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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

क्लाइमेट एक्शन एंड फाइनेंस मोबिलाइज़ेशन डायलॉग

  • 14 Sep 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

क्लाइमेट एक्शन एंड फाइनेंस मोबिलाइज़ेशन डायलॉग, पेरिस समझौता

मेन्स के लिये

‘भारत-अमेरिका जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा-2030’ के तहत लॉन्च की गई पहलों का महत्त्व तथा भारत के लिये अवसर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत (जलवायु) ने भारत के केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री के साथ दोनों देशों के बीच ‘क्लाइमेट एक्शन एंड फाइनेंस मोबिलाइज़ेशन डायलॉग’ (CAFMD) शुरू किया है।

  • यद्यपि भारत ने अब तक ‘नेट ज़ीरो’ लक्ष्य हेतु प्रतिबद्धता नहीं ज़ाहिर की है, किंतु भारत सदी के अंत तक वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने हेतु अपनी प्रतिबद्धता की दिशा में काम कर रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • क्लाइमेट एक्शन एंड फाइनेंस मोबिलाइज़ेशन डायलॉग’
    • यह अप्रैल 2021 में ‘लीडर्स समिट ऑन क्लाइमेट’ में लॉन्च किये गए ‘भारत-अमेरिका जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा-2030’ साझेदारी का हिस्सा है।
    • यह दोनों देशों को जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग को नवीनीकृत करने के साथ ही इससे संबंधित वित्तीय पहलुओं को संबोधित करने और पेरिस समझौते के तहत परिकल्पित अनुदान एवं रियायती वित्त के रूप में जलवायु वित्त प्रदान करने का अवसर देगा।
    • साथ ही यह प्रदर्शित करने में भी मदद करेगा कि किस प्रकार दुनिया राष्ट्रीय परिस्थितियों और सतत् विकास प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए समावेशी एवं लचीले आर्थिक विकास के साथ तेज़ी से जलवायु कार्रवाई को संरेखित कर सकती है।
  • CAFM के स्तंभ:
    • जलवायु कार्रवाई स्तंभ:
    • अगले दशक में उत्सर्जन को कम करने के तरीकों को देखते हुए इसमें संयुक्त प्रस्ताव होंगे।
    • वित्त स्तंभ:
    • इसके माध्यम से अमेरिका भारत में 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को लागू करने तथा पूंजी को आकर्षित करने और सक्षम वातावरण को बढ़ाने में सहयोग करेगा एवं नवीन स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन तथा द्विपक्षीय स्वच्छ ऊर्जा निवेश व व्यापार को बढ़ावा देगा।
    • अनुकूलन और लचीलापन:
    • दोनों देश जलवायु जोखिमों को मापने और प्रबंधित करने के लिये क्षमता निर्माण में सहयोग करेंगे।
  • भारत के लिये अवसर:
    • ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition) में निवेश करने हेतु कभी भी बेहतर समय नहीं रहा। अक्षय ऊर्जा पहले से कहीं ज़्यादा सस्ती है।
    • वास्तव में विश्व में कहीं और की तुलना में भारत में सोलर फार्म बनाना सस्ता है।
    • वैश्विक स्तर पर निवेशक अब स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रहे हैं और महामारी के सबसे बुरे दौर के बाद ऊर्जा संक्रमण पहले से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहा है तथा अब एक वर्ष में निवेश किये गए 8.4 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के महामारी पूर्व की स्थिति के रिकॉर्ड को तोड़ने के लिये तैयार है।
    • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान है कि यदि भारत स्वच्छ ऊर्जा के अवसर का लाभ उठाता है, तो यह बैटरी और सौर पैनलों हेतु विश्व का सबसे बड़ा बाज़ार बन सकता है।
      • वर्तमान में भारत की स्थापित बिजली क्षमता वर्ष 2021-22 तक 476 GW होने का अनुमान है जिसके वर्ष 2030 तक कम-से-कम 817 GW तक बढ़ने की उम्मीद है।

स्रोत: द हिंदू

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