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डेली अपडेट्स

आंतरिक सुरक्षा

द वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2020

  • 06 Jul 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये

संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय

मेन्स के लिये

भारत और अवैध दवा व्यापार

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime-UNODC) द्वारा जारी वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2020 में अवैध मादक द्रव्यों के उत्पादन, आपूर्ति तथा उसके उपभोग पर वैश्विक महामारी COVID-19 के प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है 

प्रमुख बिंदु 

आर्थिक संकट 

  • रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक कठिनाइयों के कारण लोग अपनी आजीविका को बनाए रखने के लिये दवाओं से संबंधित अवैध गतिविधियों का सहारा ले सकते हैं ।
  • वैश्विक महामारी COVID-19 के कारण सरकारें दवाओं से संबंधित चिकित्सीय परीक्षणों के लिये अपने बजट पूर्वानुमान में कटौती कर सकती हैं। जिससे सस्ती व हानिकारक दवाओं का उपयोग करने के चलन में वृद्धि हो सकती है।

रणनीति में परिवर्तन 

  • इटली, नाइजर और मध्य एशिया के देशों में ड्रग तस्करी में भारी गिरावट दर्ज की गई है। ऐसा इसलिये है क्योंकि मादक पदार्थों के तस्करों ने रणनीति में परिवर्तन करते हुए अपना ध्यान अन्य अवैध गतिविधियों जैसे साइबर अपराध और नकली दवाओं के निर्माण में लगाया है। 
  • हालाँकि मोरक्को और ईरान जैसे देशों में ड्रग तस्करी की घटनाओं में वृद्धि हुई है। 

आपूर्ति श्रृंखला पर COVID-19 का प्रभाव 

  • COVID-19 और इसके बाद लागू किया गया लॉकडाउन दुनिया में प्रमुख उत्पादकों के बीच उत्पादन और बिक्री में बाधा के रूप में उभरा है। लॉकडाउन के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में गिरावट एसिटिक एनहाइड्राइड (Acetic Anhydride) की आपूर्ति में कमी का कारण बन सकती है, जो हेरोइन (Heroin) के निर्माण के लिये उपयोगी होती है।
  • लॉकडाउन के दौरान मादक पदार्थ भांग (Cannabis) की मांग में वृद्धि देखी गई है 
  • हवाई यात्रा पर प्रतिबंध से वायु मार्ग द्वारा मादक पदार्थों की तस्करी पूरी तरह से बाधित होने की संभावना है। मादक पदार्थों की तस्करी हेतु अब समुद्री मार्गों के बढ़ते उपयोग के संकेत हैं।

समुद्री मार्ग का उपयोग 

  • हाल ही में हिंद महासागर क्षेत्र से मादक पदार्थ हेरोइन ज़ब्त की गई है जो इंगित करता है कि यूरोप महाद्वीप के देशों में  मादक पदार्थ हेरोइन की तस्करी के लिये समुद्री मार्गों का उपयोग किया गया है।
  • हालाँकि सीमापारीय आवागमन बाधित होने से मादक पदार्थ अफीम (Opiam) की तस्करी में गिरावट हुई है परंतु मादक पदार्थ कोकीन की तस्करी समुद्री मार्गों के द्वारा की जा रही है।

भारत और अवैध ड्रग व्यापार

  • संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत अवैध ड्रग  व्यापार के प्रमुख केंद्रों में से एक है। यहाँ ट्रामाडोल (Tramadol) और मेथाफेटामाइन (Methamphetamine) जैसे आधुनिक और भांग जैसे पुराने मादक पदार्थ मिल जाते हैं। 
  • भारत दुनिया में दो प्रमुख अवैध अफीम उत्पादन क्षेत्रों के मध्य में स्थित है, पश्चिम में गोल्डन क्रीसेंट (ईरान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान) और पूर्व में स्वर्णिम त्रिभुज (दक्षिण-पूर्व एशिया)।

स्वर्णिम त्रिभुज क्षेत्र

  • स्वर्णिम त्रिभुज क्षेत्र म्यांमार, लाओस और थाईलैंड के पहाड़ों का एक संयुक्त क्षेत्र है। यह यूरोप और उत्तरी अमेरिका में मादक पदार्थों की आपूर्ति करने के लिये तस्करों द्वारा उपयोग किये जाने वाले सबसे पुराने मार्गों में से एक है। 
  • इसके अलावा, यह दक्षिण पूर्व एशिया का मुख्य अफीम उत्पादक क्षेत्र है। स्वर्णिम त्रिभुज क्षेत्र भारत के पूर्वी हिस्से में स्थित है।

स्वर्णिम अर्द्धचंद्र क्षेत्र 

  • स्वर्णिम अर्द्धचंद्र क्षेत्र में अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान शामिल हैं। यह अफीम के उत्पादन और उसके वितरण के लिये प्रमुख वैश्विक स्थलों में से एक है। 
  • स्वर्णिम अर्द्धचंद्र क्षेत्र भारत के पश्चिम में स्थित है। 

अन्य संबंधित चुनौतियाँ  

  • सीमा क्षेत्र : निचले मेकांग क्षेत्र की सीमाएँ अत्यधिक कमज़ोर हैं इसलिये इन्हें नियंत्रित करना कठिन कार्य  है। इस प्रकार COVID-19 महामारी के कारण लागू किये गए लॉकडाउन ने इस क्षेत्र में होने वाली तस्करी में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं की है। 
  • तस्करी के नए तरीके: तस्करों ने तस्करी के विभिन्न नए तरीकों का उपयोग करना शुरू कर दिया है। 
  • सीमित नियंत्रण: सरकार का स्वर्णिम त्रिभुज क्षेत्र में सीमित नियंत्रण है जिससे इस मार्ग से तस्करी में वृद्धि हुई है।

आगे की राह

  • वैश्विक महामारी COVID-19 के परिणामस्वरूप मादक पदार्थों की तस्करी के संदर्भ में तस्कर संगठनों की रणनीति में बदलाव को समझने की आवश्यकता है। 
  • देश की सीमाओं से परे उन देशों में भी प्रयास किये जाने की ज़रूरत है जहाँ अवैध मादक पदार्थों का उत्पादन होता है।

स्रोत: द हिंदू

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