रैपिड डिवाइस चार्जिंग के लिये पेपर-बेस्ड सुपरकैपेसिटर
प्रिलिम्स के लिये:सुपरकैपेसिटर, लिथियम-आयन बैटरी, समुद्री शैवाल, विशेष आर्थिक क्षेत्र, शैवाल प्रस्फुटन, जैव-इथेनॉल मेन्स के लिये:समुद्री शैवाल का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
गुजरात ऊर्जा अनुसंधान और प्रबंधन संस्थान (GERMI) के वैज्ञानिकों ने पेपर-बेस्ड सुपरकैपेसिटर के विकास के साथ ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकी में एक अभूतपूर्व सफलता हासिल की है।
- समुद्री शैवाल से प्राप्त यह अत्याधुनिक सुपरकैपेसिटर हल्का, बायोडिग्रेडेबल और मात्र 10 सेकंड के अंदर डिवाइस को पूरी तरह से चार्ज करने में सक्षम जैसी उल्लेखनीय विशेषताओं का दावा करता है।
पेपर-बेस्ड सुपरकैपेसिटर:
- परिचय:
- GERMI शोधकर्त्ताओं द्वारा विकसित पेपर-बेस्ड सुपरकैपेसिटर अपनी तरह का सबसे पतला और सबसे हल्का सुपरकैपेसिटर है।
- समुद्री शैवाल से प्राप्त सेलुलोज़ नैनोफाइबर के लाभ से टीम ने सफलतापूर्वक एक एनोडिक पेपर सुपरकैपेसिटर बनाया जो असाधारण लचीलापन (Tensile Strength), प्रदर्शन और लागत-प्रभावशीलता प्रदर्शित करता है।
- अनुप्रयोग और व्यावसायिक संभावनाएँ:
- इस नवोन्वेषी सुपरकैपेसिटर के कई अनुप्रयोग हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, मेमोरी बैकअप सिस्टम, एयरबैग, भारी मशीनरी और इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।
- परिणामस्वरूप यह उच्च-प्रदर्शन ऊर्जा भंडारण समाधान चाहने वाले उद्योगों के लिये एक आकर्षक व्यावसायिक संभावना प्रस्तुत करता है।
- प्रौद्योगिकी की पर्यावरण-अनुकूल प्रकृति इसे निर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों के लिये एक आकर्षक विकल्प बनाती है।
- समुद्री सेलुलोज़ की क्षमता:
- पेपर सुपरकैपेसिटर के उल्लेखनीय गुण समुद्री शैवाल से प्राप्त समुद्री सेलुलोज़-आधारित सामग्री के कारण हैं।
- यह सामग्री विभिन्न स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में एकीकरण की अपार संभावनाएँ रखती है।
- इसके अतिरिक्त समुद्री शैवाल की खेती तटीय समुदायों के लिये राजस्व के स्रोत के रूप में काम कर सकती है, जिससे आर्थिक अवसर और सतत् विकास हो सकता है।
- पेपर सुपरकैपेसिटर के उल्लेखनीय गुण समुद्री शैवाल से प्राप्त समुद्री सेलुलोज़-आधारित सामग्री के कारण हैं।
सुपरकैपेसिटर:
- सुपरकैपेसिटर, एक विद्युत रासायनिक उर्जा भंडारण उपकरण है। इन्हें अल्ट्राकैपेसिटर के रूप में भी जाना जाता है।
- सुपरकैपेसिटर नई पीढ़ी के ऊर्जा भंडारण उपकरण हैं जो उच्च शक्ति घनत्व कैपेसिटर, लंबे समय तक स्थायित्व एवं पारंपरिक कैपेसिटर की तुलना में अल्ट्राफास्ट चार्जिंग एवं लिथियम-आयन बैटरी (lithium-ion batteries) जैसे गुणों के कारण व्यापक अनुसंधान के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- सुपरकैपेसिटर के मुख्य घटकों में इलेक्ट्रोड, इलेक्ट्रोलाइट, सेपरेटर और करेंट कलेक्टर शामिल हैं।
समुद्री शैवाल:
- परिचय:
- समुद्री शैवाल मैक्रोएल्गी हैं जो चट्टान या अन्य सब्सट्रेट से जुड़े होते हैं और तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- उन्हें उनकीके रंजकता के आधार पर क्लोरोफाइटा (हरा), रोडोफाइटा (लाल) और फियोफाइटा (भूरा) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- उनमें से क्लोरोफाइटा में अधिक संभावित घटक कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, प्रोटीन और बायोएक्टिव यौगिक होते हैं।
- महत्त्व:
- पोषण मूल्य: समुद्री शैवाल विटामिन, खनिज और आहार फाइबर सहित आवश्यक पोषक तत्त्वों से भरपूर होते हैं।
- औषधीय प्रयोजन के लिये: कई समुद्री शैवालों में सूजनरोधी और रोगाणुरोधी एजेंट होते हैं। कुछ समुद्री शैवालों में शक्तिशाली कैंसर से लड़ने वाले एजेंट होते हैं।
- जैव सूचक: जब कृषि, उद्योगों, जलीय कृषि और घरों से निकलने वाले अपशिष्ट को समुद्र में छोड़ दिया जाता है, तो यह पोषक तत्त्वों के असंतुलन का कारण बनता है, जिससे एल्गी ब्लूम होता है, जो समुद्री रासायनिक क्षति का सूचक है।
- ये समुद्री शैवाल अतिरिक्त पोषक तत्त्वों को अवशोषित करते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करते हैं।
- ऑक्सीजन उत्पादन: समुद्री शैवाल, प्रकाश संश्लेषक जीवों के रूप में प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से ऑक्सीजन का उत्पादन करके समुद्री जीवन के श्वसन एवं अस्तित्व को बनाए रखते हुए समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- सेलुलोज़ सामग्री: गुजरात के पोरबंदर तट से एकत्र की गई ग्रीन सीवीड की कोशिका भित्ति में एक विशेष प्रकार के सेलुलोज़ की उच्च मात्रा पाई गई है।
- ऊर्जा भंडारण अनुप्रयोगों हेतु बैटरी जैसे पेपर-बेस्ड इलेक्ट्रोड बनाने के लिये सबसे उपयुक्त बायोपॉलिमर सामग्री सेलुलोज़ के रूप में खोजी गई है।
- सेलुलोज़ स्वयं एक इन्सुलेशन सामग्री है जिसे पेपर-बेस्ड ऊर्जा भंडारण उपकरण बनाने हेतु प्रवाहकीय सामग्री के साथ लेपित किया जाता है।
- ऊर्जा भंडारण अनुप्रयोगों हेतु बैटरी जैसे पेपर-बेस्ड इलेक्ट्रोड बनाने के लिये सबसे उपयुक्त बायोपॉलिमर सामग्री सेलुलोज़ के रूप में खोजी गई है।
- समुद्री शैवाल की खेती:
- वैश्विक समुद्री शैवाल उत्पादन में से लगभग 32 मिलियन टन ताज़े शैवाल का मूल्य लगभग 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- एक अनुमान के अनुसार, यदि 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र अथवा भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र के 5% में खेती की जाए, तो इससे लगभग 50 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान किया जा सकता है। इससे राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में योगदान और समुद्री उत्पादकता को बढ़ावा दिया जा सकता है, शैवाल के विकास को कम किया सकता है, लाखों टन कार्बन को पृथक किया जा सकता है और साथ ही 6.6 बिलियन लीटर जैव-एथेनॉल का उत्पादन भी किया जा सकता है।
- चीन और इंडोनेशिया द्वारा क्रमशः लगभग 57% और 28% का उत्पादन किया जाता है, इसके बाद दक्षिण कोरिया का स्थान है, जबकि भारत की हिस्सेदारी मात्र 0.01-0.02% की है।
- एक अनुमान के अनुसार, यदि 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र अथवा भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र के 5% में खेती की जाए, तो इससे लगभग 50 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान किया जा सकता है। इससे राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में योगदान और समुद्री उत्पादकता को बढ़ावा दिया जा सकता है, शैवाल के विकास को कम किया सकता है, लाखों टन कार्बन को पृथक किया जा सकता है और साथ ही 6.6 बिलियन लीटर जैव-एथेनॉल का उत्पादन भी किया जा सकता है।
- वैश्विक समुद्री शैवाल उत्पादन में से लगभग 32 मिलियन टन ताज़े शैवाल का मूल्य लगभग 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
नगालैंड में ODOP संपर्क कार्यक्रम
प्रिलिम्स के लिये:उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग, एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP), पीएम गति शक्ति, कृषि उड़ान योजना, विश्व आर्थिक मंच, भारतमाला, सागरमाला, अंतर्देशीय जलमार्ग मैन्स के लिये:ODOP पहल और पीएम गतिशक्ति की विशेषताएँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) तथा इन्वेस्ट इंडिया ने उद्योग एवं वाणिज्य विभाग, नगालैंड के सहयोग से नगालैंड में ODOP संपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया।
- इस आयोजन का उद्देश्य एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) और PM गति शक्ति (लॉजिस्टिक्स) पहल के बारे में जागरूकता पैदा करना था।
आयोजन के प्रमुख बिंदु:
- बाज़ार पहुँच बढ़ाना: आयोजन का एक प्राथमिक उद्देश्य यूरोपीय संघ (EU), स्विट्ज़रलैंड जैसे अन्य विदेशी बाज़ारों में भारतीय उत्पादों विशेष रूप से नगालैंड की बाज़ार तक पहुँच में सुधार करना था।
- बुनियादी ढाँचे का विकास: नगालैंड के ODOP उत्पादों का समर्थन करने के लिये रसद सुविधाओं में सुधार के विभिन्न उपायों पर प्रकाश डाला गया जैसे:
- बेहतर परिवहन के लिये कृषि उड़ान योजना का लाभ उठाना।
- रेलवे कनेक्टिविटी का विस्तार।
- केंद्रीय बजट 2023-24 ने देश भर में यूनिटी मॉल के निर्माण हेतु 5000 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं, जो ODOP उत्पादों के लिये केंद्रीकृत बाज़ार के रूप में कार्य करेंगे।
- बुनियादी ढाँचे का विकास: नगालैंड के ODOP उत्पादों का समर्थन करने के लिये रसद सुविधाओं में सुधार के विभिन्न उपायों पर प्रकाश डाला गया जैसे:
- ODOP प्रदर्शनी: इस कार्यक्रम में मिर्च, मछली, कॉफी और हल्दी सहित नगालैंड के विभिन्न ODOP उत्पादों का प्रदर्शन किया गया।
एक ज़िला एक उत्पाद पहल:
- परिचय:
- ODOP देश के प्रत्येक ज़िले से एक उत्पाद को बढ़ावा देने और ब्रांडिंग करके ज़िला स्तर पर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की एक पहल है।
- इसका उद्देश्य प्रत्येक ज़िले की स्थानीय क्षमता, संसाधनों, कौशल और संस्कृति का लाभ उठाना तथा घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में उनकी एक विशिष्ट पहचान बनाना है।
- देश के सभी 761 ज़िलों से 1000 से अधिक उत्पादों का चयन किया गया है। इस पहल में कपड़ा, कृषि, प्रसंस्कृत सामान, फार्मास्यूटिकल्स और औद्योगिक वस्तुओं समेत कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
- इसके अतिरिक्त जनवरी 2023 में स्विट्ज़रलैंड के दावोस में भारतीय पक्ष की ओर से विश्व आर्थिक मंच पर कई ODOP उत्पादों को प्रदर्शित किया गया था।
- ODOP देश के प्रत्येक ज़िले से एक उत्पाद को बढ़ावा देने और ब्रांडिंग करके ज़िला स्तर पर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की एक पहल है।
- पृष्ठभूमि:
- ODOP की अवधारणा को सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनवरी 2018 में विकसित की गई थी।
- यह योजना राज्य के पारंपरिक उद्योगों और शिल्प, जैसे- चिकनकारी कढ़ाई, पीतल के बर्तन, मिट्टी के बर्तन, कालीन, चमड़े की वस्तुएँ आदि को पुनर्जीवित करने में सफल रही।
- इससे प्रेरित होकर केंद्र सरकार ने इस अवधारणा को अपनाया और इसे एक राष्ट्रीय पहल के रूप में लॉन्च किया।
- ODOP की अवधारणा को सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जनवरी 2018 में विकसित की गई थी।
- कार्यान्वयन:
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिये योजना लागू करता है।
- वस्त्र मंत्रालय ने ODOP योजना के तहत उत्पादों को प्रदर्शित करने और विक्रय करने के लिये सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज़ कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCIC) के अंतर्गत राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय, नई दिल्ली में 'लोटा शॉप' का उद्घाटन किया।
- विदेश व्यापार महानिदेशालय ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिये ज़िलों को निर्यात हब पहल के रूप में ONOP के साथ संरेखित किया है।
- एक ज़िला एक उत्पाद पुरस्कार:
- आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने में विभिन्न हितधारकों के प्रयासों की पहचान करते हुए DPIIT ने एक ज़िला एक उत्पाद पुरस्कार की स्थापना की है।
- यह पुरस्कार राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, ज़िलों और विदेश में भारतीय मिशनों द्वारा किये गए उत्कृष्ट कार्यों के लिये प्रदान किया जाएगा।
- ये पुरस्कार राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल पर लॉन्च किये जाएंगे।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने में विभिन्न हितधारकों के प्रयासों की पहचान करते हुए DPIIT ने एक ज़िला एक उत्पाद पुरस्कार की स्थापना की है।
पीएम गति शक्ति:
- परिचय:
- पीएम गति शक्ति मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिये एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान है, जो बुनियादी ढाँचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं की एकीकृत योजना और समन्वित कार्यान्वयन के लिये रेलवे, नागरिक उड्डयन, MIETY, शिपिंग तथा सड़क परिवहन सहित 16 मंत्रालयों को एक मंच प्रदान करने के लिये एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
- अभिलक्षण:
- इस योजना में विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों की बुनियादी ढाँचा योजनाएँ जैसे- भारतमाला, सागरमाला, अंतर्देशीय जलमार्ग, उड़ान (UDAAN) आदि शामिल हैं। यह वस्त्र उद्योग, फार्मास्यूटिकल क्षेत्र, रक्षा गलियारे, इलेक्ट्रॉनिक पार्क, औद्योगिक गलियारे, मत्स्य पालन क्षेत्र जैसे आर्थिक क्षेत्रों को कवर करता है। यह योजना कनेक्टिविटी में सुधार करने के साथ ही भारतीय व्यवसाय को और अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाने में मदद करती है।
- यह योजना BiSAG-N (भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान) द्वारा विकसित ISRO इमेजरी के साथ स्थानिक योजना उपकरणों सहित व्यापक स्तर पर प्रौद्योगिकी का लाभ उठाती है तथा वर्तमान परियोजनाओं की निगरानी को पारदर्शी बनाती है।
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
प्रिलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), नीली क्रांति, किसान क्रेडिट कार्ड मेन्स के लिये:भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र, भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र में सुधार के लिये उठाए गए कदम |
चर्चा में क्यों?
प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY), कार्यान्वयन के चौथे वर्ष में प्रवेश कर रही है। ऐसे में मत्स्य पालन विभाग योजना के कार्यान्वयन की गति में तीव्रता लाने की योजना बना रहा है।
- इस योजना के भाग के रूप में, विभाग ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) के साथ समीक्षा बैठकों की एक शृंखला निर्धारित की है। इसकी प्रथम समीक्षा बैठक हाल ही में भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) में संपन्न हुई।
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMSSY)
- परिचय:
- इसका उद्देश्य भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत् और ज़िम्मेदार विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाना है।
- PMMSY को 20,050 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 'आत्मनिर्भर भारत' के हिस्से के रूप में पेश किया गया था। जो इस क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निवेश है।
- यह योजना वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के लिये सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू की जा रही है।
- संस्थागत ऋण तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने हेतु मछुआरों को बीमा कवरेज, वित्तीय सहायता और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा भी प्रदान की जाती है।
- कार्यान्वयन:
- इसे दो अलग-अलग घटकों के साथ एक अम्ब्रेला योजना के रूप में लागू किया गया है:
- केंद्रीय क्षेत्र योजना: इस परियोजना की लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी।
- केंद्र प्रायोजित योजना: सभी उप-घटक/गतिविधियाँ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वित की जाएंगी और लागत केंद्र एवं राज्य के बीच साझा की जाएगी।
- इसे दो अलग-अलग घटकों के साथ एक अम्ब्रेला योजना के रूप में लागू किया गया है:
- उद्देश्य:
- मत्स्य पालन क्षेत्र की क्षमता का टिकाऊ, उत्तरदायी, समावेशी और न्यायसंगत तरीके से उपयोग करना।
- भूमि और जल के विस्तार, सघनीकरण, विविधीकरण और उत्पादक उपयोग के माध्यम से मत्स्य उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़ाना।
- फसल कटाई के बाद प्रबंधन और गुणवत्ता में सुधार सहित मूल्य शृंखला को आधुनिक एवं मज़बूत बनाना।
- मछुआरों और मत्स्य किसानों की आय दोगुनी करना तथा सार्थक रोज़गार के अवसर उत्पन्न करना।
- कृषि सकल मूल्य वर्द्धित (Gross Value Added- GVA) और निर्यात में मत्स्य पालन क्षेत्र का योगदान बढ़ाना।
- मछुआरों और मत्स्य किसानों हेतु सामाजिक, भौतिक एवं आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- मज़बूत मत्स्य पालन प्रबंधन और नियामक ढाँचा स्थापित करना।
- महत्त्व:
- भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह राष्ट्रीय आय, निर्यात, खाद्य और पोषण सुरक्षा के साथ-साथ रोज़गार सृजन में योगदान देता है।
- यह क्षेत्र प्राथमिक स्तर पर 2.8 करोड़ से अधिक मछुआरों और इस क्षेत्र से जुड़े कई अन्य लोगों को आजीविका प्रदान करता है।
- यह देश की आर्थिक रूप से वंचित आबादी के एक बड़े हिस्से के लिये आय का एक प्रमुख स्रोत है।
- मछली उत्पादन में सुधार के लिये एकीकृत मछली पालन और मछली उत्पादन में विविधता लाना आवश्यक है।
- इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा आय में मत्स्य पालन क्षेत्र का प्रमुख योगदान रहा है, भारत विश्व के अग्रणी समुद्री खाद्य पदार्थ (Seafood) निर्यातकों में से एक है।
- वित्त वर्ष 2020 में देश के कुल मत्स्य निर्यात में जलीय कृषि उत्पादों का हिस्सा 70-75% था।
- भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह राष्ट्रीय आय, निर्यात, खाद्य और पोषण सुरक्षा के साथ-साथ रोज़गार सृजन में योगदान देता है।
- उपलब्धियाँ:
- PMMSY के तहत वर्ष 2020-21 से वर्ष 2022-23 तक 14,654.67 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है।
- वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान मछली उत्पादन 16.25 मिलियन मीट्रिक टन के अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुँच गया, जिसमें समुद्री निर्यात 57,586 करोड़ रुपए का था।
- विश्व स्तर पर तीसरे सबसे बड़े मछली उत्पादक और दूसरे सबसे बड़े जलीय कृषि उत्पादक के रूप में भारत में मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि उद्योग प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं।
- वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान मछली उत्पादन 16.25 मिलियन मीट्रिक टन के अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुँच गया, जिसमें समुद्री निर्यात 57,586 करोड़ रुपए का था।
- PMMSY के तहत वर्ष 2020-21 से वर्ष 2022-23 तक 14,654.67 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है।
नोट:
- जलीय खेती/एक्वाकल्चर से तात्पर्य सभी प्रकार के जलीय वातावरण में रहने वाली मछली, शंख, शैवाल और अन्य जीवों के प्रजनन, पालन तथा उत्पादन से है, जबकि कृत्रिम तरीकों से मछली के प्रजनन, पालन और प्रत्यारोपण मत्स्य पालन कहा जाता है।
योजना के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
- अवसंरचनात्मक और तकनीकी अंतराल:
- मत्स्य पालन क्षेत्र को मछली उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन एवं विपणन हेतु पर्याप्त बुनियादी ढाँचे तथा प्रौद्योगिकी की कमी का सामना करना पड़ता है।
- मानव संसाधन विकास का अभाव:
- मत्स्य कृषकों और मछुआरों के लिये कुशल एवं प्रशिक्षित जनशक्ति तथा सेवाओं में विस्तार की कमी इस क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं, नवाचारों एवं मानकों को प्रभावित करती है।
- वित्तीय समावेशन और सामाजिक सुरक्षा:
- मत्स्य कृषकों और मछुआरों के लिये समय पर ऋण तथा बीमा की अपर्याप्त पहुँच का कारण उन्हें प्राकृतिक आपदाओं, बीमारियों, बाज़ार में उतार-चढ़ाव आदि जैसे विभिन्न जोखिमों एवं कमज़ोरियों का सामना करना पड़ता है।
- विनियामक और कानूनी अनुपालन:
- मत्स्य पालन क्षेत्र को मछली पकड़ने के अधिकार, लाइसेंस, कोटा, संरक्षण उपाय, गुणवत्ता नियंत्रण आदि जैसे मत्स्य प्रबंधन के लिये विनियामक और कानूनी ढाँचे, जागरूकता एवं अनुपालन की कमी का सामना करना पड़ता है। यह क्षेत्र की स्थिरता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को प्रभावित करता है।
मत्स्य पालन क्षेत्र से संबंधित अन्य पहल:
नीली क्रांति:
- परिचय:
- अपनी बहुआयामी गतिविधियों के साथ नीली क्रांति मुख्य रूप से अंतर्देशीय और समुद्री दोनों, जलीय कृषि तथा मत्स्य संसाधनों से मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित है।
- उद्देश्य:
- आर्थिक समृद्धि के लिये ज़िम्मेदार और टिकाऊ तरीके से समग्र मत्स्य उत्पादन में वृद्धि करना।
- नई प्रौद्योगिकियों पर विशेष ध्यान देकर मत्स्य पालन का आधुनिकीकरण करना।
- भोजन एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- रोज़गार और निर्यात आय उत्पन्न करने के लिये समावेशी विकास सुनिश्चित करना।
- मछुआरों और जलीय कृषि के किसानों को सशक्त बनाना।
किसान क्रेडिट कार्ड योजना (KCC) :
- विषय:
- यह योजना वर्ष 1998 में किसानों को उनकी खेती हेतु बीज, उर्वरक, कीटनाशकों आदि जैसे कृषि आदानों की खरीद जैसी अन्य ज़रूरतों के लिये लचीली और सरलीकृत प्रक्रियाओं के साथ एकल खिड़की के अंतर्गत बैंकिंग प्रणाली से पर्याप्त और समय पर ऋण सहायता प्रदान करने के लिये प्रारंभ की गई थी ताकि किसान फसल उत्पादन हेतु आवश्यकताओं के अनुसार नकदी निकाल सकें।
- इस योजना को वर्ष 2004 में कृषि संबद्ध और गैर-कृषि गतिविधियों हेतु किसानों की निवेश ऋण आवश्यकता के लिये आगे बढ़ाया गया था।
- बजट वर्ष 2018-19 में सरकार ने मत्स्य पालन और पशुपालन करने वाले किसानों को उनकी कार्यशील पूंजी की ज़रूरतों को पूरा करने में सहायता प्रदान करने के लिये KCC की सुविधा के विस्तार की घोषणा की।
- यह योजना वर्ष 1998 में किसानों को उनकी खेती हेतु बीज, उर्वरक, कीटनाशकों आदि जैसे कृषि आदानों की खरीद जैसी अन्य ज़रूरतों के लिये लचीली और सरलीकृत प्रक्रियाओं के साथ एकल खिड़की के अंतर्गत बैंकिंग प्रणाली से पर्याप्त और समय पर ऋण सहायता प्रदान करने के लिये प्रारंभ की गई थी ताकि किसान फसल उत्पादन हेतु आवश्यकताओं के अनुसार नकदी निकाल सकें।
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ:
- वाणिज्यिक बैंक
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB)
- लघु वित्त बैंक
- सहकारी समितियाँ
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत निम्नलिखित में से किन-किन उद्देश्यों के लिये कृषकों को अल्पकालीन ऋण समर्थन उपलब्ध कराया जाता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 5 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. भारत में स्वतंत्रता के बाद कृषि में आई विभिन्न प्रकार की क्रांतियों को स्पष्ट कीजिये। इन क्रांतियों ने भारत में गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा में किस प्रकार सहायता प्रदान की है? (2017) प्रश्न. नीली क्रांति को परिभाषित करते हुए भारत में मत्स्यपालन की समस्याओं और रणनीतियों को समझाइये। (2018) |
स्रोत: पी.आई.बी.
पीएम-किसान योजना हेतु चेहरा प्रमाणीकरण
प्रिलिम्स के लिये:पीएम-किसान योजना, भाषिनी, UIDAI, केंद्रीय क्षेत्रक योजना, NIC मेन्स के लिये:पीएम-किसान योजना |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने कल्याणकारी योजनाओं की दक्षता और पहुँच बढ़ाने हेतु प्रधानमंत्री-किसान एप में चेहरा प्रमाणीकरण/फेस ऑथेंटिकेशन फीचर शुरू किया है।
- किसानों को उनकी मूल भाषा में जानकारी प्रदान करने हेतु प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) भी भाषिनी के साथ एकीकृत हो रही है।
- भाषिनी भाषाओं हेतु सरकार का राष्ट्रीय सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफाॅर्म है, जो नागरिकों हेतु सेवाओं एवं उत्पादों को बढ़ाने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा अन्य अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करेगा।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- फेस ऑथेंटिकेशन/चेहरा प्रमाणीकरण विशेषता आधार से संबंधित जानकारी रखने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के आईरिस डेटा का उपयोग करती है।
- मंत्रालय ने इस सुविधा तक पहुँच प्राप्त करने के लिये UIDAI के साथ मिलकर काम किया, जिससे इसकी सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सकी।
- फेस ऑथेंटिकेशन/चेहरा प्रमाणीकरण विशेषता आधार से संबंधित जानकारी रखने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के आईरिस डेटा का उपयोग करती है।
- लाभ:
- बेहतर पहुँच: चेहरा प्रमाणीकरण में भौतिक बायोमेट्रिक सत्यापन की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे किसान अपने मोबाइल फोन से ई-केवाईसी प्रक्रिया को आसानी से पूरा कर सकते हैं।
- मोबाइल-आधार लिंकेज मुद्दों का हल: चेहरा प्रमाणीकरण के उपयोग से उन किसानों को समायोजित किया जा सकता है जिनके मोबाइल नंबर उनके आधार से नहीं जुड़े हैं, इस प्रकार यह सभी पात्र लाभार्थियों के लिये एक आसान प्रक्रिया सुनिश्चित करती है।
- बुजुर्ग किसानों के लिये सरलीकृत प्रक्रिया: यह नई सुविधा बुजुर्ग किसानों के सामने आने वाली कई चुनौतियों को दूर करती है, अब उन्हें बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के लिये निर्दिष्ट केंद्रों पर जाने की आवश्यकता नहीं है।
पीएम-किसान:
- परिचय:
- इस योजना के तहत केंद्र सरकार प्रतिवर्ष 6,000 रुपए की राशि तीन समान किस्तों में सीधे प्रत्येक भूमिधारक किसान के बैंक खाते में स्थानांतरित करती है चाहे उसकी भूमि जोत का आकार कुछ भी हो।
- इस योजना को फरवरी 2019 में लॉन्च किया गया था।
- इस योजना के तहत केंद्र सरकार प्रतिवर्ष 6,000 रुपए की राशि तीन समान किस्तों में सीधे प्रत्येक भूमिधारक किसान के बैंक खाते में स्थानांतरित करती है चाहे उसकी भूमि जोत का आकार कुछ भी हो।
- वित्तपोषण और कार्यान्वयन:
- यह भारत सरकार के 100% वित्तपोषण के साथ एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
- इसे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- लाभार्थी की पहचान:
- लाभार्थी किसान परिवारों की पहचान की पूरी ज़िम्मेदारी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों की है।
- उद्देश्य:
- प्रत्येक फसल चक्र के अंत में प्रत्याशित कृषि आय के अनुरूप उचित फसल स्वास्थ्य तथा उचित पैदावार सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न आदानों की खरीद हेतु छोटे एवं सीमांत किसानों की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करना।
- उन्हें ऐसे खर्चों को पूरा करने के लिये साहूकारों के प्रभाव से बचाना और कृषि गतिविधियों में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करना।
- पीएम-किसान मोबाइल एप:
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा PM-KISAN मोबाइल एप विकसित और डिज़ाइन किया गया है।
- किसान अपने आवेदन की स्थिति देख सकते हैं, अपने आधार कार्ड को अपडेट या सुधार कर सकते हैं और अपने बैंक खातों में क्रेडिट का लेखा भी देख सकते हैं।
- अब तक की उपलब्धियाँ:
- देश में 11 करोड़ से अधिक किसानों ने PM-किसान योजना का लाभ प्राप्त किया है, जो इसकी व्यापक पहुँच और प्रभाव को दर्शाता है।
- इस योजना में 3 करोड़ से अधिक महिला किसानों को शामिल किया गया है, जो कृषि क्षेत्र में लैंगिक समावेशिता और महिला सशक्तीकरण पर इसके प्रभाव को प्रदर्शित करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
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