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जैव विविधता और पर्यावरण

वैश्विक ऊर्जा और कार्बन डाइऑक्साइड स्थिति रिपोर्ट

  • 27 Mar 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA) द्वारा जारी वैश्विक ऊर्जा और कार्बन डाइऑक्साइड स्थिति रिपोर्ट (Global Energy & CO2 Status Report) के अनुसार, भारत ने 2018 में 2,299 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन किया, जो पिछले साल की तुलना में 4.8 प्रतिशत अधिक है।

प्रमुख बिंदु

  • इस साल भारत की उत्सर्जन वृद्धि दुनिया में दो सबसे बड़े उत्सर्जक देशों- संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन की तुलना में अधिक थी। इसका मुख्य कारण कोयले की खपत में वृद्धि बताया गया है।
  • ऊर्जा मांग में वृद्धि वाले देशों का लगभग 70% योगदान चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत का रहा।
  • भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत का लगभग 40% पाया गया जबकि, कार्बन डाइऑक्साइड के कुल वैश्विक उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी 7% थी।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका 14% के योगदान के साथ विश्व में सबसे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार देश रहा।

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भारत के प्रयास

  • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के लिये अपनी प्रतिबद्धताओं के अनुसार, भारत ने 2005 के स्तर की तुलना में 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की उत्सर्जन तीव्रता को कम करने का वादा किया है।
  • कार्बन उत्सर्जन कम करने के संदर्भ में ही भारत ने 2030 तक अपनी ऊर्जा उपभोग का 40% नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है साथ ही 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र लगाना सुनिश्चित किया है।
  • हालाँकि IEA की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की ऊर्जा तीव्रता में सुधार पिछले साल की तुलना में इस साल 3% कम हुआ है, क्योंकि इसके नवीकरणीय ऊर्जा अधिष्ठापन में पिछले साल से 10.6% की वृद्धि हुई।

वैश्विक संदर्भ में ऊर्जा की आवश्यकता

  • 2010 के बाद 2018 में वैश्विक ऊर्जा की खपत में औसत वृद्धि दर लगभग दोगुनी बढ़ गई, जो कि एक मज़बूत वैश्विक अर्थव्यवस्था और दुनिया के कुछ हिस्सों में उच्च ताप और शीतलन की ज़रूरतों से प्रेरित है।
  • विगत वर्षों में सभी गैसों की मांग में वृद्धि हुई। प्राकृतिक गैसों के साथ ही सौर और पवन ऊर्जा ने दोहरे अंक में वृद्धि दर्ज की है।
  • ऊर्जा आवश्यकता में वृद्धि के बावज़ूद ऊर्जा दक्षता के सुधार में कमी देखी गई।
  • उच्च ऊर्जा खपत के परिणामस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पिछले साल एक नया रिकॉर्ड कायम करते हुए लगभग 1.7% बढ़ा है।
  • दुनिया भर में तेल और गैस की मांग में सबसे अधिक वृद्धि संयुक्त राज्य अमेरिका में पाई गई।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी
(International Energy Agency- IEA)

  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) एक स्वायत्त संगठन है, जो अपने 30 सदस्य देशों, 8 सहयोगी देशों और अन्य दूसरों के लिये विश्वसनीय, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा सुनिश्चित करने हेतु काम करती है।
  • इसकी स्थापना (1974 में) 1973 के तेल संकट के बाद हुई थी जब ओपेक कार्टेल ने तेल की कीमतों में भारी वृद्धि के साथ दुनिया को चौंका दिया था। IEA के मुख्य क्षेत्र हैं-

♦ ऊर्जा सुरक्षा
♦ आर्थिक विकास
♦ पर्यावरण जागरूकता
♦ दुनिया भर से इंगेजमेंट

  • भारत 2017 में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का एक सहयोगी सदस्य बना।
  • इसका मुख्यालय फ्राँस के पेरिस में है।

स्रोत- द हिंदू

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