भारतीय अर्थव्यवस्था
इथेनॉल संयंत्र
- 11 Aug 2022
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:इथेनॉल सम्मिश्रण, जैव ईंधन, कच्चा तेल, जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 मेन्स के लिये:इथेनॉल सम्मिश्रण और इसका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
विश्व जैव ईंधन दिवस 2022 पर, भारत सरकार ने हरियाणा में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की रिफाइनरी में दूसरी पीढ़ी (2G) इथेनॉल संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की।
- यह इथेनॉल संयंत्र अतिरिक्त आय और हरित ईंधन पैदा करने के साथ-साथ दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र से वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा।
विश्व जैव ईंधन दिवस
- परिचय:
- यह प्रत्येक वर्ष 10 अगस्त को मनाया जाता है।
- यह पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में गैर-जीवाश्म ईंधन के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये मनाया जाता है।
- पृष्ठिभूमि:
- यहदिवस सर रुडोल्फ डीज़ल के सम्मान में मनाया जाता है।
- वह डीज़ल इंजन के आविष्कारक थे और उन्होंने सबसे पहले जीवाश्म ईंधन की जगह वनस्पति तेल की संभावना की भविष्यवाणी की थी।
- यहदिवस सर रुडोल्फ डीज़ल के सम्मान में मनाया जाता है।
इथेनॉल संयंत्र के बारे में जानकारी:
- यह 3 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पन्न करने के लिये लगभग 2 लाख टन चावल के भूसे (पराली) का उपयोग करके भारत के वेस्ट टू वेल्थ के प्रयासों को बढ़ावा देगा।
- यह संयंत्र धान के भूसे के अलावा मक्का और गन्ने के कचरे का भी उपयोग एथनॉल के उत्पादन के लिये करेगा।
- यह परियोजना संयंत्र संचालन में शामिल लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार प्रदान करेगी और चावल के भूसे की कटाई, हैंडलिंग, भंडारण आदि के लिए आपूर्ति शृंखला में अप्रत्यक्ष रोज़गार उत्पन्न होगा।
- इस परियोजना में ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज होगा।
- चावल की भूसी को जलाने में कमी के माध्यम से परियोजना प्रति वर्ष लगभग 3 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के समकक्ष ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में योगदान देगी जो देश की सड़कों पर सालाना लगभग 63,000 कारों द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों के बराबर है।
इथेनॉल:
- परिचय:
- यह प्रमुख जैव ईंधनों में से एक है, जो प्रकृतिक रूप से खमीर अथवा एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से शर्करा के किण्वन द्वारा उत्पन्न होता है।
- यह घरेलू रूप से उत्पादित वैकल्पिक ईंधन है जो आमतौर पर मकई से बनाया जाता है। यह सेल्यूलोसिक फीडस्टॉक्स जैसे कि फसल अवशेष और लकड़ी से भी बनाया जाता है।
- ईंधन के रूप में इथेनॉल:
- आंतरिक दहन इंजनों के लिये ईंधन के रूप में इथेनॉल का उपयोग या तो अकेले या अन्य ईंधन के साथ मिश्रित रूप में किया जाता है, जीवाश्म ईंधन की अपेक्षा इसके संभावित पर्यावरणीय और दीर्घकालिक आर्थिक लाभों के कारण इस पर अधिक ध्यान दिया गया है।
- इथेनॉल को शुद्ध इथेनॉल (E100) तक किसी भी सांद्रता में पेट्रोल के साथ जोड़ा जा सकता है
- पेट्रोलियम ईंधन की खपत को कम करने के साथ-साथ वायु प्रदूषण को कम करने के लिये निर्जल इथेनॉल (जल के बिना इथेनॉल) को अलग-अलग मात्रा में पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सकता है।
जैव ईंधन के संबंध में भारत की अन्य पहलें:
- इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (EBP):
- इसका उद्देश्य कच्चे तेल के आयात पर देश की निर्भरता को कम करना, कार्बन उत्सर्जन में कटौती करना और किसानों की आय को बढ़ाना है।
- सम्मिश्रण लक्ष्य: भारत सरकार ने पेट्रोल में 20% इथेनॉल सम्मिश्रण (जिसे E20 भी कहा जाता है) के लक्ष्य को वर्ष 2030 से परिवर्तित कर वर्ष 2025 तक कर दिया है।
- भारत ने पहले ही पेट्रोल में 10% इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया है, जिससे देश का इथेनॉल उत्पादन बढ़कर 400 करोड़ लीटर हो गया है।
- जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति-2018:
- यह वर्ष 2030 तक इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत 20% इथेनॉल सम्मिश्रण का सांकेतिक लक्ष्य प्रदान करता है।
- ई-100 पायलट प्रोजेक्ट:
- टीवीएस अपाचे जैसे दोपहिया वाहनों को E80 या शुद्ध इथेनॉल (E100) पर चलने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- प्रधानमंत्री जी-वन योजना, 2019:
- इस योजना का उद्देश्य 2जी इथेनॉल क्षेत्र में वाणिज्यिक परियोजनाओं की स्थापना, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
- प्रयुक्त खाद्य तेल (RUCO) का पुन: उपयोग:
- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने यह पहल शुरू की है जो इस्तेमाल किये खाद्य तेल को बायोडीज़ल के रूप में संगृहीत और रूपांतरित करने में भी सक्षम बनाएगा।
आगे की राह:
- कचरे से इथेनॉल:
- कचरे से उत्पादित इथेनॉल पर ध्यान केंद्रित कर भारत टिकाऊ जैव ईंधन नीति में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन सकता है।
- यह मज़बूत जलवायु और वायु गुणवत्ता दोनों लाभ पहुँचाएगा, क्योंकि वर्तमान में इन कचरे को अक्सर जलाया जाता है, जो वायु-प्रदूषण को बढ़ावा देता है।
- कचरे से उत्पादित इथेनॉल पर ध्यान केंद्रित कर भारत टिकाऊ जैव ईंधन नीति में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन सकता है।
- फसल उत्पादन को प्राथमिकता:
- घटते भूजल संसाधनों, कृषि योग्य भूमि की कमी, अनिश्चित मानसून और जलवायु परिवर्तन के कारण फसल की पैदावार में गिरावट के साथ, ईंधन के लिये फसलों पर खाद्य उत्पादन को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
- वैकल्पिक तंत्र:
- प्रमुख लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये, उत्सर्जन में कमी, इलेक्ट्रिक वाहन के क्षेत्र में तीव्र विकास, शून्य-उत्सर्जन रिचार्ज प्रणाली को बढ़ाने के लिये अतिरिक्त नवीकरणीय उत्पादन क्षमता की स्थापना आदि का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. जैव ईंधन पर भारत की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किसका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020)
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: (a)
अत: विकल्प (a) सही उत्तर है। |