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सामाजिक न्याय
ऑपरेशन 'गियर बॉक्स'
प्रिलिम्स के लिये:ऑपरेशन 'गियर बॉक्स' मेन्स के लिये:नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या और संबंधित पहल |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्व खुफिया निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence-DRI) ने हेरोइन की तस्करी को रोकने के लिये ऑपरेशन 'गियर बॉक्स' शुरू किया, जिसमें कोलकाता बंदरगाह से 39.5 किलोग्राम प्रतिबंधित पदार्थ जब्त किया गया।
- स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम के प्रावधानों के तहत हेरोइन की जाँच की गई और उसे जब्त कर लिया गया।
ऑपरेशन 'गियर बॉक्स':
- गियर बॉक्स/कंटेनर में छिपाई गई दवाओं का पता लगाने के लिये ऑपरेशन गियर बॉक्स चलाया गया है।
- पुराने और उपयोग किये गए गियर बॉक्स को खोलने के बाद वहाँ से गियर को हटा दिया गया और उस जगह पर मादक पदार्थों से युक्त प्लास्टिक के पैकेट रखे गए तथा जाँच से बचने के लिये गियर बॉक्स को फिर से फिट कर दिया गया था।
- ड्रग सिंडिकेट ने हेरोइन को छिपाने के लिये इस अनोखे तरीके का उपयोग किया है।
- इन पैकेटों को धातु के स्क्रैप के साथ अन्य धातु स्क्रैप के अंदर छिपाकर भेजा गया था, ताकि अधिकारियों का ध्यान इस पर न जाए।
भारत में ड्रग्स का सेवन:
- भारत के युवाओं में नशे की लत तेज़ी से फैल रही है।
- भारत विश्व के दो सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों (एक तरफ ‘गोल्डन ट्रायंगल’ और दूसरी तरफ ‘गोल्डन क्रिसेंट’) के बीच स्थित है।
- ‘गोल्डन ट्रायंगल’ क्षेत्र में थाईलैंड, म्याँमार, वियतनाम और लाओस शामिल हैं।
- ‘गोल्डन क्रिसेंट’ क्षेत्र में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान शामिल हैं।
- भारत विश्व के दो सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों (एक तरफ ‘गोल्डन ट्रायंगल’ और दूसरी तरफ ‘गोल्डन क्रिसेंट’) के बीच स्थित है।
- वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2021 के अनुसार, भारत (विश्व में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता) में प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाओं और उनके अवयवों को मनोरंजक उपयोग के साधनों में तेज़ी से परिवर्तित किया जा रहा है।
- अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ‘क्राइम इन इंडिया- 2020’ रिपोर्ट के अनुसार, NDPS अधिनियम के तहत कुल 59,806 मामले दर्ज किये गए थे।
- सामाजिक न्याय मंत्रालय और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की वर्ष 2019 में मादक द्रव्यों के सेवन की मात्रा पर जारी रिपोर्ट के अनुसार,
- भारत में 3.1 करोड़ भाँग उपयोगकर्त्ता हैं (जिनमें से 25 लाख आश्रित उपयोगकर्त्ता थे)।
- भारत में 2.3 करोड़ ओपिओइड उपयोगकर्त्ता हैं (जिनमें से 28 लाख आश्रित उपयोगकर्त्ता थे)।
अन्य संबंधित पहलें:
नशीली दवाओं के खतरे का मुकाबला करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और सम्मेलन:
- भारत नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे से निपटने के लिये निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय संधियों और सम्मेलनों का हस्ताक्षरकर्त्ता है:
- नारकोटिक ड्रग्स पर संयुक्त राष्ट्र (UN) कन्वेंशन (1961)
- मनोदैहिक पदार्थों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (1971)
- नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों में अवैध तस्करी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (1988)
- अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनटीओसी) 2000
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. दुनिया के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादक राज्यों के साथ भारत की निकटता ने उसकी आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों जैसे- बंदूक बेचने, मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी के बीच संबंधों की व्याख्या कीजिये। इसे रोकने के लिये क्या उपाय किये जाने चाहिये? (2018, मुख्य परीक्षा) |
स्रोत: पी.आई.बी.
भारतीय अर्थव्यवस्था
टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध
प्रिलिम्स के लिये:टूटे चावल, निर्यात प्रतिबंध मेन्स के लिये:सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, खाद्य सुरक्षा। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने मौजूदा खरीफ मौसम में धान की फसल के क्षेत्र में गिरावट के बीच घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिये टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20% शुल्क लगाया है।
- भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है, जिसका वैश्विक चावल निर्यात में 40% से अधिक का योगदान है और यह विश्व बाज़ार में थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान तथा म्याँमार के साथ प्रतिस्पर्द्धा करता है।
टूटे हुए चावल का महत्त्व:
- यह प्रायः छोटे जानवरों और पालतू जानवरों के लिये खाद्य पदार्थ के निर्माण में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग सभी प्रकार के पशुधन के लिये किया जाता है और विशेष रूप से इसके समृद्ध कैलोरी मान एवं कम फाइबर सामग्री के कारण उपयुक्त है।
- इसका उपयोग शराब बनाने वाले उद्योग में भी किया जाता है, जहाँ इसे जौ के साथ मिलाया जाता है और अरक (अम्लीय मादक पेय, आसुत, रंगहीन पेय) का उत्पादन होता है।
- यह चावल के आटे के लिये कच्चा माल है, जिसका उपयोग शिशु आहार, नाश्ता अनाज, राइस वाइन, राइस लिकर, सेक (एक प्रकार का मादक पेय पदार्थ) और पहले से पैक एवं डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में किया जाता है।
निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का कारण:
- निर्यात में असामान्य वृद्धि: टूटे चावल का निर्यात अप्रैल-अगस्त 2022 के दौरान 42 गुना बढ़कर 21.31 लाख मीट्रिक टन (LMT) हो गया, जबकि वर्ष 2019 की इसी अवधि के दौरान यह 0.51 LMT था।
- चीन वर्ष 2021-22 में भारतीय टूटे चावल का शीर्ष खरीदार (15.85 LMT) था।
- घरेलू बाज़ार में कमी: टूटे चावल पोल्ट्री फीड या इथेनॉल, जिसके लिये टूटे हुए चावल या क्षतिग्रस्त खाद्यान्न का उपयोग किया जा रहा था, के लिये भी उपलब्ध नहीं है।
- वैश्विक मांग में वृद्धि: भू-राजनीतिक परिदृश्य के कारण टूटे चावल की वैश्विक मांग में वृद्धि हुई है, जिसने वस्तुओं के मूल्य को प्रभावित किया है।
- घरेलू उत्पादन में गिरावट: खरीफ मौसम 2022 के लिये धान के रकबे और उत्पादन में संभावित कमी लगभग 6% है।
- कुछ राज्यों में खराब बारिश के कारण पिछले वर्ष के इसी आँकड़े की तुलना में चालू खरीफ सीज़न के दौरान कुल चावल की बुवाई अब तक लगभग 20 लाख हेक्टेयर कम हुई है।
- इस बार चावल के उत्पादन में एक करोड़ टन का नुकसान हो सकता है, हालाँकि अगर सबसे खराब स्थिति रहती है तो इस साल 1.2 करोड़ टन कम चावल का उत्पादन हो सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:Q. जैव ईंधन पर भारत की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किसका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020)
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: A
अत: विकल्प (a) सही उत्तर है। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय इतिहास
आचार्य विनोबा भावे
प्रीलिम्स के लिये:आधुनिक भारत के महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व मेन्स के लिये:आधुनिक भारतीय इतिहास, महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व, राष्ट्रीय आन्दोलन |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने आचार्य विनोबा भावे की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
आचार्य विनोबा भावे
- जन्म:
- विनायक नरहरि भावे का जन्म 11 सितंबर, 1895 को गागोडे, बॉम्बे प्रेसीडेंसी (वर्तमान महाराष्ट्र) में हुआ था।
- उनके पिता और माता का नाम क्रमशः नरहरि शंभू राव और रुक्मिणी देवी था।
- संक्षिप्त परिचय:
- आचार्य विनोबा भावे एक अहिंसक और स्वतंत्रता के कार्यकर्त्ता, समाज सुधारक और आध्यात्मिक शिक्षक थे।
- महात्मा गांधी के एक उत्साही अनुयायी होने के नाते विनोबा ने अहिंसा और समानता के अपने सिद्धांतों का पालन किया।
- उन्होंने अपना जीवन गरीबों और दलितों की सेवा हेतु समर्पित कर दिया तथा उनके अधिकारों के लिये खड़े हुए।
- पुरस्कार और मान्यता:
- विनोबा भावे वर्ष 1958 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय व्यक्ति थे।
- उन्हें 1983 में मरणोपरांत भारत रत्न (भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) से भी सम्मानित किया गया था।
- गांधी के साथ जुड़ाव:
- विनोबा भावे ने 7 जून. 1916 को गांधी से मुलाकात की और आश्रम में निवास किया।
- गांधी की शिक्षाओं ने भावे को भारतीय ग्रामीण जीवन को बेहतर बनाने के लिये समर्पित जीवन की ओर अग्रसर किया।
- आश्रम के एक अन्य सदस्य मामा फड़के ने उन्हें विनोबा (एक पारंपरिक मराठी विशेषण जो महान सम्मान का प्रतीक है) नाम दिया था।
- 8 अप्रैल, 1921 को विनोबा भावे, गांधी के निर्देशों के तहत वर्धा में एक गांधी-आश्रम का प्रभार लेने के लिये वर्धा गए।
- वर्धा में अपने प्रवास के दौरान वर्ष 1923 में उन्होंने मराठी में एक मासिक 'महाराष्ट्र धर्म' का प्रकाशन किया, जिसमें उपनिषदों पर उनके निबंध छापे गए थे।
- विनोबा भावे ने 7 जून. 1916 को गांधी से मुलाकात की और आश्रम में निवास किया।
- स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- उन्होंने असहयोग आंदोलन के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और विशेष रूप से आयातित विदेशी वस्तुओं के स्थान पर स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का आह्वान किया।
- उन्होंने खादी का कताई करने वाला चरखे का उपयोग किया और दूसरों से ऐसा करने का आग्रह किया, जिसके परिणामस्वरूप कपड़े का बड़े पैमाने पर उत्पादन हुआ।
- वर्ष 1932 में, विनोबा को छह महीने के लिए धूलिया जेल भेज दिया गया था क्योंकि उन पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया गया था।
- कारावास के दौरान उन्होंने साथी कैदियों को 'भगवद गीता' के विभिन्न विषयों को मराठी में समझाया।
- धूलिया जेल में उनके द्वारा गीता पर दिये गए सभी व्याख्यानों को एकत्र किया गया और बाद में पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया।
- वर्ष 1940 में उन्हें भारत में गांधीजी द्वारा ब्रिटिश राज के खिलाफ पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही (सामूहिक कार्रवाई के बजाय सत्य के लिये खड़े होने वाले व्यक्ति) के रूप में चुना गया था।
- 1920 और 1930 के दशक के दौरान भावे को कई बार बंदी बनाया गया तथा ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध के लिये 40 के दशक में पांँच साल की जेल की सज़ा दी गई थी।
- उन्हें आचार्य (शिक्षक) की सम्मानित उपाधि दी गई थी।
- सामाजिक कार्यों में भूमिका:
- उन्होंने समाज में व्याप्त असमानता जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने की दिशा में अथक प्रयास किया।
- गांधीजी द्वारा स्थापित उदाहरणों से प्रभावित होकर उन्होंने उन लोगों का मुद्दा उठाया जिन्हें गांधीजी द्वारा हरिजन कहा जाता था।
- उन्होंने गांधीजी के सर्वोदय शब्द को अपनाया जिसका अर्थ- "सभी के लिये प्रगति" (Progress for All) है।
- इनके नेतृत्व में 1950 के दशक के दौरान सर्वोदय आंदोलन ने विभिन्न कार्यक्रमों को लागू किया गया जिनमें प्रमुख भूदान आंदोलन है।
- भूदान आंदोलन:
- वर्ष 1951 में तेलंगाना के पोचमपल्ली (Pochampalli) गाँव के हरिजनों ने उनसे जीविकोपार्जन के लिये लगभग 80 एकड़ भूमि प्रदान कराने का अनुरोध किया।
- 19 वीं 1951 को पोचमपल्ली गाँव के हरिजनों ने उनसे जीविकोपार्जन के लिये लगभग 80 एकड़ भूमि प्रदान करने का अनुरोध किया।
- विनोबा ने गाँव के जमींदारों को आगे आने और हरिजनों को संरक्षित करने के लिये कहा।
- उसके बाद एक ज़मींदार ने आगे बढ़कर आवश्यक भूमि प्रदान करने की पेशकश की।
- यह भूदान (भूमि का उपहार) आंदोलन की शुरुआत थी।
- यह आंदोलन 13 वर्षों तक जारी रहा और इस दौरान विनोबा भावे ने देश के विभिन्न हिस्सों (कुल 58,741 किलोमीटर की दूरी) का भ्रमण किया।
- वह लगभग 4.4 मिलियन एकड़ भूमि एकत्र करने में सफल रहे, जिसमें से लगभग 1.3 मिलियन को गरीब भूमिहीन किसानों के बीच वितरित किया गया।
- इस आंदोलन ने दुनिया भर से प्रशंसको को आकर्षित किया तथा स्वैच्छिक सामाजिक न्याय को जागृत करने हेतु इस तरह के एकमात्र प्रयोग के कारण इसकी सराहना की गई।
- धार्मिक कार्य:
- उन्होंने जीवन के एक सरल तरीके को बढ़ावा देने के लिये कई आश्रम स्थापित किये, जो विलासिता रहित थे, क्योंकि यह लोगों का ध्यान ईश्वर की भक्ति से हटा देता है।
- महात्मा गांधी की शिक्षाओं की तर्ज पर आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से उन्होंने वर्ष 1959 में महिलाओं के लिये ‘ब्रह्म विद्या मंदिर’ की स्थापना की।
- उन्होंने गोहत्या पर कड़ा रुख अपनाया और इसके प्रतिबंधित होने तक उपवास करने की घोषणा की।
- साहित्यक रचना:
- उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में स्वराज्य शास्त्र, गीता प्रवचन और तीसरी शक्ति आदि शामिल हैं।
- मृत्यु
- वर्ष 1982 में वर्द्धा, महाराष्ट्र में उनका निधन हो गया।
स्रोत: पी.आई.बी.
जैव विविधता और पर्यावरण
हाइड्रोजन फ्यूल सेल
प्रिलिम्स के लिये:हाइड्रोजन फ्यूल सेल, ग्रीन हाइड्रोजन, ब्राउन हाइड्रोजन, ग्रे हाइड्रोजन, ब्लू हाइड्रोजन, नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी मिशन (NHM)। मेन्स के लिये:हाइड्रोजन फ्यूल सेल का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जर्मनी ने दुनिया की पहली पूरी तरह से हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का बेड़ा लॉन्च किया, ये उत्सर्जन-मुक्त ट्रेनें हैं जो 140 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ सकती हैं तथा टैंक खाली होने से पहले लगभग 1,000 किमी. तक चल सकती हैं।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल (HFC):
- परिचय:
- हाइड्रोजन फ्यूल सेल उच्च गुणवत्ता वाली विद्युत शक्ति का एक स्वच्छ, विश्वसनीय, निर्बाध और कुशल स्रोत है।
- वे एक विद्युत रासायनिक प्रक्रिया के परिचालन के लिये फ्यूल के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग करते हैं तथा विद्युत के साथ जल और ऊष्मा का उत्पादन करते हैं जो एकमात्र उप-उत्पाद के रूप में होता है।
- स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन विकल्प के लिये हाइड्रोजन पृथ्वी पर उपलब्ध सबसे प्रचुर तत्त्वों में से एक है।
- हाइड्रोजन के निर्माण की प्रक्रिया के आधार पर इसके प्रकार:
- ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण अक्षय ऊर्जा (जैसे- सौर, पवन) का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा नि होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
- इसके तहत विद्युत द्वारा जल (H2O) को हाइड्रोजन (H) और ऑक्सीजन (O2) में विभाजित किया जाता है।
- उपोत्पाद: जल, जलवाष्प।
- ब्राउन हाइड्रोजन का उत्पादन कोयले का उपयोग करके किया जाता है जहाँ उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है।
- ग्रे हाइड्रोजन (Grey Hydrogen) का उत्पादन प्राकृतिक गैस से होता है जहाँ संबंधित उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है।
- ब्लू हाइड्रोजन (Blue Hydrogen) की उत्पत्ति प्राकृतिक गैस से होती है, जहाँ कार्बन कैप्चर और स्टोरेज का उपयोग करके उत्सर्जन को कैप्चर किया जाता है।
- ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण अक्षय ऊर्जा (जैसे- सौर, पवन) का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा नि होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
- महत्त्व:
- सर्वश्रेष्ठ शून्य उत्सर्जन समाधान: यह सबसे अच्छे शून्य उत्सर्जन समाधानों में से एक है। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है जिसमें जल के अलावा कोई तेलपाइप उत्सर्जन नहीं है।
- तेलपाइप उत्सर्जन (Tailpipe Emission): वातावरण में गैस या विकिरण जैसी किसी चीज़ का उत्सर्जन।
- शोर रहित संचालन (Quiet Operation): तथ्य यह है कि फ्यूल सेल कम शोर करती हैं, इसका मतलब है कि उनका उपयोग अस्पताल की इमारतों जैसे चुनौतीपूर्ण संदर्भों में किया जा सकता है।
- आसान संचालन: फ्यूल सेल का संचालन समय बैटरी की तुलना में लंबा होता है, फ्यूल सेल के साथ संचालन समय को दोगुना करने हेतु केवल ईंधन की मात्रा को दोगुना करने की आवश्यकता होती है, जबकि बैटरी को इसे प्राप्त करने के लिये घटकों की क्षमता को दोगुना करने की आवश्यकता होती है।
- सर्वश्रेष्ठ शून्य उत्सर्जन समाधान: यह सबसे अच्छे शून्य उत्सर्जन समाधानों में से एक है। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है जिसमें जल के अलावा कोई तेलपाइप उत्सर्जन नहीं है।
- मुद्दे:
- उच्च लागत: ग्रीन हाइड्रोजन वैश्विक हाइड्रोजन उत्पादन का केवल 0.03% का निर्माण करता है और यह प्राकृतिक गैस से उत्पादित 'ग्रे' हाइड्रोजन या कोयले से उत्पादित 'ब्राउन' हाइड्रोजन से पाँच गुना अधिक महँगा है।
- हाइड्रोजन भंडारण: हाइड्रोजन का भंडारण और परिवहन जीवाश्म ईंधना की तुलना में अधिक जटिल है। इसका तात्पर्य ऊर्जा के स्रोत के रूप में हाइड्रोजन फ्यूल सेल पर विचार करने हेतु अतिरिक्त लागत से है।
- हाइड्रोजन निष्कर्षण: ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर तत्त्व होने के बावजूद हाइड्रोजन अपने आप में मौजूद नहीं है, इसलिये इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से पानी से निकालने या कार्बन जीवाश्म ईंधन से अलग करने की आवश्यकता होती है।
- इन दोनों प्रक्रियाओं के लिये महत्त्वपूर्ण मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा स्वयं हाइड्रोजन से प्राप्त ऊर्जा से अधिक होने के साथ-साथ महँगी भी हो सकती है।
- इसके अलावा इस निष्कर्षण के लिये आमतौर पर जीवाश्म ईंधन के उपयोग की आवश्यकता होती है, जो कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) की अनुपस्थिति मेंं हरित हाइड्रोजन साख (Green Credentials of Hydrogen) को कमज़ोर करता है।
- भारतीय परिदृश्य:
- की गई पहल: केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (National Hydrogen Energy Mission-NHM) की घोषणा की गई है, जो हाइड्रोजन को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग करने के लिये एक रोडमैप तैयार करेगा।
- अक्षय ऊर्जा के लिये अन्य पहलें:
- भारत में यदि ट्रेनों इंजनो को हाइड्रोजन इंजन में बदल दिया जाता है तो प्रत्येक वर्ष 24 मिलियन टन से अधिक CO2 उत्सर्जन में कमी की जा सकती है, साथ ही 2,400 मिलियन लीटर डीज़ल ईंधन (और संबंधित लागत) बचाया जा सकता है।
- भारत में वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 13,500 ट्रेनें चल रही हैं, इनमें से लगभग 5,000 (37%) डीज़ल इंजन युक्त हैं और बाकी पूरी तरह से विद्युतीकृत हैं।
आगे की राह
- उत्सर्जन के अनुकूल विकल्प: एक अन्य विकल्प जिस पर दुनिया भर में कई हाइड्रोजन परिषदें ज़ोर दे रही हैं, वह है ब्लू हाइड्रोजन जिसमें उत्पादन सुविधा में शामिल कार्बन अवशोषण और भण्डारण के लिये अतिरिक्त सुविधाओं के साथ ग्रे हाइड्रोजन युग्मित है।
- इस तरह हाइड्रोजन उत्पादन के दौरान उत्सर्जित CO2 का 90% तक पुन: उपयोग या भंडारण के लिये अवशोषण किया जा सकता है और इसे वातावरण में जाने से रोका जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न: हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहन "निकास" के रूप में निम्नलिखित में से एक का उत्पादन करते हैं: (2010) (a) NH3 उत्तर: c व्याख्या:
अतः विकल्प (c) सही है। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
शासन व्यवस्था
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)
प्रिलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), आत्मनिर्भर भारत, किसान क्रेडिट कार्ड। मेन्स के लिये:ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहल, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), इसकी उपलब्धियाँ, महत्त्व और आगे की राह। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की दूसरी वर्षगाँठ मनाई गई।
- PMMSY ने वर्ष 2024-25 के अंत तक 68 लाख रोज़गार सृजन की परिकल्पना की है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMSSY):
- परिचय:
- PMMSY मत्स्य क्षेत्र पर केंद्रित एक सतत् विकास योजना है, जिसे आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक (5 वर्ष की अवधि के दौरान) सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जाना है।
- PMMSY के अंतर्गत 20,050 करोड़ रुपए का निवेश मत्स्य क्षेत्र में होने वाला सबसे अधिक निवेश है।
- मछुआरों को बीमा कवर, वित्तीय सहायता और किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा भी प्रदान की जाती है।
- लक्ष्य और उद्देश्य:
- PMMSY का उद्देश्य ग्रामीण संसाधनों का उपयोग करके ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तेज़ी से बढ़ावा देना है।
- PMMSY का मुख्य आदर्श वाक्य मत्स्य पालन क्षेत्र में 'सुधार, प्रदर्शन और रूपांतरण' है।
- PMMSY योजना में निम्नलिखित सुधारों और पहलों को शामिल किया गया है:
- मूल और विस्तृत बुनियादी ढाँचा विकास
- निम्नलिखित प्रयासों के माध्यम से भारतीय मात्स्यिकी का आधुनिकीकरण:
- मछली पकड़ने के बंदरगाहों और लैंडिंग केंद्रों को बढ़ावा
- पारंपरिक मछुआरों के क्राफ्ट-ट्रॉलर-डीप समुद्र में जाने वाले जहाज ोेका आधुनिकीकरण और यांत्रिकीकरण
- पोस्ट हारवेस्ट हानि को कम करने के लिये पोस्ट हारवेस्ट सुविधाओं का प्रावधान
- कोल्ड चेन की सुविधा
- स्वच्छ मछली बाज़ार
- बर्फ के बक्से वाले दोपहिया वाहन और ऐसी अन्य सुविधाएँ
- उपलब्धियाँ:
- मत्स्य क्षेत्र ने वर्ष 2019-20 के मुकाबले वर्ष 2021-22 तक 14.3 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है।
- मछली उत्पादन जो कि वर्ष 2019-20 में 141.64 लाख टन था, वर्ष 2021-22 में सर्वकालिक उच्च स्तर 161.87 लाख टन (अनंतिम) पर पहुँच गया।
- निर्यात में भी हमने 13.64 लाख टन के सर्वाधिक निर्यात स्तर को हासिल कर लिया है, जिसका मूल्य 57,587 करोड़ रुपए है, जो झींगा के निर्यात के प्रभुत्व को दर्शाता है।
- वर्तमान में चीन, थाईलैंड, जापान, ताइवान, ट्यूनीशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, हॉन्गकॉन्ग, कुवैत आदि सहित 123 देशों को निर्यात हो रहा है।
- PMMSY ने 22 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों में बीमा कवरेज के तहत 31.47 लाख किसानों को सहायता प्रदान की है।
- मत्स्य क्षेत्र ने वर्ष 2019-20 के मुकाबले वर्ष 2021-22 तक 14.3 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है।
- कार्यान्वयन:
- आगामी योजना:
- विशेष रूप से उत्तरी भारत के लवणीय और क्षारीय क्षेत्रों में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाएगा।
- इसके अलावा जलीय स्वास्थ्य प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिसमें बीमारियों, एंटीबायोटिक और अवशेषों के मुद्दों को शामिल किया जाएगा जो एक एकीकृत प्रयोगशाला नेटवर्क द्वारा समर्थित होगा।
आगे की राह
- मत्स्य पालन और मछली किसान PMMSY के केंद्र में शामिल हैं। हमारे जलाशयों और प्राकृतिक संसाधनों की वास्तविक क्षमता का उपयोग प्रौद्योगिकी व सार्वजनिक भंडारण तथा नदी एवं समुद्री पशुपालन कार्यक्रम द्वारा जल निकायों के कायाकल्प के माध्यम से किया जा सकता है।
- उत्पादकता के मामले में भारत को वैश्विक मानचित्र में शीर्ष पर लाने के लिये मत्स्य पालन में वैज्ञानिक प्रथाओं को अपनाया जाना चाहिये।
स्रोत: पी.आई.बी.
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा
प्रिलिम्स के लिये:हिंद-प्रशांत, क्वाड, सीईपीए (व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते) मेन्स के लिये:भारत को शामिल और/या इसके के हितों को प्रभावित करने वाले करने वाले समूह और समझौते, द्विपक्षीय समूह और समझौते, क्वाड, हिंद-प्रशांत और इसका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने अमेरिका में ‘हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा’ (Indo-Pacific Economic Framework- IPEF) मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित किया, जहाँ भारत ने निष्पक्ष और लचीले व्यापार स्तंभ से दूर रहने का फैसला किया।
- भारत चार स्तंभों में से तीन पर सहमत हुआ, जो आपूर्ति शृंखला, कर और भ्रष्टाचार विरोधी और स्वच्छ ऊर्जा हैं।
हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा (IPEF):
- यह अमेरिका के नेतृत्व वाली एक पहल है जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लचीलापन, स्थिरता, समावेशिता, आर्थिक विकास, निष्पक्षता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये भाग लेने वाले देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को मज़बूत करना है।
- IPEF को 12 देशों के प्रारंभिक भागीदारों के साथ लॉन्च किया गया था जो सामूहिक रूप से विश्व सकल घरेलू उत्पाद में 40% की हिस्सेदारी रखते हैं।
- IPEF एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) नहीं है, लेकिन सदस्यों को उन हिस्सों पर बातचीत करने की अनुमति देता है जो वे चाहते हैं। IPEF के चार स्तंभ हैं:
- आपूर्ति- शृंखला प्रत्यास्थता/लचीलापन
- स्वच्छ ऊर्जा, डीकार्बोनाइजेशन और आधारभूत संरचना
- कराधान और भ्रष्टाचार विरोधी पहल
- निष्पक्ष और लचीला व्यापार।
- वर्तमान में भारत और प्रशांत महासागर में स्थित 13 देश इसके सदस्य हैं।
- ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूज़ीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम।
IPEF पर भारत की स्थिति
- जबकि कुछ देशों ने वार्ता में शामिल होने में रुचि व्यक्त की थी, भारत ने कुछ समय के लिये एक निश्चित स्थिति की घोषणा नहीं की क्योंकि इसका मानना है कि सदस्य देशों को क्या लाभ मिलेगा और क्या पर्यावरण जैसे पहलुओं पर कोई शर्त विकासशील देशों के साथ भेदभाव कर सकती है।
- IPEF में प्रस्तावित कुछ क्षेत्र भारत के हित की पूर्ति करते प्रतीत नहीं होते हैं।
- उदाहरण के लिये, IPEF डिजिटल गवर्नेंस का समर्थन करता है लेकिन IPEF सूत्रीकरण में ऐसे मुद्दे शामिल हैं जो सीधे तौर पर भारत की घोषित स्थिति के साथ टकराव उत्पन्न करते हैं।
- भारत विशेष रूप से गोपनीयता और डेटा के संबंध में अपने स्वयं के डिजिटल ढाँचे और कानूनों को मज़बूत करने की प्रक्रिया में है।
- अगस्त 2022 में भारत सरकार ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक को संसद से यह कहते हुए वापस ले लिया कि वह समग्र इंटरनेट पारिस्थितिकी तंत्र, साइबर सुरक्षा आदि को विनियमित करने के लिये "व्यापक कानूनी ढाँचे" पर विचार करेगी।
- अमेरिका ने पहले भारतीय पक्ष द्वारा डेटा स्थानीयकरण या भारत में स्थित सर्वरों में भारतीय उपयोगकर्त्ताओं के डेटा के भंडारण और प्रसंस्करण की मांग की संभावना के बारे में, यहाँ तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका-आधारित कंपनियों के डेटा के मामले में भी चिंता व्यक्त की है।
- अमेरिकी रिपोर्ट ने संभावना व्यक्त की है कि भारत की यह नीति डिजिटल व्यापार के लिये महत्त्वपूर्ण बाधा के रूप में काम करेगी और विशेष रूप से छोटी फर्मों के लिये बाज़ार पहुँच बाधा के रूप में कार्य करेगी।
अन्य व्यापार सौदों से अलग:
- IPEF वास्तव में एक व्यापार समझौता नहीं है और कई स्तंभों का प्रावधान प्रतिभागियों के लिये यह चुनने का विकल्प प्रदान करता है कि वे किसका हिस्सा बनना चाहते हैं।
- अधिकांश बहुपक्षीय व्यापार सौदों की तरह यह इसमें शामिल होने या छोड़ने की व्यवस्था नहीं है।
- चूँकि IPEF एक नियमित व्यापार समझौता नहीं है इसलिये सदस्य हस्ताक्षरकर्त्ता होने के बावजूद सभी चार स्तंभों के लिये बाध्य नहीं हैं।
- इसलिये व्यवस्था के व्यापार भाग से दूर रहते हुए, भारत बहुपक्षीय व्यवस्था के अन्य तीन स्तंभों - आपूर्ति शृंखला, कर और भ्रष्टाचार विरोधी तथा स्वच्छ ऊर्जा में शामिल हो गया है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भारत का दृष्टिकोण:
- इस क्षेत्र में भारत का व्यापार तेज़ी से बढ़ रहा है, विदेशी निवेश को पूर्व की ओर निर्देशित किया जा रहा है, उदाहरण के लिये जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते तथा आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) एवं थाईलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौते।
- भारत एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत का सक्रिय समर्थक रहा है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा आसियान के सदस्यों ने इस क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका को लेकर समान विचार व्यक्त किया है।
- भारत अपने क्वाड भागीदारों के साथ हिंद-प्रशांत में अपने प्रयासों को आगे बढ़ा रहा है।
- भारत का विचार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करना है ताकि नियम-आधारित बहुध्रुवीय क्षेत्रीय व्यवस्था का सहकारी प्रबंधन किया जा सके तथा किसी एक शक्ति को इस क्षेत्र या इसके जलमार्गों पर हावी होने से रोका जा सके।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):प्रश्न. भारत-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन की महत्त्वाकांक्षाओं का मुकाबला करना नई त्रि-राष्ट्र साझेदारी AUKUS का उद्देश्य है। वर्तमान परिदृश्य में AUKUS की शक्ति और प्रभाव की विवेचना कीजिये। (मेन्स-2021) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
एथिक्स
अवैध शराब की आपूर्ति पर रोक
मेन्स के लिये:नैतिकता के आयाम, मानवीय गतिविधियों में नैतिकता के निर्धारक कारक एवं परिणाम |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के एक अधिकारी ने सोलापुर (महाराष्ट्र) में अवैध शराब की भट्ठियों पर नकेल कसने के लिये सॉफ्ट पुलिसिंग का उपयोग किया।
- ज़हरीली शराब के निर्माण के लिये 'देसी शराब' या सस्ती आसुत शराब को औद्योगिक शराब या मेथनॉल के साथ मिलाकर इसकी मादक शक्ति को बढ़ाया जाता है।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आँकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016 से 2020 के बीच भारत में अवैध शराब के सेवन से 6,172 लोगों की मौत हुई।
इस तरह के संचालन में शामिल विभिन्न हितधारकों की ज़िम्मेदारियाँ:
- राज्य और केंद्र सरकार:
- शराबबंदी का प्रयास कर संवैधानिक मूल्यों को लागू करना (अनुच्छेद 47)।
- दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में निष्पक्षता बनाए रखना।
- पारदर्शी व्यवस्था और जाँच में कानून का शासन बनाए रखना।
- निर्णय लेने और दुर्घटनाओं की जवाबदेही निर्धारित करने में निष्पक्षता बनाए रखना।
- ज़िला अधिकारी:
- न्याय के लिये अपराधियों को कटघरे में खड़ा करने में निष्पक्षता और ईमानदारी बनाए रखना चाहे वे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों।
- पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति सहानुभूति दिखाना।
- पुलिस:
- अवैध शराब के धंधे पर निष्पक्ष भाव से अंकुश लगाना।
- राजनेताओं को दरकिनार या दोषमुक्त न कर अपने कर्तव्य के निर्वहन में निष्पक्षता बनाए रखना।
- ड्यूटी के दौरान सत्यनिष्ठा बनाए रखना।
- चूक और कमीशन के संबंध में जवाबदेह बनना।
- कर्त्तव्य का ईमानदारी के साथ निर्वहन।
- भ्रष्टाचार का उन्मूलन, कर्त्तव्यों के निर्वहन में ईमानदारी को बढ़ावा देना।
- मीडिया:
- उन्हें अपनी रिपोर्ट के लिये ज़िम्मेदार और उत्तरदायी बनना।
- लोकतंत्र के स्तंभों में से एक होने के नाते यह उनका कर्तव्य है कि वे निडर होकर निष्पक्ष रूप से सच्चाई को सामने लाएँ।
- मंत्री / विधायक:
- नियमों का अक्षरश: पालन करते हुए सत्यनिष्ठा बनाए रखना।
- जनसेवा की शपथ के प्रति निष्ठा रखना।
- समाज:
- शराब का सेवन न करने तथा इसे छोड़ने हेतु नैतिक संयम बरतना, ताकि इससे स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा न हो।
- शराबबंदी के गांधीवादी आदर्शों को अपनाना।
- न्याय दिलाने में प्रशासन और पुलिस की मदद करके एक अच्छा नागरिक होने का कर्त्तव्य निभाना।
आगे की राह
- सॉफ्ट पुलिसिंग प्रक्रिया:
- 'ऑपरेशन परिवर्तन' एक चार-सूत्रीय कार्ययोजना है जिसमें पुलिस ज़िले में घरेलू रूप से संचालित अवैध शराब भट्ठियों पर ठोस कार्रवाई के साथ परामर्श जैसे सॉफ्ट पुलिसिंग प्रक्रिया को शामिल किया जाना चाहिये।
- सार्वजनिक अभियान रणनीति:
- लोगों से शराब के सेवन से बचने की अपील करने के लिये विज्ञापनों, नुक्कड़ नाटकों आदि के साथ सार्वजनिक अभियान चलाना।
- पुनर्वास प्रक्रिया:
- शराब के आदी लोगों के पुनर्वास की प्रक्रिया को सुगम बनाना, इसके लिये सरकार की ओर से नशामुक्ति केंद्रों को खोलने हेतु पर्याप्त धनराशि का आवंटन करना।