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1G इथेनॉल के उत्पादन के लिये संशोधित योजना

  • 18 Jan 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (Department of Food & Public Distribution) ने पहली पीढ़ी (1G) के इथेनॉल उत्पादन हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिये पूर्व में लागू योजना में कुछ संशोधन किया है।

  • इसका उद्देश्य पेट्रोल (इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम) के साथ इथेनॉल के सम्मिश्रण लक्ष्यों को प्राप्त करना है।  

प्रमुख बिंदु

इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम:

  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य पेट्रोल के साथ इथेनॉल को मिश्रित करना है, ताकि इसे जैव ईंधन की श्रेणी में लाया जा सके। इसके परिणामस्वरूप ईंधन आयात में कटौती तथा कार्बन उत्सर्जन में कमी के चलते लाखों डॉलर की बचत होगी।
  • लक्ष्य: वर्ष 2025 तक इथेनॉल के सम्मिश्रण को  20%  तक बढ़ाना।
  • खाद्यान्नों से इथेनॉल का निष्कर्षण:
    • केंद्र सरकार ने वर्ष 2018 में मक्का, ज्वार, फल, सब्जी आदि की अधिशेष मात्रा से ईंधन निकालने के लिये EBP कार्यक्रम के दायरे को बढ़ाया था।
    • इससे पहले इस कार्यक्रम के तहत केवल अतिरिक्त गन्ना उत्पादन को इथेनॉल में परिवर्तित करने की अनुमति दी गई थी।

इथेनॉल आसवन क्षमता के विस्तार के लिये वित्तीय सहायता: सरकार इस क्षेत्र में वित्तपोषण (Funding) को प्रोत्साहित करने हेतु ब्याज अनुदान (ऋण पर) प्रदान करेगी।

  • अनाज (चावल, गेहूँ, जौ, मक्का और ज्वार), गन्ना, चुकंदर आदि खाद्य वस्तुओं से पहली पीढ़ी (1G) के इथेनॉल उत्पादन के लिये भट्टियाँ स्थापित करना।
  • गन्ना आधारित भट्ठियों को दोहरे उद्देश्य की प्राप्ति हेतु अनाज भट्ठियों में बदलना।

अपेक्षित लाभ:

  • किसानों की आय बढ़ाने में:
    • किसानों को फसलों में विविधता लाने के लिये सुविधा प्रदान करना, जैसे- विशेष रूप से मक्का/मकई की खेती, जिसमें गन्ने और चावल की तुलना में कम पानी की आवश्यकता हो।
  • रोज़गार प्रदान करना: 
    • क्षमता में वृद्धि या नई भट्टियों की स्थापना में निवेश से ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के नए अवसर सृजित होंगे।
  • विकेंद्रीकृत इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देना:
    • देश के विभिन्न क्षेत्रों में नई अनाज आधारित भट्टियों (Distilleries) की स्थापना से इथेनॉल के विकेंद्रीकृत उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा जिससे परिवहन लागत में काफी बचत होगी तथा इस प्रकार सम्मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने में होने वाले विलंब को रोका जा सकेगा।

संबंधित पहल: 

  • E20 ईंधन:  इससे पहले भारत सरकार ने E20 ईंधन (गैसोलीन के साथ 20% इथेनॉल का मिश्रण) को अपनाने के लिये सार्वजनिक टिप्पणियाँ आमंत्रित की थीं।
  • प्रधानमंत्री जी-वन योजना, 2019 (Pradhan Mantri JI-VAN Yojana, 2019): इस योजना का उद्देश्य दूसरी पीढ़ी (2G) के इथेनॉल उत्पादन हेतु वाणिज्यिक परियोजनाओं की स्थापना के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना और इस क्षेत्र में अनुसंधान तथा विकास को बढ़ावा देना है।
  • जीएसटी में कटौती:  सरकार ने ईंधन में इथेनॉल के सम्मिश्रण के लिये इस पर लगने वाली जीएसटी को 18% से घटाकर 5% कर दिया है।
  • राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति-2018: इस नीति में ‘आधारभूत जैव ईंधनों’ यानी पहली पीढ़ी (1जी) के बायोइथेनॉल और बायोडीज़ल तथा ‘विकसित जैव ईंधनों’ यानी दूसरी पीढ़ी (2जी) के इथेनॉल, निगम के ठोस कचरे (एमएसडब्‍ल्‍यू) से लेकर ड्रॉप-इन ईंधन, तीसरी पीढ़ी (3जी) के जैव ईंधन, बायो CNG आदि को श्रेणीबद्ध किया गया है, ताकि प्रत्‍येक श्रेणी के अंतर्गत उचित वित्तीय और आर्थिक प्रोत्‍साहन बढ़ाया जा सके।

Biomass

आगे की राह:  

  • जैव ईंधन नीति और इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिये, साथ ही इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिये कि इथेनॉल उत्पादन कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के कारण ईंधन और खाद्य ज़रूरतों के बीच प्रतिस्पर्द्धा न उत्पन्न हो बल्कि ईंधन उत्पादन के लिये केवल अधिशेष खाद्य फसलों का ही उपयोग किया जाना चाहिये।
  • तीसरी पीढ़ी (शैवाल से प्राप्त) और चौथी पीढ़ी के जैव ईंधन (आनुवंशिक रूप से संशोधित पौधों या बायोमास से प्राप्त) जैसे विकल्पों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।

स्रोत: पी.आई.बी.

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