लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अफगानिस्तान में चीन के हित

  • 28 Aug 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, उइगर, पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट

मेन्स के लिये

अफगानिस्तान में चीन के हित और भारत पर उसके प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद चीन, तालिबान के साथ राजनयिक चैनल विकसित करने वाले पहले राष्ट्रों में से एक के रूप में उभरा है। यह जुड़ाव अफगानिस्तान में चीन के आर्थिक और सुरक्षा हित से जुड़ा हुआ है।

Afghanistan

प्रमुख बिंदु

  • अफगानिस्तान में चीन के आर्थिक हित:
    • लिथियम के भंडार: अफगानिस्तान में संभवतः दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम भंडार मौजूद है।
      • लिथियम, व्यापक क्षमता वाली लिथियम-आयन बैटरी का प्रमुख घटक है जिसका व्यापक रूप से उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा उद्योग में किया जाता है।
      • चीन, दुनिया भर में लिथियम-आयन बैटरी का उत्पादक है और वह खनन अधिकारों एवं स्वामित्व व्यवस्था के बदले बड़े पैमाने पर अफगानिस्तान के अप्रयुक्त लिथियम भंडार को विकसित करने के लिये तालिबान के साथ दीर्घकालिक अनुबंध की मांग कर सकता है।
    • खनिज भंडार: अफगानिस्तान में 3 ट्रिलियन डॉलर तक का अनुमानित खनिज भंडार मौजूद है।
      • अफगानिस्तान सोना, तेल, बॉक्साइट, दुर्लभ पृथ्वी तत्त्वों, क्रोमियम, ताँबा, प्राकृतिक गैस, यूरेनियम, कोयला, लौह अयस्क, सीसा, जस्ता, रत्न, सल्फर, ट्रैवर्टीन, जिप्सम और संगमरमर जैसे कई संसाधनों से समृद्ध है।
    • चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव: चीन की रणनीतिक बेल्ट-एंड-रोड इनिशिएटिव (Belt-and-Road Initiative) को और अधिक पहुँच मिल सकती है यदि वह पेशावर-टू-काबुल मोटरवे (Peshawar-to-Kabul Motorway) के साथ पाकिस्तान से अफगानिस्तान तक पहल का विस्तार करने में सफल होता है।
      • यह चीनी सामानों के लिये मध्य-पूर्व के बाज़ारों में तेज़ी से और सुविधाजनक पहुँच के लिये एक बहुत छोटा भूमि मार्ग तैयार करेगा।
  • अफगानिस्तान में चीन के सुरक्षा हित के विषय में:
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ( UN Security Council) के अनुसार, पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) की जड़ें अफगानिस्तान में थीं क्योंकि इसे 2000 के दशक में तालिबान तथा अल कायदा से समर्थन मिला था।
      • ETIM शिनजियांग के स्थान पर पूर्वी तुर्केस्तान नामक एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना के उद्देश्य से पश्चिमी चीन में स्थापित एक उइगर इस्लामी चरमपंथी संगठन है।
      • इस प्रकार ETIM चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के लिये सीधा खतरा है।
      • चीन चिंतित है कि अफगानिस्तान उइगर चरमपंथी समूह के लिये एक संभावित आश्रय स्थल बन सकता है, जो उइगरों के व्यापक दमन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
  • भारत पर चीन-तालिबान की भागीदारी का प्रभाव:
    • चीन-तालिबान जुड़ाव के साथ चीन-पाकिस्तान-तालिबान के बीच एक नई क्षेत्रीय भू-राजनीतिक धुरी का निर्माण हो सकता है, जो भारत के हितों के खिलाफ होगा।
    • अफगानिस्तान में चीन का प्रभाव अफगानिस्तान के रास्ते मध्य एशिया के लिये कनेक्टिविटी परियोजनाओं को भी बाधित करेगा। उदाहरण के लिये चाबहार पोर्ट, इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC), TAPI पाइपलाइन।

आगे की राह:

  • तालिबान के साथ भारत का जुड़ाव: तालिबान से वार्ता कर भारत निरंतर विकास सहायता के बदले में विद्रोहियों से सुरक्षा गारंटी मांग सकता है।
    • भारत तालिबान को पाकिस्तान से अपनी स्वायत्तता की संभावना तलाशने के लिये भी राजी कर सकता है।
  • वैश्विक आतंकवाद से लड़ना: वैश्विक समुदाय को आतंकवाद की वैश्विक चिंता के खिलाफ लड़ने की ज़रूरत है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2