अंतर्राष्ट्रीय संबंध
क्वाड देशों की पहली इन-पर्सन बैठक
प्रिलिम्स के लियेक्वाड समूह, ऑस्ट्रेलिया-ब्रिटेन-अमेरिका (AUKUS), मालाबार नौसैनिक अभ्यास मेन्स के लियेमौजूदा समय में क्वाड समूह की प्रासंगिकता और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर क्वाड देशों का दृष्टिकोण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका में ‘क्वाड’ नेताओं की पहली इन-पर्सन बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक के दौरान सामरिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।
प्रमुख बिंदु
- पृष्ठभूमि
- गौरतलब है कि नवंबर 2017 में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिये एक नई रणनीति विकसित करने हेतु लंबे समय से लंबित ‘क्वाड’ की स्थापना के प्रस्ताव को आकार दिया था।
- चीन लगभग संपूर्ण विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, जबकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर अपना दावा करते हैं।
- दक्षिण चीन सागर, पश्चिमी प्रशांत महासागर का एक हिस्सा है।
- वर्ष 2020 में त्रिपक्षीय भारत-अमेरिका-जापान मालाबार नौसैनिक अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल किया गया था, जो कि वर्ष 2017 में क्वाड के पुनरुत्थान के बाद से इसके पहले आधिकारिक समूह को चिह्नित करता है।
- इसके अलावा यह एक दशक में चार देशों के बीच पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास है।
- मार्च 2021 में क्वाड नेताओं ने वर्चुअल बैठक में हिस्सा लिया और बाद में 'द स्पिरिट ऑफ द क्वाड' शीर्षक से एक संयुक्त बयान भी जारी किया, जिसमें समूह के दृष्टिकोण एवं उद्देश्यों को रेखांकित किया गया था।
- वहीं इस हालिया बैठक से पूर्व ऑस्ट्रेलिया-ब्रिटेन-अमेरिका (AUKUS) ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिये एक नई त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी की घोषणा की है।
- गौरतलब है कि नवंबर 2017 में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिये एक नई रणनीति विकसित करने हेतु लंबे समय से लंबित ‘क्वाड’ की स्थापना के प्रस्ताव को आकार दिया था।
- हालिया ‘क्वाड’ समिट की प्रमुख विशेषताएँ:
- इस दौरान अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की गई और दक्षिण एशिया में सहयोग को मज़बूत करने पर सहमति व्यक्त की गई।
- क्वाड वैक्सीन पहल: इस पहल के तहत क्वाड देशों ने ‘कोवैक्स’ (Covax) के माध्यम से वित्तपोषित वैक्सीन के अलावा वैश्विक स्तर पर 1.2 बिलियन से अधिक कोविड-19 वैक्सीन दान करने का संकल्प लिया है।
- बिल्डिंग बैक हेल्थ सिक्योरिटी: बैठक के दौरान वायरल जीनोमिक निगरानी में सुधार करने तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन की ‘वैश्विक इन्फ्लूएंज़ा निगरानी और प्रतिक्रिया प्रणाली’ (GISRS) का विस्तार करने का आह्वान किया गया।
- क्वाड इंफ्रास्ट्रक्चर कोऑर्डिनेशन ग्रुप: G7 समूह ने हाल ही में ‘बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड’ (B3W) पहल की घोषणा की है।
- इसी तर्ज पर क्वाड समूह ‘क्वाड इंफ्रास्ट्रक्चर कोऑर्डिनेशन ग्रुप’ के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण बुनियादी अवसंरचना की स्थापना करेगा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये नए अवसरों की पहचान करेगा।
- जलवायु परिवर्तन से निपटना: इस संदर्भ में क्वाड देशों ने निम्नलिखित की स्थापना की परिकल्पना की है:
- ग्रीन-पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर की तैनाती हेतु ग्रीन-शिपिंग नेटवर्क।
- अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों में मौजूदा द्विपक्षीय और बहुपक्षीय हाइड्रोजन पहलों का लाभ उठाते हुए स्वच्छ-हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी की लागत को कम करने हेतु स्वच्छ-हाइड्रोजन साझेदारी।
- महत्त्वपूर्ण जलवायु सूचना-साझाकरण और आपदा के प्रति लचीली बुनियादी अवसंरचना में सुधार करके जलवायु परिवर्तन हेतु भारत-प्रशांत क्षेत्र के जलवायु अनुकूलन, लचीलापन और तैयारी को बढ़ाना।
- इसके अलावा ‘क्वाड’ देश ‘कोप-26’ (COP-26) के माध्यम से महत्त्वाकांक्षी NDCs (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) को अपडेट करने का प्रयास करेंगे।
- क्वाड फेलोशिप: क्वाड फेलोशिप के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका में अग्रणी STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग और गणित कार्यक्रमों) स्नातक विश्वविद्यालयों में परास्नातक और डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने के लिये प्रतिवर्ष प्रत्येक क्वाड देश से 25 और कुल 100 छात्रों को प्रायोजित किया जाएगा।
- सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला पहल: इसके तहत क्षमता को मापने, कमज़ोरियों की पहचान करने और अर्द्धचालकों एवं उनके महत्वपूर्ण घटकों के लिये आपूर्ति-शृंखला सुरक्षा को मज़बूत करने के लिये एक संयुक्त पहल की जाएगी।
- पहल यह सुनिश्चित करने में मदद करेगी कि क्वाड पार्टनर एक विविध और प्रतिस्पर्द्धी बाज़ार का समर्थन करते हैं जो विश्व स्तर पर डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं के लिये आवश्यक सुरक्षित महत्वपूर्ण तकनीकों का सृजन करते हैं।
- महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियाँ: 5G परिनियोजन के शुभारंभ की घोषणा और सिंथेटिक जीव विज्ञान, जीनोम अनुक्रमण और जैव निर्माण सहित उन्नत जैव प्रौद्योगिकी में रुझानों की निगरानी के लिये आह्वान।
- क्वाड सीनियर साइबर ग्रुप: यह ग्रुप साझा साइबर मानक; सुरक्षित सॉफ्टवेयर का विकास; कार्यबल और प्रतिभा का निर्माण; सुरक्षित एवं भरोसेमंद डिजिटल बुनियादी अवसंरचना की मापनीयता तथा साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने जैसे उद्देश्यों को पूरा करने हेतु बनाया जाएगा।
- सैटेलाइट डेटा शेयरिंग: क्वाड पहली बार एक नए कार्य समूह के साथ अंतरिक्ष सहयोग शुरू करेगा।
- इसके अनुसरण में क्वाड देश पृथ्वी अवलोकन उपग्रह डेटा और जलवायु परिवर्तन जोखिमों तथा महासागरों एवं समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग पर विश्लेषण के आदान-प्रदान के लिये चर्चा शुरू करेंगे।
आगे की राह
- स्पष्ट विज़न की आवश्यकता: क्वाड राष्ट्रों को सभी के आर्थिक और सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक व्यापक ढाँचे में इंडो-पैसिफिक विज़न को बेहतर ढंग से समझने की ज़रूरत है।
- यह तटीय राज्यों को आश्वस्त करेगा कि क्वाड क्षेत्रीय लाभ का एक कारक होगा और चीनी आरोप कि यह किसी प्रकार का सैन्य गठबंधन है, में कोई सत्यता नहीं है।
- क्वाड में वृद्धि: इंडो-पैसिफिक में भारत के कई अन्य साझेदार हैं, इसलिये भविष्य में शामिल होने के लिये इंडोनेशिया, सिंगापुर जैसे देशों को भारत को आमंत्रित करना चाहिये।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
डार्क एनर्जी
प्रिलिम्स के लिये:बिग बैंग, हबल टेलीस्कोप मेन्स के लिये:डार्क मैटर और डार्क एनर्जी में अंतर, डार्क एनर्जी की संभावित व्याख्या |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शोधकर्त्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने पहली बार डार्क एनर्जी का प्रत्यक्ष रूप से पता लगाया है। XENON1T नाम का यह प्रयोग, विश्व का सबसे संवेदनशील डार्क मैटर प्रयोग है, इस प्रयोग को इटली में आई.एन.एफ.एन लेबोरेटरी नाज़ियोनाली डेल ग्रेन सासो (INFN Laboratori Nazionali del Gran Sasso) में भूमिगत रूप से संचालित किया गया था।
- डार्क एनर्जी ऊर्जा का एक रहस्यमय रूप है जो ब्रह्मांड के लगभग 68% हिस्से का निर्माण करती है और दशकों से भौतिकविदों एवं खगोलविदों के कौतुहल का विषय बनी हुई है।
प्रमुख बिंदु
- प्रयोग के बारे में:
- XENON1T एक डार्क मैटर रिसर्च प्रोजेक्ट है, जो इटैलियन ग्रेन सासो नेशनल लेबोरेटरी में संचालित (Italian Gran Sasso National Laboratory) है।
- यह एक गहरी भूमिगत अनुसंधान सुविधा है जिसकी विशेषता प्रयोगों द्वारा तीव्रता के साथ महत्त्वाकांक्षी डार्क मैटर कणों का पता लगाना है।
- इन प्रयोगों का उद्देश्य लिक्विड क्सीनन टारगेट चैंबर (Liquid Xenon Target Chamber) में परमाणु रिकोइल के माध्यम से दुर्लभ अंतःक्रियाओं द्वारा कमज़ोर इंटरैक्टिंग मैसिव पार्टिकल्स (Weakly Interacting Massive Particles- WIMPs) के रूप में कणों का पता लगाना है।
- अन्य डार्क मैटर और एनर्जी एक्सपेरिमेंट:
- लक्स-ज़ेपलिन (LUX-Zeplin)- यह अगली पीढ़ी का एक डार्क मैटर प्रयोग है जिसे सैनफोर्ड अंडरग्राउंड रिसर्च फैसिलिटी, अमेरिका में संचालित किया जा रहा है।
- पांडाएक्स-एक्सटी (PandaX-xT)- चीन जिनपिंग भूमिगत प्रयोगशाला में संचालित परियोजना।
- डार्क मैटर और डार्क एनर्जी:
- डार्क मैटर आकाशगंगाओं को एक साथ आकर्षित (Attracts) और धारण (Holds) करता है, जबकि डार्क एनर्जी हमारे ब्रह्मांड के विस्तार का कारण बनती है।
- दोनों घटकों के अदृश्य होने के बावजूद डार्क मैटर के बारे में बहुत कुछ ज्ञात है, क्योंकि 1920 के दशक में डार्क मैटर के अस्तित्व के बारे में बताया गया, जबकि 1998 तक डार्क एनर्जी की खोज नहीं की गई थी।
- डार्क एनर्जी के बारे में:
- बिग बैंग की उत्पत्ति एवं इसका विस्तार लगभग 15 अरब वर्ष पहले हुआ। पूर्व में खगोलविदों का मानना था कि गुरुत्वाकर्षण के कारण ब्रह्मांड का विस्तार धीमा हो जाएगा और फिर अंततः इसका लोप (Recollapse) हो जाएगा।
- हालाँकि हबल टेलीस्कोप से प्राप्त डेटा के अनुसार, ब्रह्मांड का तेज़ी से विस्तार हो रहा है।
- खगोलविदों का मानना है कि तेज़ी से विस्तार की यह दर उस रहस्यमय डार्क फोर्स या एनर्जी के कारण है जो आकाशगंगाओं को अलग कर रही है।
- 'डार्क' (Dark) शब्द का प्रयोग अज्ञात को दर्शाने हेतु किया जाता है।
- निम्नलिखित चित्र 15 अरब वर्ष पहले ब्रह्मांड के जन्म के बाद से उसके विस्तार की दर में परिवर्तन को दर्शाता है।
- डार्क एनर्जी की संभावित व्याख्या:
- अंतरिक्ष की संपत्ति: अल्बर्ट आइंस्टीन यह अनुभव करने वाले पहले व्यक्ति थे कि शून्य अंतरिक्ष कुछ भी नहीं है।
- आइंस्टीन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का एक नियम, एक ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक वाले संस्करण से जुड़ा है जिसका तात्पर्य है कि "शून्य अंतरिक्ष" (Empty Space) में उसकी स्वयं की ऊर्जा हो सकती है।
- क्योंकि यह ऊर्जा अंतरिक्ष का ही एक गुण है, अंतरिक्ष के विस्तार के रूप में इसे परिभाषित/मिश्रित नहीं किया जाएगा। जैसे-जैसे यह अंतरिक्ष के अस्तित्व में आएगा, अंतरिक्ष की यह ऊर्जा अधिक दिखाई देगी। नतीजतन ऊर्जा के इस रूप से ब्रह्मांड का तीव्र गति से विस्तार होगा।
- पदार्थ का क्वांटम सिद्धांत: अंतरिक्ष कैसे ऊर्जा प्राप्त करता है, इसके प्रमाण के रूप में एक और स्पष्टीकरण पदार्थ के क्वांटम सिद्धांत से उत्पन्न होता है।
- इस सिद्धांत में "शून्य अंतरिक्ष" वास्तव में अस्थायी (आभासी) कणों से भरा होता है जो लगातार बनते हैं और पुनः गायब हो जाते हैं।
- पाँचवाँ मूलभूत बल: ब्रह्मांड में चार मूलभूत बल हैं और काल्पनिक सिद्धांतों ने पाँचवें बल का प्रस्ताव दिया है जिसे चार बलों द्वारा समझाया नहीं जा सकता है।
- इस पाँचवें बल में छिपाने या पटल (Hide or Screen) पर लाने के लिये डार्क एनर्जी के कई मॉडल विशेष तंत्र का उपयोग करते हैं।
- कुछ सिद्धांतकारों ने इसे "सर्वोत्कृष्टता" नाम दिया है, जो यूनानी दार्शनिकों के पाँचवें तत्त्व के नाम पर है।
- अंतरिक्ष की संपत्ति: अल्बर्ट आइंस्टीन यह अनुभव करने वाले पहले व्यक्ति थे कि शून्य अंतरिक्ष कुछ भी नहीं है।
- हालाँकि कोई भी सिद्धांत अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है। इसके कारण डार्क एनर्जी को "सभी विज्ञानों में सबसे गहरा रहस्य" के रूप में देखा गया है।
नोट:
- प्रकृति के चार मूलभूत बल इस प्रकार हैं- गुरुत्वाकर्षण बल, कमज़ोर परमाणु बल, विद्युत चुंबकीय बल और मज़बूत परमाणु बल।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
आंतरिक सुरक्षा
वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा में कमी
प्रिलिम्स के लिये:केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, समाधान (SAMADHAN) मेन्स के लिये:वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा और उसका कारण |
चर्चा में क्यों?
‘गृह मंत्रालय’ (MHA) द्वारा उपलब्ध आँकड़ों के मुताबिक, देश में ‘वामपंथी उग्रवाद’ (LWE) से संबंधित हिंसा और इसके प्रभाव के भौगोलिक प्रसार में लगातार गिरावट आई है।
- माओवादियों का भौगोलिक प्रभाव देश के केवल 41 ज़िलों तक सिमट कर रह गया है, जो कि वर्ष 2010 में 10 राज्यों के 96 ज़िलों तक विस्तृत था।
- वामपंथी उग्रवाद की घटनाएँ भी वर्ष 2009 के 2,258 से घटकर अगस्त 2021 तक 349 हो गई हैं।
प्रमुख बिंदु
- भारत में वामपंथी उग्रवाद:
- वामपंथी उग्रवाद को दुनिया भर में माओवादी और भारत में नक्सलवादी के रूप में जाना जाता है।
- भारत में नक्सली हिंसा की शुरुआत वर्ष 1967 में पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग ज़िले के नक्सलबाड़ी नामक गाँव से हुई और इसीलिये इस उग्रपंथी आंदोलन को ‘नक्सलवाद’ के नाम से जाना जाता है।
- ज़मींदारों द्वारा छोटे किसानों के उत्पीड़न पर अंकुश लगाने के लिये सत्ता के खिलाफ चारू मजूमदार, कानू सान्याल और कन्हाई चटर्जी द्वारा शुरू किये गए इस सशस्त्र आंदोलन को नक्सलवाद का नाम दिया गया।
- यह आंदोलन छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे पूर्वी भारत के कम विकसित राज्यों में फैल गया।
- यह माना जाता है कि नक्सली माओवादी राजनीतिक भावनाओं और विचारधारा का समर्थन करते हैं।
- माओवाद, साम्यवाद का एक रूप है जिसे माओ त्से तुंग द्वारा विकसित किया गया। इस सिद्धांत के समर्थक सशस्त्र विद्रोह, जनसमूह और रणनीतिक गठजोड़ के संयोजन से राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा करने में विश्वास रखते हैं।
- वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्र को ‘रेड कॉरिडोर’ कहा जाता है।
- वामपंथी उग्रवाद का कारण:
- आदिवासी असंतोष:
- वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 का उपयोग आदिवासियों को लक्षित करने के लिये किया गया है, जो अपने जीवन यापन हेतु वनोपज पर निर्भर हैं।
- विकास परियोजनाओं, खनन कार्यों और अन्य कारणों की वजह से नक्सलवाद प्रभावित राज्यों में व्यापक स्तर पर जनजातीय आबादी का विस्थापन हुआ है।
- माओवादियों के लिये आसान लक्ष्य:
- ऐसे लोग जिनके पास जीवन जीने का कोई स्रोत नहीं है, उन्हें माओवादियों द्वारा आसानी से अपने साथ कर लिया जाता है।
- माओवादी ऐसे लोगों को हथियार, गोला-बारूद और पैसा मुहैया कराते हैं।
- देश की सामाजिक-आर्थिक प्रणाली में अंतराल:
- सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में किये गए विकास के बजाय हिंसक हमलों की संख्या के आधार पर अपनी सफलता को मापती है।
- नक्सलियों से लड़ने के लिये मज़बूत तकनीकी बुद्धिमत्ता का अभाव है।
- उदाहरण के लिये ढाँचागत समस्याएँ, कुछ गाँव अभी तक किसी भी संचार नेटवर्क से ठीक से जुड़ नहीं पाए हैं।
- सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में किये गए विकास के बजाय हिंसक हमलों की संख्या के आधार पर अपनी सफलता को मापती है।
- प्रशासन की तरफ से कोई जाँच नहीं:
- यह देखा गया है कि पुलिस द्वारा किसी क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के बाद भी प्रशासन उस क्षेत्र के लोगों को आवश्यक सेवाएंँ प्रदान करने में विफल रहता है।
- नक्सलवाद से एक सामाजिक मुद्दे या सुरक्षा खतरे के रूप में निपटने पर भ्रम की स्थिति।
- आदिवासी असंतोष:
- नक्सली गतिविधियों की जांँच के लिये सरकार की पहल:
- 2015 में राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना: इसमें सुरक्षा उपायों, विकास पहलों और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करने वाले बहु-आयामी दृष्टिकोण शामिल हैं।
- गृह मंत्रालय (MHA) केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) बटालियनों की तैनाती, हेलीकॉप्टरों और यूएवी तथा भारतीय रिज़र्व बटालियनों (IRBs)/विशेष भारत रिज़र्व बटालियनों (SIRBs) की मंज़ूरी के माध्यम से राज्य सरकारों को व्यापक समर्थन प्रदान कर रहा है।
- राज्य पुलिस के आधुनिकीकरण और प्रशिक्षण हेतु, पुलिस बल आधुनिकीकरण (Modernization of Police Force-MPF), सुरक्षा संबंधी व्यय (Security Related Expenditure-SRE) व विशेष बुनियादी ढांँचा योजनाओं (Special Infrastructure Scheme-SIS) के तहत धन उपलब्ध कराया जाता है।
- सड़कों के निर्माण, मोबाइल टावरों की स्थापना, कौशल विकास, बैंकों और डाकघरों के नेटवर्क में सुधार, स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाओं के लिये कई विकास पहलें लागू की गई हैं।
- विशेष केंद्रीय सहायता (Special Central Assistance- SCA) योजना के तहत अधिकांश वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों को विकास के लिये धन भी प्रदान किया जाता है।
- ग्रेहाउंड्स: वर्ष 1989 में इसे एक विशिष्ट नक्सल विरोधी बल के रूप में स्थापित किया गया था।
- ऑपरेशन ग्रीन हंट: इसे वर्ष 2009-10 में शुरू किया गया था जिसके तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी।
- वामपंथी उग्रवाद (LWR) मोबाइल टावर परियोजनाः सरकार द्वारा वर्ष 2014 में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्य क्षेत्रो में मोबाइल संपर्क में सुधार करने हेतु मोबाइल टावरों की स्थापना को मंज़ूरी दी गई थी।
- आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम: इसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया, इसका उद्देश्य उन ज़िलों में तीव्रता से सुधार करना है जिन्होंने प्रमुख सामाजिक क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम प्रगति दिखाई है।
- समाधान (SAMADHAN):
- इसका अर्थ है:
- S- स्मार्ट लीडरशिप।
- A- आक्रामक रणनीति।
- M- प्रेरणा और प्रशिक्षण।
- A- एक्शनेबल इंटेलिजेंस।
- D- डैशबोर्ड आधारित मुख्य प्रदर्शन संकेतक (KPIs) और मुख्य परिणाम क्षेत्र (KRAs)
- H- हार्नेसिंग टेक्नोलॉजी।
- A- प्रत्येक थिएटर/नाटकशाला हेतु कार्य योजना।
- N- वित्तपोषण तक पहुंँच नहीं।
- यह सिद्धांत वामपंथी उग्रवाद की समस्या का एकमात्र समाधान है। इसमें विभिन्न स्तरों पर तैयार की गई अल्पकालिक से लेकर दीर्घकालिक नीतियाँ में सरकार की पूरी रणनीति शामिल है।
- इसका अर्थ है:
- 2015 में राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना: इसमें सुरक्षा उपायों, विकास पहलों और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करने वाले बहु-आयामी दृष्टिकोण शामिल हैं।
आगे की राह
- यद्यपि हाल के दिनों में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में कमी आई है लेकिन ऐसे समूहों को समाप्त करने के लिये निरंतर प्रयास और ध्यान देने की आवश्यकता है।
- IED (इम्प्रोवाइज़्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) से संबंधित घटनाओं को रोकने के लिये नवीन उपायों को नियोजित करने की आवश्यकता है, इससे हाल के वर्षों में महत्त्वपूर्ण घटनाओं को अंज़ाम दिया गया है।
- कानून और व्यवस्था बनाए रखने में राज्य महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिये स्थानीय पुलिस बलों के क्षमता निर्माण और आधुनिकीकरण पर ज़ोर दिया जाना चाहिये। स्थानीय प्रशासन वामपंथी उग्रवादी संगठनों को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से बेअसर कर सकता है।
- वामपंथी उग्रवाद के जाल में फँसे निर्दोष व्यक्तियों को मुख्यधारा में लाने के लिये राज्यों को अपनी आत्मसमर्पण नीति को युक्तिसंगत बनाना चाहिये।
- राज्यों को भी वामपंथी उग्रवाद समूहों को पूरी तरह से समाप्त करने और प्रभावित क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिये एक केंद्रित समयबद्ध दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
- सरकार को सुरक्षाकर्मियों के जीवन के नुकसान को कम करने के लिये ड्रोन के उपयोग जैसे तकनीकी समाधान करने की आवश्यकता है।
स्रोत: द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-अमेरिका द्विपक्षीय बैठक
प्रिलिम्स के लिये:कोवैक्स, ‘एच-1बी’ वीज़ा, मालाबार अभ्यास मेन्स के लिये:भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंध |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने नव निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ अपनी पहली बैठक में हिस्सा लिया।
- दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक सहयोग सहित कई प्राथमिकता वाले मुद्दों पर चर्चा की।
- इससे पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा था कि भारत और अमेरिका की गतिविधियाँ 21वीं सदी को आकार देने में महत्त्वपूर्ण साबित होंगी।
प्रमुख बिंदु
- बैठक के मुख्य बिंदु
- भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने व लोकतंत्र, अफगानिस्तान तथा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिये खतरों सहित सामान्य हित के विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई।
- इस दौरान अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका पर चर्चा की गई और यह स्वीकार किया गया इस घटनाक्रम की अधिक ‘सावधानीपूर्वक निगरानी’ की आवश्यकता है।
- दोनों पक्षों ने आतंकवादी प्रॉक्सी के किसी भी उपयोग की निंदा की और आतंकवादी समूहों को सैन्य या वित्तीय सहायता, जिसका उपयोग आतंकवादी हमलों की योजना बनाने हेतु किया जा सकता है, देने से इनकार करने पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने तालिबान से संयुक्त राष्ट्र के ‘प्रस्ताव 2593’ की प्रतिबद्धताओं का पालन करने का आह्वान किया।
- दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि जब भारत कोविड-19 संक्रमण के दौर से गुज़र रहा था, तब अमेरिकी सरकार, अमेरिका में स्थित कंपनियाँ और भारतीय प्रवासी बहुत मददगार साबित हुए थे।
- भारत वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत और ‘कोवैक्स’ वैश्विक पूल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने हेतु वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में अधिशेष कोविड-19 टीकों का निर्यात फिर से शुरू करेगा।
- भारत ने अमेरिका में भारतीय समुदाय से जुड़े कई मुद्दों को उठाया, जिसमें वहाँ भारतीय पेशेवरों की पहुँच और ‘एच-1बी’ वीज़ा भी शामिल हैं।
- भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने व लोकतंत्र, अफगानिस्तान तथा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिये खतरों सहित सामान्य हित के विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई।
- भारत-अमेरिका संबंध
- परिचय
- भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंध एक ‘वैश्विक रणनीतिक साझेदारी’ के रूप में विकसित हुए हैं, जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक हितों के बढ़ते अभिसरण पर आधारित है।
- वर्ष 2015 में दोनों देशों ने ‘दिल्ली डिक्लेरेशन ऑफ फ्रेंडशिप’ की घोषणा की और ‘जॉइंट स्ट्रेटेजिक विज़न फॉर एशिया-पैसिफिक एंड इंडियन ओसियन रीज़न’ को अपनाया।
- असैन्य-परमाणु सौदा:
- द्विपक्षीय असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर अक्तूबर 2008 में हस्ताक्षर किये गए थे।
- ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन:
- PACE (पार्टनरशिप टू एडवांस क्लीन एनर्जी) के तहत एक प्राथमिकता पहल के रूप में अमेरिकी ऊर्जा विभाग (DOE) और भारत सरकार ने संयुक्त स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान एवं विकास केंद्र (JCERDC) की स्थापना की है, जिसे भारत तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा स्वच्छ ऊर्जा नवाचारों को बढ़ावा देने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
- लीडर्स क्लाइमेट समिट 2021 में ‘भारत-अमेरिका स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030’ पार्टनरशिप की शुरुआत की गई।
- रक्षा समझौते:
- वर्ष 2005 में 'भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के लिये नए ढाँचे' पर हस्ताक्षर के साथ रक्षा संबंध भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरा है, जिसे वर्ष 2015 में 10 वर्षों के लिये और अद्यतन किया गया था।
- भारत और अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों में महत्त्वपूर्ण रक्षा समझौते किये तथा क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया) के चार देशों के गठबंधन को भी औपचारिक रूप दिया।
- इस गठबंधन को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्रतिकार के रूप में देखा जा रहा है।
- नवंबर 2020 में मालाबार अभ्यास ने भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों में एक उच्च बिंदु स्पर्श किया, यह 13 वर्षों में पहली बार था कि क्वाड के सभी चार देश एक साथ चीन का प्रतिरोध कर हैं।
- भारत की पहुँच अब अफ्रीका में जिबूती से लेकर प्रशांत क्षेत्र में गुआम तक अमेरिकी ठिकानों तक है। यह अमेरिकी रक्षा क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली उन्नत संचार तकनीक का भी उपयोग कर सकता है।
- भारत और अमेरिका के बीच चार मूलभूत रक्षा समझौते हैं:
- भू-स्थानिक खुफिया (BECA) के लिये बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौता।
- सैन्य सूचना समझौते पर सामान्य सुरक्षा (GSOMIA)।
- लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA)।
- संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA)।
- वर्ष 2010 में आतंकवाद का विरोध करने, सूचना साझा करने और क्षमता निर्माण सहयोग का विस्तार करने के लिये भारत-अमेरिका आतंकवाद-रोधी सहयोग पहल पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- एक त्रि-सेवा अभ्यास- टाइगर ट्रायम्फ- नवंबर 2019 में आयोजित किया गया था।
- द्विपक्षीय और क्षेत्रीय अभ्यासों में शामिल हैं: युद्ध अभ्यास (सेना); वज्र प्रहार (विशेष बल); रिमपैक; रेड फ्लैग।
- व्यापार:
- अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है तथा भारत की वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के लिये एक प्रमुख गंतव्य है।
- अमेरिका ने 2020-21 के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दूसरे सबसे बड़े स्रोत के रूप में मॉरीशस को पीछे छोड़ दिया।
- पिछली अमेरिकी सरकार ने भारत की विशेष व्यापार स्थिति (GSP निकासी) को समाप्त कर दिया और कई प्रतिबंध भी लगाए, भारत ने भी 28 अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए।
- वर्तमान अमेरिकी सरकार ने पिछली सरकार द्वारा लगाए गए सभी प्रतिबंधों को समाप्त करने की अनुमति दी है।
- विज्ञान प्रौद्योगिकी:
- इसरो और नासा पृथ्वी अवलोकन के लिये एक संयुक्त माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग उपग्रह को स्थापित करने हेतु मिलकर काम कर रहे हैं, जिसका नाम NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) है।
- भारतीय प्रवासी:
- अमेरिका में सभी क्षेत्रों में भारतीय प्रवासियों की उपस्थिति बढ़ रही है। उदाहरण के लिये अमेरिका की वर्तमान उपराष्ट्रपति (कमला हैरिस) का भारत से गहरा संबंध है।
- परिचय
आगे की राह
- अमेरिका के साथ भारत की साझेदारी को बदलने के लिये मंच तैयार किया गया है। अफगानिस्तान भारत और अमेरिका दोनों के लिये निरंतर चिंता का एक प्रमुख क्षेत्र बना हुआ है तथा दोनों पक्षों की नज़र अब चीन के उदय एवं दावे से प्रेरित हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभर रही बड़ी चुनौतियों पर है।
- विशेष रूप से दोनों देशों में चीन विरोधी भावना बढ़ने के कारण देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की बहुत अधिक संभावना है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
शासन व्यवस्था
वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में कदम:: CAQM
प्रिलिम्स के लिये:CAQM, इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन मेन्स के लिये:NCR में प्रदूषण का कारण और रोकने हेतु किये गए प्रयास |
चर्चा में क्यों?
पंजाब, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये रूपरेखा के आधार पर विस्तृत निगरानी योग्य कार्य योजना विकसित की है।
- नवगठित आयोग CAQM के पास दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की व्यापक शक्तियाँ हैं।
- साथ ही हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नए वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश (AQGs) जारी किये हैं।
प्रमुख बिंदु:
- आयोग का ढाँचा: CAQM ने ढाँचे के निम्नलिखित घटकों के आधार पर कार्रवाई के कार्यान्वयन के लिये निर्देश दिये हैं:
- इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन- कृषि मंत्रालय की CRM (फसल अवशेष प्रबंधन) योजना द्वारा समर्थित।
- एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन।
- पराली/फसल अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध।
- प्रभावी निगरानी/प्रवर्तन।
- धान की पराली के उत्पादन को कम करने के लिये योजनाएँ।
- कार्य योजना के लिये सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियाँ।
- कार्य योजनाएँ:
- आग की घटनाओं की रिकॉर्डिंग: पराली जलाने के कारण आग की घटनाओं की रिकॉर्डिंग और निगरानी के लिये इसरो द्वारा विकसित एक मानक प्रोटोकॉल को अपनाना।
- इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन: पूसा बायो-डीकंपोज़र प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग की योजना NCR राज्यों में लागू की गई है।
- एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन: ताप-विद्युत संयंत्रों में सह-फायरिंग के लिये धान के भूसे के ब्रिकेट्स के उपयोग को बढ़ावा देना।
- धूल का उपशमनः ‘धूल नियंत्रण एवं प्रबंधन प्रकोष्ठ’ की स्थापना।
- एक समर्पित वेब-पोर्टल और परियोजनाओं की वीडियो फेंसिंग के माध्यम से निर्माण और विध्वंस की निगरानी करना।
- निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन और स्क्रीन की स्थापना, धूल-दमनकारी और पानी की धुंध, ढके हुए वाहनों में सामग्री का परिवहन, परियोजना स्थलों में वायु गुणवत्ता निगरानी सेंसर की स्थापना और परियोजना एजेंसियों द्वारा स्व-लेखापरीक्षा एवं प्रमाणन तंत्र प्रमुख कदम हैं। यह निर्माण तथा विध्वंस गतिविधियों से धूल के प्रबंधन की दिशा में बहुत प्रभावकारी है।
- औद्योगिक प्रदूषण: उद्योगों में पाइप्ड प्राकृतिक गैस (पीएनजी)/स्वच्छ ईंधन को स्थानांतरित करना प्राथमिकता होनी चाहिये।
- वाहन प्रदूषण: आयोग ने परिवहन क्षेत्र में स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने हेतु ‘शून्य उत्सर्जन और ई-वाहनों की खरीद अनिवार्य’ करने के लिये एक सलाह जारी की है तथा शून्य उत्सर्जन वाहनों/ई-गतिशीलता और प्रगति की समीक्षा में धीरे-धीरे बदलाव किया है।
- दिल्ली के सभी चिह्नित 124 सीमा प्रवेश बिंदुओं को अब कैशलेस टोल/उपकर संग्रह की सुविधा के लिये RFID प्रणाली प्रदान की गई है जिससे सीमावर्ती बिंदुओं पर भारी यातायात और परिणामी भारी वायु प्रदूषण से बचा जा सके।.
- निगरानी:
- NCR में एक समर्पित कार्यबल की परिकल्पना की गई है ताकि एक "इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम" (ITMS) विकसित करने सहित सुचारु यातायात प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिये नियमित रूप से निगरानी और कदम उठाया जा सके।
- 10 वर्ष से अधिक पुराने डीज़ल और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को NCR में परिचालन की अनुमति नहीं है और समय-समय पर प्रगति की समीक्षा की जाती है।
- लैंडफिल साइटों में बायोमास/नगरपालिका ठोस अपशिष्ट जलाने और आग पर नियंत्रण के लिये राज्यवार कार्य योजना भी तैयार की गई है।
- साथ ही वायु गुणवत्ता आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिये एक निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) की व्यवस्था।