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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

IEA के साथ समझौता

  • 29 Jan 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भारत ने वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता एवं ऊर्जा सहयोग को मज़बूत करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA) के साथ एक ‘रणनीतिक साझेदारी समझौता’ किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • उद्देश्य: ऊर्जा क्षेत्र में रणनीतिक और तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित करना।
  • लाभ: 
    • यह ज्ञान का व्यापक स्तर पर आदान-प्रदान करेगा और भारत को IEA का पूर्ण सदस्य बनाने की दिशा में सहयोगी कदम होगा।
    • इससे आपसी विश्वास और सहयोग मज़बूत होगा तथा वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित होगी।
    • IEA एक रणनीतिक भागीदार के रूप में भारत के लिये लाभ और ज़िम्मेदारियों में चरणबद्ध वृद्धि करेगा।
    • मौजूदा ऊर्जा क्षेत्रों में सुधार और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण कार्यक्रमों का निर्माण होगा जैसे- ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, पेट्रोलियम भंडारण क्षमता का विस्तार और भारत में गैस-आधारित अर्थव्यवस्था का विस्तार आदि।
  • समझौते का क्रियान्वयन: IEA सचिवालय द्वारा।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी

  • स्थापना: IEA एक स्वायत्त अंतर-सरकारी संगठन है।  इसकी स्थापना (वर्ष 1974 में) वर्ष 1973 के तेल संकट के बाद हुई थी।
  • जनादेश: समय के साथ IEA के जनादेश को प्रमुख वैश्विक ऊर्जा रुझानों पर नज़र रखने और उनका विश्लेषण करने, ध्वनि ऊर्जा नीति को बढ़ावा देने और बहुराष्ट्रीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिये विस्तारित किया गया है।
  • लक्ष्य: इसका लक्ष्य सदस्य देशों के लिये विश्वसनीय, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा सुनिश्चित करना है।
  • कार्यक्षेत्र के प्रमुख बिंदु: इसका लक्ष्य चार मुख्य क्षेत्रों (4E) द्वारा निर्देशित है-
    • ऊर्जा सुरक्षा
    • आर्थिक विकास
    • पर्यावरणीय जागरूकता 
    • विश्व को सहयोगी के तौर पर शामिल करना
  • मुख्यालय (सचिवालय): पेरिस (फ्राँस)।
  • शासी बोर्ड IEA का मुख्य निर्णय लेने वाला निकाय है।
    • यह प्रत्येक सदस्य देश के ऊर्जा मंत्रियों या उनके वरिष्ठ प्रतिनिधियों से मिलकर बना है।
  • सदस्य: वर्तमान में इसके 30 सदस्य हैं।
    • इसका सदस्य बनने के लिये उम्मीदवार देश को OECD का सदस्य देश होना चाहिये, लेकिन सभी OECD के सदस्य IEA के सदस्य नहीं हैं।

सदस्यता के लिये पात्रता:

  • कच्चे तेल और/या उत्पाद का भंडार पिछले वर्ष के 90 दिनों के शुद्ध आयात के बराबर हो।
    • भारत क्रूड ऑयल रिज़र्व के मानदंडों को पूरा नहीं करता है। वर्तमान में भारत देश की कच्चे तेल की आवश्यकताओं के अनुसार 10 दिनों के क्रूड ऑयल को संग्रहीत करता है, साथ ही घरेलू रिफाइनरी भी 65 दिनों के क्रूड स्टोरेज को संग्रहीत करती हैं। सरकार कच्चे तेल की अन्य 12 दिनों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये ‘सामरिक कच्चे तेल भंडार’ का निर्माण भी कर रही है।
  • एक राष्ट्र द्वारा तेल की खपत को 10% तक कम करना।
  • राष्ट्रीय आधार पर ‘समन्वित आपातकालीन प्रतिक्रिया उपाय’ (Coordinated Emergency Response Measures-CERM) के संचालन के लिये विधानों और संगठनों का निर्माण करना।
  • IEA की सामूहिक कार्रवाई में अपने हिस्से का योगदान करने की क्षमता सुनिश्चित करने के लिये किये गए उपाय।

रिपोर्ट्स:

स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण कार्यक्रम

(Clean Energy Transitions Programme- CETP)

  • इस कार्यक्रम को नवंबर 2017 में लॉन्च किया गया था, IEA का स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण कार्यक्रम वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण में तेज़ी लाने का एक प्रयास है।
  • यह कार्यक्रम सतत् ऊर्जा उत्पादन और उसके उपयोग की दिशा में वैश्विक संक्रमण को उत्प्रेरित करने के लिये सरकारों को स्वतंत्र एवं अत्याधुनिक समर्थन प्रदान करता है।
  • प्राथमिकता वाले देशों में ब्राज़ील, चीन, भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिको एवं दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ अन्य IEA के सहयोगी देश और दक्षिण-पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका तथा अफ्रीका जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं।
  • CETP गतिविधियों में सहयोगी विश्लेषणात्मक कार्य, तकनीकी सहयोग, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और रणनीतिक संवाद शामिल हैं

स्रोत- द हिंदू

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