की भावना जागृत हुई है।
प्रिलिम्स के लिये:प्रवासी भारतीय (NRI), भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO), OCI कार्ड, भारत की GDP, उपभोग व्यय, भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता, खाड़ी राष्ट्र, MADAD पोर्टल, उत्प्रवास जाँच आवश्यक (ECR), ऑपरेशन गंगा (2022), ऑपरेशन कावेरी (2023), ऑपरेशन राहत (2015), ऑपरेशन देवी शक्ति (2021), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) मेन्स के लिये:भारतीय कूटनीति में भारतीय प्रवासियों का महत्त्व, भारतीय प्रवासी समुदाय, भारत की सॉफ्ट पावर |
वर्ष 2024 में विश्व भर में 35 मिलियन से अधिक लोगों को शामिल करने वाला भारतीय प्रवासी समुदाय भारत के विशाल अभिगम क्षमता और प्रभाव का प्रतीक है। विश्व भर में सबसे बड़े प्रवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए, ये लोग भारत के लिये आर्थिक चालक, सांस्कृतिक राजदूत और रणनीतिक सहयोगी के रूप में काम करते हैं। वर्ष 2024 में 129.1 बिलियन डॉलर के प्रेषण सहित उनके योगदान को प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) के दौरान उत्सव मनाया गया है, जो भारत की वैश्विक पहचान को आयाम देने में उनकी भूमिका का सम्मान करने के लिये 9 जनवरी को द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है। 200 से अधिक देशों में प्रभावी उपस्थिति के साथ, प्रवासी समुदाय भारत को विश्व से जोड़ता है, नवाचार को बढ़ावा देता है, कूटनीतिक संबंधों को मज़बूत करता है तथा 21 वीं सदी में भारत के वैश्विक स्थिति को प्रभावशाली बनाने में योगदान देता है।
भारतीय प्रवासी समुदाय की परिभाषा क्या है?
- भारतीय प्रवासी समुदाय: भारतीय प्रवासी से तात्पर्य भारतीय मूल के उन व्यक्तियों से है जो भारत के बाहर रहते हैं, जिनमें प्रवासी भारतीय (NRI) और भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) दोनों शामिल हैं।
- विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, नवंबर 2024 तक प्रवासी भारतीयों की कुल जनसंख्या 35,421,987 थी।
- सबसे बड़ी भारतीय प्रवासी आबादी वाले शीर्ष तीन देश संयुक्त राज्य अमेरिका (5.4 मिलियन), संयुक्त अरब अमीरात (3.6 मिलियन) और मलेशिया (2.9 मिलियन) हैं।
- प्रवासी समुदाय की श्रेणियाँ:
- प्रवासी भारतीय (NRI): ये वे भारतीय नागरिक हैं जो काम, शिक्षा या अन्य उद्देश्यों के लिये अस्थायी रूप से विदेश में रहते हैं।
- भारतीय मूल के व्यक्ति (POI): ये भारतीय मूल के विदेशी नागरिक हैं, जो पीढ़ियों से विदेश में रहते आए हैं या बसे हुए हैं, लेकिन भारत के साथ उनका मज़बूत सांस्कृतिक संबंध बना हुआ है।
- भारत के विदेशी नागरिक (OCI): इस श्रेणी में भारतीय मूल के वे नागरिक शामिल हैं जिनके पास विदेशी नागरिकता है लेकिन उन्हें OCI कार्ड के माध्यम से भारत सरकार द्वारा विशेषाधिकार प्रदान किये गए हैं।
प्रवासी भारतीयों का महत्त्व और योगदान क्या है?
- आर्थिक महत्त्व: वर्ष 2024 में, भारत को 129.1 बिलियन डॉलर का उल्लेखनीय धन प्रेषण प्राप्त हुआ है, जो किसी भी देश के लिये एक वर्ष में होने वाला सर्वाधिक धन प्रेषण है।
- यह वैश्विक धन प्रेषण का 14.3% था, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है तथा इस क्षेत्र में भारत के प्रभुत्व को रेखांकित करती है।
- भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में धन प्रेषण का योगदान 3.3% है, जो परिवारों को महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है तथा स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में उपभोग व्यय एवं निवेश को समर्थन प्रदान करता है।
- भारतीय उद्यमों को वैश्विक बाज़ारों से जोड़कर और सहयोग को बढ़ावा देकर, प्रवासी समुदाय भारत के व्यापार परिदृश्य को समृद्ध बनाता है, वंचित क्षेत्रों को सहायता प्रदान करता है तथा देश को विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर अग्रसर करता है।
- प्रशासन और सॉफ्ट पावर में भूमिका: भारतीय प्रवासी प्रशासनिक कार्यढाँचे को प्रभावित करने और प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- अमेरिका और ब्रिटेन में भारतीय मूल के पेशेवर और सांसद व्यापार, रक्षा एवं प्रौद्योगिकी में भारत-अमेरिका सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
- उदाहरण के लिये, भारतीय मूल के अधिकारियों ने भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका प्रदर्शित हुई है।
- सांस्कृतिक संपर्क बढ़ाना: सांस्कृतिक राजदूत के रूप में कार्य करते हुए, प्रवासी समुदाय मेज़बान देशों में भारत की परंपराओं, कला और विरासत को बढ़ावा देकर भारत की सॉफ्ट पावर को प्रबल करते हैं।
- कई अमेरिकी राज्यों में दिवाली पर अवकाश घोषित करने जैसी पहल, विदेशों में भारतीय संस्कृति के सफल एकीकरण को उजागर करती है तथा अधिक स्वीकृति एवं प्रशंसा को बढ़ावा देती है।
- भारतीय त्यौहार, योग, बॉलीवुड और व्यंजनों ने वैश्विक लोकप्रियता हासिल की है, जिससे भारत की सॉफ्ट पावर बढ़ी है।
- ज्ञान अर्थव्यवस्था: वैश्विक प्रौद्योगिकी केंद्रों में भारतीयों की महत्त्वपूर्ण उपस्थिति है, उदाहरण के लिये: गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और एडोब जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों के CEO भारतीय मूल के हैं।
- कई प्रवासी सदस्य भारत वापसी कर रहे हैं, अपनी विशेषज्ञता लेकर आ रहे हैं और नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं, विशेष रूप से IT और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में।
- परोपकारी योगदान: भारतीय मूल के परोपकारी लोग भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण विकास के लिये उदारतापूर्वक योगदान देते हैं।
- उदाहरण के लिये, प्रवासी भारतीयों के लिये भारत विकास फाउंडेशन (IDF-OI) जैसी पहल ऐसे योगदान को सुगम बनाती है।
प्रवासी भारतीयों से जुड़ने के लिये सरकार की क्या पहल है?
- रोज़गार एवं कल्याण सहायता:
- ई-माइग्रेट: यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भर्ती को नियंत्रित करता है और विदेशों में रोज़गार चाहने वाले भारतीय श्रमिकों के लिये सुरक्षित अवसर प्रदान करता है।
- यह पारदर्शिता सुनिश्चित करता है, श्रमिकों को शोषण से बचाता है तथा नियोक्ताओं एवं कर्मचारियों दोनों के लिये भर्ती प्रक्रिया को सरल बनाता है।
- MADAD पोर्टल: MADAD पोर्टल विदेश में रहने वाले भारतीयों के लिये शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करता है।
- इसमें कानूनी सहायता से लेकर आपात स्थितियों में स्वदेश वापसी तक के मुद्दों पर विचार किया गया है तथा संकटग्रस्त भारतीयों को समय पर सहायता सुनिश्चित की गई है।
- प्रवासी भारतीय बीमा योजना (PBBY): वर्ष 2003 में शुरू की गई यह योजना उत्प्रवास जाँच आवश्यक (ECR) श्रेणी के भारतीय प्रवासी श्रमिकों के लिये अनिवार्य बीमा योजना है।
- यह दुर्घटनावश मृत्यु या स्थायी शारीरिक अक्षमता/विकलांगता के लिये 10 लाख रुपए का बीमा कवरेज प्रदान करता है, जिसमें दो वर्षों के लिये 275 रुपए और तीन वर्षों के लिये 375 रुपए का प्रीमियम शामिल है।
- ई-माइग्रेट: यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भर्ती को नियंत्रित करता है और विदेशों में रोज़गार चाहने वाले भारतीय श्रमिकों के लिये सुरक्षित अवसर प्रदान करता है।
- सांस्कृतिक एवं विरासत जुड़ाव:
- भारत की विदेशी नागरिकता (OCI) योजना: यह योजना भारतीय मूल के लोगों को आजीवन वीज़ा-मुक्त यात्रा और अन्य विशेषाधिकार प्रदान करती है, जिससे भारत के साथ उनके संबंधों को मज़बूती मिलती है।
- लाभों में संपत्ति का स्वामित्व, वित्तीय निवेश और भारत में शैक्षणिक संस्थानों तक अभिगम शामिल हैं।
- चलो इंडिया कार्यक्रम: विश्व भर में भारतीय मूल के युवाओं को भारत आने और अपनी विरासत से जुड़ने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक पर्यटन, धरोहर स्थलों की यात्रा और स्थानीय समुदायों के साथ समन्वय शामिल है।
- भारत को जानिये क्विज़ (BKJ): यह प्रवासी युवाओं को भारत के इतिहास, संस्कृति और समकालीन विकास से जोड़ने तथा उनमें गर्व एवं अपनेपन की भावना को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन की गई एक ऑनलाइन क्विज़ है।
- भारत की विदेशी नागरिकता (OCI) योजना: यह योजना भारतीय मूल के लोगों को आजीवन वीज़ा-मुक्त यात्रा और अन्य विशेषाधिकार प्रदान करती है, जिससे भारत के साथ उनके संबंधों को मज़बूती मिलती है।
- अनुसंधान और शैक्षणिक पहल:
- विज़िटिंग एडवांस्ड ज्वाइंट रिसर्च (VAJRA) फैकल्टी योजना: यह योजना विदेशी वैज्ञानिकों को भारतीय संस्थानों में काम करने के लिये आकर्षित करती है तथा अत्याधुनिक क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देती है।
- रामानुजन फेलोशिप: यह फेलोशिप विदेशों में भारतीय शोधकर्त्ताओं को विज्ञान, इंजीनियरिंग और चिकित्सा के क्षेत्र में भारतीय संस्थानों में काम करने का अवसर प्रदान करती है।
- रामलिंगस्वामी पुनः प्रवेश फेलोशिप: प्राणी विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी में अनुसंधान करने के लिये भारत लौटने वाले वैज्ञानिकों को सहायता प्रदान करती है।
- बायोमेडिकल रिसर्च कैरियर प्रोग्राम (BRCP): भारत में बायोमेडिकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्रों में शोधकर्त्ताओं के लिये करियर विकास की सुविधा प्रदान करता है।
- उदाहरण के लिये, DBT/वेलकम ट्रस्ट इंडिया अलायंस जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), भारत सरकार के बीच एक सहयोगी साझेदारी है तथा वेलकम ट्रस्ट, UK का उद्देश्य बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम (BRCP) का समर्थन करना है।
- प्रवासी बच्चों के लिये छात्रवृत्ति कार्यक्रम: NRI और POI के बच्चों को भारत में उच्च शिक्षा के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- सामुदायिक सहायता और कल्याण:
- भारतीय समुदाय कल्याण कोष (ICWF): यह कोष विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों को आपातकालीन सहायता प्रदान करता है, जिसमें संकट के दौरान स्वदेश वापसी, कानूनी सहायता और आपात स्थितियों में वित्तीय सहायता शामिल है।
- प्रवासी भारतीय केंद्र: यह प्रवासी-संबंधी गतिविधियों के लिये एक केंद्र और नई दिल्ली में एक संसाधन केंद्र है जो सम्मेलनों और कार्यक्रमों के लिये सुविधाएँ प्रदान करता है।
- वरिष्ठ अनुसंधान एसोसिएटशिप (SRA) - वैज्ञानिक पूल योजना: वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा प्रशासित यह योजना, भारत में रोज़गार के बिना विदेश से लौटने वाले उच्च योग्यता प्राप्त भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, प्रौद्योगिकीविदों और चिकित्सा कर्मियों को अस्थायी नियुक्ति प्रदान करती है।
- संकट प्रबंधन और निकासी:
- सरकार ने संकट के दौरान अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिये बड़े पैमाने पर कई निकासी अभियान चलाए हैं, जो सुदृढ़ संकट प्रबंधन क्षमताओं का प्रदर्शन करता है।
- ऑपरेशन गंगा (2022), ऑपरेशन कावेरी (2023), ऑपरेशन राहत (2015) और ऑपरेशन देवी शक्ति (2021) सभी भारत सरकार के नेतृत्व वाले सफल निकासी मिशन थे, जिन्होंने हज़ारों नागरिकों और विदेशी सहयोगियों को संघर्ष क्षेत्रों से बाहर निकाला है।
प्रवासी भारतीयों से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?
- आर्थिक चुनौतियाँ:
- इससे उन्हें वित्तीय अस्थिरता और अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ता है।
- खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों में भारतीय श्रमिकों को अस्थिर तेल कीमतों और बदलते श्रम कानूनों के कारण प्रायः नौकरी की असुरक्षा का सामना करना पड़ता है।
- कई प्रवासी सदस्य, विशेष रूप से कम-कौशल वाली नौकरियों में, अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग करने में असमर्थ हैं, जिसके परिणामस्वरूप अल्प-रोज़गार और आय असमानता उत्पन्न होती है।
- सामाजिक एवं सांस्कृतिक चुनौतियाँ:
- दूसरी और तीसरी पीढ़ी के भारतीयों को अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने, अपनी विरासत को संरक्षित करते हुए मेज़बान संस्कृतियों के साथ एकीकरण में संतुलन बनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- कई मेज़बान देशों में नस्लवाद और विदेशी द्वेष की घटनाएँ चिंता का विषय बनी हुई हैं, जो प्रवासी सदस्यों के कल्याण को प्रभावित कर रही हैं।
- राजनीतिक एवं कानूनी मुद्दे:
- अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में सख्त आव्रजन नीतियाँ प्रवासी भारतीयों और उनके परिवारों के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं, तथा उनके निवास और विकास के अवसर सीमित कर देती हैं।
- वैवाहिक और संपत्ति संबंधी विवाद प्रायः प्रवासी भारतीयों के जीवन को जटिल बना देते हैं, जिसके लिये राजनयिक और कानूनी हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
- समावेशन संबंधी बाधाएँ:
- अनेक प्रवासी सदस्य उन सरकारी योजनाओं से अनभिज्ञ हैं जिनका उद्देश्य उन्हें शामिल करना है, जिसके परिणामस्वरूप इन पहलों का समुचित उपयोग नहीं हो पाता।
- जटिल प्रक्रियाएँ और लालफीताशाही प्रवासी-केंद्रित कार्यक्रमों में प्रभावी भागीदारी में बाधा डाल सकती हैं।
प्रवासी भारतीयों की क्षमता का दोहन करने के लिये आगे की राह
- आर्थिक रणनीतियाँ: वैश्विक बाज़ारों के लिये श्रमिकों को तैयार करने हेतु कौशल निर्माण पहल को बढ़ावा देने तथा IT, स्वास्थ्य सेवा और इंजीनियरिंग जैसे उच्च मांग वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
- भारत में प्रवासी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये प्रक्रियाओं को सरल बनाना चाहिये, जिसमें सरलीकृत कराधान और नियामक ढाँचे शामिल हैं।
- सांस्कृतिक एकीकरण: सांस्कृतिक निरंतरता सुनिश्चित करते हुए प्रवासी बच्चों को भारतीय भाषाएँ सिखाने के लिये कार्यक्रम विकसित करने की आवश्यकता है।
- सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत करने और सामुदायिक भावना को बढ़ावा देने के लिये विदेशों में भारतीय महोत्सवों का आयोजन किया जाना चाहिये।
- नीतिगत सुधार: राजनीतिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व को प्रोत्साहित करने के लिये प्रवासी भारतीयों के लिये मतदान तंत्र को सरल बनाने की आवश्यकता है।
- OCI को अधिक विशेषाधिकार (जैसे: स्थानीय शासन में भागीदारी और अधिक सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँच) प्रदान किया जाना चाहिये।
- सामुदायिक समर्थन को दृढ़ करना: मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और प्रत्यावर्तन सहायता सहित बेहतर संकट समर्थन प्रदान करने के लिये ICWF को दृढ़ करने की आवश्यकता है
- प्रवासी समुदाय के साथ सटीक समय में संपर्क के लिये ऐप्स और पोर्टल विकसित किया जाना चाहिये, जिससे अभिगम और उपयोग में सुगमता सुनिश्चित हो सके।
- रणनीतिक साझेदारियाँ: पारस्परिक लाभ पर बल देते हुए मज़बूत द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक प्रभाव के लिये प्रवासी समुदाय का लाभ उठाने की आवश्यकता है।
- भावी पीढ़ियों के साथ निरंतर संपर्क बनाये रखने के लिये सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों और छात्रवृत्तियों जैसे युवा-केंद्रित पहलों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष
प्रवासी भारतीय भारत की वैश्विक पहचान के स्तंभ हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और सॉफ्ट पावर में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। सक्रिय भागीदारी एवं सुदृढ़ नीतियों के साथ, भारत इन संबंधों को और भी मज़बूत कर सकता है, जिससे पारस्परिक विकास तथा समृद्धि सुनिश्चित हो सके।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में भारतीय प्रवासी किस प्रकार सेतु का काम करते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्सप्रश्न. दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था एवं समाज में भारतीय प्रवासियों को एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इस संदर्भ में, दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय प्रवासियों की भूमिका का मूल्यनिरूपण कीजिये। (2017) प्रश्न. 'अमेरिका एवं यूरोपीय देशों की राजनीति और अर्थव्यवस्था में भारतीय प्रवासियों को एक निर्णायक भूमिका निभानी है'। उदाहरणों सहित टिप्पणी कीजिये। (2020) |